RE: आंटी और उनकी दो खूबसूरत बेटियाँ
बाहर आकर मैंने उसे पीछे से पाकर कर अपनी गोद में उठा लिया और अपने कमरे में ही चक्कर लगाकर घूमने सा लगा।
“अरे …क्या कर रहे हो ? छोड़ो भी… देखो कमरे का क्या हाल कर रखा है, इसे ठीक तो कर लेने दो।” उसने मुझसे छूटने की कोशिश करते हुए मुस्कुराते हुए आग्रह किया।
“कमरा तो बाद में भी ठीक हो जायेगा जानू, लेकिन अगर यह पल एक बार बीत गया तो वापस नहीं मिलने वाला !” मैंने उसके गर्दन पे पीछे से चूमते हुए कहा और उसे लेकर सीधा बिस्तर पे लेट गया। प्रिया ने हालाँकि कुछ विरोध तो दिखाया लेकिन यह विरोध प्यार वाला था।
हम दोनों करवट लेकर लेट गए जिसमे प्रिया की पीठ मेरी तरफ थी और मैं पीछे से बिल्कुल चिपक कर उसकी गर्दन और कन्धों पर अपने होंठों से धीरे धीरे चूमने लगा। थोड़ी न नुकुर के बाद प्रिया ने भी लम्बी लम्बी साँसें लेनी शुरू कर दी और चिपके हुए ही पलट कर सीधी हो गई। अब मैं उसके माथे पे एक प्यार भरा चुम्बन देकर उसकी आँखों में देखने लगा।
मेरे हाथ सहसा ही उसकी गोल कठोर चूचियों पे चले गए और मैंने उसकी एक चूची को अपने हथेली में भर लिया…
“उफ्फ्… ऐसा मत करो… प्लीज, कल रात भर में तुमने इन्हें इतना बेहाल कर दिया है कि हल्का सा स्पर्श भी बहुत दर्द दे रहा है… छोड़ो न !!” प्रिया ने अपने चेहरे का भाव बदलते हुए दर्द भरी सिसकारी ली और मेरे हाथों पे अपना हाथ रख दिया।
प्रिया की जगह कोई और होती तो मैं शायद बिना कुछ सुने उन मखमली चूचियों को मसल देता… लेकिन पता नहीं क्यूँ उसके चेहरे पे दर्द की लकीरें देखकर मैंने अपना हाथ हटा लिया और उसके गालों पर एक चुम्मी लेकर उसे फिर से बाहों में भर लिया। उसने भी मेरे होंठों पे अपने होंठों से एक चुम्बन दिया और उठ कर बैठ गई।
“इतने प्यार से तुम्हारे लिए चाय बनाई है, पीकर तो देखो !” प्रिया ने मेरा ध्यान चाय की तरफ खींचा।
मैंने भी हाथ बढ़ाकर चाय की प्याली उठा ली और एक घूंट पीकर उसकी तरफ ऐसे देखा मानो चाय बहुत ही बुरी बनी हो… वास्तव में बहुत अच्छी चाय थी। प्रिय ने मेरा चेहरा देखकर महसूस किया कि शायद चाय ठीक नहीं है…
“क्या हुआ, अच्छी नहीं है?” प्रिया ने अजीब सी शकल बनाकर पूछा..
मैं हंस पड़ा और उसके गालों पे एक पप्पी लेकर कहा, “इतनी अच्छी चाय कभी पी नहीं न, इसलिए।”
“बदमाश….हर वक़्त डराते ही रहते हो।” प्रिया ने जोर से मेरे कंधे पे चिकोटी काट ली।
“वैसे आप कुछ अच्छी खबर देने वाली थीं..?” मैंने प्रिया को याद दिलाया तो प्रिया की आँखों में एक चमक सी आ गई।
“ह्म्म्म… अच्छी खबर यह है कि हम सब 15 दिनों के लिए मेरे नानी के घर जा रहे हैं… छोटी मौसी की शादी है।” प्रिया ने एक सांस में बहुत ख़ुशी के साथ कहा।
खबर सुनकर मैं थोड़ा चौंका और सोचने लगा कि इसमें अच्छा क्या है… बल्कि अब तो वो मुझसे 15 दिनों के लिए जुदा हो जाएगी… मैं ये सोच कर परेशान हो गया।
मेरे चेहरे की परेशानी देखकर प्रिया ने शैतानो वाली मुस्कान के साथ मेरे चेहरे को अपने हाथों में लेकर कहा, “अरे बाबा, परेशां मत हो… हम सब मतलब आप और नेहा दीदी भी हमारे साथ आ रहे हो !”
