ससुर कमीना और बहू नगीना
04-09-2017, 04:39 PM,
#81
RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
मालिनी सुबह उठी तो शिवा बेसुध सो रहा था। वह बाथरूम से फ़्रेश होकर एक नायटी पहनी और किचन में पहुँची। जैसे ही वो बाहर निकली शिवा उठा और बाथरूम से फ़्रेश हुआ। मालिनी को पता नहीं था कि वो जाग रहा था। वो बाहर ना जाकर चुपचाप ड्रॉइंग रूम में खुलने वाली खिड़की को थोड़ा सा खोला और पर्दा हल्का सा हटाकर बाहर झाँका। ड्रॉइंग रूम पूरा दिख रहा था। वो एक स्टूल लेकर वहाँ धैर्य से बैठ गया। तभी मालिनी किचन से बाहर आयी और राजीव को आवाज़ दी: पापा आओ चाय बन गयी।

राजीव बाहर आकर डाइनिंग टेबल की ओर बढ़ा । वो बनियान और लूँगी में ही था। तभी चाय लेकर मालिनी आयी। जैसे ही वो उसके पास आयी और चाय टेबल पर रखी , राजीव ने खींचकर उसे अपनी गोदी में खींच लिया। और वो उसकी गोद में आकर मचल कर बोली: उफफफ पापा चाय तो पी लो।

शिवा हैरान रह गया कि इनमे तो बहुत याराना है।

राजीव: बेटी चाय भी पी लेंगे। पहले ये शहद तो पी लूँ। ये कहते हुए वह उसके गाल और फिर होंठ चूसने लगा। पहले मालिनी ने उसका विरोध किया फिर ख़ुद भी उसका साथ देने लगी। फिर मालिनी उठी और बग़ल की कुर्सी में बैठने लगी। तभी वो उसकी गाँड़ सहलाने लगा। और कुर्सी में हाथ का पंजा रख दिया।

मालिनी हंस कर : पापा हाथ निकालो दब जाएगा ।

वह: दबने दो बेटी तुम्हारी गाँड़ के नीचे ही तो दबेगा ना। वो उसकी गाँड़ मसलकर बोला।

शिवा अब अपने लंड को सहलाने लगा था। भोली सी दिखने वाली मालिनी इतनी गरम माल होगी। ये तो उसने सपने में भी नहीं सोचा था।

मालिनी: पापा प्लीज़ हटाओ ना हाथ। वह हँसकर हाथ हटाया। पर अब वो बग़ल की कुर्सी में बैठी मालिनी की चूचि दबाकर बोला: बेटी रात को लिंगरी में तुम क़यामत ढा रही थी। तुम्हारी ये चूचियाँ तो बड़ी ही रसीलि दिख रहीं थीं। उफ़फ़्फ़ क्या गाँड़ मटकाती हुई चल रही थी। जानती हो मैं मूठ्ठ मारा तभी सो पाया।

मालिनी: पापा आप भी ना। बहुत गरम हो इस उम्र में भी।

राजीव अपनी लूँगी में से लण्ड बाहर निकाला और बोला: देखो अभी भी खड़ा है।

मालिनी हँसकर उसको पकड़ ली और सहलाकर बोली: आप दोनों बाप बेटा दो मिनट में ही खड़ा कर लेते हो।

शिवा हैरान रह गया मालिनी के मुँह से ऐसी बातें सुनकर। वो पापा और उसकी तुलना भी बड़ी बेशर्मी से कर रही है।

तभी राजीव बोला: बेटी थोड़ा सा चूस दो ना।

मालीनी झुक कर थोड़ी देर चूसी फिर बोली: पापा इनके जाने के बाद अच्छे से चुसवा लेना।

अब वो उठी और राजीव ने फिर से उसे पकड़ लिया और बोला: अच्छा एक मीठी सी चुम्मी दे दो ना। प्लीज़ ।

मालिनी : उफफक पापा आप भी ना बच्चों जैसी ज़िद करते हो।

शिवा को समझ नहीं आया कि पापा इतनी चुम्मियाँ तो ले चुके हैं तब तो मालिनी कुछ नहीं बोली अब क्या मुश्किल है उसे फिर से चुम्मी देने में? तभी उसका मुँह खुला रह गया। उफफफ ये क्या हो रहा है उसकी आँखों के सामने।

