Porn Hindi Kahani वतन तेरे हम लाडले
06-07-2017, 02:23 PM,
#37
RE: वतन तेरे हम लाडले
अपनी ओर से वह पूरी संतुष्ट था मगर उसको चिंता थी तो राज और समीरा की। उसने अपने दम पर तो कर्नल इरफ़ान को चकमा दे दिया था और और अब कर्नल इरफ़ान कच्चे रास्तों से होता हुआ मेजर राज को पकड़ने की कोशिश कर रहा था। मगर अमजद जानता था कि हर नाके पर बसों को भी जाँच की जाएगी, और जिस बस में उसने मेजर राज और समीरा को बिठाया था उसकी भी जाँच होगी। और अगर कहीं ये लोग पकड़े गए तो सारे किए कराए पर पानी फिर जाएगा। पहले रॉ से उसको मेजर राज की रिहाई का लक्ष्य मिला था, इससे पहले कि अमजद अपनी कोई योजना बनाता मेजर राज खुद ही छूट आया था, और अब न केवल उसके पकड़े जाने का फिर से भय था बल्कि साथ में समीरा भी पकड़ी जाती तो समस्या और भी बढ़ सकती थी केवल यही एक बात थी जो अमजद को परेशान कर रही थी। 

अमजद को मुल्तान की ओर जाते हुए कोई एक घंटे से ऊपर का समय गुजर चुका था इस दौरान अमजद ने नोट किया था कि एक कार लगातार अमजद का पीछा कर रही है। जबकि पीछे आने वाली गाड़ी काफी दूरी पर थी मगर फिर भी अमजद का शक था कि यह कार उसी के पीछे आ रही है कि हो न हो कर्नल इरफ़ान ने ही भेजी है। अमजद ने अपनी तसल्ली के लिए कुछ स्थानों पर अपनी गति बहुत धीमी कर दी और इंतजार करने लगा कि पीछे आने वाली गाड़ी आगे निकलती है या नहीं। मगर अमजद का शक सही निकला, जैसे ही अमजद अपनी गति धीमी करता पीछे आने वाली गाड़ी भी धीरे हो जाती और जब अमजद अपनी कार की गति बढ़ाता तो पीछे आने वाली गाड़ी भी तेज हो लेती। 

अब मुल्तान 1 घंटे की दूरी पर था। रात के 3 या 4 बजे का समय हो रहा था और अमजद को शौचालय जाने की भी जरूरत महसूस हो रही थी। कुछ ही दूरी पर एक मोड़ था और मोड़ से आगे एक गैस पंप था। अमजद ने अचानक ही अपनी कार की गति बढ़ा दी और मोड़ मुड़ने के बाद कार गैस पंप की ओर ले गया। यूं तो उसे विश्वास था कि पीछे आने वाली गाड़ी उसी का पीछा कर रही है, लेकिन वह फिर भी पूरी तसल्ली करना चाहता था। मोड़ मुड़ते ही अमजद ने अपनी कार सड़के से उतार कर खड़ी कर दी मगर पंप से दूर रखा क्योंकि वह चाहता था पीछे आने वाली गाड़ी जैसे ही मोड़ मुड़े उसको अमजद की कार नज़र आ जाए।


कार सड़क से उतार कर अमजद गाड़ी से निकला और पंप पर मौजूद टॉयलेट में चला गया। बिना समय बर्बाद किए जब अमजद बाहर निकला तो उसने देखा की पीछे आने वाली कार अब अमजद की कार से कुछ आगे खड़ी थी और एक सैनिक पंप पर खड़ा इधर उधर देख रहा था जैसे किसी को खोजने की कोशिश कर रहा हो। अमजद शौचालय से निकला और दुकान पर चला गया वहाँ से एक रस का डब्बा और बिस्कुट का पैकेट उठाकर बाहर आने लगा। दुकानदार ने पैसे मांगे तो अमजद ने बाहर खड़े सेना ज़बान की ओर इशारा करते हुए कहा कि वह बाहर मेरे अधिकारी खड़े हैं वे ही देंगे पैसे। सैनिक को देखकर दुकानदार चुप हो गया। और अपने काम में लग गया। अमजद चुपचाप बाहर आया मगर अबकी बार वह सीधा सैनिक के पास गया। सैनिक ने अमजद को अपनी ओर आते हुए देखा तो वह अनजान बन कर इधर उधर देखने लगा जैसे कि वह अमजद को जानता ही नहीं और न ही वो अमजद की तलाश में था। अमजद इस सैनिक के पास गया उसको सतश्रीअकाल कहा और फिर बोला कि साहब जी मेरे पास खाने के पैसे नहीं हैं मुझे बहुत भूख लग रही है मैंने यह रस डिब्बा और बिस्कुट इस दुकान से लिए हैं आप उन्हें मेरी जगह पैसे दे दे? ? 