“क्या… यह कब हुआ…प्लान बन गया और मुझे खबर भी नहीं हुई?” मैंने चौंक कर प्रिया से पूछा।
“यह तब हुआ जब आप घोड़े बेच कर सो रहे थे… दरअसल मामा जी आये हैं अभी एक घंटा पहले और सभी लोग ऊपर ही बैठे हैं… नेहा दीदी भी ऊपर ही हैं और काफी देर से हम सब मिलकर प्लान ही बना रहे हैं..” प्रिया ने सब कुछ समझाते हुए कहा।
मैं अब तक भौंचक्का होकर उसकी बातें सुन रहा था.. ‘जाना कब है और शादी कब है ?” मैंने धीरे से पूछा।
“आज शाम की ट्रेन है जनाब, दरअसल मॉम यह सारी प्लानिंग कई दिनों से कर रही थीं और उन्होंने हम सबके लिए टिकट पहले से ही बुक करवा ली थीं। तो अब जल्दी से अपने सारे काम निपटा लीजिये और चलने की तैयारी कीजिये… वैसे आपको यह जानकर ख़ुशी होगी कि हमारे मामा जी के बहुत सारे खेत खलिहान हैं और वहाँ कोई आता जाता नहीं है।” प्रिया ने एक मादक और शरारत भरे अंदाज़ में कहा और धीरे से मेरे नवाब को पकड़ कर दबा दिया।
मैं यह सुनकर बहुत ही खुश हो गया और न जाने क्या क्या सपने देखने लगा… मेरी आँखों के सामने खुले खेत और बाग़ बगीचे के बीच प्रेम क्रीडा के दृश्य घूमने लगे।
“अभी से खो गए, एक बार वहाँ पहुँच तो जाइये जनाब, फिर सपने नहीं हकीकत में कर लेना सब कुछ।” प्रिय ने मेरे लंड को जोर से दबा कर मेरा ध्यान तोड़ा।
मैं अपने हाथ से चाय का प्याला रख कर प्रिया को जोर से पकड़ कर उसके ऊपर लेट सा गया और जिस लंड को प्रिया ने दबा कर जगा दिया था उसे कपड़ों के ऊपर से उसकी चूत पे रगड़ने लगा।
“ओह सोनू…देखो ऐसा मत करो… एक तो तुमने मेरी मुनिया की हालत बिगाड़ दी है और अगर अभी यह जाग गई तो बर्दाश्त करना मुश्किल हो जायेगा.. और अभी यह संभव नहीं है कि हम कुछ कर सकें… तो प्लीज मुझे जाने दो और तुम भी जल्दी से तैयार होकर ऊपर आ जाओ, सब तुमसे मिलना चाह रहे हैं।” इतना कहकर प्रिया ने मुझे ज़बरदस्ती अपने ऊपर से उठा दिया और मेरे लंड को एक बार फिर से सहलाकर जाने लगी।
प्रिया के जाते जाते मैंने बढ़कर उसकी एक चूची को जोर से मसल दिया… यह मेरी उत्तेजना के कारण हुआ था।
“उफ़…ज़ालिम कहीं के.. !” प्रिया ने अपने उभार को सहलाते हुए मुझे मीठी गाली दी और मुस्कुराकर वापस चली गई।
मैं मस्त होकर अपने बाकी के कामों में लग गया और जाने की तैयारी करने लगा।
"प्लीज मुझे जाने दो और तुम भी जल्दी से तैयार होकर ऊपर आ जाओ, सब तुमसे मिलना चाह रहे हैं।” इतना कहकर प्रिया ने मुझे ज़बरदस्ती अपने ऊपर से उठा दिया और मेरे लंड को एक बार फिर से सहलाकर जाने लगी।
प्रिया के जाते जाते मैंने बढ़कर उसकी एक चूची को जोर से मसल दिया… यह मेरी उत्तेजना के कारण हुआ था।
“उफ़…ज़ालिम कहीं के.. !” प्रिया ने अपने उभार को सहलाते हुए मुझे मीठी गाली दी और मुस्कुराकर वापस चली गई।
मैं मस्त होकर अपने बाकी के कामों में लग गया और जाने की तैयारी करने लगा।
करीब 8 बजे मैं तैयार होकर ऊपर नाश्ते के लिए चला गया। पहुँचा तो देखा कि सब लोग पहले से ही खाने की मेज़ पर बैठे थे। मैंने प्रिया के मामा जी को देखा और हाथ जोड़ कर उन्हें नमस्ते की। उन्होंने भी प्रत्युत्तर में मुझे हंस कर आशीर्वाद दिया और फिर हम सब नाश्ता करने लगे।
हम सब बातों में खोये थे कि तभी मैंने रिंकी की तरफ देखा, उसने मुझे देखकर एक मुस्कान दी और फिर अपनी आँखें झुका लीं। मेरे दिमाग में उसके साथ बीते हुए कल के दोपहर की हर एक बात घूमने लगी और मैं मुस्कुरा उठा। रिंकी भी कुछ ज्यादा ही खुश लग रही थी। शायद वो भी उसी ख्याल में थी कि मामा के यहाँ जाकर वो भी दिल खोलकर मुझसे प्रेम क्रीड़ा का आनन्द लेगी…
एक बार के लिए मैं यह सोच कर हंस पड़ा कि दोनों बहनों की सोच कितनी मिलती है !!