मालिनी ने अपनी नायटी ऊपर करनी शुरू की। अब उसकी नायटी उसके पेट तक उठ चुकी थी। राजीव नीचे बैठा और मालिनी की जाँघें सहलाया और फिर बुर में ऊँगली फेरकर मस्ती से उसको चूमने लगा। शिवा की साँसे फूल रही थी। उग्फ़्फ़्फ़्फ़ ये कैसी बहु है जो ड्रॉइंग रूम में अपनी नायटी उठाकर अपनी बुर अपने ससुर से चटवा रही है। और वो भी तब जब कि बग़ल के कमरे में उसका पति मौजूद है। शिवा ने देखा कि अब पापा उसकी बुर को चाट रहे थे और मालिनी उइइइइइइइइ कहकर मस्ती से उसका सिर अपनी बुर में दबा रही थी।

तभी राजीव ने उसको घुमाया और उसके मस्त गोल चूतरों को दबाकर उनको चूमने लगा। फिर वो उसके चूतरों को फैलाया और पूरी दरार चाटा और फिर उसकी गाँड़ के छेद में जीभ डालकर वह मानो गाँड़ चोदने लगा। शिवा ने मालिनी के चेहरे को ओर देखा तो वो मानो आनंद में डूबकर आँखें बंदकरके गाँड़ चुसाई का मज़ा ले रही थी और उसकी आवाज़ आऽऽऽहहह करके निकल रही थी। वो अब भी एक हाथ से अपनी नायटी उठाई हुई थी।

मालिनी: आऽऽऽहहहह पापा बस आप छोड़िए ना । शिवा को चाय देनी है । उइइइइइइइ बस कीजिए नाआऽऽऽऽऽ।

राजीव मुस्कुरा कर उठा और मालिनी ने भी नायटी नीचे की। शिवा लूँगी से बाहर झाँकते हुए उसके लण्ड को देखा और मालिनी ने उस मस्त लंड को सहलाया और हँसकर बोली: पापा आप इस उम्र में भी मस्त मर्द हो।

शिवा उत्तेजना से कांप रहा था। तभी शिवा ने देखा कि राजीव मालिनी की पीठ से चिपक गया है। और नायटी के ऊपर से ही अपना लण्ड उसकी गाँड़ की दरार में रगड़ रहा था। मालिनी उफफफफ छोड़िए ना पापा कहकर छूटने की कोशिश की। तब वो उसकी दोनों चूचियों को अपने पंजों में दबाकर बोला: बेटी कब चुदवाओगी ? क्या मेरे मरने के बाद हाँ करोगी चुदवाने के लिए?

मालिनी: आऽऽहहह पापा छोड़िए ना। आप क्यों मरेंगे । मरे आपके दुश्मन। आपको तो अभी मेरी चुदाई का शुभारम्भ करना है।

शिवा सोचने लगा कि इसका क्या मतलब है? वो पापा के साथ ये सब कर रही है और अभी भी उनसे चुदी नहीं है? ये क्या चक्कर है?

राजीव ख़ुश होकर उसको चूमा और छोड़ दिया। वो अपनी गाँड़ की दरार से फँसी हुई नायटी को निकाली और किचन में चली गयी। राजीव भी अपना लण्ड दबाके अपने कमरे में चला गया।

चाय लेकर मालिनी शिवा के पास आयी। वो जाकर उलटा होकर लेट गया था। वो चड्डी में था और पेट के बल लेट कर अपना खड़ा लंड दबाकर पड़ा हुआ था । वो बुरी तरह से उत्तेजित था। अब मालिनी आकर उसके कंधे पर हाथ रखकर हिलाई और बोली: उठिए ना चाय लाई हूँ। शिवा उठने का नाटक किया और सीधा होकर लेट गया। मालिनी की आँखों के सामने उसका लण्ड चडड्डी से खड़ा हुआ और मोटा लाल सुपाडा चड्डी से बाहर था। मालिनी मुस्कुराई और बोली: नींद में किसकी ले रहे थे?

