RE: hindi kahani तरक्की का सफ़र
माधुरी ज़ोर से हंस पड़ी और निशा ताली बजाने लगी कि दो और बौछार उसके चेहरे से टकराई.गंदे साले क्या और कोई जगह नही मिली निशाना साधने के लिए." ज़य गुस्से में बोला.अरे गुस्सा क्यों करते हो," कहकर अनिता उसके चेहरे पर लगे वीर्य को चाटने लगी.जब उसने जय को अच्छी तरह साफ कर दिया तो निढाल पड़ गयी.जब सब कोई सुस्ता चुके थे तो निशा ने कहा,सर अब मेरी बारी है."नही तुम्हारी नही अब मीना की बारी है." मेने कहा."मालती तुम बताओ तुम्हारा क्या सपना है."मेरा कोई खास सपना नही है.एमडी और आप मुझे ऑफीस में चोद्ते है में उससे ही खुश हूँ." मीना ने जवाब दिया.तो फिर दोनो के साथ यहाँ क्यों नही चुद्वाती?" मधुरी ने कहा.दोनो मुझे कई बार एक साथ चोद चुके है इसलिए एक बार और चुद्वाने से मुझे कोई फरक नही पड़ेगा." मीना ने हंसते हुए कहा."एमडी सर आप लेट जाएँ और नीचे से मेरी चूत में लंड को डाले और राज सर आप पीछे से मेरी गांद मारे.आपका मोटा और लंबा लंड मुझे अपनी गंद में अच्छा लगता है."कमरे में फिर एक बार चारों तरफ चुदाई का आलम था.में यहाँ एमडी के साथ मिलकर मीना को चोद रहा था और चारों तरफ कोई ना कोई किसी को चोद रहा था.थोड़ी देर बाद सब तक कर निढाल पड़े थे.पार्टी करीब करीब ख़त्म होने को आ गयी थी,निशा रात काफ़ी हो चुकी है चलो तुम्हे घर छोड़ आऊ." मेने निशा से कहा.सर मुझे यहीं रहने दे ना वैसे भी घर में सबको पता है कि में यहाँ हूँ." निशा थोड़ा नाराज़ होते हुए बोली.वो तो सब ठीक है पर काम ऐसा करना चाहिए कि तुम्हे दुबारा भी यहाँ आने की इजाज़त मिल जाए." मेने उसे समझाते हुए कहा.ठीक है,पर क्या में सुबह यहाँ आ सकती हूँ? रूही माँ आप संजू कल यही है ना." निशा ने कहा.हां मेरी लाडो हम यही है." रूही ने प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा."तुम कल सुबह आ जाना हम इंतेज़ार करेंगे."जब में निशा को उसके घर छोड़ कर आया तो देखा कि सब किसी ना किसी को बाहों मे लिए सो गये है.मेने देखा कि प्रीति और रजनी अकेले सो रहे है तो में भी उनके बीच मे जा सो गया.ट्रियीनिग डोर बेल की घंटी बजी.मेने उसे अनसुना कर दिया.ट्र्र्र्र्र्र्रियियैयींग घंटी फिर बजी और देर तक बज रही थी."इतनी सुबह कौन हो सकता है." सोचकर मेने घड़ी पर देखा तो सुबह के 7.30 बज चुके थे.
दरवाज़ा खोलते ही में चौंक पड़ा,दरवाज़े पर निशा खड़ी थी.हे भगवान इतनी सुबह पहले तुम यहाँ क्या कर रही हो?"मैं यहाँ पार्टी जाय्न करने आई हूँ." उसने अंदर आते हुए कहा."तुम्ही ने तो कहा था कि में आ सकती हूँ."हां कहा था पर इतनी सुबह पहले आ जाओगी उम्मीद नही थी.सब सोए पड़े है." मेने कहा.तुम इसकी चिंता मत करो में सबको जगा दूँगी." कहकर वो अपने कपड़े उतारने लगी."ये समय चुदाई करने का है ना कि सोकर बर्बाद करने का."वो संजू को ढूँढने लगी जो अंजू और मंजू के बीच सोया हुआ था.उसने उसके मुरझाए लंड को अपने हाथों में लिया,गुड मॉर्निंग मेरे प्यारे राजा." कहकर उसके लंड को चूसने लगी.ओह बहुत ही अच्छा लग राहा है." संजू ने बड़बड़ाते हुए अपनी आँखे खोली,ओह निशा तो ये तुम हो?"हां मेरे राजा तुम्हारी जान निशा,और सिर्फ़ तुम्हारी." निशा थोड़ा मुस्कुरई,जान आराम से लेटे रहो और मज़े लो."संजू के मुँह से सिसकारी निकल पड़ी और वो अंजू और मंजू की चूत को सहलाने लगा.अंजू और मंजू ने आँख खोल जब देखा तो दोनो संजू की छाती में चेहरा छिपा उसके निपल पर अपनी ज़ुबान फिराने लगी.निशा का सुझाव बुरा नही है." सोचते हुए में भी देखने लगा कि कोई उठा हुआ है कि नही.मेने देखा कि विजय सिमरन और साक्षी के बीच सोया हुआ था.सिमरन अपनी पीठ के बल लेटी हुई थी.में उसकी टाँगो के बीच आ उसकी चूत को चाटने लगा.ओह प्लीज़ नही,प्लीज़ रुक जाओ ना." वो चिल्ला पड़ी.क्या तुम्हे मेरा तुम्हारी चूत चाटना अच्छा नही लग रहा?" मेने थोड़ा झल्लाते हुए पूछा.ऐसी बात नही है,मुझे बहोत अच्छा लग रहा है पर मुझे पिशाब जाना है और अगर में जल्दी से नही गयी यही तुम्हारे मुँह पर कर दूँगी." सिमरन ने जवाब दिया.ठीक है जाओ." मेने उसे जाने दिया फिर दूसरों की तरफ देखने लगा,मेने अनिता और मीना को उठाया और उन्हे दूसरों को भी उठाने के लिए कहा.इतने में सिमरन टाय्लेट से लौट कर आ रही थी.ओय ये यहाँ क्या चल रहा है," जब उसने संजू को तीन लड़कियों के साथ मज़े लेते देखा."किसी को बुरा तो नही लगेगा अगर में भी इसमे शामिल हो जाउ."
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
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