RE: आंटी और उनकी दो खूबसूरत बेटियाँ
जैसे ही रिंकी गई, मैंने उठ कर पप्पू को गले से लगाया और उसे बधाई देने
लगा। पप्पू ने भी मुझे गले से लगाकर मुझे धन्यवाद दिया और फिर से मायूस सा
चेहरा बना लिया।
“क्या हुआ साले, ऐसा मुँह क्यूँ बना लिया?”
"कुछ नहीं यार, बस खड़े लण्ड पर धोखा।” उसने कहा और हमने एक दूसरी की आँखों में देखा और हम दोनों के मुँह से हंसी छूट गई।
“अरे नासमझ, तू बिल्कुल बुद्धू ही रहेगा। मैंने तेरी तड़प देख ली थी इसीलिए
तो रिंकी को ऊपर भेज दिया। आज घर में कोई नहीं है, तू जल्दी से ऊपर जा और
मज़े ले ले।” मैंने आँख मारते हुए कहा।
मेरी बात सुनकर पप्पू की आँखें चमकने लगी और उसने मुझे एक बार और गले से लगा लिया।
मैंने उसे हिम्मत दी और उसे ऊपर भेज दिया। पप्पू दौड़ कर रिंकी की रसोई में पहुँच गया।
मेरी उत्तेजना पप्पू से कहीं ज्यादा बढ़ गई थी यह देखने के लिए कि दोनों क्या क्या करेंगे।
पप्पू के जाते ही मैं भी उनकी तरफ दौड़ा और जाकर ऊपर के हॉल में छिप गया।
हमारे घर कि बनावट ऐसी थी कि हॉल के ठीक साथ रसोई बनी हुई थी। मैं हॉल में
रखे सोफे के पीछे छुप कर बैठ गया। रिंकी उस वक्त रसोई में चाय बना रही थी
और पप्पू धीरे धीरे उसके पीछे पहुँच गया। उसने पीछे से जाकर रिंकी को अपनी
बाहों में भर लिया।
रिंकी इसके लिए तैयार नहीं थी और वो चौंक गई, उसने तुरंत मुड़कर पीछे देखा
और पप्पू को देखकर हैरान रह गई,“ यह क्या कर रहे हो, जाओ यहाँ से वरना सोनू
को हम पर शक हो जायेगा।”
यह कहते हुए रिंकी ने अपने आपको छुड़ाने की कोशिश की।
पप्पू ने उसकी बात को अनसुना करते हुए उसे और जोर से अपनी बाहों में भर
लिया और उसके गर्दन पर चूमने लगा। रिंकी बार बार उसे मना करती रही और कहती
रही कि सोनू आ जायेगा, सोनू आ जायेगा।
पप्पू ने धीरे से अपनी गर्दन उठाई और उसको बोला," टेंशन मत लो मेरी जान,
सोनू ने ही तो सब प्लान किया है। उसे हमारे बारे में सब पता है और उसने हम
दोनों को मिलाने के लिए यह सब कुछ किया है।”
“क्या !?! सोनू सब जानता है। हे भगवान !!!” इतना कहकर उसके आँखें झुक गईं
और मैंने देखा कि उसके होठों पर एक अजीब सी मुस्कान आ गई थी।
“जान, इन सब बातों में अपना वक्त मत बर्बाद करो, मैं तुम्हारे लिए पागल हो
चुका हूँ। मुझसे अब बर्दाश्त नहीं होता।” यह बोलते बोलते पप्पू ने रिंकी को
अपनी तरफ घुमाया और उसका चेहरा अपने हाथों में लेकर उसके रसीले होठों को
अपने होठों में भर लिया।रिंकी ने भी निश्चिंत होकर उसके होठों का रसपान
करना शुरू कर दिया। रिंकी के हाथ पप्पू के पीठ पर घूम रहे थे और वो पूरे
जोश में उसे अपने बदन से चिपकाये जा रही थी।
पप्पू के हाथ अब धीरे धीरे रिंकी की चूचियों पर आ गए और उसने एक हल्का सा
दबाव डाला। पप्पू की इस हरकत से रिंकी ने अचानक अपने होठों को छुडाया और एक
मस्त सी सिसकारी भरी। शायद पहली बार किसी ने उसकी चूचियों को छुआ था, उसके
माथे पर पसीने की बूँदें झलक आई।
पप्पू उसके बदन से थोड़ा अलग हुआ ताकि वो आराम से उसकी चूचियों का मज़ा ले