सैनिक ने गुस्से से अमजद को देखा और बोला क्यों दूँ तुम्हारी जगह पैसे ??? अमजद बोला साहब जी बड़ी मेहरबानी होगी आपकी। मुझे आपके बड़े साहब जी ने मुल्तान जाने का आदेश दिया है अगर पैसे नहीं देंगे तो यह दुकानदार मुझे यहाँ से जाने नहीं देगा और मुझे देर हो जाएगी। आप पैसे दे दें तो मैं अभी चला जाऊंगा और समय के साथ आपके बड़े साहब की की भेजी हुई जगह पहुंच सकूंगा। सैनिक ने यह बात सुनी तो बोला अच्छा अच्छा ठीक है तुम जाओ मैं दे दूंगा पैसे। अमजद धन्यवाद करते हुए अपनी कार में आकर बैठ गया और और बिस्कुट का पैकेट खोलकर सामने रख लिया और कार स्टार्ट करके फिर से यात्रा शुरू कर दी . सैनिक ने जब देखा कि अमजद जा रहा है तो वह तुरंत दुकान पर गया उसको पैसे दिए और फिर से अपनी कार में बैठ कर अमजद का पीछा करने लगा। 

इस सारी करवाई में अमजद केवल इस सैनिक का विश्वास हासिल करना चाहता था। न तो उसे सख्त भूख लगी थी और न ही वह इतना बेशर्म था कि राह चलते किसी से भी पैसे मांग ले। लेकिन यह हरकत कर के अमजद ने सैनिक के मन में यह बात बिठा दी थी कि अगर यह कोई आतंकवादी है तो उसको तो सेना से दूर भागना चाहिए, लेकिन यह बिना डर खाए एक सैनिक के पास आकर उस से मदद मांग रहा है। और अमजद का यह तीर ठीक निशाने पर जाकर लगा था। सैनिक ने पीछा करते हुए अब कर्नल इरफ़ान को कॉल की और उसको सारी स्थिति से अवगत करते हुए बताया कि अमजद किसी भी रूप में उन लोगों के साथ शामिल नहीं हो सकता। बस मजबूरी की वजह से यह उनके साथ था। कर्नल इरफ़ान ने भी अमजद को ग्रीन सिग्नल दे दिया मगर पीछा जारी रखने का आदेश देते हुए कहा क्या मालूम वेवो लोग इससे पेट्रोल पंप पर मिलने आएँ . इसलिए तुम ध्यान रखना जैसे ही कोई आए उसको तुरंत धर लेना। 

एक घंटे की ड्राइव के बाद अमजद मुल्तान शहर के पहले पटोल पंप पर अपनी कार खड़ी कर के खड़ा था। जबकि पीछे आने वाला सैनिक पेट्रोल पंप से काफी दूर अपनी कार खड़ी कर खेतों से होता हुआ पेट्रोल पंप की दीवार के करीब पहुंच गया था और अमजद पर नजर रखे हुए था। अमजद की पीठ सैनिक की ओर थी, वह इस बात से तो बेखबर था कि सैनिक कहाँ खड़ा है मगर इतना जरूर जानता था कि कहीं न कहीं वह अमजद पर नजर रखे हुए है। जब पेट्रोल पंप पर खड़ा था अमजद को 5 से 6 घंटे हो गए और वहाँ कोई नहीं आया तो सैनिक ने फिर कर्नल इरफ़ान को फोन किया तो कर्नल इरफ़ान ने अब इसे मुल्तान शहर में प्रवेश करने के लिए कहा और वहां मौजूद आर्मी कैंप में बुलाया । और साथ ही उसे आदेश दिया कि सरदार सन्जीत सिंह को कहो अब वह पेट्रोल पंप से निकल जाए और किसी सुरक्षित जगह पर जाकर छुप जाए। 

सैनिक ऐसे ही किया, वह वापस अपनी कार तक गया और फिर कार में बैठकर वापस पेट्रोल पंप पर आया वहाँ रुक कर वह अमजद से मिला। अमजद ने हैरानगी जताते हुए कहा साहब जी आप वही हो न जो पहले भी पेट्रोल पंप पर मिले थे मुझे ?? तो सैनिक ने कहा, हां मैं वही हूँ। मेरे अधिकारी ने मुझे भेजा है और कहा है कि सरदार जी से कहो अब यहाँ कोई आतंकवादी नहीं आने वाला आप बेफिक्र होकर जा सकते हैं मगर अपनी सुरक्षा के लिए अधिक बाहर न निकलना बल्कि किसी सुरक्षित ठिकाने पर जाकर छुप जाओ। अमजद ने सैनिक को धन्यवाद दिया मगर अपने मन में मौजूद परेशानी को दूर करने के लिए सैनिक से पूछा कि वो आतंकवादी जिन्हें आप ढूंढ रहे हैं वह मिल गया है या नहीं? सैनिक कहा नहीं पता नहीं उन्हें आसमान खा गया या जमीन निगल गई। वह कहीं भी नहीं मिल पाए और ना ही अभी उनका कोई सुराग मिल रहा है। यह सुनकर अमजद को तसल्ली हुई और उसने सोचा कि राज और समीरा खैरियत से मुल्तान पहुँच चुके होंगे। क्योंकि अमजद कोई 6 घंटे पेट्रोल पंप पर रुककर जाहिर आतंकवादियों का इंतजार करता रहा था और वह बस जिसमें उसने राज और समीरा कि बिठाया था कोई 7 घंटे पहले मुल्तान पहुंच चुकी होगी। अब अमजद ने सैनिक को बताया कि यहां उसके कुछ दोस्त रहते हैं उनकी तरफ जाकर छिप जाऊंगा अब वही एक सुरक्षित जगह है मेरे लिए। सैनिक ने उसकी बात पर बिना कोई ध्यान दिए ठीक कहा और वहां से चला गया। 
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