Aunty ki Chudai आंटी और उनकी दो खूबसूरत बेटियाँ
06-09-2017, 11:07 AM,
#11
RE: आंटी और उनकी दो खूबसूरत बेटियाँ
रिंकी ने दरवाज़ा खोला और प्रिया अंदर आ गई...अंदर आते हुए प्रिया की नज़र 
मेरे कमरे में पड़ी और उसने मेरी तरफ देखकर एक प्यारी सी मुस्कराहट 
दिखाई...और मुझे हाथ ।हिलाकर हाय किया और ऊपर चली गई... 



यह प्रिया और मेरा रोज का काम था, हम जब भी एक दूसरे को देखते थे तो प्रिय 
मेरी तरफ हाथ दिखाकर हाय कहती थी। मैं उसकी इस आदत को बहुत साधारण तरीके से
लेता था लेकिन बाद में पता चला कि उसकी ये हाय...कुछ और ही इशारा किया 
करती थी... 



अब सब कुछ सामान्य हो चुका था और पप्पू भी अपने घर वापस चला गया था। 



मैं अपने बिस्तर पर लेटा हुआ था और थोड़ी देर पहले की घटना को याद करके अपने
हाथों से अपना लण्ड सहला रहा था। मैंने एक छोटी सी निक्कर पहन रखी थी और 
मैंने उसके साइड से अपने लण्ड को बाहर निकाल लिया था। 



मेरी आँखें बंद थीं और मैं रिंकी की हसीं चूचियों और चूत को याद करके मज़े 
ले रहा था। मेरा लण्ड पूरी तरह खड़ा था और अपने विकराल रूप में आ चुका था। 
मैंने कभी अपने लण्ड का आकार नहीं नापा था लेकिन हाँ नेट पर देखी हुई सारी 
ब्लू फिल्मों के लण्ड और अपने लण्ड की तुलना करूँ तो इतना तो तय था कि मैं 
किसी भी नारी कि काम पिपासा मिटने और उसे पूरी तरह मस्त कर देने में कहीं 
भी पीछे नहीं था। 



अपने लण्ड की तारीफ जब मैंने सिन्हा-परिवार की तीनों औरतों के मुँह से सुनी
तब मुझे और भी यकीन हो गया कि मैं सच में उन कुछ भाग्यशाली मर्दों में से 
हूँ जिनके पास ऐसा लण्ड है कि किसी भी औरत को चाहे वो कमसिन, अक्षत-नवयौवना
हो या 40 साल की मस्त गदराई हुई औरत, पूर्ण रूप से संतुष्ट कर सकता है। 



मैं अपने ख्यालों में डूबा अपने लण्ड की मालिश किए जा रहा था कि तभी... 



"ओह माई गॉड !!!! "...यह क्या है??" 



एक खनकती हुई आवाज़ मेरे कानों में आई और मैंने झट से अपनी आँखें खोल लीं...मेरी नज़र जब सामने खड़े शख्स पर गई तो मैं चौंक पड़ा... 



"तुम...यहाँ क्या कर रही हो...?" मेरे मुँह से बस इतना ही निकला और मैं खड़ा हो गया... 



मेरे सामने और कोई नहीं बल्कि प्रिया खड़ी थी जो अभी थोड़ी देर पहले ही घर 
वापस लौटी थी, उसके हाथों में एक प्लेट थी जिसमें वो मेरे लिए कुछ खाने को 
लेकर आई थी। 



यह उसकी पुरानी आदत थी, जब भी वो कहीं बाहर से आती तो सबके लिए कुछ न कुछ खाने को लेकर आती थी। 



खैर छोड़ो, मैं हड़बड़ा कर बिस्तर से उठ गया और उसके ठीक सामने खड़ा हो गया। 
मुझे काटो तो खून नहीं, समझने की ताक़त ही नहीं रही, सारा बदन पसीने से भर 
गया। 



मैंने जब प्रिया की तरफ देखा तो पता चला कि उसकी आँखें मेरे लण्ड पर टिकी 
हुई हैं और वो अपना मुँह और आँखें फाड़ फाड़ कर बिना पलके झपकाए देखे जा रही 
थी। हम दोनों में से किसी की भी जुबान से कोई शब्द नहीं निकल रहे थे। 



तभी मेरे तन्नाये हुए लण्ड ने एक ठुमका मारा और प्रिया की तन्द्रा टूटी। 
उसने बिना देरी किये प्लेट सामने की मेज़ पर रखा और मेरी आँखों में एक बार 
देखा। उसके चेहरे पर एक अजीब सा भाव था मानो उसने कोई भूत देख लिया हो। 



वो सीधा सीढ़ियों की तरफ दौड़ पड़ी लेकिन वहीं जाकर रुक गई। मेरी तो हालत ही 
ख़राब थी, मैं उसी हालत में अपने कमरे से यह देखने के लिए बाहर निकला कि वो 
रुक क्यूँ गई। पता नहीं मुझे क्या हो गया था, वो उत्सुकता थी या पकड़े जाने 
का डर... पर जो भी था मैं अपन खड़ा लण्ड लेकर बाहर की तरफ आ गया और मैंने 
प्रिया को सीढ़ियों के पास दीवार से टेक लगाकर खड़ा पाया। 



उसकी आँखें बंद थी और साँसें धौंकनी की तरह चल रही थीं। उसका चेहरा सुर्ख 
लाल हो गया था और माथे पर हल्की हल्की पसीने की बूँदें उभर आई थीं। उसका 
सीना तेज़ चलती साँसों की वजह से ऊपर नीचे हो रहा था और ज़ाहिर है कि सीने के
उभार भी उसी तरह थिरक रहे थे। 



पर मुझे उसकी चूचियों का ख्याल कम और यह डर ज्यादा था कि कहीं वो यह बात सब को बता न दे। सच बताऊँ तो मेरी फटी पड़ी थी। 



मैंने थोड़ी सी हिम्मत जुटाई और उसके तरफ यह बोलने के लिए बढ़ा कि वो यह बात किसी से न कहे। 



मैंने डरते डरते उसके कंधे पर हाथ रखा और उसे थोड़ा सा हिलाया- प्रिया...प्रिया...! 



"हाँ..!" 



उसने फिर से हड़बड़ा कर अपनी आँखें खोली और हम दोनों की आँखें फिर से एक 
दूसरे में अटक गईं। उसकी आँखों में एक अजीब सा सवाल था मानो वो मुझसे पूछना
चाह रही हो कि यह सब क्या था... 



"प्रिया...तुमने जो अभी देखा वो प्लीज किसी से मत बताना, वरना मेरी बदनामी 
हो जाएगी और मुझे सजा मिलेगी..." मैंने एक सांस में डरते डरते अपनी बात 
प्रिया से कह दी। 



प्रिया ने एक मौन स्वीकृति दी और शरमा कर अपनी नज़र नीचे कर ली... 



"हे भगवन...!!" 



प्रिया के मुँह से फिर से एक चौंकाने वाली आवाज़ आई और वो मुड़कर सीढ़ियों से ऊपर की तरफ भाग गई। 



मुझे कुछ समझ में नहीं आया और मैंने जब नीचे की तरफ देखा तो मुझे होश आया। 
मेरा पप्पू अपने पूरे जोश में सर उठाये सलामी दे रहा था। रिंकी की चूत की 
कशिश ऐसी थी कि लण्ड शांत होने का नाम ही नहीं ले रहा था। 
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RE: आंटी और उनकी दो खूबसूरत बेटियाँ - by sexstories - 06-09-2017, 11:07 AM

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