ससुर कमीना और बहू नगीना
04-09-2017, 04:26 PM,
#61
RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
लीजिए वादा निभाया - एक बहुत बड़े अपडेट से --

मालिनी बच्चे के साथ खेल रही थी। आज उसे पता चला कि बच्चे को सम्भालना कितना मुश्किल है। वह थकने लगी थी। तभी बच्चा रोने लगा। वह जब उसे चुप नहीं करा पाई तो पापा के कमरे का दरवाज़ा खटखाटाई और बोली : नूरी आ जाओ बच्चा रो रहा है।

थोड़ी देर में नूरी बिना ब्रा के टॉप और नीचे एक तौलिए में आयी और अपने बच्चे को चुप कराने लगी। जल्द ही बच्चा चुप हो गया। फिर उसने टी वी में कार्टून लगा दिया और वह उसे देखने लगा। नूरी आँख मारके बोली: : मैं अभी आती हूँ । अंकल दूसरे राउंड की तय्यारी कर रहे हैं।

मालिनी उसकी तौलिए में मटकती गाँड़ देखती रह गयी जब वह पापा के कमरे में फिर से घुस गयी।

वह भी खिड़की से देखी और उसने देखा कि पापा अपना लौड़ा सहला रहे थे और नूरी अपना टॉप उतार रही थी और तौलिया भी निकाल दी। अब वो पापा के ऊपर ६९ की पोज़ीशन में आ गई। अब दोनों ने चूसना चालू किया। पापा उसकी बुर को फैलाकर उसके अंदर जीभ डाल रहे थे और नूरी पापा को डीप थ्रोट दे रही थी। मालिनी सोची कि मेरे अलावा सबको डीप थ्रोट देना आता है, उस दिन मम्मी भी आराम से ये कर पा रहीं थीं। अब नूरी अपना मुँह उठाके आऽऽहहह कर उठी। पापा का मुँह अब पूरा उसकी बुर में घुसा हुआ था। और नूरी की घुटी हुई चीखे निकल रही थीं।मालिनी फिर से गरम होने लगी। तभी नूरी उठी और अपनी बुर को मोटे लौड़े पर सेट करके उसपर बैठ गयी और फिर ऊपर नीचे हो कर चुदाई में लग गयी । पापा तो उसके दूध दबाने और चूसने में मस्त थे। फिर पापा भी नीचे से अपनी कमर उछालकर धक्का मारने लगे। थोड़ी देर बाद नूरी बोली: आऽऽऽह अंकल आप अब चोदिए । मैं थक गयी।

पापा : अच्छा चलो घोड़ी बनो। मैं पीछे से चोदूंग़ा । अब वह चौपाया बनी नूरी के पीछे आकर उसकी गाँड़ सहलाए और फिर उसकी बुर चोदने लगे। ठप्प ठप्प की आवाज़ से चुदाई ज़ोर पकड़ती चली गयी। नूरी की सिसकियाँ अब चीख़ों में बदलने लगी: आऽऽऽऽह और जोओओओओओओओओओर से हाऽऽऽऽऽऽऽय मरीइइइइइइइइ। फ़ाआऽऽऽऽऽऽड़ दोओओओओओ नाआऽऽऽऽऽऽ। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ मैं गयीइइइइइइइइइइ। वह अपनी क़मर को पीछे दबाकर उनका पूरा लौड़ा निगल कर मस्ती से झड़ने लगी। वह अब पेट के बल गिर गयी और पापा भी उसके ऊपर से अपना गीला लौड़ा निकाल के उसके बग़ल में लेट गए। अब मालिनी अपनी पनियायी हुई बुर के साथ वहाँ से हट गयी।

जब क़रीब १० मिनट में भी वो बाहर नहीं आए तो वह फिर से खिड़की के पास गयी। वहाँ नूरी पापा के होंठ चूसते हुए बोल रही थी: पर अंकल आप मालिनी को अभी तक चोदे नहीं हो, ये बात मेरे गले से नीचे नहीं उतर रही है। वो तो मुझे आपसे चुदवाने में भी मदद कर रही है।

पापा: अरे मेरी बहु एक नगीना यानी की हीरा है। वो अपने पति को बहुत प्यार करती है। मेरा भी बहुत ध्यान रखती है।

नूरी उसके लौड़े को सहला कर बोली: पर इसका तो ख़याल नहीं रखती ना। आप तो उसे चोदने को मर रहे होगे। है ना ? क्या मस्त फ़िगर है उसका ।