सके। रिंकी ने अपने दोनों हाथ ऊपर कर लिए और पप्पू के बालों में अपने
उँगलियाँ फिरने लगी। पप्पू ने अपने दोनों हाथों से उसकी दोनों चूचियों को
पकड़ लिया और उन्हें प्यार से सहलाने लगा। रिंकी के मुँह से लगातार
सिसकारियाँ निकल रही थीं।
पप्पू ने धीरे धीरे उसके गले को चूमते हुए उसकी चूचियों की तरफ अपने होंठ
बढ़ाये और रिंकी के टॉप के ऊपर से उसकी चूचियों पर चूमा। जैसे ही पप्पू ने
अपने होंठ रखे, रिंकी ने उसके बालों को जोर से पकड़ कर खींचा। रिंकी का टॉप
गोल गले का था जिसकी वजह से वो उसकी चूचियों की घाटी को देख नहीं पा रहा
था। उसने अपना हाथ नीचे बढ़ाकर टॉप को धीरे धीरे ऊपर करना शुरू किया और साथ
ही साथ उसे चूम भी रहा था। रिंकी अपनी धुन में मस्त थी और इस पल का पूरा
पूरा मज़ा ले रही थी।
पप्पू ने अब उसका टॉप उसकी चूचियों के ऊपर कर दिया। रिंकी को शायद इसका
एहसास नहीं था, उसे पता ही नहीं था कि क्या हो रहा है, वो तो मानो जन्नत
में सैर कर रही थी।
“हम्मम्मम.....उम्म्म्म्म्म....ओह पप्पू मत करो....मैं पागल हो जाऊँगी...”
पप्पू ने उसकी तरफ देखा और आँख मारी और अपने हाथ उसकी पीठ की तरफ बढ़ाकर
रिंकी की काली ब्रा के हुक खोल दिए। रिंकी को इस बात का कोई पता नहीं था कि
पप्पू ने उसके उभारों को नंगा करने का पूरा इन्तजाम कर लिया है। पप्पू ने
अपने हाथों को सामने की तरफ किया और ब्रा के कप्स को ऊपर कर दिया जिससे
रिंकी कि गोल मदहोश कर देने वाली बड़ी बड़ी बिल्कुल गोरी गोरी चूचियाँ बाहर आ
गईं।
“हे भगवान !" मेरे मुँह से धीरे से निकल पड़ा।
सच कहता हूँ दोस्तो, इन्टरनेट पर तो बहुत सारी ब्लू फिल्में देखी थीं और कई
रंडियों और आम लड़कियों की चूचियों का दीदार किया था लेकिन जो चीज़ अभी मेरे
सामने थी उसकी बात ही कुछ और थी। हलाकि मैं थोड़ी दूर खड़ा था लेकिन मैं साफ
साफ उन दो प्रेम कलशों को देख सकता था।
34 इंच की बिल्कुल गोरी और गोल चूचियाँ मेरी आँखों के सामने थी और उनका
आकार ऐसा था मानो किसी ने किसी मशीन से उन्हें गोलाकार रूप दे दिया है। उन
दोनों कलशों के ऊपर ठीक बीच में बिल्कुल गुलाबी रंग के किशमिश के जितना बड़ा
दाने थे जो कि उनकी खूबसूरती में चार नहीं आठ आठ चांद लगा रहे थे।
मेरे लंड ने तो मुझे तड़पा दिया और कहने लगा कि पप्पू को हटा कर अभी तुरंत रिंकी को पटक कर चोद डालो।
मैंने अपने लंड को समझाया और आगे का खेल देखने लगा। रिंकी की चूचियों को
आजाद करने के बाद पप्पू रिंकी से थोड़ा अलग होकर खड़ा हो गया ताकि वो उसकी
चूचियों का ठीक से दीदार कर सके। अचानक अलग होने से रिंकी को होश आया और
उसने जब अपनी हालत देखी तो उसके मुँह से चीख निकल गई,“ हे भगवान, यह तुमने
क्या किया?”
और रिंकी ने अपने हाथों से अपनी चूचियाँ छिपा ली। पप्पू ने अपने हाथ जोड़
लिए और कहा, “जान, मुझे मत तड़पाओ, मैं इन्हें जी भर के देखना चाहता हूँ।
अपने हाथ हटा लो ना !”
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