RE: चंदा रानी
उन खूबसूरत, दिलकश टांगों को चाटता, चूमता, हाथ फेरता हुआ मैं उसकी चूत तक जा पहुंचा, टांगें चौड़ी कर पहले तो मैंने उसके यौन प्रदेश को बड़े प्यार से निहारा, उसकी गहरे भूरे रंग की घनी झांटें मानो मुझे न्योता दे रही थीं।
मैंने अपनी नाक उन झांटो में रगड़ी तो चंदा रानी ने मज़े में एक गहरी सिसकी ली।
साफ दिख रहा था कि उसकी उत्तेजना बढ़े जा रही थी, उसके बदन ने धीरे धीरे मचलना भी शुरू कर दिया था।
गोरी, गुलाबी और बेहद दिलकश, रस से तर चूत के होंठ चौड़े कर के मैंने अपनी जीभ इधर उधर घुमाई तो उसके बदन में एकदम से हलचल सी मच गई- हाय…राजे… हाय… अब और न तड़पाओ…
उसने मुंह भींच कर बड़ी मुश्किल से आवाज़ निकाली और फिर एक गहरी सीत्कार भरी।
मैंने जल्दी से जीभ उसकी चूत में घुसाई, चूत लबालब रस से भरी हुई थी।
जीभ घुसाते ही ढेर सारा चूत रस मेरे मुंह में आ गया, उसकी चूत जैसे चू रही थी, चंदा रानी की जाँघें भी भीग गई थीं उसके रस के बहाव से !
साफ दिख रहा था था कि चन्दारानी बेहद उत्तेजित हो चुकी थी और चूदाने को बिल्कुल तैयार थी।
मैंने हुमक हुमक के उस सुहानी चूत को पीना शुरू कर दिया। चंदा रानी अब तड़पने लगी थी, उसके गले से भिंची भिंची सी सीत्कार निकल रही थी, वह अपनी टांगें कभी इधर कभी उधर कर रही थी, चूत बराबर लप लप कर रही थी और रस उगले जा रही थी।
मेरा लंड अब फटने की हालत में हो रहा था।
चंदा रानी भी बेकाबू हो गई थी।
यकायक उसने दोनों टांगें इतनी ज़ोर से भींचीं कि मेरी सांस ही रुक गई, फिर भी मैंने जीभ चूत से बाहर न निकाली।
‘बस राजे…बस… अब नहीं सहन होता… राजे तुम्हारे हाथ जोड़ती हूँ… अब और न तरसाओ… बस आ जाओ फ़ौरन… हाय अम्मा, मैं मर जाऊँ…हाँ..हाँ…हाँ…’
इसके साथ ही वह झड़ गई और बहुत ज़ोर से झड़ी, उसने आठ दस बार अपनी टांगें भींचीं और खोलीं, रस की फुहार चूत से बह चली। मैं सब का सब पीता गया, क्या गज़ब का स्वाद था उस चिकने चूतामृत का !