पापा: अरे नहीं ऐसी बात नहीं है।
वो कितना झूठ बोल रहे थे। पर मालिनी को अच्छा लगा कि वो घर की बात बाहर वालों को नहीं बता रहे हैं।

नूरी: चलिए आप नहीं बताना चाहते तो ना सही। अब चलें बाहर । बेचारी मालिनी बहुत देर से बच्चे को सम्भाल रही है। दोनों साथ में बाथरूम में घुसे और मालिनी वापस आकर बच्चे को देखने लगी।

थोड़ी देर बाद वो बाहर आए। पापा थके से दिख रहे थे। फिर सबने खाना खाया। और थोड़ी देर बाद नूरी अपने बच्चा लेकर चली गयी कल आने को बोलकर।

उसको विदा करके मालिनी आकर बरतन उठाकर किचन में रखी और वापस आइ तो पापा वहाँ बैठे उसका शायद इंतज़ार कर रहे थे। पापा: बहु आओ यहाँ बैठो। मालिनी चुपचाप उसके पास आकर बैठ गई।

राजीव : तुम ठीक हो ना? थकी हुई दिख रही हो।

मालिनी: अरे पापा जी बच्चा सम्भालना भी बहुत मुश्किल काम है। थक गई उसे सम्भालते हुए। बहुत पैर दुःख रहे हैं।

राजीव: अरे बहु सच में बहुत थकी लग रही हो। लाओ मैं पैर दबा दूँ।

मालिनी: धत्त ऐसा भी कहीं होता है। मैं आपके पैर दबाऊँगी या आप मेरे पैर?

राजीव बड़े लाड़ से बोला: अरे मेरी रानी बेटी, इसमे क्या है? पैर तुम्हारा दुःख रहा है तो मैं दबा दूँगा । चलो आओ अपने पैर मेरे गोद में रखो।

मालिनी: नहीं नहीं पापा जी ये नहीं हो सकता।

पर राजीव ने ज़िद करके उसके दोनों पैर झुक कर उठाए और उसको घुमाकर अपने गोद में रख लिया और वह अपने बदन को मोड़कर सोफ़े के ऊपर ऐसे हो गयी कि उसके चूतर पापा की जाँघों को छू रहे थे और पैर पापा की गोद में।

राजीव ने उसके तलवे सहलाए और उनको दबाकर फिर एड़ियाँ दबाने लगा। मालिनी को बड़ा आराम मिल रहा था।अब वह उसकी पिंडलियाँ दबाने लगा। सच में पापा जी के हाथ में जादू है वह सोची। तभी वह उसके घुटनो को दबाने लगे। उसकी स्कर्ट घुटनो तक ही थी। वह अब स्कर्ट के ऊपर से उसकी जाँघें दबाने लगा।

वह बोला: बेटी आराम मिल रहा है।

मालिनी ने नोटिस किया कि आज बहु की जगह वो बेटी बोल रहे हैं। वो बोली: जी पापा आराम मिल रहा है।

राजीव: बेटी स्कर्ट थोड़ा ऊपर कर लूँ ? तभी अच्छे से दबा सकूँगा।

मालिनी शर्म के मारे कुछ नहीं बोली। राजीव ने उसका स्कर्ट उठाया और ऊपर को किया। अब वह उसकी गुदाज जाँघ दबाने लगा। मालिनी को अच्छा भी लग रहा था और उसकी बुर में खुजली भी होने लगी थी। अब राजीव बोला: बेटी ज़रा क़मर उठाओ ना, स्कर्ट और ऊपर करनी है, आज तो तुमने पैंटी पहनी है इसलिए और कुछ नहीं दिखेगा।

मालिनी भी उत्तेजित हो रही थी ।दो दो राउंड की चुदाई देखकर उसका उत्तेजित होना स्वाभाविक था। सो उसने अपनी कमर उठा दी और राजीव ने स्कर्ट और ऊपर तक उठा दिया और अब उसकी पैंटी भी उसे दिखाई देने लगी थी। अब वह उसकी भरी हुई नरम जाँघें दबाकर मस्ती से भरने लगा था। मालिनी की बुर भी गरमाने लगी थी। अब राजीव के हाथ उसकी पैंटी के किनारे को छूने लगी थीं। उसने उसकी जाँघों को अलग किया और अब उसके हाथ उसकी गोल गोल जाँघों को पैंटी के ठीक पहले तक दबा रहे थे। मालिनी की बुर गीली हो चुकी थी।

राजीव ने अब उसकी पैंटी का गीलापन देखा और बोला: बेटी, सूसू निकल गई है क्या? देखो ना पैंटी एकदम गीली हो गई है। बाथरूम ले चलूँ?