शिवा हँसकर: अरे तुम्हारे सिवा किसी और को चोदने का सवाल ही नहीं है जान। फिर वह चाय पीने लगा। मालिनी बड़े प्यार से उसके लाल सुपाड़े को सहला कर बोली: बेचारा कितना कड़ा हो गया है। वो झुकी और उसके सुपाड़े को वैसे ही चूसी जैसे अभी पाँच मिनट पहले उसने पापा का सुपाडा चूसा था। शिवा चाय रखकर उसे अपनी बाँहों में लेकर उसको चूमने लगा और फिर बिस्तर पर गिरा कर उसके ऊपर आ गया।अब वो उसके होंठ चूमा और फिर उसकी नायटी को ऊपर उठा दिया। अब वो कमर के नीचे पूरी नंगी थी। उसकी जाँघ सहलाया और फिर उसकी टाँगे उठाया और फैलाकर जैसे ही उसका हाथ उसकी बुर पर गया वो उत्तेजित हो गया। पापा का थूक अभी भी वहाँ लगा हुआ था। उन्होंने अभी अभी चाटा था वहाँ। तभी उसकी निगाह गाँड़ की दरार पर गया और छेद को सहलाया और वहाँ भी पूरा पापा का थूक पाकर वो मस्त हो गया। उफफफफ क्या लड़की है अभी अभी पापा से चटवा कर आइ है और पूरी गीली है। अब वो दो उँगलियाँ बुर के अंदर डाला और पाया कि अंदर भी पूरी गीली है। लगता है पापा ने बहुत मज़ा दिया है उसको। तभी तो इतनी मस्त होकर पूरी तरह से इसकी बुर पनियायी हुई है। आऽऽऽऽह वो सोचा और उत्तेजित होकर उसकी टांगों को अपने कंधे पर रखा और अपना लण्ड एक ही धक्के में उसकी बुर में घुसेड़ दिया। मालिनी आऽऽऽहहहह कर के मज़े से नीचे से अपनी गाँड़ उछाली और लंड पूरा निगल गयी। अब उसने अपनी टाँगें शिवा के चूतर पर कैंची सी मारकर चिपक गयी। अब चुदाई शुरू हुई और वो उन्न्न्न्न्न उन्ननन करके चुदाने लगी ।

उधर राजीव अपने कमरे से बाहर आया क्योंकि उसका मोबाइल डाइनिंग टेबल पर ही छूट गया था। जब वो वापस जा रहा था तभी उसको हल्की सी सिसकारियाँ और कुछ आवाज़ें सुनाई दीं। वो चौंक कर शिवा के कमरे की तरफ़ देखा। अभी सुबह के ८ बजे थे और ये दोनों क्या लगे हुए हैं? वो ये सोचकर उत्तेजित हो गया और उसी खिड़की के पास आकर धीरे से पर्दा हटाकर अंदर झाँका जहाँ से थोड़ी देर पहले शिवा उसको और मालिनी को देखा था। उसकी आँखों के सामने उसका बेटा मालिनी की ज़बरदस्त चुदाई कर रहा था। उसकी कमर पिस्टन की तरह आगे पीछे हो रही थी। मालिनी भी अपनी गाँड़ उछाल उछाल कर उसके धक्कों का बराबर दे जवाब दे रही थी। जिस तरह से पलंग चूँ चूँ कर रहा था , राजीव को लगा कि कहीं वो टूट ही ना जाए। अब शिवा ने उसकी नायटी को और ऊपर उठाया और उसकी ब्रा में क़ैद चूचियाँ दबाने लगा। फिर वो उसकी एक एक चूचि को ब्रा से बाहर किया और उनको बारी बारी से दबाकर चूसने लगा ।

मालिनी की सिसकारियाँ अब आऽऽऽहहह उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ के रूप में जारी थीं।उसकी बड़ी बड़ी चूचियाँ देखकर राजीव भी मस्त हो रहा था। उसका हाथ अपने लण्ड पर था और वो उसे मूठिया रहा था। तभी अचानक मालिनी चिल्लायी: उइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽऽ मैं गईइइइइइइइइइ । और वो अपनी जाघें सिकोड़कर अपने आप को ऊपर की ओर उठाई और मानो एक एक इंच लंड निगल ली। तभी शिवा भी उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ कहकर झड़ने लगा। अब दोनों बुरी तरह से एक दूसरे से चिपके हुए थे। फिर वो अग़ल बग़ल लेट गए।