मैंने उठ कर चंदा रानी को घसीट कर बिस्तर पर डाल दिया और उसकी टांगें चौडी कर दीं।
मैं अब धधकता हुआ लौड़ा घुसेड़ने को तैयार था।
तभी चंदा रानी ने मुझे रुकने का इशारा किया, उसने उठ कर मेरी छाती पर दोनों हाथ रख के मुझे लिटा दिया और ख़ुद मेरे ऊपर चढ़ गई, अपने घुटने मेरी जाँघों के दोनों साइड में टिकाकर उसने चूत को ऐन लौड़े के ऊपर सेट किया और धीरे धीरे नीचे होना शुरू किया। लंड अंदर घुसता चला गया।
अभी आधा लंड ही घुसा था कि चंदा रानी ने वापस चूत को ऊपर उठाकर लंड को बाहर किया, सिर्फ सुपारी अंदर रहने दी।
‘राजे…ए…ए…ए…’ आवाज़ लगते हुए वह धड़ाक से लौड़े पर बैठ गई।
लंड बड़ी तेज़ी से चूत में घुसता चला गया और धम्म से जाकर उसकी बच्चेदानी के निचले भाग से टकराया।
एक बार तो उसकी चीत्कार सुन कर मैं डरा कि कहीं बच्चेदानी फट न गई हो लेकिन वो तो दर्द की नहीं बल्कि मज़े की चीत्कार थी।
उसकी चूत एक बार मां बनने के बद भी काफी कसी थी। एक बिना बालक जने लड़की की बुर जैसी कसी तो नहीं लेकिन मेरे लंड को ठीक ही जकड़े हुए थी।
चंदा रानी ने कमर आगे की तरफ झुकाते हुए खुद को मेरे से चिपका लिया, उसका सिर मेरी ठुड्डी पर टिका था और चूचे मेरी छाती को दबा रहे थे, दबाव से दूध निकल निकल कर मेरी छाती को भिगोये जा रहा था।
लंड चूत के अन्दर चूत के ऊपरी भाग को कस के दबा रहा था जिससे भग्नासा अच्छे से दब दब के उसे बेइंतिहा मज़ा दे रही थी।
चंदा रानी ने अपने को थोड़ा और आगे सरकाया, उसका मुंह बिल्कुल मेरे मुंह पर आ गया, चूत भी थोड़ी सी आगे सरकी तो लंड और भी कस के चूत में फंस गया।
अब भग्नासा पर लंड का पूरा दबाब था।
मेरे होंठ चूसते हुए चंदा रानी मेरे कानों में फुसफसाई- राजे तू एक बार खलास हो चुका है और मैं भी, अब धीरे धीरे इश्क लड़ाएंगे… तू बस आराम से पड़ा चुदाई का मज़ा लूट… देख मैं तुझे जन्नत की सैर कराती हूँ।
इतना कह के चंदा रानी ने मेरे मुंह में जीभ घुसा के बहुत देर तक प्यार दिया।
उसका मुखरस पी पी के मैं तृप्त हुआ जा रहा था।
वो अपने चूतड़ अत्यंत ही धीरे धीरे घुमा रही थी, कभी वो कमर आगे करती, तो कभी पीछे, कभी कमर उछालती और कभी अचानक बड़े ज़ोर का धक्का मारती।
कभी वो पूरा का पूरा लंड बहर निकाल कर दुबारा चूत में धड़ाम से घुसाती और कभी वो सिर्फ चूत को लप लप करते हुए लंड को ज़बरदस्त मज़ा देती।
चंदा रानी वाकयी में चुदाई की अनिभवी खिलाड़िन थी। जब वो तेज़ तेज़ धक्के मारती, तो फचक…फचक…फच…फच…फच..फच की आवाज़ कमरे में गूंज उठती, अगर कोई बाहर खड़ा सुन रहा होता तो फौरन जान जाता कि यहाँ ज़ोरदार चुदाई चल रही है।
इसी तरह हम बहुत समय तक चोदते रहे, तेज़… बहुत तेज़… धीरे… बहुत धीरे… उसके नितम्ब कभी गोल गोल घुमाते हुए तो कभी दायें बायें हिलाते हुए… चुदाई धकाधक हुए जा रही थी।
‘राजे.. और दूध पियेगा? मेरा दिल कर रहा है तुझे चोदते चोदते दूध पिलाने का।’ चंदा रानी ने मेरे कान में कहा और फिर मस्ती में आकर मेरे कान को हौले से काट लिया।
उसका बदन बहुत गर्म हो गया था, ठरक से सराबोर उसका चेहरा लाल हो गया था और पसीने की छोटी छोटी बूँदें उसके माथे पे छलक आई थी।
‘अरे रानी…अंधा क्या चाहे दो आँखें !’ मैंने कहा।
सचमुच एक अति कामुक स्त्री का चुदाई करते हुए दूध पीने के ख्याल से ही मेरी ठरक बेतहाशा बढ़ गई थी।
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