मालिनी शर्माकर अपना मुँह छुपा कर बोली: धत्त आप कुछ भी बोल रहे हैं। पर वह उठी नहीं। राजीव ने हिम्मत की और उसकी बुर को पैंटी के ऊपर से दबा कर बोला: बेटी, देखो ना पैंटी बिलकुल गीली हो गई है। चलो मैं तुमको थोड़ा यहाँ भी आराम दे देता हूँ। यह कह कर वह उसकी पैंटी के साइड से अपनी उँगलियाँ अंदर डाला और उसकी बुर में दो उँगलियाँ डाल दिया। मालिनी ने आँखें बंद कर ली और अपनी जाँघों को और फैला लिया। राजीव की उँगलियाँ अब उसकी बुर में अंदर बाहर होने लगी और वह उसके दाने से भी छेड़छाड करने लगा। अब मालिनी की सिसकियाँ निकलने लगीं। वह अब अपनी कमर भी हिलाने लगी और अब राजीव ने अपना दूसरा हाथ उसकी चूचि पर रखा और उसे दबाने लगा। मालिनी अब उइइइइइइ करके अपनी कमर उछालने लगी और म्म्म्म्म्म्म कह कर झड़ गयी। राजीव की उँगलियाँ पूरी गीली हो चुकी थी। वह उनको बाहर निकाला और मालिनी को दिखाकर चूसने लगा और बोल: बेटी, बहुत स्वादिष्ट है तुम्हारा पुसी जूस म्म्म्म्म्म ।

अब चौंकने की बारी मालिनी की थी। अब जाकर झड़ने के बाद मालिनी को होश आया था और फिर वह अपने कपड़े ठीक करके अपने कमरे में भाग गई। वह अपनी हरकत से बहुत शर्मिंदा थी। उफफफफ ये क्या हुआ ? आज पहली बार पापा उसकी नंगी बुर में ऊँगली कर लिए। ये कैसे हो गया? उसने उनको रोका क्यो नहीं? अब उसे अपने आप पर शर्म आयी। उसने निश्चय किया कि वह पापा जी से दूर रहेगी। यह सब बंद होना चाहिए। यह सोचते हुए वह सो गयी। सपने में वह देखी कि पापा जी उसे उसके कमरे में ही चोद रहे हैं। वैसे ही जैसे नूरी को चोद रहे थे। फ़र्क़ सिर्फ़ इतना था कि नूरी की जगह वह ख़ुद थी । फिर वह हड़बड़ा कर उठ बैठी और सपने का सोच के शर्मिंदा होने लगी। उसकी बुर फिर से सपने में गीली हो रखी थी। अब वह शिवा को फ़ोन लगाई: हेलो।

शिवा: हेलो जानू कैसी हो? खाना खा लिया?

मालिनी: हाँ खा लिया और आपने?

शिवा: मैंने भी खा लिया। अब तुमको खाने की इच्छा हो रही है। आ जाऊँ अभी खाने?

मालिनी हँसकर: अभी ही क्यों? रात को खा कीजिएग।

शिवा: अरे हाँ वो तुम्हारे आशिक़ का फ़ोन आया था।

मालिनी हैरान होकर : मेरा आशिक़ कहाँ से पैदा हो गया?

शिवा: अरे वही असलम , तुम्हें खाने पर बुला रहा है।

मालिनी: वह मेरा नहीं आपका ख़याल रख रहा है । आपको आयशा से मिलाने को शायद मरा जा रहा है। और आपको भी तो स्वाद में बदलाव चाहिए ना? जाओ अकेले डिनर करे आओ। मुझे नहीं जाना।

शिवा: हा हा ग़ुस्सा बड़ी जल्दी होती हो। यार वह सिर्फ़ खाने को बुला रहा है , अदला बदली के लिए नहीं। तुम भी ना बस मुझे आयशा से जोड़ने लगती हो। अच्छा एक बात बतानी है तुमको वो हमारे दुकान में एक लड़की काम करती है ना रीमा।

मालिनी: हाँ हाँ याद है। क्या हुआ उसे?

