RE: आंटी और उनकी दो खूबसूरत बेटियाँ
रिंकी ने अपना सर नीचे कर लिया था और अपने आँखें एक मस्त सी अदा के साथ उठा
कर पप्पू को देखा और दौड़ कर उसके गले से लग गई। पप्पू ने उसे अलग किया और
अपने घुटनों के बल नीचे बैठ गया। नीचे बैठ कर पप्पू ने रिंकी के दोनों हाथ
पकड़ कर ऊपर की तरफ रखने का इशारा किया।
रिंकी ने शरमाते हुए अपने हाथ ऊपर अपने गर्दन के पीछे रख लिए।
क्या बताऊँ यारो, उस वक्त रिंकी को देखकर ऐसा लग रहा था मानो कोई अप्सरा उतर आई हो ज़मीन पर।
मेरे होठ सूख गए थे उसे इस हालत में देखकर। मैंने अपने होटों पर अपनी जीभ फिराई और अपने आँखें फाड़ फाड़ कर उन दोनों को देखने लगा।
पप्पू ने नीचे बैठे बैठे अपने हाथ ऊपर किये और रिंकी की चूचियों के दो
किसमिस के दानों को अपनी उँगलियों में पकड़ लिया। दानों को छेड़ते ही रिंकी
के पाँव कांपने लगे और उसकी साँसें तेज हो गईं। आती–जाती साँसों की वजह से
उसकी चूचियाँ ऊपर-नीचे हो रही थी।
पप्पू ने उसके दानों को जोर से मसल दिया और लाल कर दिया। रिंकी ने अपने होठों को गोल कर लिया और सिसकारियों की झड़ी लगा दी।
रिंकी ने नीचे एक स्कर्ट पहन रखी थी जो उसकी नाभि से बहुत नीचे थी।
पप्पू ने अब अपने हाथो की हथेली खोल ली और उसकी चूचियों को अपने पूरे हाथों में भर लिया और दबाने लगा।
रिंकी के हाथ अब भी ऊपर ही थे और वो मज़े ले रही थी। पप्पू ने अपना काम जारी
रखा था और धीरे से अपनी नाक को रिंकी की नाभि के पास ले जाकर उसे गुदगुदी
करने लगा।
अपने नाक से उसकी नाभि को छेदने के बाद पप्पू ने अपनी जीभ बहार निकाली और धीरे से नाभि के अंदर डाल दिया।
“उम्म्म्म......ओह पप्पू, मार ही डालोगे क्या?” रिंकी ने सिसकारी भरते हुए कहा और अपने हाथ नीचे करके पप्पू के बालों को पकड़ लिया।
पप्पू आराम से उसकी नाभि को अपने जीभ से चाटने लगा और धीरे धीरे नाभि के
नीचे की तरफ बढ़ने लगा। रिंकी बड़े मज़े से इस एहसास का मज़ा ले रही थी और इधर
मेरी हालत तो ऐसी हो रही थी मानो मैं अपनी आँखों के सामने कोई ब्लू फीम देख
रहा हूँ।
मैं कब अपने लंड को बाहर निकाल लिया था, मुझे खुद पता नहीं चला। मेरे हाथ मेरे लंड की मालिश कर रहे थे।
सच कहूँ तो मेरा दिल कर रहा था कि अभी उनके सामने चला जाऊँ और पप्पू को हटा कर खुद रिंकी के बेमिसाल बदन का रस लूँ।
पर मैंने अपने आप को सम्भाला और अपनी आँखें उनके ऊपर जमा दी।
अब मैंने देखा कि पप्पू अपने दाँतों से रिंकी की स्कर्ट को नीचे खींचने की
कोशिश कर रहा है और थोड़ा सा नीचे कर भी दिया था। ऐसा करने से रिंकी की
पैंटी दिखने लगी थी। रिंकी को पता चल रहा था या शायद नहीं क्यूंकि उसके
चेहरे पर हर पल भाव बदल रहे थे और एक अजीब सी चहक उसकी आँखों में नज़र आ रही
थी।
अब पप्पू ने उसकी चूचियों को अपने हाथों से आजाद कर दिया था और अपने हाथों
को नीचे लाकर स्कर्ट के अंदर से रिंकी की पिंडलियों को सहलाना शरू कर दिया।
धीरे धीरे उसने उसके पैरों को सहलाते–सहलाते उसकी स्कर्ट को भी साथ ही साथ
ऊपर करने लगा। रिंकी की गोरी–गोरी टाँगे अब सामने आ रही थीं।
कसम से यारो, उसके पैरों को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे कभी भी उनके ऊपर कोई
बाल उगे ही नहीं होंगे। इतनी चिकनी टाँगे कि ट्यूब लाईट की रोशनी में वो
चमक रही थीं।
धीरे धीरे पप्पू ने उसकी स्कर्ट को जांघों तक उठा दिया और बस यह देखते ही
मानो पप्पू बावला हो गया और अपने होठों से पूरी जांघों को पागलों की तरह
चूमने और चाटने लगा।
रिंकी की हालत अब भी खराब थी, वो बस अपनी आँखें बंद करके पप्पू के बालों को
सहला रही थी और अपने कांपते हुए पैरों को सम्भालने की कोशिश कर रही थी।
पप्पू ने रिंकी की स्कर्ट को थोड़ा और ऊपर किया और अब हमारी आँखों के सामने
वो था जिसकी कल्पना हर मर्द करता है। काली छोटी सी वी शेप की पैंटी जो कि
रिंकी की चूत पर बिल्कुल फिट थी और ऐसा लग रहा था मानो उसने अपनी पैंटी को
बिल्कुल अपनी त्वचा की तरह चढ़ा रखा हो।
पैंटी के आगे का भाग पूरी तरह से गीला था और हो भी क्यूँ ना, इतनी देर से पप्पू उसे मस्त कर रहा था।
इतने सब के बाद तो एक 80 साल की बुढ़िया की चूत भी पानी से भर जाये।
पप्पू ने अब वो किया जिसकी कल्पना शायद रिंकी ने कभी नहीं की थी, उसने रिंकी की रस से भरी चूत को पैंटी के ऊपर से चूम लिया।
“हाय.....मर गई..पप्पू, यह क्या कर रहे हो?”....रिंकी के मुँह से बस इतना ही निकल पाया।
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