खैर… हम सबने अपनी अपनी तैयारी कर ली थी और सारे सामान बैग में भर कर स्टेशन जाने के लिए तैयार हो गए। नेहा दीदी ने बताया कि सिन्हा आंटी ने मम्मी-पापा से बात कर ली है और उनसे इज़ाज़त भी ले ली है। मेरे मम्मी पापा हमारी गैर मौजूदगी में घर वापस आ रहे थे और इसलिए हमें घर की कोई चिंता करने की जरुरत नहीं थी।
हम सब स्टेशन पहुँच गए और ट्रेन का इंतज़ार करने लगे। प्रिया के मामा बिहार के दरभंगा जिले में रहते थे यानि कि प्रिया का ननिहाल दरभंगा में था। जमशेदपुर से हम सबको टाटा-पटना साउथ बिहार एक्सप्रेस से जाना था। हम सब बेसब्री से ट्रेन का इंतज़ार करने लगे और थोड़ी ही देर में ट्रेन यार्ड से निकल कर प्लेटफार्म पर आ गई। नवम्बर का महीना था और मौसम ठंडा हो चुका था, शायद इसीलिए स्लीपर की ही बुकिंग करवाई थी। हम कुल 6 लोग थे। स्लीपर के डब्बे में हमारी सारी सीटें एक ही कम्पार्टमेंट में थी यानि कि दोनों तरफ के 3-3 सीट हमारी थीं। मुझे हमेशा से ट्रेन की साइड विंडो वाली सीट पसंद आती है, इसलिए मैं थोड़ा सा उदास हो गया। लेकिन फिर मन मार कर सबके साथ बैठ गया।
ट्रेन चल पड़ी और तीनों लड़कियाँ लग गईं अपने असली काम में… वही लड़कियों वाली गॉसिप और हाहा-हीही में… मैंने अपना आईपॉड निकाला और आँखें बंद करके गाने सुनने लगा।
काफी देर के बाद सिन्हा आंटी ने मुझे धीरे से हिलाकर उठाया और खाने के लिए कहा। मेरा मन नहीं था तो मैंने मना कर दिया लेकिन आंटी नहीं मानीं और उन्होंने अपने हाथों से मुझे खिलाना शुरू कर दिया।
“अरे आंटी रहने दीजिये, मैं खुद ही खा लेता हूँ !” मैं थोड़ा असहज होकर बोल उठा..
“खा लीजिये जनाब, हमारी मम्मी सबको इतना प्यार नहीं देतीं… आप नसीब वाले हैं।” प्रिया ने शरारत भरे लहजे में कहा और हम सब उसकी बात पर खिलखिला कर हंस पड़े।
मेरी नज़र बगल वाली साइड की सीट पर गई जो अब भी खाली पड़ी थी… मैं उसे खली देख कर खुश हो गया, हल्की हल्की ठंड लग रही थी और मन कर रहा था कि प्रिया को अपनी बाहों में भर कर ट्रेन की सीट पर लेट जाऊँ.. लेकिन यह संभव नहीं था, मैंने भी कोई रिस्क लेना उचित नहीं समझा। हम खा चुके थे और सोने की तैयारी कर रहे थे कि तभी टीटी आया और हमारे टिकट चेक करने लगा। मैंने धीरे से टीटी से साइड वाली सीट के बारे में पूछा तो उसने बताया कि वो खाली ही है और अब उस पर कोई नहीं आने वाला। यह सुनकर मैं खुश हो गया। रिंकी और नेहा दीदी सबसे ऊपर वाले बर्थ पर चढ़ गईं, रिंकी दाईं ओर और नेहा दीदी बाईं ओर, बीच वाले बर्थ पे दाईं ओर प्रिया ने अपना डेरा डाल लिया और बाईं ओर सिन्हा आंटी को दे दिया गया।
लेकिन सिन्हा आंटी ने यह कहकर मना कर दिया कि उन्हें नीचे वाली सीट ही ठीक लगती है। इस बात पर मामा जी बीच वाली बर्थ पे चले गए। अब बचे मैं और आंटी, तो मैंने आंटी से कहा- आप नीचे वाली बर्थ पर दाईं ओर सो जाओ मैं अभी थोड़ी देर साइड वाली सीट पर बैठूँगा फिर जब नींद आएगी तब दूसरी सीट पर सो जाऊँगा।
प्रिया ने अपने कम्बल से झांक कर मुझे देख कर आँख मारी और अपने होंठों को गोल करके मेरी ओर चुम्बन उछाल दिया… और धीरे से गुड नाईट बोलकर सो गई…
मैंने मुस्कुरा कर उसके चुम्बन का जवाब दिया और फिर कम्बल लेकर साइड वाली सीट पर बैठ गया और पहले की तरह गाने सुनने लगा।
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