राजीव ने देखा कि दोनों कितने मस्त होकर पड़े थे। मालिनी की छातियाँ तनी हुई थी और ऊपर नीचे हो रहीं थीं। उसकी बुर से सफ़ेद रस टपक रहा था। शिवा भी मस्ती से पड़ा हुआ था और उसका लम्बा लण्ड उसकी जाँघ के ऊपर मानो सुस्ता रहा था। राजीव सोचने लगा कि जब उसका बेटा बहु को इतना मज़ा देता है और इतनी तगड़ी चुदाई करता है तो भला मैं उसे कैसे पटा पाउँगा। वो थोड़ा सा उदास हो गया। वो जानता था कि वो इतनी तगड़ी चुदाई अब इस उम्र में नहीं कर पाएगा। फिर वो सोचा कि अगर ऐसा होता तो बहु क्यों उसको इतना प्यार देती है। वो उलझ सा गया था।
वह वहाँ से हट गया।
शिवा मालिनी को चूमा और उठकर नहाने चला गया। मालिनी भी उठी और एक तौलिए से अपनी बुर पोंछी और फिर नायटी डाल के कंघी फेरकर बाहर आइ और किचन में जाकर काम में लग गयी। तभी बाई भी आ गयी थी। शिवा नहाते हुए सोच रहा था कि वो मालिनी को इतना मज़ा देता है फिर वो पापा से क्यों मज़े लेती है? वो आपस में क्या क्या करते होंगे? घर में बाई भी तो होती है फिर दिन भर वो कैसे कर पाते होंगे? उसे पता था कि बाई दोपहर को खाना खाने अपने घर जाती थी। शायद तभी ये दोनों मज़ा लेते होंगे।

नाश्ते के टेबल पर वह बातों बातों में मालिनी से पूछा: काम ज़्यादा तो नहीं हो जाता? वरना एक और बाई रख लो।

मालिनी: नहीं कोई ज़रूरत नहीं है। बाई काम पूरा कर लेती है।

शिवा: अच्छा इसका काम का क्या समय तय किया है तुमने ?

मालिनी: वो सुबह ८ से १२ और फिर दोपहर को ४ से ६ बजे तक काम करती है। अच्छी है मेहनती भी है।

शिवा : ओह चलो फिर ठीक है। वो सोचने लगा कि तो ये बात है १२ बजे से ४ बजे तक पापा और मालिनी अकेले होते हैं। तभी ये दोनों पता नहीं क्या क्या करते होंगे। उसका लण्ड फिर से तनाव में आने लगा।

वो नाश्ता करके चला गया। वो दुकान जाते हुए एक योजना बनाने लगा।

इधर मालिनी भी राजीव के कमरे में गयी और पूछी: पापा चाय बनाऊँ क्या?

राजीव कुर्सी पर बैठा अपने हाथों में तेल लगा रहा था। वो बोला: हाँ बेटी चाय ही पिला दो। अपना दूध तो तुम मुझे पिलाओगी नहीं?

मालिनी मुस्कुराई और बोली: पापा आप बस ऐसी ही बात करते हो। अभी तो मेरी हड्डी हड्डी दुःख रही है।

राजीव अनजान बनकर: क्यों क्या हुआ बेटी?

मालिनी: ओह पापा आज तो इन्होंने सुबह सुबह ही मेरी ज़बरदस्त ढंग से ली है। उफफफ आज तो वो जैसे पागल ही हो गए थे।

राजीव हँसकर: बेटी मज़ा भी तो आया होगा ना?

मालिनी हँसकर: पापा वो तो बहुत आया । पर अब बहुत आलस सा लग रहा है।

राजीव: चलो तुमको नहला देता हूँ सारी थकावट मिट जाएगी।

मालिनी: हा हा आपने नहलाया तो उसके बाद आप जो ठुकाई करेंगे, उससे थकावट और बढ़ेगी। अच्छा चलती हूँ चाय बनाकर लाती हूँ। यह कहकर वो चली गयी।

उधर १२ बजे से दस मिनट पहले शिवा अपनी योजना के अनुसार अपने ही घर के सामने खड़ा था। वो इंतज़ार कर रहा था और उसका लण्ड उत्तेजना से खड़ा था। वो शांति से इंतज़ार करते रहा। तभी उसने देखा कि बाई बाहर आ रही है। वो अपनी उत्तेजना को कंट्रोल किया और चुपके से अपने ही घर में अंदर आया। उसके पास एक चाबी थी।
वो अंदर आया और एक कमरे के परदे के पीछे से चुपचाप ये समझने की कोशिश करने लगा कि दोनों कहाँ हैं ?

