Chuto ka Samundar - चूतो का समुंदर
06-08-2017, 11:36 AM,
RE: चूतो का समुंदर
मैं होश मे तब आया जब कोई मेरी कार के ग्लास पर हाथ पीट रहा था...वो मेरा आदमी स था....

स- अंकित...अंकित...गेट अप प्ल्ज़...अंकित...

मैं(गेट खोल कर)- ह्म...आप आ गये....

और मैं स के गले लग कर सिसक पड़ा...

मैं- आज मेरी वजह से...वो..वो दोनो...

स- नही अंकित...इसमे तुम्हारी कोई ग़लती नही...सब किस्मत का खेल है...

मैं- नहिी...ये सब मेरी वजह से हुआ...उनकी क्या ग़लती...सब मेरी वजह से फसे...

स- न्ह्हीई....सब किस्मत का खेल होता है...कम ऑन...होश मे आओ...बी ब्रेव...कम ऑन..

स ने मुझे झकझोर दिया...और फिर मुझे पानी दिया...

स - अब होश मे आओ...जाओ अंदर...ये वक़्त रोने का नही...मजबूत बनकर हालात का सामना करने का है...गो..

मैं चुपचाप स को देख रहा था...

स- कम ऑन अंकित...तुम बहादुर हो...तुम्हे हर उस सक्श से बदला लेना है जो तुम्हारी जिंदगी को खराब करने का ज़िम्मेदार है..जिसने तुम्हारे परिवार की धज्जियाँ उड़ा दी..जिसने तुम्हे ऐसा बना दिया कि आज तुम प्यार को तरसते रहते हो..गो अंकित...कम ऑन..

मैं- म्म्म...मैं...मैं...


स- भूल मत...तू आकाश का बेटा है...वो इंसान..जिसने सबकी नफ़रत सही पर टूटा नही....टूट कर संभला...और अपना नाम बनाया....हाँ...

मैं अंदर ही अंदर जोश से भरने लगा...

स- तू अलका का बेटा है..अलका का...उस अलका का...जो बुरे से बुरे हालात मे अपना सब्र नही खोती थी...हर मुस्किल का डॅट का मुकाबला करती थी...और अपने परिवार के लिए दुनिया से टकरा सकती थी....समझा...

मैं- ह्म...ह्म...

स- अपने माँ-बाप का नाम मत खराब करना....जाओ..इन मुस्किल हालात मे माइंड उसे करो...इमोशन्स मे मत बहो...डॅट कर सामना करो...और हाँ...मैं तुम्हारे साथ हूँ...आइ ट्रस्ट यू...नाउ गो....गो अंकित..गूओ..

मैं- हाँ..मैं नही टूट सकता...मैं काम ख़त्म कर के ही रहुगा...यस ...थॅंक्स...आप यही रूको...मैं जाता हूँ...और हाँ...मुझे आज शाम तक वो शूटर चाहिए...कैसे लाओगे..ये आप जानते हो...

स- हाँ...मिल जायगा...तुम उन दोनो को देखो...शूटर मुझ पर छोड़ दो...गो...

और फिर स निकल गया और मैं हॉस्पिटल के अंदर पहुँच गया...जहा वसीम और सोनू के साथ सुषमा भी आ गई थी...पर वो रोने मे बिज़ी थी इसलिए मैं कुछ नही बोला...बस बैठ कर वेट करने लगा....

करीब 30 मिनट के बाद डॉक्टर रूम से बाहर आए....

मैं- डॉक्टर..क्या वो दोनो...

डॉक्टर(बीच मे)- लड़की के बारे ने अभी कहना जल्दी होगी...पर...लड़के को आप देख सकते है...

मैं- ओह्ह...वो ठीक है ना...

डॉक- आप...आप अंदर जा सकते है...

मैं डॉक्टर का इस तरह का आन्सर सुन कर हैरान था...मेरे साथ वसीम और बाकी सब भी ...पर कोई कुछ नही बोला...

मैं- आपका मतलब क्या है डॉक्टर...

डॉक्टर- प्ल्ज़...अंदर जाइए....आंड बी ब्रेव...

और डॉक्टर ने मेरे कंधे को थपका कर मुझे अंदर जाने को बोल दिया...

मैं डरा हुआ सा अंदर पहुँचा...एआःा अकरम आँखे खोले लेटा था...मैं जा कर बेड के सिरहाने बैठ गया...

मैं- अकरम....मेरे भाई...तू..तू ठीक है ना....

मुझसे अकरम से कोई रेस्पोन्स नही मिला...

मैं- अकरम..अकरम...ये...ये क्या...न्न्नाहहीी...ये नही हो सकता...नही...आक्रमम्म्मममम.........

