RE: नई का नशा
नीलम रानी ने अब जीभ को मोड़ के सिरे की नोक सी बना कर सुपारे के सुराख में घुसेड़ दिया तो मेरे बदन मे एक ज़बरदस्त सनसनी दौड़ी, लण्ड में सुर सुरी होने लगी।
तब नीलम रानी ने जीभ घुसाए घुसाए अपने होंठ पूरी ताक़त से लण्ड पर जमा दिए और होटों से लण्ड को ज़ोर से दबाए दबाए चूसने लगी।
आनन्द की हद पार होने लगी थी, नीलम रानी ने मुझे सताना चालू कर दिया था।
जैसे ही उसे लगता कि मैं झड़ने वाला हो रहा हूँ, वो एकदम लण्ड पर से होंठों का दबाब कम कर लेती और थोड़ी सी जीभ भी छेद से बाहर कर लेती।
जैसे ही मैं काबू पा लेता, वो दुबारा अपने विशेष स्टाइल से चूसने लगती।
मेरा लाण्डिया चूस चूस कर नीलम लौण्डिया ने मेरा हाल बिगाड़ दिया।
मैं उत्तेजना के मारे कांप रहा था। मेरे मुँह से आह… आह… अय्या… आ… आ… आहा जैसी आवाज़ें आने लगीं।
लण्ड कबू से बहर हुए जा रहा था।
नीलम रानी जान गई कि मैं खलास होने के बहुत करीब हूँ, उसने पूरा लौडा मुँह में ठूंस लिया था और बडी तेज़ी से मुँह को आगे पीछे करके वो चूस रही थी।
उसका मुँह रस से भर गया था जिससे लौड़ा तर होकर चुसाई का मज़ा लूट रहा था। जब लण्ड मुँह में घुसता तो पिच पिच की आवाज़ निकलती।
अचानक एक तरंग मेरे सिर से तेज़ रफ्तार शुरू होकर मेरे बदन से गुज़री और लण्ड से होती हुई मेरे लौड़े के छेद से निकली और साथ ही मैं झड़ा।
नीलम रानी ने सारी मलाई निगल ली, एक बूंद भी उसने बर्बाद न होने दी।
जब मैं झड़ झड़ कर खाली हो गया तो नीलम रानी ने बैठे लौड़े को मुँह से निकाला जिसमें पुच की आवाज़ हुई।
लुल्ले को फिर नीलम रानी ने एक कागज़ का नॅपकिन लेकर अच्छे से पौंछ पौंछ कर साफ व सुखा दिया।
इसके बाद मैंने नीलम रानी की कमीज़ उतार कर खूंटी पर टांग दी और उसकी ब्रा भी उतार डाली।
मस्त, गर्म गर्म सख्ताई हुई दोनों मम्मे, तनी हुई निप्पलों सहित यूं लग रहे थे कि दो तोपें तैयार खड़ी हैं। मैंने ताबड़ तोड़ चूचियों को दांतों से काट काट के, मसल मसल कर, कुचल कुचल कर चूसना शुरू कर दिया।
नीलम रानी चिहुँक चिहुँक कर सीत्कार भरने लगी।
चुदास अब उस पर पूरी तरह सवार हो चुकी थी, अब वो मस्ती में मचल मचल के अपने थन चुसवाए जा रही थी।
जितना मैं उसे नोचता खसोचता था, उतना ही वो ज़्यादा गर्म हुए जाती थी।
नीलम रानी ने कहा- राजे… बस अब जल्दी से चोद दो… अब मैं इतनी गर्म हो गई कि उबल उबल कर फट जाऊँगी… आआआह… हाय… ऊऊऊऊँ… बस राजा बस… मैं हाथ जोड़ती हूँ… अब देर ना करो !
मैं बोला- थोड़ी देर और मुझे खेलने दे अपने मस्त बदन से… हरामज़ादी जब लण्ड चूसते हुए तू मुझे सता रही थी उसका कुछ नहीं… अब चूत गर्मा गई है तो ज़रा भी तसल्ली नहीं हो रही है। जब फटने को हो जाएगी तभी चोदूँगा, फटने नहीं दूँगा तुझे !
इतना कह कर मैंने चूत पर उंगली फिराई तो ढेर सारे चूत के रस से उंगली भीग गई। वो तो दबा के पनिया रही थी।
जैसे ही बुर में उंगली घुसाई, नीलम रानी की आहें और भी तेज़ हो गयीं, बुर से रसे का फव्वारा छूटने लगा, रस बह बह कर उसकी जाँघों से नीचे घुटने तक आ गया।
पहले तो मैंने सारा रस उसकी जाँघों से चाटा जिससे नीलम रानी और भी अधिक चुदासी हो गई।
चुदाई की प्यास से व्याकुल होकर नीलम रानी अब गिड़गिड़ा रही थी कि मैं उसका कीमा बना दूँ, बुर फाड़ कर कचूमर निकल दूँ।
मेरा लण्ड भी फिर से टनाटन हो चुका था।
चूत का रस तो अब टपकने लगा था। मैंने अपने हाथ को चूत के नीचे रखा तो ढेर सारा चूतामृत से हाथ भर गया। बहुत मज़ा आया वो चिकना, बहुत हलका सा नमकीन और बहुत ज़रा सी खटास लिए हुए रस को जब मैंने पिया।
लण्ड तो अब बुरी तरह मचलने लगा था। चूतरस पीकर तो मैं भी बहुत अधिक उत्तेजित हो गया था।
मेरी मर्ज़ी तो बहुत थी कि मैं नीलम रानी की चूत का रस तसल्ली से पियूं क्योंकि इतना अमृत बहा बहा के उसकी बुर को देख कर मेरे मुँह में पानी आ रहा था।
हाय राम, कितना स्वादिष्ट था नीलम रानी का चूतरस !!!
लेकिन बाथ रूम में उसकी चूत चूसना संभव नहीं था।
तो मैंने नीलम रानी से कहा कि वो आगे को दीवार के सहारे जितना झुक सकती है, झुक जाए और चूतड़ थ़ोडे से उठा ले, ताकि मैं घोड़ी की तरह उसे चोदूँ।
यह सुन कर तो वो बड़ी खुश हुई और फौरन ही बिल्कुल सही पोज़ीशन में आ गई। अब नीलम रानी के चिकने, सुन्दर और मुलायम मुलायम गोल गोल नितंब मेरे सामने थे।
उन्हें देख देख कर मैं मतवाला हुआ जा रहा था जबकि इधर नीलम रानी चुदाई के लिए बेकरार हुई जा रही थी।
मैंने उन चूतड़ों पर प्यार से हाथ फेरा और नीलम रानी की टांगें चौड़ा कर पीछे से अपना सुलगता हुआ लण्ड एक ही शॉट में बुर की अंदर घुसेड़ डाला। नीलम रानी ने मस्ता के एक किलकारी भरी और तेज़ तेज़ चूतड़ हिलाने लगी।
नीलम रानी हाँफते हुए हाय हाय करते हुए चुदवा रही थी।
बड़ी हैरत की बात थी कि यह लड़की जिसकी नथ मैंने सिर्फ तीन दिन पहले खोली थी, और जिसकी अब तक केवल एक दिन चुदाई हुई हो, अब ऐसे हुमक हुमक कर चुद रही थी।
मुझे भी मज़ा तो बेहद आ रहा था। इतनी टाइट बुर और उसमें से बहता हुआ ढेर सारा रस मेरी ठरक सातवें आसमान पर ले गया था।
लण्ड में एक हलचल मची हुई थी।
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