RE: नई का नशा
उसने मेरे सिर को पकड़ लिया और बड़े प्यार से चुम्मी देती रही। उसके मुँह की सुगंध कामाग्नि भड़काने वाली थी और उसके मुख रस का स्वाद बहुत मज़ेदार था तो लंड खड़ा हो गया और टनटनाने लगा।
फिर मैंने उसकी टॉप में हाथ डालकर ब्रा का हुक खोला और दोनों हाथ अंदर करके उसके चूचुक सहलाये। मदमस्त मम्मे थे, बड़े बड़े संतरों की भांति।
मैंने टॉप ऊपर सरका के एक निगाह मारी, देख कर मज़ा आ गया। बड़े बड़े दायरों वाली बड़ी बड़ी निप्पल।
गहरे काले रंग था निप्पल का और निप्पलों के दायरों का रंग हल्का काला था। दबाया तो बहुत ही आनन्दायक चूचुक लगे, नर्म नर्म लेकिन पिलपिले नहीं, इनको निचोड़ने और चूसने में बेतहाशा मज़ा आयेगा।
फिर मैंने उसकी जींस में हाथ घुसा के चूत में उंगली थोड़ी सी घुसाई। चूत गर्म और गीली थी। उंगली बाहर निकल के मैंने मुँह मे डाल के चूतरस का स्वाद चखा।
फिर मैंने उसके हाथों का मुआयना किया, बड़े सुन्दर, सलोने और सुडौल हाथ थे। मखमल सी मुलायम, लम्बी मांसल उंगलियाँ, सलीकेदार और लम्बे आयताकार सुन्दर नाखून जो बस ज़रा से ही उंगलियों से बढ़े हुए थे, त्वचा एकदम रेशम जैसी चिकनी !
मैंने कहा- अपने पैर सैंडल से निकाल कर टेबल पर रखो।
पैर भी बहुत खूबसूरत थे, अंगूठा साथ वाली उंगली से ज़रा सा छोटा। सभी उंगलियाँ ऐसा लगता था किसी मूर्तिकार ने तराश कर बनाईं हैं। नाखून साफ और सुन्दर, थोड़े थोड़े ही आगे निकले हुए। तलवे मुलायम जैसे किसी छोटी बालिका के हों।
मैंने झुककर एक एक करके अंगूठा और सब उंगलियाँ चूसीं, तलवे चूसे और एड़ी पर जीभ घुमाई। बहुत स्वादिष्ट ! मेरी पूरी तसल्ली हो चुकी थी। अब मैं सिर्फ उसके जॉइन करने की बाट जोह रहा था।
‘हूउऊऊऊऊँ… .हूउऊऊऊऊँ… ..हूउऊऊऊऊँ’ मैंने खुश होकर हुंकार भरी। सब कुछ बढ़िया और तसल्लीबख्श !
इसे चोद कर वाकयी में खूब मज़ा आयेगा।
बिल्कुल सही चुनाव हुआ था सेक्रेटरी का !
नीलम रानी की चूत लेने का फितूर मेरे दिल-ओ-दिमाग पर छा गया था। हालांकि मुझे कोई चुदाई की तकलीफ नहीं थी, रोज़ अपनी खूबसूरत, सेक्सी पत्नी की चुदाई करता ही था लेकिन नई चूत का मज़ा लेने का ख्याल एक नशा बनकर मुझ पर चढ़ गया था।
नीलम रानी की चूत लेने का फितूर मेरे दिल-ओ-दिमाग पर छा गया था। हालांकि मुझे कोई चुदाई की तकलीफ नहीं थी, रोज़ अपनी खूबसूरत, सेक्सी पत्नी की चुदाई करता ही था लेकिन नई चूत का मज़ा लेने का ख्याल एक नशा बनकर मुझ पर चढ़ गया था।
चौथे दिन मेरा सब्र जवाब दे गया, मैंने नीलम रानी के मोबाइल पे काल किया और कहा कि वो स्कूल से छुट्टी ले आधे दिन की और होटल गेटवे में आ जाये।
होटल में मैंने फोन किया और एक रूम बुक किया, अपनी बीवी को फोन किया और कहा कि मेरी होटल में एक मीटिंग है और मैं रात नौ बजे तक घर आऊँगा।
मैं होटल चला गया, रूम में चेक-इन करके नीलम रानी की बाट जोहने लगा। ठरक के मारे मेरा खून उबल रहा था और लण्ड था कि बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था।
खैर बड़ी मुश्किल से वक्त गुज़रा। नीलम रानी डेढ घंटे के बाद पहुँची।
उसने जीन्स के ऊपर पीले रंग का टॉप पहना था, बड़ा गज़ब ढा रही थी नीलम रानी !
कंधे पर एक खूबसूरत सा बैग था और पैरों में हाई हील की चप्पल जिसमें उसके सुन्दर पैर और भी ज्यादा सुन्दर लग रहे थे।
मैंने आव देखा ना ताव, लपक के उसे अपनी बाँहों में जकड़ कर बेतहाशा चूमना शुरू कर दिया।
काफी देर तक उसकी जीभ चूसी और उसका मुखरस पिया, फिर मैंने उसकी टॉप उतार के एक तरफ को फेंक दिया।
उसने अंदर ब्रा भी नहीं पहन रखी थी।
उसके तने हुए चूचुक मानो न्योता दे रहे थे कि आओ और हमें चूसो।
माशाअल्लाह… क्या मम्मे थे ! भारी, लेकिन तने हुए।
मैंने दोनों चूचियों को दबाया।
नीलम रानी चिहुँक उठी, बोली- सर इन में हमेशा अकड़न सी रहती है, और ये गर्म भी हो जाती हैं अपने आप। जब गर्म होती हैं तो अकड़न कई गुना बढ़ जाती है।
‘चिन्ता ना कर रानी, अभी इनकी सारी गर्मी और अकड़न दूर कर दूँगा !’ मैं बोला और बड़े ज़ोर से दोनों चूचुक निचोड़े और निप्पलो को कस के उमेठा।
वो सी सी करने लगी तो मैंने लपक कर एक चूची मुँह में लेकर चूसनी शुरू कर दी और दूसरी चूची को पूरे ज़ोर से दबाता रहा। हाय राम, कितनी ज़ायकेदार चूचियाँ थी !
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