RE: Sex kahani पेइंग गेस्ट
भाभी और उनकी दोनों कमसिन बेटियां सज धज कर मेरा इम्तजार कर रही थीं. मैं उन्हें देखता ही रह गया. भाभी ने काली साड़ी और काला ब्लाउज. पहना था. उनके गोरे अंग पर वह बड़ा फ़ब रहा था. काली पतली चोली में से सफ़ेद ब्रेसियर की झलक दिख रही थी. मीनल ने भी हल्के गुलाबी रंग की साड़ी और चोली पहनी थी. सादे रूप की वह जवान लड़की आज बड़ी आकर्षक लग रही थी. उसने गाढे लाल रंग की लिपस्टिक लगा रखी थी जो उसके सांवले होंठों पर जामुनी दिख रही थी. मेकप से उसने अपने चेहरे के खुरदरे भाग को छिपाने की काफ़ी कोशिश की थी और बड़ी प्यारी लग रही थी. छोटी सीमा तो एक लाल मिनिस्कर्ट में थी. उसकी कमसिन चिकनी टांगें गजब ढा रही थीं.
मैने उन्हें बारी बारी से प्यार से चूमा. इतना मीठा चुम्बन मुझे शायद ही पहले कभी मिला हो. तीनों जोश में थीं और थोड़ा शरमा भी रही थीं. मेरे नंगे गठे बदन को और जांघिये में उठे तम्बू को वे ललचा कर देख रही थीं. “अंकल, चड्डी उतार के लन्ड दिखाइये ना.” छोटी ने फ़रमाइश की. मैने कहा “लन्ड अब काम के समय ही निकलेगा, तब तक वह और मस्त होकर मोटा होता जायेगा जिससे तीन चूतों को खुश कर सके.” फ़िर मैने भाभी से कहा “चलिये भाभी, अब कपड़े निकालने का समय आ गया है, पर ब्रेसियर और चड्डी अभी रहने देते हैं क्योंकि सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में लिपटी अर्धनग्न औरत जैसी मतवाली चीज़ और कोई नहीं है.”
लड़कियों का हौसला बढाने के लिये पहले मैने उनकी मां को नंगा करना शुरू किया. भाभी को बांहों में लेकर चूमता हुआ मैं उनके कपड़े उतारने लगा. जल्दी ही भाभी सिर्फ़ अपने सफ़ेद ब्रेसियर और पैंटी में मेरे सामने थीं. मैने उनकी चूचियां ब्रा के ऊपर से ही दबायीं और तब तक दबाता रहा जब तक मस्ती से उनके मुंह से एक आह न निकल गयी.
फ़िर मैं मीनल की ओर मुड़ा. वह बेहद शरमा रही थी. उसे मैने खूब चूमा और बांहों में उसके छरहरे शरीर को भींच लिया. साड़ी और चोली निकालने के बाद मैने उसे हाथ भर दूर किया और उसका रूप देखने लगा. दुबली पतली सांवली काया एकदम सफ़ेद ब्रेसियर और पैंटी में बड़ी मस्त लग रही थी. छोटे पर कड़े तन्ना कर खड़े उरोज ब्रा के कपोम में दो नुकीले शम्कु बन गये थे. “मीनल रनी, तुझे तो चबा चबा कर खा जाने को जी करता है” मैने कहा तो वह आनन्द और लाज से बगलेम झांकने लगी.
अम्त में मैं नन्ही सीमा के पास आया. सीधा उसका स्कर्ट उठा कर मैने उसकी छोटी सफ़ेद पैंटी को देखा. उसकी कमसिन बुर चड्डी में से ही फ़ूली फ़ूली और बड़ी रसीली लग रही थी. सीमा बिल्कुल नहीं शरमायी बल्कि खुद ही अधीर हो कर उसने अपने हाथ उठा दिये जिससे मैं उसका स्कर्ट खींच कर आसानी से सिर में से निकाल सकूम.
