RE: चंदा रानी
‘अब…जल्दी जल्दी कर…राजे… तू सच में बहुत तरसाता हाय…अब बस कर…और न तड़पा अपनी चंदा रानी को..’ चंदा रानी के बदन में एक तेज़ कंपकंपी आई और मैंने एक के पीछे एक धम धमा धम धम बहुत सारे ज़ोरदार धक्के मारे।
चरम आनन्द में पगला कर उसके मुंह से एक चीख़ निकली और चंदा रानी धड़ाक से झड़ी।
मैं धकाधक धक्के लगाये जा रहा था।
कुछ ही देर में मेरे अन्दर एक बिजली सी कौंधी और मैं भी ‘हैं हैं’ करता हुआ स्खलित हुआ।
मेरे लंड से लावे जैसे गर्म गर्म वीर्य ने उसकी चूत को भर दिया।
अब तक तो चंदारानी कई दफे झड़ चुकी थी।
हम दोनों एक दौड़ के बाद घोड़े की तरह हांफ रहे थे।
चंदा रानी तो बिस्तर पर लुढ़क गई, मैं भी मुर्झाया सा उसकी बगल में गिर गया।
दस पंद्रह मिनट के बाद चंदा रानी की हालत काबू में आ गई, तो उसने उठ कर पहले तो अपनी चूत को तौलिये से पोंछ पोंछ कर साफ किया और फिर उसने मेरा मुरझाया हुआ लंड चाट चाट के साफ किया।
लंड की नस निचोड़ निचोड़ के उसने वीर्य की दो बूंदें बाहर निकाल ही लीं, उसने उन बूँदों को क्रीम की तरह मसल मसल के अपने चेहरे पे मल लिया।
‘राजे.. तेरी क्रीम तो मस्त है… अब तो जब जब मैं तेरे साथ होऊँगी, कोई भी दूसरी क्रीम न लगाऊँगी… अब सुन ध्यान से… तेरा इनाम मेरा गुलाम बनने का… परसों मेरी छोटी बहन नन्दा आ रही है मेरे साथ रहने के लिये ! जब तक तेरा चूतिया दोस्त वापस नहीं आ जाता… बहुत सुन्दर और सेक्सी लड़की है… तीन दिन बाद उसकी अठारहवीं बर्थडे है… मैं चाहती हूँ कि तू उसकी नथ खोल कर उस मादक कली को अति मादक फूल बना दे… इतनी कामुक लड़की ज्यादह दिन कुमारी न रहने वाली… अगर तूने उसे ना भोगा तो कोई और ले उड़ेगा…! आया मज़ा अपना इनाम सुन कर?’
मज़ा ! मेरा तो लंड उछलने लगा एक कमसिन कुमारी लड़की को चोदने का सुन कर।
मुझे पता है कुमारियों की चूतें कितनी टाइट होती हैं, लंड भीतर जा कर फंस जाता है और इसी लिये मज़ा बेइंतिहा मिलता है।
मैं तभी से मैं नन्दा रानी को कैसे चोदूंगा यह सोच कर ही मज़े के मारे मारा जा रहा था, दो दो चूतों के साथ संगम करने को मिलेगा। क्या मुकद्दर तू लिखवा के लाया है, साले चूतनिवास !
पर तीन दिन इंतज़ार करना पड़ेगा इतनी मस्ती लूट पाने से पहले।
तभी चंदा रानी का बच्चा जग गया और रोने लगा भूख के मारे। नंगी चंदा रानी ने उसे उठाया और चूची शिशु के मुंह में देकर दूध पिलाने लगी।
अब मेरे चलने का वक़्त हो गया था, वैसे भी तीन घंटों में तीन बार झड़ जाने के बाद मैं अब आराम चाहता था।
उसका बालक अब जग चुका था, तो चुदाई की संभावना ज़रा कम ही थी।
मैंने चंदा रानी के होंठ चूमे, उसकी एक निप्पल उमेठी और उसके बदन पर हाथ फेरता हुआ मैं वहाँ से निकल कर अपने घर आ गया।
पाठको, याद रखो जितना ज़्यादा चोदोगे उतना ही लंड की ताक़त बनी रहेगी, उतना ही अधिक वीर्य का उत्पादन होगा और उतना ही सख्त लंड खड़ा होगा।
जितनी वर्ज़िश उतनी ताक़त।
और हाँ अपनी बीवी या माशूका का स्वर्णरसपान ज़रूर करें।
औरत आपकी गुलाम बनी रहेगी और समझेगी यह कि आप उसके गुलाम हो।
यह मेरा खुद का अनेक बरसों का रोज़ स्वर्णामृत पीने का अनुभव है।
इसके अलावा यह अमृत आपकी ताक़त बेतहाशा बढ़ा देता है।
अगर आज आप दिन में तीन बार चोद सकते हो तो कुछ दिन रोज़ स्वर्णामृत पीने के बाद आप पांच बार चुदाई कर पाओगे।
जब मेरी पत्नी मायके से वापस आई तो उससे भी मैंने कहा कि मैं उसका स्वर्णामृत पीना चाहता हूँ।
पहले तो उसने नाक भौं सिकोड़ी लेकिन जब मैंने बहुत कहा कि बेहद मज़ा आयेगा तो वह मान गई।
यारो, एक बार जब उसने पिलाया सो मस्ती में झूम उठी।
तब से रोज़ का कार्यक्रम है कि जब तक वह मुझे अपना रस पान नहीं करवा देती, उसे चैन ही नहीं पड़ता।
और फिर जो वह मचल मचल के चोदती है तो मुझे जन्नत के नज़ारे दिखा देती है।
उसके बाद से दिन में तीन और अक्सर चार बार चुदाई मज़े से करते हैं।
लंड सख्त भी ज़्यादह होता है और दिल में चुदास भी खूब ज़ोरों से उठती है।
अगली कहानी में नन्दा की नथ खोलने के बारे में आपको खुल कर बताऊँगा।
फिलहाल हैपी फक्किंग !!! सदा मस्त रहो और चोदा-चुदाई करते रहो।
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