RE: नई का नशा
मैंने गत अंक में बताया था कि कैसे मैंने नीलम रानी को होटल में चोद कर मैंने उसका कौमार्य भंग किया था।
अब आगे क्या क्या हुआ, वो पढ़िए और पढ़ कर मुठ मारिए या अपनी बीवी अथवा माशूका को ज़ोरों से कुचल मसल कर चोद डालिए।
नीलम रानी ने तय तारीख पर मेरी कम्पनी जॉइन कर ली। जॉइन करने पर कम्पनी की कार्यवाहियाँ पूरी करके जब वो मेरे ऑफ़िस में आई तो उसे देखकर मेरे दिल की धड़कन रुक सी गई।
क्या क़यामत ढा रही थी वो एक सादे से लेकिन खुशनुमा सलवार सूट में !
उसने ऊँची हील की बहुत ही बारीक तनियों वाली सैंडल पहन रखी थी जिसमें उसके लगभग पूरे पैर दीख रहे थे। वो जानती थी कि उसके पैर बहुत सुन्दर हैं और वो ऐसी ही चप्पल या सॅंडल पहनती थी जिसमें पैर छुपें नहीं, बल्कि दीखें। मैं कुर्सी से उठा और उसे बाहों में जकड कर दीवानों की तरह उसे चूमने लगा।
‘अरे राजा.. थोड़ी सी तसल्ली तो रखो, अभी तो मैं आई ही हूँ.. अभी चार दिन पहले ही तो तुमने तीन बार चोदा था.. हाय मेरे चोदू बॉस !’ नीलम रानी हंसते हुए बोली।
‘तसल्ली गई मां चुदाने… नीलम रानी… मेरा लण्ड अकड़ अकड़ के पागल हुआ जा रहा है… तू कहती है तसल्ली रखूँ?’ इतना कह कर उसे बाहों में उठा कर मैं ऑफिस से अटैच बाथरूम में ले गया, उसे दबोच के मैंने बेतहाशा उसके होंठ चूस डाले, पॉट का कवर नीचे डाल कर मैं पॉट पर बैठ गया और नीलम रानी की कमीज़ ऊपर सरका के बेसाख्ता उसके चूचुक चूसने और निचोड़ने लगा।
नीलम रानी भी मज़े ले ले कर सी सी करने लगी।
मैं बारी बारी से दोनों मम्मोँ को चूसने का स्वाद लेता रहा। खासकर जब मैं उसकी गहरे काले रंग की बड़ी बड़ी निपल चूसता तो मज़े से थर्रा उठता।
लण्ड अकड़ कर एक गुस्साए नाग की भांति फुंकारें मार रहा था।
मैंने नीलम रानी की सलवार का नाड़ा खोल कर सलवार नीचे सरकाई और एक उंगली उसकी प्यारी सी गांड में घुसा दी।
नीलम रानी चिंहुक पड़ी और बोली, ‘हाय राजे… क्या करते हो?’
‘मज़ा आया या नहीं?’ मैंने मुँह चूची से एक दो पल के लिए हटा कर पूछा और साथ ही साथ उंगली गांड के अंदर पूरी घुसेड़ दी।
नीलम रानी ने मस्ता कर हल्की सी किलकारी भरी।
मैं बेहद गर्मा चुका था क्योंकि लौड़ा बहुत ज़्यादा सता रहा था, मैंने नीलम रानी को खींच कर नीचे घुटनों के बल बिठा दिया और लौड़े को पैंट से बाहर निकाल कर नीलम रानी के मुँह के सामने करके तुनके लगाने लगा।
नीलम रानी समझ गई कि मैं लण्ड चुसवाना चाहता हूँ, तुरंत उसने टट्टों को बड़े प्यार से सहलाया, लण्ड की कुछ प्यार भरी चुम्मियाँ लीं और सुपारी की खाल पूरा पीछे खींच कर सुपारी नंगी कर दी।
एक बूंद टोपे के छेद पर उभर आई थी जिसे नीलम रानी ने तुरंत जीभ से लपक लिया और खूब खुश होकर चहकी- हूंउउऊऊउउ… स्वाद आ गया !
उसने मुखरस से तर करके जीभ बाहर निकाली और धीरे धीरे सुपारी को चाटने लगी, उसने टोपा चारों तरफ चाट चाट के मुझे जन्नत दिखा दी।
हर थोड़ी देर बाद एक बूंद लौड़े के छेद पर आ जाती जिसे नीलम रानी फौरन में में ले लेती।
अब नीलम रानी ने लण्ड की खाल आगे पीछे करना आरंभ कर दिया।
वो लण्ड की सुपारी चूसे जा रही थी और दोनों हाथों से लण्ड को पंप कर रही थी।
बीच बीच में एक हाथ से मेरे अंडकोश भी सहलाती जाती।
मस्त चुसाई चल रही थी, लौड़ा चूसने की नीलम रानी एक्सपर्ट थी। कभी वो सिर्फ टोपा चाटती चारों ओर जीभ फिरा फिरा के, तो कभी वो पूरा लण्ड मुँह में घूसा लेती और मुँह के भीतर जीभ से लण्ड चाटती।
कई बार नीलम रानी लण्ड को ऐसे चूसती जैसे बच्चे लॉलीपॉप चूसते हैं।
लण्ड की उत्तेजना बढ़े चले जा रही थी, मेरा बदन अब तपने लगा था, गला घुटा घुटा सा लगने लगा था।
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