RE: hindi kahani तरक्की का सफ़र
मैं खड़ा हुआ और अपने कपड़े उतार कर उस पर लेट गया। प्रीती ने अपनी दोनों टाँगें आपस में जोड़ रखी थीं।
“डार्लिंग! अपनी टाँगें फैलाओ और मेरे लंड के लिये जगह बनाओ!”
उसने कुछ जवाब नहीं दिया और अपनी टाँगें और जकड़ ली। जब मेरे दोबारा कहने पर भी वो नहीं मानी तो मैं अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा।
अपनी चूत पर मेरे लंड की गर्मी से उसका बदन हिलने लगा और मैंने अपने घुटनों से उसकी जाँघें फैला दी।
उसकी कुँवारी चूत को चोदने के खयाल से ही मैं उत्तेजना में भरा हुआ था, मगर मैं रजनी की चूत की तरह एक ही झटके में अपना लंड उसकी चूत में नहीं डालना चाहता था। बल्कि उसकी चूत के मुँह पर अपना लंड मैंने धीरे से डाला जिससे पूरा मज़ा आ सके।
प्रीती का बदन घबड़ाहट में कंपकंपा गया जब उसे लगा कि मेरा लंड उसकी चूत में घुसने वाला है। उसे अपनी बाँहों में भरते हुए एक धीरे से धक्का लगाया जिससे मेरे लंड का सुपाड़ा उसकी चूत में जा घुसा। उसकी चूत की कुँवारी झिल्ली मेरे लंड का रास्ता रोके हुए थी।
“डार्लिंग थोड़ा दर्द होगा, सहन कर लेना”, कहकर मैंने अपने लंड को थोड़ा सा दबाया। उसने अपनी आँखें बंद कर रखी थी और अपने होंठ दाँतों में भींच रखे थे जैसे दर्द सहने की कोशिश कर रही हो।
मेरा लंड उसकी झिल्ली पर ठोकर मार रहा था, उसके मुँह से “ऊऊऊऊऊऊऊऊ आआआआआआआआआआ” की आवाजें निकल रही थी। अब मैंने थोड़ा जोर से अंदर घुसेड़ा और मेरा लंड उसकी झिल्ली को फाड़ता हुआ उसकी चूत में जड़ तक समा गया, उसके मुँह से जोर की चींख निकली, “ऊऊऊ ईईईई माँ!!! मैं मर गयी!”
मैं रुक गया और देखा कि दर्द के मारे उसकी आँखों से आँसू निकल पड़े थे। मैंने उसके आँसू पौंछते हुए कहा, “डार्लिंग जो दर्द होना था वो हो गया अब तुम्हें कभी दर्द नहीं होगा”, और मैं अपने लंड को धीरे- धीरे अंदर बाहर करने लगा।
उसकी चूत काफी कसी हुई थी, और जब मेरा लंड उसकी चूत की दीवारों से रगड़ते हुए अंदर तक जाता तो उसके मुँह से हल्की हल्की दर्द भरी चींख निकल जाती। थोड़ी देर में उसकी चूत भी गीली होने लगी जिससे मुझे चोदने में आसानी हो रही थी। अब मैं थोड़ा तेजी से उसे चोद रहा था।
थोड़ी देर में उसकी चींखें सिसकरियों में बदल गयी। अब उसे भी मज़ा आ रहा था। उसकी भी जाँघें मेरी जाँघों के साथ थाप से थाप मिला रही थी।
एक तो मैंने तीन हफ्तों से किसी को चोदा नहीं था, ऊपर से उसकी कसी चूत मेरे लंड के पानी में उबाल ला रही थी। मुझे अपने आपको रोकना मुश्किल हो रहा था।
इस उत्तेजना में मैंने उसे जोर से अपनी बाँहों में भींच लिया और उसके होंठों को चूसने लगा। वो भी जवाब देते हुए मेरे होंठों को चूसने लगी और अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी। मैंने अपनी चोदने की रफ़्तार बढ़ा दी।
“ओहहहहह डार्लिंग!!! मेरा छूट रहा है, अब मैं नहीं रोक सकता”, ये कहकर मैंने अपना सारा वीर्य उसकी फटी हुई चूत में उगल दिया। जैसे ही मेरा पानी उसकी चूत में गिरा, वो भी जोर से “आआहहहहहह” करती हुई बिस्तर पर निढाल पड़ गयी। उसकी चूत भी पानी छोड़ चुकी थी।
हम दोनों का शरीर पसीने से लथपथ था। दोनों एक दूसरे को बाँहों में भरे एक दूसरे की आँखों में इस मिलन का आनंद ले रहे थे। इतने में ही मेरा मुरझाया लंड उसकी चूत से बाहर निकल पड़ा।
उस रात मैंने उसे चार बार चोदा। हर चुदाई के बाद उसे भी मज़ा आने लगा। अब वो भी मेरे धक्कों का जवाब अपनी टाँगें उछाल कर देने लगी। उन्माद में मेरे होंठों को दाँतों से भींच लेती। मेरे दोनों कुल्हों पर हाथ रख कर मेरे लंड को अपनी चूत के और अंदर लेने की कोशिश करती। उसके मुँह से आनंद की सिसकरियाँ निकलती थी। काफी थक कर हम दोनों सो गये।
अगले दिन मैं सो कर उठा तो देखा प्रीती वहाँ पर नहीं थी और ना ही उसके कपड़े। अब भी मुझे लग रहा था कि रात मैंने कोई सपना देखा था, जिसमें मैंने प्रीती की चुदाई की थी, परंतु बिस्तर पर खून और वीर्य के धब्बे इस बात को कह रहे थे कि वो सपना नहीं था।
“गुड मोर्निंग!” कहते हुए प्रीती हाथ में चाय का कप लिये कमरे में दाखिल हुई।
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