RE: आंटी और उनकी दो खूबसूरत बेटियाँ
मेरा लण्ड फिर से शरारत करने
लगा और अपन सर उठाने लगा। मैं ऐसी तरह से बैठा था कि चाह कर भी अपने लण्ड
को हाथों से छिपा नहीं सकता था। लेकिन लण्ड था कि मानने को तैयार ही नहीं
था। मैंने मज़बूरी में अपने हाथ को नीचे किया और अपने लण्ड को छिपाने की
नाकाम कोशिश की। मेरी इस हरकत पर प्रिया की नज़र पड़ गई और उसने मेरी आँखों
में देखा।
हम दोनों की आँखें मिलीं और मैंने जल्दी ही अपनी नज़र नीचे कर ली।
"बताओ, तुम्हें कैसी मदद चाहिए थी प्रिया? क्या नोट्स बनाने हैं तुम्हें?" मैंने किताब हाथों में पकड़े हुए उससे पूछा।
"बताती हूँ बाबा, इतनी जल्दी क्या है। अगर आपको नींद आ रही है तो मैं जाती हूँ।" प्रिया ने थोड़ा सा बनावटी गुस्सा दिखाते हुए कहा।
"अरे ऐसी बात नहीं है, तुम्हीं तो कह रही थी न कि तुम्हें जरूरी नोट्स
बनाने हैं। मुझे नींद नहीं आ रही है अगर तुम चाहो तो मैं रात भर जागकर
तुम्हारे नोट्स बना दूंगा।" मैंने उसको खुश करने के लिए कहा।
"अच्छा जी, इतनी परवाह है मेरी?" उसने बड़ी अदा के साथ बोला और अपने हाथों
से नोट्स नीचे रखकर अपनी टाँगें सीधी कर लीं और अपने कोहनी के बल बिस्तर पर
आधी लेट सी गई।
क्या बताऊँ यार, उसकी छोटी सी स्कर्ट ने उसकी चिकनी टांगों को मेरे सामने
परोस दिया। उसकी टाँगे और जांघें मेरे सामने चमकने लगीं। मेरे हाथों से
किताब नीचे गिर पड़ा और मेरा मस्त लण्ड पैंट में खड़े खड़े उसको सलामी देने
लगा। लण्ड ठनक रहा था मानो उसे अपनी ओर आने का निमंत्रण दे रहा हो।
प्रिया की आँखों से यह बचना नामुमकिन था और उसकी नज़र मेरे लण्ड पर चली गई।
और उसकी आँखें बड़ी हो गईं। उसने एकटक मेरीपैंट में उभरे हुए लण्ड पर अपनी
आँखें गड़ा लीं।
मैंने अपने पैरों को थोड़ा सा हिलाया और प्रिया का ध्यान तोड़ा। उसने झट से अपनी आँखें हटा लीं और दूसरी तरफ देखने लगी।
"अरे, माँ ने हमारे लिए दूध रखा है...चलो पहले ये पी लेते हैं फिर बातें करेंगे।" प्रिया ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा।
"अच्छा जी, तो आप यहाँ बातें करने आई हैं?" मैंने उससे पूछा।
तभी प्रिया ने आगे बढ़कर दूध का गिलास उठाया और मुझे भी दिया।
"अरे, आपके गिलास का दूध पीला क्यूँ है?" प्रिया ने चौंक कर पूछा।
"आंटी ने इसमें हल्दी मिली है। वो कह रही थीं की इसे पीने से मुझे थोड़ी
ताक़त मिलेगी और मेरी तबीयत ठीक हो जाएगी।" मैंने इतना कहते हुए गिलास हाथ
में लिया और मुँह से लगाकर पीने लगा।
"हाँ पी लो हल्दी वाला दूध, तुम्हें जरुरत पड़ेगी।" प्रिया ने फुसफुसाकर कहा
लेकिन मैंने उसकी बात सुन ली। मेरे कान खड़े हो गए और मैं सोचने लगा कि
आखिर यह लड़की क्या सोचकर आई है...कहीं यह आज ही मुझसे चोदने को तो नहीं
कहेगी...
शायद इसीलिए उसने अपनी चूचियों को ब्रा में कैद नहीं किया था।
"हे भगवन, कहीं सच में तो ऐसा नहीं है..." मैंने अपने मन में सोचा और थोड़ा
बेचैन सा होने लगा। चोदना तो मैं भी चाहता था। मैंने एक बात सोची कि देखता
हूँ प्रिया ने नीचे कुछ पहना है या नहीं। अगर उसने नीचे भी कुछ नहीं पहना
होगा तो पक्का वो आज मुझसे चुदवायेगी।
मैं रोमांच से भर गया और उसके स्कर्ट के नीचे देखने की जुगाड़ लगाने लगा।
प्रिया वापस उसी हालत में अपनी कोहनियों के बल लेट कर दूध पीने लगी। उसने
सहसा ही अपनी एक टांग मोड़ ली जिसकी वजह से उसका स्कर्ट थोड़ा सा ऊपर हो गया।
लेकिन मुश्किल यह थी कि उसकी टाँगे बिस्तर पर मेज की तरफ थीं और मैं बगल
में बैठा था। मैं उसकी स्कर्ट के अन्दर नहीं देख सकता था।
मेरे दिमाग में एक तरकीब आई और मैं कुर्सी से उठ गया- अरे, मैंने दवाई तो ली ही नहीं !
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