RE: Antarvasnasex रीटा की तडपती जवानी
रीटा का बहनचौद भाई राजू
फिर रीटा कभी कभी पडने के बहाने अपने पडोसी राजू से टशन मारने और ठरक भौरने चली जाया करती थी। कई बार अकेले मे आपस मे मज़ाक और छेड छाड करते धींगा मुश्ती और लिपटा चिपटी मे राजू कच्ची कली के धस्से मार कर उपर उपर से ठरक पूरा कर लेता था। नन्ही रीटा को भी अपने अंग राजू के जिस्म से रगड कर बहुत शकून और आनंद मिलता था। रीटा के जाने के बाद ठरकी राजू आखे बंद किये सैक्सी रीटा के बारे सोच सोच कर घन्टौ घन्टौ मुठ मारता रहता था।
अकसर राजू रीटा से जानबूझ कर धींगा मुश्ती मे हार जाता था। हारने को बाद जब रीटा राजू के उपर होती तो घोडा घोडा खेल खलने से नही चूकती थी। राजू को पीठ के बल चित कर, राजू के पैंट मे फसे हुऐ पप्पू को जब अपनी चूत से पीटती और रगड़ती तो राजू शदाई हो जाता था। राजू के धक्कों से रीटा के सन्तरे पागलों की तरहा उछ्ल उछ्ल पडते थे। रीटा का चेहरा काम वासना से तमतमा उठता था। राजू इस पोज का फायदा उठा कर रीटा की गदराई जांघो पर हाथ फैर देता था। कभी कभी रीटा ठरक में खुद ही राजू के हाथो को खींच कर अपनी चिकनी संगमरी रानो पे रख देती थी। डराई फकींग से कई बार तो राजू का पैंट मे ही छूट जाता था। बथेरी बार रगडम रगडाई और ठरक के मजे से रीटा की भी आंखे मुंद सी जाती थी और सितकारीयाँ भी निकल जाती थी।
कभी कभी कुश्ती कुश्ती खेलते राजू भी रीटा के गुदाज बदन को बिस्तर पर दबोचे लुड़कीया लगा कर धस्से मार लेता था। कभी कभी रीटा राजू से डाकटर डाकटऱ, टिकलींग टिकलींग और तलाशी तलाशी जैसे सैक्सी खेल खेलती थी। टीकलींग करते करते राजू रीटा के चूतडो और जांधो की चिकनाहट और गदराहट का मजा लेने से नही चूकता था। जब राजू के हाथ रीटा की चूत के पास पहुचते तो सुरसुरी से रीटा की लिच्ची सी लाल चूत के रौंगटे खडे हो जाते और वह लिसलिसा उठती।
फिर एक दिन रीटा राजू के कमरे मे पडाई करने के बाद सू-सूऽऽ करने अटेच्ड बाथरूम मे घुसी। रीटा अपनी सकर्ट उपर उठा कच्छी को सूडौल गाँड से नीचे खींचा और ईंडीयन सटाईल टायलट पर घुटने मोड कर बैठते ही रीटा की चाद सी उजली चूत और गाँड घूम कर सामने आ कर लिशकारे मारने लगी। ऐसा लगा जैसे छौटी सी मच्छली मुह खोल गिल्लौरी पान खा रही हौ।
फिर सन्नाटे मे रीटा की फुद्दी ने बडी जोर की फीच्च शीऽऽऽऽऽऽ की आवाज से पिशाब का जबरद्स्त और जौरदार शर्ला छौडा। अनचुदी नन्ही सी नादान चूत की रसभरे होंट आपस मे बिलकुल चिपके हुऐ थे। चिपकी फाँको और बेहद टाईट सुराख के कारण रीटा की चूत का शिशकाराऽऽऽ भी हद से जायदा ऊंचा और सुरीला था। कल कल करती पतली मूत की धार चकुन्दर सी लाल चूत के मुह से निकल कर टायलट मे दम तोड रही थी। बिना झाटो की मूतती चूत बहुत ही क्यूट और मनमोहक लग रही थी।
आखीर छबीली रीटा की रसीली चूत ने छौटे छौटे पाच छः झझाकौ के साथ मूतना बंद कर, टप टप हीरे सी जगमगाती बूंदे टपकाने लगी। पिशाब से गीली चूत अब लिश लिश कर शीशे सी चमकने लगी। ऐसा लगा कि खिडे हुऐ गुलाब पर शबनम की बूंदे। रीटा भी झुक अपनी बयूटीफूल चूत को निहारा और एक ठंडी झुरझुरी ले कर रीटा ने अपनी पिशाब से लबालब चूत को दुबारा पिन्क कलर पौलका डौटीड कच्छी मे छुपा लिया और सकर्ट नीचे गिरा दी। मूत से डबडबाई हुई चूत ने कच्छी को फटाक से गीला कर के टरांस्पेरंट बना दिया।
जब रीटा टायलट से वापीस बाहर आई तो राजू को कमरे मे न पा कर ढूठती हुई बगल वाले कमरे मे जा कर देखा तो ठिठक गई। राजू टायलट के दरवाजे मे अब भी आख लगाये टायलट के अंन्दर देख रहा था और जीन्स के उपर से अपने लन्ड को जौर जौर से रगड और मसल रहा था।
यह देख कर रीटा की उपर की सांस उपर और नीचे की नीचे रह गई साला मां का लौडा, लडकी चौद, चूतीया मेरी चूत देख रहा है और वो भी मूतते हुऐ। शर्म और गुस्से से लाल, पैर पटकती राजू को बिना बताये घर वापीस आ गई।
गुस्से मे रोते रोते जब रीटा ने मौनीका को यह सब बताया तो मौनीका की बांछे खिल्ल गई। मौनीका ने एक हाथ की अुंगली और अगुठे से मौरी बना और दूसरे हाथ की अुंगली मौरी के अंदर बाहर करती हुई बोली "भौंसडी की, शर्मा नही़ मौके का फायदा उठा। लौहा गरम है हथौडा मार दे। आजकल तो बहने अपने सगे भाई को भी नही छोडती और सारे भाई बहनचौद होते हैं। फिर कभी न कभी तो चूत फटती ही है"। मौनीका ने रीटा को राजू से मरवाने के लिये उकसा दिया।
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