जब मैने अकरम को आवाज़ दी तो उसने बोलने के लिए अपना मुँह खोला पर उसके मुँह से एक शब्द भी नही निकल रहा था ....

वो कुछ कहने के लिए मुँह खोल रहा था...पर सिर्फ़ हवा बाहर आ रही थी...ये देख कर मैं बौखला गया और चिल्लाने लगा...

तभी डॉक्टर भी रूम मे आ गया और अकरम को देख कर और मेरी चीख सुन कर वो गेट पर ही खड़ा हो गया...

जैसे ही मैने डॉक्टर को देखा तो मैने लपक कर उसकी गर्दन पकड़ कर उसे दीवाल से भिड़ा दिया.....

मैं- डॉक्टर...ये कैसे हुआ...मैने बोला था ना कि इसे कुछ नही होना चाहिए....

डॉक्टर- म्म्म...मैने तो ..अपना बेस्ट किया....

मैं- बेस्ट...बेस्ट मी फुट...साले..वो नही बोला तो तू भी नही बोल पायगा...समझा...

डॉक्टर- म्म..मेरी बात...

मैं- चुप...चुप साले...मैने तेरी...

अकरम- साले...मार ही देगा...क्या....

अचानक अकरम की आवाज़ मेरे कानो पर पड़ते ही मेरी पकड़ डॉक्टर के गले पर ढीली पड़ गई और मैं डॉक्टर के साथ अकरम को देखने लगा...जो अभी मुस्कुराने की कोसिस कर रहा था. ..

अकरम को ऐसे देख कर मुझे बेहद खुशी हुई पर गुस्सा भी बहुत आया....

मैं- साले...बेन दे टके...तेरी तो...

और मैने लपक कर अकरम की गर्दन पर हाथ बढ़ाए...पर उसकी चोट को देख कर गर्दन पकड़ी नही....

मैं- साले...ये सब क्या था...मेरे साथ ड्रामा...

अकरम- न्नाही...असल मे...पहले...वो..आहह...

मैं- चुप ..चुप...मैं समझ गया...पहले आवाज़ नही निकली..है ना...

अकरम(सिर हिला का हाँ बोला)

मैं- ओह्ह..थॅंक गॉड...अब तू चुप ही रहना...

फिर मैं डॉक्टर की तरफ मुड़ा और उसके हाथ थाम कर उसे सॉरी बोला...

डॉक्टर(मुस्कुरा कर)- कोई बात नही...मैं तुम्हारे इमोशन्स समझ सकता हूँ...ईज़ी बॉय....और हम अकरम...अभी बोलने की ज़रूरत नही....चुपचाप रेस्ट करो...घाव अभी ताज़ा है...सो जस्ट रिलॅक्स....

अकरम ने एक बार फिर से सिर हिला कर हाँ बोला और डॉक्टर बाहर निकल गया....

मैं- साले...मेरी तो जान ही ले ली थी तूने...

अकरम फिर से हल्का सा मुस्कुरा दिया...उसे अभी भी दर्द था...

मैं- अब तू रेस्ट कर...और जल्दी से ठीक हो जा...मैं बाद मे आता हूँ...तेरा बाप भी तुझे देखने मर रहा है...

मैं उठा ही था कि अकरम ने मेरा हाथ पकड़ लिया...मैने घूम कर देखा तो उसकी आँखो मे एक अजीब सी कसक थी...शायद वो पूछ रहा था कि ये सब किसने किया...

मैं- अभी तू रेस्ट कर...ठीक हो जा...सब बताउन्गा फिर...तब तक मैं वीडियो वालो का पता करता हूँ...ओके...रिलॅक्स...मैं आता हूँ...

मैं गेट तक पहुँचा और कुछ सोच कर पलट गया....अकरम हैरानी से मुझे देखने लगा...उसने इसरे से पूछा कि अब क्या...

मैं- अपने डॅड से नॉर्मल बिहेव करना....कुछ अहसास भी नही होने देना कि तू कुछ जानता है....ओके...

और फिर मैं रूम से निकला...तो मेरे सामने वसीम अपनी रोनी सूरत ले कर खड़ा था....

मैं- अच्छा हुआ कि अकरम ठीक है...नही तो आज तेरा जनाज़ा ज़रूर निकलता....जा मिल ले...तुझे बाद मे देखता हूँ.....

वसीम मेरी बात सुनकर सन्न रह गया ..उसे उम्मीद भी नही थी कि मैं उससे ऐसा कुछ कहुगा....

लेकिन वो कुछ नही बोला...चुपचाप अंदर निकल गया.....और मैं सोनू के पास आ गया.....


सोनू- सॉरी यार....

