RE: आंटी और उनकी दो खूबसूरत बेटियाँ
लगभग तीन बार पप्पू के लंड ने पानी छोड़ा और रिंकी के गुलाबी गालों और उसे मस्त मस्त होठों को अपने वीर्य से भर दिया।
जब पप्पू का लंड थोड़ा शांत हुआ तब रिंकी अपनी आँखें ऊपर करके पप्पू को
देखने लगी और झट से अपनी गर्दन को नीचे लाकर पप्पू के लंड पर अपने होठों से
एक चुम्बन दे दिया।
रिंकी ने चुम्बन वहाँ पप्पू के लंड पर किया था और मुझे ऐसा लगा जैसे उसने मेरे विकराल लंड पर किया हो।
हाँ भाई, मैंने अपने लंड को विकराल कहा, क्यूंकि पप्पू के लंड की तुलना में तो मेरा हथियार विकराल ही था।
तो जैसे ही मुझे यह एहसास हुआ कि रिंकी के होंठ मेरे लंड को छू रहे हैं
मेरा भी लंड अपनी धार छोड़ बैठा। मैंने बहुत मुश्किल से अपनी आवाज़ निकलने से
रोका था वरना इस खेल को देख कर मुझे जो सुख मिला था मैं बता नहीं सकता।
अंदर दोनों खड़े हो चुके थे। रिंकी दूसरी तरफ करके अपन मुँह धो रही थी और पप्पू पीछे से उसकी चूचियाँ दबा रहा था।
"अब हटो भी... सोनू कहीं हमें ढूंढता–ढूंढता ऊपर न आ जाये। तुम जल्दी से
नीचे जाओ मैं चाय लेकर आती हूँ।" रिंकी ने पप्पू को खुद से अलग किया और
अपने टॉप को नीचे करके अपनी ब्रा का हुक लगाया और अपनी पैंटी को भी अपने
पैरों में डाल कर अपने बाल ठीक किये।
"रिंकी, मेरी जान...अब यह सुख दुबारा कब मिलेगा??" पप्पू ने वापस रिंकी को अपनी बाहों में भरने की कोशिश करते हुए पूछा।
"पता नहीं, आगे की आगे सोचेंगे...जब हम यहाँ तक पहुँचे हैं तो आगे भी कभी न
कभी पहुँच ही जायेंगे..." और दोनों ने एक दूसरे को चूम लिया।
मैं रिंकी का यह जवाब सुनकर सोच में पड़ गया कि हो न हो, रिंकी ने इस पल का
बहुत मज़ा लिया था और वो आगे भी बढ़ना चाहती है... यानि वो लंड अंदर लेने के
लिए पूरी तरह से तैयार थी। सच कहते हैं लोग...औरत अपने चेहरे के भावों को
बहुत अच्छी तरह से मैनेज करने में हम मर्दों से ज्यादा सक्षम होती है।
रिंकी ने अपने चेहरे से कभी यह महसूस नहीं होने दिया था कि वो इतनी सेक्सी
हो सकती है। मैं तो दंग रह गया था और मुझे अभी भी यकीन नहीं हो रहा था। ऐसा
लग रहा था जैसे मैंने अभी अभी एक मस्त ब्लू फिल्म देखी हो।
खैर मैंने जल्दी से अपने आप को सम्भाला और सीधा नीचे भगा। मैं इतनी तेजी से नीचे भगा कि एक बार तो मेरे पैर फिसलते–फिसलते रह गए।
मैं सीधा अपने बिस्तर पर गया और लेट गया, मैंने अपने हाथों में एक किताब ले
ली और ऐसा नाटक करने लगा जैसे मैं कुछ बहुत जरुरी चीज़ पढ़ रहा हूँ।
पप्पू दौड़ कर नीचे आया और सीधा मेरे कमरे में घुस गया। उसने मेरी तरफ देखा
और सीधा मुझसे लिपट गया। लिपटे-लिपटे ही उसने मेरे कानों में थैंक्स कहा और
यह पूछा कि कहीं वो मैं ही तो नहीं था जिसकी आवाज़ ऊपर आई थी।
मैंने अपनी गर्दन हिलाकर ना कहा और पप्पू से खुद ही पूछने लगा कि क्या हुआ...?
पप्पू ने कहा कुछ नहीं और वापस जाकर सामने वाली कुर्सी पर बैठ गया जहाँ वो
पहले बैठा था। उसके चेहरे पर एक अजीब सी विजयी मुस्कान थी। मैं भी अपने
दोस्त की खुशी में बहुत खुश था। रिंकी के पैरो की आहट ने हमें सावधान किया
और हम चुप होकर बैठ गए और रिंकी अपने हाथों में चाय की प्यालियाँ लेकर कमरे
में दाखिल हुई।
रिंकी बिल्कुल सामान्य थी और ऐसा लग रहा था मानो कुछ हुआ ही नहीं था। वो
अपने चेहरे पर वापस अपनी वही रोज वाली मुस्कान के साथ मेरी तरफ बढ़ी और मुझे
चाय देने लगी।
मैंने उसकी आँखों में देखा और वापस चाय की तरफ ध्यान देते हुए एक हल्की सी मुस्कान दे दी जो मैं हमेशा ही देता था।
उसने पप्पू को भी चाय दी और अपनी चाय लेने के लिए वापिस मुड़ी। रिंकी जैसे
ही मुड़ी, उसके विशाल नितंबों ने मेरा मुँह खोल दिया। आज मैंने पहली बार
रिंकी को इस तरह देखा था। उसके मोटे और गोल विशाल कूल्हों को मैं देखता ही
रह गया।
मेरी इस हरकत पर पप्पू की नज़र चली गई और वो मेरी तरफ देखने लगा...
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