RE: Sex kahani पेइंग गेस्ट
भाभी को भोगना मुझे बहुत अच्छा लगता था और अक्सर मैं आफ़िस से छुट्टी लेकर जल्दी घर आ जाता था जिससे लड़कियों के घर आने से पहले भाभी को चोद सकूम. असल में अब मुझे दोनों लड़कियां भी बहुत अच्छी लगने लगी थीं. मीनल का दुबला पतला सांवला शरीर और नन्ही किशोरी सीमा की कमसिन जवानी मुझे तड़पाने लगी थी. मैं सोचने लगा कि अगर इन्हें भी चुदासी के जाल में फ़ंसा लूम तो बस तीन तीन मस्त शरीर भोगने को मिलेंगे दिन रात,
इसलिये मैने सुधा भाभी को चुपचाप लड़कियों को भी इस काम क्रीड़ा में शामिल करने के लिये अनकहे तरीके से उकसाना शुरू कर दिया. उन्हें मैं अक्सर मां-बेटी के सम्भोग की कहानियां और चित्र लाकर देता. उन्हे एक दो बार ऐसी ब्लू फ़िल्में भी दिखायीं जिनमे सिर्फ़ मां और बेटियों की आपसी चुदाई और बुर चूसने को दिखाया गया था. एक बार तो मैने मजाक में कह भी दिया कि मेरे आने के पहले भी इस घर में भाभी के लिये बड़ी मस्ती की रातें होना चाहियी थीं क्योंकि जहां दो जवान बेटियां और उनकी चुदैल मां हो वहां उनके भूखे रहने का प्रश्न ही नहीं उठता था.
मां-बेटियों के काम सम्बन्धों के चित्र देख कर भाभी उत्तेजित होने लगी थीं. अब काफ़ी बार वे जब प्यार से अपनी बेटियों को गले लगाती तो बहुत देर तक छोड़ती नही थी और गालों के साथ साथ कभी कभी जल्दी से उनके होंठ भी चूम लेती थी. मैने देखा कि लड़कियों को भी यह अच्छा लगने लगा था.
आखिर एक दिन एक शुक्रवार को भांडा फ़ूट ही गया. हुआ यों कि मीनल और सीमा सुबह से ही पिकनिक को गयी थीं. देर रात आने वाली थीं. भाभीने फ़ोन करके मुझे आफ़िस से बुला लिया और दोपहर को जब मैं घर पहुंचा तो चुदासी से तड़पती सुधा भाभी बिलकुल तैयार थी. घर की चाबी मेरे पास थी इसलिये जैसे ही में दरवाजा खोल कर अन्दर पहुंचा, भाभी के बुलाने की आवाज आई और मैं उनके कमरे की ओर चल दिया. “अनिल भैया, जल्दी आओ, अब रहा नहीं जाता.”
मैं अन्दर गया तो देखता हूं कि भाभी मादरजात नंगी होकर पलंग पर पड़ी थी और अपनी तीन उंगलियां बुर में घुसेड़ कर हस्त मैथुन कर रही थी. “अनिल जल्दी आओ, चोद डालो मुझे, आज दिन भर मालूम नहीं कैसी चुदासी लगी है, मुट्ठ मारने से शांत ही नहीं होती. मीनल और सीमा भी अब रात को ही आएंगी तो मुझे आज दिन भर हचक हचक कर पूरे जोर से चोद डालो”
मैं भी अपने कपड़े उतार कर पलंग पर चढ गया और पहले तो भाभी की उंगलियां चाटने लगा. फ़िर लेट कर उस रिसती चूत पर मुंह लगाता हुआ बोला “भाभी, अभी तो चूसने दीजिये, मन भर के इस बुर रानी का प्रसाद पा लूम, फ़िर आपको आपकी इच्छानुसार चोद डालूंगा.” करीब आधा घंटा पैने उस चिपचिपी बुर को चाटा और चूसा और फ़िर क्लिटोरिस को मुंह में लेकर तब तक चूसा जब तक भाभी मस्ती से चीखती हुई ढेर नहीं हो गई.
झड़ने पर भी उसकी चुदाने की प्यास नहीं गयी और वह बार बार मुझसे चोदने को कहती रही. मै भी काफ़ी बुर का पानी पी चुका था, अपना लोहे जैसा कड़ा लन्ड लेकर भाभी पर चढ गया और एक ही बार में पूरा अन्दर उतार दिया. फ़िर भाभी के शरीर पर लेट कर उन्हें चूमता हुआ चोदने लगा. “झड़ना नहीं मेरे राजा भैया, शाम तक लगातार चोदना.” भाभी सिसकते हुए बोली.
अचानक दरवाजा खुला और सीमा और मीनल अन्दर आईं. पिकनिक कैंसल होने से वे जल्दी लौट आयीं थी. हमें पलन्ग पर कुश्ती लड़ते देखकर पहले तो स्तब्ध रह गईं और एक दूसरे की ओर देखने लगीं. फ़िर सीमा चहक कर बोली “हाय दीदी, तू ठीक कहती थी, अम्मा चुदा रही है अंकल से”. मुझे लगा कि दोनों अब हल्ला मचाएंगी पर मुझे और भाभी दोनों को चुदाई का इतना मजा आ रहा था कि हमने लड़कियों की परवाह न करके चोदना चालू रखा. कुछ देर तक तो दोनों दूर खड़ी देखती रहीं, फ़िर चुपचाप पास आकर पलन्ग पर बैठ गयीं और तमाशा देखने लगीं. दोनो के चेहरे अब धीरे धीरे कामवासना में डूबते दिख रहे थे.
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