RE: Antarvasnasex रीटा की तडपती जवानी
बहादुर एक हाथ से अपना लौडा रगडने लगा और दुसरे हाथ से हाथ रीटा की मख्खन सी गुदगुदी गाँड को मसलने लगा "अब कुछ आराम आया"?
बेहया रीटा टांगो को चौडाती बुदबुदाती सी बोली " नहीं, जरा बीच मे करीये तो बताती हूँ "
बहादुर अपनी अगुलीयो से रीटा की बुंड टटोलता बोला "अब कुछ आराम आया कया"?
मस्ती मे रीटा सिर को हाँ मे हिलाती बोली "हूमऽऽऽ जरा थोडा ओर अन्दर और जोर से करीये तो बताती हूँ, सीऽऽऽ" रीटा को मुह से अनजाने मे बहुत जोर से आनंद भरी सिसकारी फूट पडी - जैसे किसी ने गर्म गर्म तवे पर ठन्डा पानी छिडक दिया हो।
धूर्त बहादुर अपना खडे लौडे की टोटनी को अगूठे और अुंगली मे रगडता हाथ को रीटा की नमकीन व चांदी सी चपडगंजी चूत को मुट्ठी मे जोर से भींचता बोला "बेबी अब कुछ आराम आया"?
रीटा अब बोलने वाली हालत मे नही थी "ओर जोर से बहादुर सीऽऽऽ ऊईऽऽऽ सीऽऽऽऽ"।
बहादुर ने एक मोटी और खुरदरी अुंगली रीटा की गीली चूत मे पिरो दी तो रीटा की छोटी छोटी मुट्ठीयां चादर पर कस गई "सीऽऽऽऽ आहऽऽऽ ये कया कर रहे हो बहादुर सीऽऽऽऽ आहऽऽऽ"?
बहादुर रीटा की चूत मे अुंगली धुमाता और छोकरी की चूत का ज्यजा लेता बोला "बेबी लगता है तुम काफी खेली खाई हो "।
रीटा पलटी और मुस्कूरा के बोली "ईस मे शक ही कया है, तुम बतलाओ, खेलो गे मुझ से"? बेहया रीटा ने बहादुर के खेलने के लिये अपनी शर्ट के सारे को सारे बटन झटके से चटाक चटाक कर के खोल कर अपने उरोज़ो को बेशर्मी से आगे उचका कर हिला दिया, तो बहादुर रीटा का पारे सी थरथरती व टाईट गौलाईयौं को देखा ठरक से पागल हो गया। फिर रीटा ने बडी अदा से अपने गुलाबी निप्पलौ को अपनी छोटी छोटी अुंगलियों की चुटकीयो मे मसला तो दोनो निप्पल तैश मे आ कर बुलटस के माफीक अकड कर बहादुर की तरफ तनते चले गये।
बहादुर आँखों से रीटा की जवानी का रसपान करता घबरा कर हकलाता सा बोला "वो वो मैं बेबी"।
पर रीटा अब रूकने वाली नही थी रीटा ने चारपाई पर बैठे बैठे अपने कपडे उतार नंगी होती चली गई। हील वाले सेन्डील के ईलावा रीटा अब बिलकुल नंगधडग थी और ईन्तीहा ही सैक्सी लग रही थी। अब रीटा अपने घुटने मोडे चारपाई पर ईन्डीयन टायलट सटायल से बैठ गई। सर से पाँव तक नन्गी रीटा बहादुर के पैंट के तम्बू को हसरत भरी निगाहो से देखते हुऐ होले होले अपनी सुडौल मरमरी टांगे को दाये बाये चौडाती चली गई और शानदार अंगड़ाई तोडती बोली "बहादुर आओ नाऽऽऽ ज़रा देखे तो तुम कितने बहादुर हो"? ईस पौज मे रीटा का संगमरमर से तराशा जिस्म तडक सा उठा।
टांगे चौडाते ही रीटा की फूल सी खिली हुई चूत का झिलमील करता दो ईंच लम्बा चीरा और बिन्दी सी गाँड का रेशमी सुराख का रोम रोम नुमाया हो उठा। टांगौं को दाये बाये चौडाने से डबडबाई चूत का सुर्ख दान भी कसमसा कर चूत की फाको से सरसरा कर बाहर आ कर लिश्कारे मारते लगा, तो बहादुर का बेहाल लन्ड पिधलता चला गया।
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