मैं(सोनू को गले लगा कर)- कोई नही...कभी-कभी हालात ऐसे हो जाते है कि हम चाह कर भी कुछ नही कर पाते...जो हुआ वो किस्मत का खेल है...समझा .....सोनम कैसी है...

सोनू- अभी भी होश मे नही आई...पता नही क्या होगा..मेरी वजह से मेरी बेहन...

मैं(बीच मे)- चुप...तेरी कोई ग़लती नही...सब किस्मत की बात है...

सोनू- पर..पर मैने अकरम को...

मैं- नही... तू मजबूर था ....पर मैं जानना चाहूगा कि हुआ क्या था...और सोनम वहाँ कैसे आई...

सोनू(आसू पोछ कर)- ह्म...चल मेरे साथ...सब बताता हूँ....

और फिर मैं सोनू के साथ हॉस्पिटल के बाहर बने गर्दन मे चला गया....

मैं- अब बोल...क्या हुआ था....

सोनू- ह्म्म..आक्च्युयली ये तो तू जानता ही है कि मेरे डॅड अभी उसके कब्ज़े मे है जो मुझसे तुझे मरवाना चाहता था....

मैं- क्या मतलब...तू उस आदमी को नही जानता...

सोनू- नही...वो पहली बार मुझे कल ही मिला...उसके पहले सिर्फ़ रश्मि ही मुझसे कॉंटॅक्ट करती थी...इस आदमी ने सिर्फ़ फ़ोन पर ही बात की...

मैं- तो तूने कल तो उसे देखा होगा ना...

सोनू- नही..वो मास्क पहन के आया था...और आज भी मास्क पहने हुए था...

मैं(मन मे)- बट अकरम ने तो कहा था कि कल उसने अपने बाप को सोनू के साथ होटल के बाहर देखा...तो क्या सोनू झूठ बोल रहा है....??

सोनू- और कल रात उसने घर आ कर मेरी माँ, सोनम और मुझे एक होटल मे मिलने बुलाया...

मैं- एक मिनिट...उसने तेरी माँ को क्यो बुलाया...

सोनू- उसने माँ को अपने साथ मिलने का ऑफर दिया...और बदले मे डॅड की रिहाई का बोला...

मैं- अच्छा...तो क्या करने का बोला उसने...

सोनू- बस यही बोला कि अंकित से नज़दीकियाँ बढ़ाओ...उसे अकरम की फॅमिली से दूर रखो....

मैं- अकरम की फॅमिली से दूर...पर क्यो...

सोनू- नही जानता...उसने बताया नही...बस ऑर्डर दिया....और हमने हाँ बोला..

मैं- ह्म्म..तो तू आज सुबह होटल आया था...वहाँ किस से मिला...???

सोनू- वहाँ वही आदमी था...मास्क पहने हुए...और उसके साथ एक पोलीस वाला था ...

मैं- ह्म्म्म्म ...अच्छा ये बता कि तुझे वहाँ अकरम के डॅड मिले थे क्या....

सोनू- अरे हाँ...जब हम वापिस आ रहे थे तो वो मिल गये थे...वो उस पोलीस वाले की जान-पहचान का था....

मैं- अच्छा...और वो मास्क मॅन...वो कहाँ गया था...

सोनू- वो तो निकल गया था...पर ये बता कि तुझे कैसे पता कि अकरम के डॅड वहाँ थे...हाँ...

मैं- वो सब छोड़...ये बता कि फिर क्या हुआ....

सोनू- फिर क्या...थोड़ी देर बाद मेरे पास कॉल आया कि पार्क मे आ कर मिलो...अपनी बेहन के साथ...हम मजबूर थे...इसलिए चले आए...पर यहाँ आ कर उसने तुम्हे शूट करने का काम दे दिया...

मैं- तो तू मुझे बता सकता था ना...क्यो नही बोला....

सोनू- उसने मौका ही नही दिया...सोनम की आड़ मे मुझे मजबूर कर दिया....

मैं- ह्म्म...कोई नही...बट तूने गोली क्यो मारी..मिस भी कर सकता था ना...

सोनू- मैने वही सोचा था...पर सोनम मेरी जान बचाने मेरे सामने आई और धक्का लगने से गोली सीधा गले को चीर गई....जो गोली गले के साइड से निकालने वाली थी...

मैं- ह्म्म...शायद किस्मत ही खराब थी...पर ये बता कि सोनम को गोली मारी किसने...

सोनू- नही पता...ये साला कौन सा दुश्मन पैदा हो गया है...


मैं- ह्म्म..वो मैं देख लूँगा...तू बस सोनम का ख्याल रख..और हा..अपने घर सोनम के बारे मे कुछ नही बोलना अभी...और अकरम के डॅड को भी समझा देना कि वो भी चुप रहे...मैं नही चाहता कि उसकी फॅमिली परेशान हो...वो जूही को ले कर वैसे ही परेशान है...