शिवा: अरे वो आज आकर बहुत रोयी। मेरे पूछने पर उसने बताया कि उसका पति गार्ड है इसलिए कई बार वो रात की ड्यूटी में जाता है। और वो अपने दो छोटे छोटे बच्चों के साथ अपने ससुर के साथ रहती है, सास का देहांत हो चुका है।

मालिनी: ओह, फिर?

शिवा: वो बताई कि उसका ससुर कई दिनों से उसे तंग करता था। कभी उसकी चूचि दबा देता था और कभी उसकी गाँड़ सहला देता था। वो हमेशा इसका विरोध की मगर वह सुधरा नहीं।

मालिनी: उसने आपसे ये कहा कि वह उसकी चूचि और गाँड़ छूता है?

शिवा: अरे जानू , उसने ये शब्द नहीं कहे पर उसने जो बताया उसका मतलब यही था।

मालिनी: ओह फिर क्या हुआ? उसने अपने पति को नहीं बताया?

शिवा: मैंने भी यही पूछा तो वो बोली कि ससुर धमकी देता है कि अगर उसे बताई तो चारों मतलब बेटा, बहु और बच्चों को घर से निकल देगा और वो सड़क पर आ जाएँगे । क्योंकि उसके पति की कमाई कम है और ससुर को पेन्शन भी मिलती है , इसलिए वो उसकी शिकायत नहीं कर सकी।

मालिनी: ओह बेचारी। फिर?

शिवा: पर कल रात उसने हद कर दी और रीमा को ज़बरदस्ती चोद दिया। वो उसके खाने में कुछ मिला दिया था और उसे आधे होश में चोद दिया। बेचारी रो रही थी। मैंने उसे कहा कि चलो पुलिस में शिकायत करते हैं तो बोली कि तब तो वो हमको घर से ही निकाल देगा और उसकी पेन्शन की कमाई भी नहीं देगा। हमारे बच्चों की पढ़ाई का क्या होगा।

मालिनी: ओह बेचारी। फिर क्या किया?

शिवा: कुछ नहीं , वो बोली कि मुझसे बात करके उसका दर्द कम हो गया है और फिर अपना काम करने लगी। वो बोली कि वो अपने पति से इसकी शिकायत नहीं करेगी।

मालिनी: बड़ी अजीब बात है। आप उसका नम्बर मुझे दो, मैं उसे समझाऊँगी कि उसे ये सब सहना नहीं चाहिए।

तभी राजीव आवाज़ आइ: बेटी आज चाय नहीं मिलेगी क्या।

ये आवाज़ शिवा को भी सुनाई दी तो वो बोला: क्या बात है कि पापा आज तुमको बेटी बोल रहे हैं वैसे अक्सर तो बहु बोलते हैं ना? देखो पापा की बेटी बन कर मेरा पत्ता नहीं साफ़ कर देना। हा हा ।

मालिनी: आप भी ना कुछ भी कहते रहते हो। आप तो उनके बेटे हो और हमेशा आप ही पहले रहोगे। हाँ उस रीमा का नम्बर sms कर देना। अच्छा अब चलती हूँ पापा जी को चाय चाहिए। बाई।

वह बाहर आयी और किचन में जाकर चाय बनाई। बाहर आकर वह आवाज़ लगाई : पापा जी चाय आ गयी है।

राजीव आया और चाय पीते हुए बोला: लगता है आज बहुत मस्त नींद आयी अपना पानी निकाल कर। उसने आँख मारकर कहा।

मालिनी समझ गई कि वह उसे बुर में करी गई ऊँगली की याद दिला रहे हैं। उसके गाल लाल हो गए। तभी राजीव उठा और आकर उसके पास बैठ गया। उसके हाथ को अपने हाथ में लेकर बोला: बेटी, ये बताओ जब तुम मुझे अपनी मम्मी या नूरी के साथ चुदाई करते हुए देखती हो तो तुम्हारे मन में कैसी भावना आती है?