तभी उसने देखा कि मालिनी शायद अभी नहाकर आयी थी।वो अपने कपड़े सुखाने लगी। खुले बालों में वो अप्सरा लग रही थी। उसने साड़ी पहनी थी। उसके ब्लाउस से उसका पेट और कमर नंगा था। उफफफ क्या दिख रही थी। अब उसने देखा कि मालिनी ड्रॉइंग रूम में बैठी और टी वी चालू करी।

शिवा बोर होने लगा। तभी राजीव बाहर आया और बोला: बेटी बाई चली गयी?

मालिनी: जी पापा चली गयी।

राजीव उसके पास आकर बैठा और बोला: तो आराम हो रहा है?

मालिनी: आप करने दोगे तभी तो आराम होगा?

राजीव: क्या बात है हमारी बिटिया हमसे नाराज़ है क्या? वो उसके खुले बालों को सहला कर बोला।

मालिनी: नहीं पापा मैं आपसे क्यों नाराज़ हूँगी। मैं तो बस मज़ाक़ कर रही थी।

राजीव: आओ ना बेटी गोद में बैठो और थोड़ा सा प्यार करने दो।

शिवा का लण्ड पूरा तन गया था।

मालिनी हँसी और आकर उसकी गोद में बैठ गयी। राजीव अब उसके गाल को चूमने लगा। फिर वो उसकी गरदन और कंधों को भी चूमने लगा। अब उसने साड़ी का पल्लू गिराया और जल्दी ही उसके हाथ उसकी चूचियो पर आ गए थे ।वह उनको दबाकर मज़ा लेने लगा।


मालिनी अपनी गाँड़ हिलाकर बोली: उफफफ पापा आपका बहुत चुभ रहा है।

राजीव: बेटी इसे चूसकर ठंडा कर दो ना।

मालिनी हँसकर उठी और ज़मीन पर बैठ गयी और उसकी लूँगी हटाकर उसके लण्ड को प्यार से सहलाई और बॉल्ज़ भी दबाने लगी। जल्दी ही वो लंड और बॉल्ज़ चूसने लगी।

शिवा की आँखें उसके मुँह पर ही चिपकी हुई थी। वो कैसे पूरे मज़े से लंड चूसने का मज़ा ले रही थी। क़रीब दस मिनट चूसने के बाद राजीव बोला: बेटी ६९ करें? मुझे भी तेरी बुर चूसनी है।

मालिनी मुस्कुरा कर उठी और राजीव वहीं पड़े दीवान पर लेट गया। मालिनी ने अपनी साड़ी उतार दी। फिर अपने पेटिकोट को ऊपर उठाया और आकर के राजीव के ऊपर उलटा लेट गयी। अब उसकी बुर राजीव के मुँह के ऊपर था और उसका मुँह फिर से उसके लंड के ऊपर था ।

शिवा बड़ी बड़ी आँखों से देख रहा था कि कैसे उसकी बीवी अपने ससुर का लंड चूस रही थी। और कैसे पापा अपनी बहु की बुर और गाँड़ चाट रहे थे। उफफफफ उसका लण्ड बहुत टाइट हो गया था और वह उसे बाहर निकाल कर मूठ्ठ मारने लगा।

जल्दी ही दोनों ससुर बहु झड़ने लगे। मालिनी लंड से निकली हुई एक एक बूँद पी गयी। राजीव भी रस को चाटे जा रहा था। फिर दोनों उठकर बैठे और सफ़ाई करके आए और टी वी देखने लगे। शिवा चुपचाप खड़ा होकर मूठ मारे जा रहा था।

अचानक से राजीव बोला: अच्छा बेटी ये बताओ कि माँ से बात हुई क्या?

मालिनी: नहीं तो । किस बारे में?