उसे अधनंगा करके मैं उसकी कच्ची जवानी को भूखी नजरों से देखता रहा और फ़िर उसे जोर से चूमकर भाभी को बोला. “ये बच्ची सबसे चुदक्कड़ है भाभी, आपका खूब नाम रोशन करेगी” एक सफ़ेद लेस की ब्रेसियर में कसे सीमा के उरोज अभी छोटे थे पर फ़िर भी मीनल से बड़े थे. “भाभी, इस उम्र में ऐसी चूचियां हैं सीमा की, बड़ी होने तक तो मस्त मोटे पपीते हो जायेंगे आप से भी बड़े”
सीमा को बाहों में भर कर चूमते हुए मैने भाभी से कहा. “भाभी, अब जोड़ियां बनाकर आधा घम्टे तक सिर्फ़ अपने साथी को गोद में बिठा कर प्यार करेंगे. देखिये क्या मजा आयेगा इन जवान कलियों को बांहों में भरकर, उनके मीठे मुखरस का पान करके और उनके कसे जवान शरीर को मसल कर. आप मीनल को गोद में लेकर उस कुर्सी मैं बैठ जाइये और मैं सीमा को यहां खिलाता हूं.”
सीमा को गोद में लेकर मैं बैठ गया और उसे लन्ड पर बिठा लिया. सामने आइने में उस कमसिन गुड़िया का ब्रेसियर और पैंटी में कसा मादक शरीर मेरी बाहों में देखकर मेरा लन्ड और खड़ा हो गया और सीमा को आराम से साइकिल के डम्डे जैसा संहालता हुआ ऊपर नीचे होने लगा. सीमा ने अपनी बाहें मेरे गले में डाल दीं और अपना गुलाब जैसा मुंह आधा खोलकर मेरी तरफ़ बढा दिया जैसे कि कह रही हो कि लीजिये अंकल, चूमिये इस रसीली चीज़ को.
मैं उस कोमल मुंह को अपने होठों में दबाकर मिठाई जैसा चूसने लगा. अपने हाथों में मैने ब्रेसियर के कपोम में ढके हुए उन कमसिन उरोजोम को पकड़ा और दबाते हुए मसल मसल कर उनका मजा मेने लगा. ऐसा लग रहा था कि अभी सीमा को पकड़ कर उसे पटक कर उसपर चढ जाऊम और चोद डालूम या गांड मार लूम. पर यही स्वर्गिक सुख तो मुझे घम्टे भर भोगना था इसलिये सीमा को बेतहाशा चूमता हुआ और बाहों में मसलता हुआ उसकी कमसिन जवानी का मजा मैं लेने लगा.
उधर भाभी की और देखा तो एक और स्वर्गिक द्रुश्य दिखा. अर्धनग्न भाभी सिर्फ़ ब्रा और पैंटी पहने हुए कुर्सी पर बैठी थी और अपनी लाड़ली बेटी मीनल को गोद में बिठा कर उसके बड़े प्यार से चुम्बन ले रही थी. मीनल का सांवला छरहरा शरीर कस कर बांधी हुई ब्रेसियर में और सफ़ेद टाइट पैंटी में बड़ा मोहक लग रहा था. मीनल अभी भी शरमा रही थी पर उसके चेहरे पर एक मादक प्यास झलक रही थी. कुछ ही देर में उसने अपनी बांहें अपनी मां के गले में डाल दीं और चुम्बनों का प्रतिसाद देने लगी.
मैने भाभी को कहा. “क्यों भाभी, मजा आ रहा है ना अपनी बेटी की जवानी का स्वाद लेते हुए? अब ऐसा कीजिये कि अपनी जीभ मीनल को चूसने दीजिये और खुद उसकी रसीली जीभ चूसिये. और जरा देखिये उस जवान लड़की के कसे मम्मे कैसे मस्त तने हैं उस ब्रेसियर में भिच कर. और चूचुक भी खड़े हो गये हैं. जरा इन कपों को प्यार से मसलिये, धीरे नहीं, जोर लगा कर जैसे आप आटा गूंधती हैं, देखिये कैसे हुमकती है यह चिड़िया.”
भाभी ने अब अपनी बेटी की चूचियां दबाते हुए उसके मुंह का चुम्बन लेते हुए उसका पूरा भोग करना शुरू कर दिया. मीनल अपने बन्द मुंह से सिसकने लगी. उसे यह मस्ती सहन नहीं हो रही थी. जब वह अपनी जांघें रगड़ने लगी तो भाभी ने बड़े वात्सल्य से एक हाथ उसकी चूची पर से हटाया और चड्डी के ऊपर से ही उसकी बुर रगड़ने लगी. भाभी ने उसे इतना मस्त रगड़ा कि हल्की दबी चीख के साथ मीनल झड़ गई और अपनी मां को चूमती हुई उससे बुरी तरह चिपट गयी.
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