RE: सुहागरात से पहले
नेहा ये क्या किया. .... आह. ...मेरा निकला. ...मैं गया. ......... "
"मैंने तुंरत अपने चूतडों को ढीला छोड़ दिया. ...... पर तब तक मेरी गांड के अन्दर लावा उगलने लगा था.
"आ अह हह नेहा. ...मैं तो गया. .... अ आह ह्ह्ह. .." उसका वीर्य पूरा निकल चुका था. उसका लंड अपने आप सिकुड़ कर बाहर आ गया था. मैंने तोलिये से उसका वीर्य साफ़ किया
मैं अभी तक नहीं झड़ी थी. . मेरी इच्छा अधूरी रह गयी थी. फिर भी उसके साथ मैं भी उठ गयी.
हम दोनों एक बार फिर से तैयार हो कर होटल में भोजनालय में आ गए. दोपहर के १२ बज रहे थे. खाना खा कर हम उज्जैन की सैर को निकल पड़े.
करीब ४ बजे हम होटल वापस लौट कर आ गये. मैंने सुनील से वो बातें भी पूछी जिसमे उसकी दिलचस्पी थी. सेक्स के बारे में उसने बताया कि उसे गांड चोदना अच्छा लगता है. चूत की चुदाई तो सबको ही अच्छी लगती है. हम दोनों के बीच में से परदा हट गया था. होटल में आते ही हम एक दूसरे से लिपट गए. मेरी चूत अभी तक शांत नहीं हुयी थी. मुझे सुनील को फिर से तैयार करना था. आते ही मैं बाथरूम में चली गयी. अन्दर जाकर मैंने कपड़े उतार दिए और नंगी हो कर नहाने लगी. सुनील बाथरूम में चुपके से आ गया. मैंने शोवेर खोल रखा था. मुझे अपनी कमर पर सुहाना सा स्पर्श महसूस हुआ. मुझे पता चल गया कि सुनील बाथरूम में आ गया है. मैं भीगी हुयी थी. मैंने तुरन्त कहा -"सुनील बाहर जाओ. .... अन्दर क्यूँ आ गए. ."
सुनील तो पहले ही नंगा हो कर आया था. उसके इरादे तो मैं समझ ही गयी थी. उसका नंगा शरीर मेरी पीठ से चिपक गया वो भी भीगने लगा. "मुझे भी तो नहाना है. .." उसका लंड मेरे चूतड में घुसने लगा. मैं तुंरत घूम गयी. और शोवेर के नीचे ही उस से लिपट गयी. उसका लंड अब मेरी चूत से टकरा गया. मैं फिर से उत्तेजित होने लगी. मेरी चूत में भी लंड डालने की इच्छा तेज होने लगी. हम दोनों मस्ती में एक दूसरे को सहला और दबा रहे थे. अपने गाल एक दूसरे पर घिस रहे थे. उसका लंड कड़क हो कर मेरी चूत पर ठोकरें मार रहा था. उसने मुझे सामने स्टील की रोड पकड़ कर झुकने को कहा. शोवेर ऊपर खुला था. मेरे और सुनील पर पानी की बौछार पड़ रही थी. मैंने स्टील रोड पकड़ कर मेरी गांड को इस तरह निकाल लिया कि मेरी चूत की फ़ांकें उसे दिखने लगी.
उसने अपना लण्ड पीछे से चूत की फ़ांकों पर रगड़ दिया। मेरा दाना भी रगड़ खा गया। मुझे मीठी सी गुदगुदी हुई। दूसरे ही पल में उसका लण्ड मेरी चूत को चीरता हुआ अन्दर तक घुस गया। मैं आनन्द के मारे सिसक उठी,"हाय रे. .. मार डाला. ..."
"हाँ नेहा. ... तुम्हें सुबह तो मजा नहीं आया होगा. ...अब लो मजा. .."
उसे कौन समझाए कि वो तो और भी मजेदार था. ..... पर हाँ. ...सुबह चुदाई तो नहीं हो पाई थी.
"हाँ. ... अब मत छोड़ना मुझे. ... पानी निकाल ही देना. .." मैं सिसककते हुए बोली.
"तो ये लो. ..येस. ..येस. ..... कितनी चिकनी है तुम्हारी. ."उसके धक्के तेज हो गए थे. ऊपर से शोवेर से ठंडे पानी की बरसात हो रही थी. ...पर आग बदती जा रही थी. मुझे बहुत आनंद आने लगा था.
"सुनील. ... तेज और. .. तेज. .... कस के लगाओ. .. हाय रे मजा आ रहा है.. ."
"हा. ....ये. .लो. ...और. ..लो. ...ऊ ओऊ एई एई. ...."
मैंने अपनी टांगे और खोल दी. उसका लंड सटासट अन्दर बाहर जा रहा था. हाँ. ...अब लग रहा था कि शताब्दी एक्सप्रेस है. मेरे तन में मीठी मीठी सी जलन बढती जा रही थी .उसके धक्के रफ़्तार से चल रहे थे. फच फच की आवाजें तेज हो गयी. "हाय रे मार दो मुझे. ....और तेज धक्के लगाओ. .....हाय. ..आ आह ह्ह्ह.. ..आ आ हह हह. ..."
मुझसे अब रहा नहीं जा रहा था. मैं झड़ने वाली थी. मैंने सुनील की ओर देखा. उसकी आँखे बंद थी. उसकी कमर तेजी से चल रही थी. उसके चूतड मेरी चूत पर पूरे जोर से धक्का मार रहे थे. मेरी चूत भी नीचे से लंड की रफ्तार से चुदा रही थी. "सुनील. ...अ आह.. ..हाय. ....आ आया ऐ ई ई ई. .... मैं गयी. ......... हाय रे. ......सी ई सी एई ई. ... निकल गया मेरा पानी. .... अब छोड़ दे मुझे. .. बस कर. ..."मैं जोर से झड़ गयी. मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया. पर वो तो धक्के मारता ही गया. मैंने कहा. ."अब बस करो. ...लग रही है. ..... हाय. .छोड़ दो ना. ..."
सुनील को होश आया. .... उसने अपना लंड बाहर निकल लिया. उसका बेहद उफनता लंड अब बाहर आ गया था. मैंने तुंरत उसे अपने हाथ में कस के भर लिया. ओर तेजी से मुठ मारने लगी. कस कस के मुठ मारते ही उसका रस निकल पड़ा. "नेहा. ..आ आह हह. ...आ अहह ह्ह्ह. .... हो गया.. ..बस. ...... बस. ....ये आया. ..आया. ........"
इतने मैं उसका वीर्य बाहर छलक पड़ा. मैं सुनील से लिपट गयी. उसका लंड रुक रुक कर पिचकारियाँ उगलता रहा. और मैं उसका लंड खींच खींच कर दूध की तरह रस निकालती रही. जब पूरा रस निकल गया तो मैंने उसका लंड पानी से अच्छी तरह धो दिया. कुछ देर हम वैसे ही लिपटे खड़े रहे. फिर एक दूसरे को प्यार करते रहे और शोवर के नीचे से हट गए. हम दोनों एक दूसरे को प्यार से देख रहे थे. इसके बाद हम एक दूसरे के साथ दिल से जुड़ गए. हमारा प्यार अब बदने लगा था.
शाम के ६ बजे हम उज्जैन से रवाना हो गए. ..... मन में उज्जैन की यादें समेटे हुए इंदौर की और कूच कर गए.
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