सोनू- ह्म्म...समझ गया...

मैं- अब तू हॉस्पिटल के अंदर जा...मैं बाद मे आता हूँ...ओके...

फिर मैं सोनू को अंदर भेज कर वहाँ से निकल गया और सीधा संजू के घर पहुँचा.....

संजू के घर मे जाते ही मेरी नज़र संजू पर पड़ी...वो भी मुझे देखते ही मेरे पास आ गया.....

संजू- भाई...मेरी बात सुन...मैं..

मैं(बीच मे)- मुझे कुछ नही सुनना...जा यहाँ से...

संजू- भाई मेरी बात तो सुन...ये तेरे लिए...

मैं(बीच मे)- बोला ना...शट अप..न्ड गेट लॉस्ट...मुझे तेरी शकल भी नही देखनी...दफ़ा हो जा मेरे सामने से...

इससे पहले की संजू कुछ बोलता...रजनी आंटी हॉल मे आ गई....

रजनी- क्या हुआ बेटा...किसको दफ़ा कर रहा है...

मैं- क..कुछ नही आंटी...आप सूनाओ...कैसी हो...

रजनी- मैं तो ठीक हूँ..सुबह ही तो मिल कर गया था ...अब पूछने लगा...हां..

मैं- अरे..वो तो बस..खैर ...मुझे आपसे कुछ बात करनी थी...(संजू की तरफ देख कर) अकेले मे....

रजनी(हैरानी से)- अकेले मे...ठीक है..चल मेरे रूम मे ..

फिर मैं आंटी के साथ उनके रूम मे निकल गया और संजू मुँह लटका कर उपेर अपने रूम मे निकल गया...रूम मे आते ही मैने गेट लॉक कर दिया...जिससे आंटी सहम गई..

रजनी- बेटा...सब लोग घर मे है...और तू...

मैं(बीच मे)- डोंट वरी...मैं कुछ ग़लत नही करने वाला..मुझे सिर्फ़ बात ही करनी है...

रजनी- ह्म्म...बोलो फिर...क्या बात है...

मैं- असल मे मुझसे आपको कुछ दिखाना था...

रजनी - क्या...

मैं- ये देखो...

फिर मैने जेब से मोबाइल निकाला और रजनी के पास जा कर वीडियो प्ले कर दिया....ये वीडियो उस आदमी और औरत वाला था....

रजनी- ये..ये कहा से मिला तुझे...

मैं- ये सब छोड़ो...बस ये बताओ कि क्या आप इनमे से किसी को जानती है...इस औरत और आदमी को..ह्म्म...

रजनी- हाँ..ये औरत तो सरिता है...पर ये आदमी...कुछ सॉफ नही दिखा...मतलब उसका चेहरा नही दिख रहा...

मैं- ह्म्म...चलो..ये तो पता चला कि औरत कौन है..वैसे मुझे भी उसी पर शक था....

रजनी- पर तुझे ये मिला कहाँ से...

मैं- बाद मे बताउन्गा...अभी दूसरा वीडियो देखो...

फिर मैने वो वीडियो चलाया जिसमे लड़की ने अपने बाप को गोली मारी थी....वीडियो देखते हुए रजनी की आँखे फटी रह गई और उनका मुँह खुल गया...जो उन्होने अपने हाथो से ढक लिया था.....

मैं- तो...आप इसे जानती है...

रजनी(मुझे देख कर)- तुझे ये मिला कहाँ से...

मैं- ये मेरी बात का जवाब नही हुआ आंटी...आप इसे जानती है ना...

रजनी(सिर हिला कर)- ह्म्म..

मैं- ये वही है ना जो मैं सोच रहा हूँ...वही है ना ये...

रजनी- बेटा..मुझे नही पता था कि उसने ऐसा भी किया होगा....

मैं- पर मुझे पता चल चुका है आंटी...वो किसी भी हद तक जा सकती है...अब देखो मैं उसका क्या हाल करता हूँ...

रजनी- तू क्या करेगा अब....कुछ भी कर...पर उससे सम्भल कर रहना....ये सब देख कर मुझे डर लगने लगा है उससे...

मैं- फ़िक्र ना करो आंटी...अब डरने की बारी उसकी है...मेरी नही...

फिर मैने गेट खोला और बाहर जाने लगा...तभी आंटी ने मुझे टोक दिया...

रजनी- बेटा...संभाल कर...

मैं- रिलॅक्स...

और मैं कार ले कर वहाँ से निकल गया....
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RE: चूतो का समुंदर - by sexstories - 06-08-2017, 11:36 AM

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