राजीव: वही उस दिन के बारे में जब तुम लोग शिवा और सरला को अकेला छोड़ गए थे।

मालिनी: उफफफ पापा आपको भी कैसे कैसे ख़याल आते रहते हैं। ऐसा कुछ नहीं हुआ है जैसा आप सोच रहे हो।

शिवा हैरान रह गया कि पापा अपनी बहु को अपने बेटे के ख़िलाफ़ भड़का रहे हैं। वो ध्यान से सुनने लगा।

राजीव: तुमको विश्वास दिला दूँ अभी के अभी?

मालिनी: कैसे दिलाएँगे?

राजीव: वो मुझपर छोड़ो। बोलो अभी इनकी पोल खोलूँ?

शिवा की साँसे रुकने लगी। वो कुछ कर भी नहीं सकता था।
मालिनी: ठीक है दिलाइए विश्वास।

राजीव : ठीक है देखो अभी दिलाता हु पर तुमको चुप रहना होगा।

मालिनी: ठीक है।

राजीव ने अब सरला को फ़ोन लगाया। और फ़ोन स्पीकर मोड में रख दिया।

सरला: हेलो।

राजीव: कैसी हो मेरी जान।

शिवा उसके इस सम्बोधन से चौंका और सिर पीट लिया । उसे पापा की चाल समझ में आ गयी थी।

सरला: मैं ठीक हूँ । पर आप मेरी बेटी को तंग तो नहीं कर रहे हो?

राजीव : अरे नहीं नहीं । वो अभी किचन में है। वो बहु को आँख मार कर बोला।

शिवा समझ गया कि वो सरला के मुँह से सब उगलवा लेगा। उसे समझ नहीं आया कि वो क्या करे? वो चुप चाप खड़ा अपने राज़ का पर्दाफ़ाश होते देखता रहा।

सरला: ओह और कुछ उसको तो नहीं बता दिया आपने?

राजीव: अरे कुछ नहीं बताया। पर लगता है तुम अपने दामाद को मिस तो कर रही हो?

सरला: आप भी वही बात हमेशा क्यों करते हो?

राजीव: अरे हमेशा कहाँ ? आज कितने दिन बाद तो हम बात कर रहे हैं? बताओ ना शिवा का लण्ड याद आता है कि नहीं? उसने तुमको बड़ी मस्ती से चोदा था ना?

शिवा ने अपना सिर पीट लिया। वो जानता था कि वो और उसका सच अब मालिनी के सामने नंगा होने वाला है। पापा कमीनेपन पर उतरे हुए थे।

सरला: हे भगवान कितनी गंदी बातें करते हैं आप। मुझे इस पर बात नहीं करनी है।

राजीव: अरे जान तुम भी ना , अरे मुझसे कैसा शर्माना? हम तो कई बार मज़े कर चुके हैं? अच्छा ये बताओ कि कौन अच्छा चोदता है मैं या शिवा?

मालिनी का चेहरा तनाव में आ गया था। पता नहीं मम्मी क्या जवाब देंगी? शिवा भी परदे के पीछे छिपा हुआ बहुत तनाव में खड़ा हुआ ध्यान से सरला के जवाब का इंतज़ार कर रहा था ।

सरला: उफफफ क्या कोई एक औरत से ऐसी बात करता है क्या? छी आप बहुत गंदे हो।

राजीव: अरे बता भी दो ना । प्लीज़ क्यों भाव खा रही हो?

सरला: देखो आप में अनुभव है और आपके साथ बहुत मज़ा मिला था। पर शिवा जवान है उसकी कमर की ताक़त का आप मुक़ाबला नहीं कर सकते।उफफफफ क्या ताक़त है उसके धक्कों में।

यह सुनकर उधर मालिनी के चेहरे का रंग उड़ गया और इधर शिवा ने भी अपना सिर पीट लिया। वो जानता था कि आज के बाद सबकी ज़िंदगी बदल जाएगी। पापा अपने कमीनेपन का सबूत दे चुके थे। नगीना सी बहु का दिल टूट गया था। और शिवा को समझ नहीं आ रहा था कि अब वो क्या करे ? वह चुपके से घर से बाहर आया और दुकान को चला गया।

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RE: ससुर कमीना और बहू नगीना - by desiaks - 04-09-2017, 04:39 PM

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