मालिनी: कुछ नहीं होता मुझे। मैं भी शादीशुदा हूँ। मेरे लिए यह कोई नयी बात नहीं है।

राजीव उसके हाथ सहला कर बोला: बेटी, ये तो है कि तुम्हारे लिए चुदाई कोई विशेष बात नहीं है, पर ये भी सच है कि तुम्हें मेरी चुदाई में भी मज़ा आता है। हैं ना? तभी तो तुम यूँ आकर ये सब देखती हो।

मालिनी: पापा अब मैं यह सब कल से नहीं देखूँगी। वैसे भी मुझे ये सब नहीं देखना चाहिए। ये सब ग़लत है।

राजीव उसे अपनी गोद में खींचकर उसके गाल चूमते हुए बोला: बेटी, कुछ गलत नहीं है। प्यार करना ग़लत नहीं हो सकता।

मालिनी उसकी गोद में बैठी थी। पहली बार उसने अपने आप को छुड़ाने की कोशिश नहीं की और बोली: आप आजकल मुझे बेटी बोलते हैं और ऐसी गंदी बातें भी करते हैं, मैं थोड़ा कन्फ़्यूज़्ड हो गयी हूँ। कोई भला अपनी बेटी से ऐसी बातें करता है?

राजीव: देखो बेटी भी तो एक लड़की ही होती है। उसको हम बड़ा करते हैं और फिर दूसरे लड़के को सौंप देते हैं और वो उससे मज़े लेता है। कई बार बाप के मन में भी तो आता होगा कि साला पाला और पोसा मैंने और चुदाई करेगा कोई और। मुझे भी तो इसमें हिस्सा मिलना चाहिए।

मालिनी: छी कैसी गंदी बात कर रहे हैं। कभी बाप भी बेटी से ऐसे सम्बंध रख सकता है भला? दुनिया में कोई भी बाप ऐसा नहीं सोच सकता । अच्छा आप बोलो आप महक दीदी के साथ ऐसा कर सकते हैं?

राजीव मन ही मन सोचा कि इसे क्या बताऊँ कि महक तो मेरे ही बच्चे की माँ बनने जा रही है। वह बोला: देखो अगर महक चाहेगी तो मैं उसकी ख़ुशी के लिए उसे भी चोद सकता हूँ। वो भी एक लड़की है और उसे भी चुदाई चाहिए। है कि नहीं?

मालिनी सन्न रह गयी कि ये आदमी अपनी बेटी को भी चोद सकता है? हे भगवान।
वो बोली: पापा जी मुझे बहुत ख़राब लग रहा है कि आप महक दीदी के बारे में ऐसा बोल रहे हैं।

राजीव ने फिर से उसके गरदन को चूमा और बोला: बेटी जब आदमी या औरत जोश में आते हैं ना, तो सारे रिश्ते पीछे छूट जाते हैं और बस एक चुदाई का रिश्ता ही बाक़ी रहता है। अब अपनी मम्मी को ही देखो कैसे वह अपने ज़ेठ से ही अपनी बुर की खुजली मिटाने लगी।

मालिनी : हाँ ये तो है कि मम्मी ने भी ग़लत किया है।

राजीव अब उसकी एक चूचि को आराम से सहलाते हुए बोला: बेटी, अब मैं तुमको क्या बोलूँ, मैंने अपने पापा को अपनी सगी बहन याने मेरी बुआ को चोदते देखा है। वो भी जब दोनों की उम्र ४०/४२ की थी। और उनकी चुदाई देख कर साफ़ लग रहा था कि वो कई सालों से ये सब कर रहे हैं।

मालिनी: हे भगवान सगे भाई बहन भी ये करते हैं ? उसने महसूस किया कि पापा उसकी एक चूचि दबा रहे है पर उसे अभी और बातें सुननी थी इसलिए उसने विरोध नहीं किया।

राजीव: हाँ बेटी, ये सब दुनिया में चलता रहता है। एक बात और बोलूँ? मुझे बाद में पता चला कि मेरी माँ को पापा और बुआ के चुदाई के रिश्ते का सब पता था।

मालिनी: ओह वह कैसे कह सकते हैं आप? मालिनी के गाँड़ में अब राजीव का लौड़ा चुभने लगा था।

राजीव उसको ठीक से अपनी गोद में बैठाया जिससे उसका लौड़ा अब उसकी गाँड़ और बुर की दरार में ठीक से सेट हो गया। फिर बोला: मैंने एक बार माँ और बुआ की बातें सुनी थीं । माँ बोल रही थी कि आज तुम्हारे भय्या ने कितनी बार ली तुम्हारी? बुआ हँसकर बोली कि अरे एक बार में ही ढेर हो जाते हैं तेरे पति। फिर माँ बोली कि मेरा भय्या तो दो राउंड से कम में मुझे छोड़ता नहीं है। और मेरे कान खड़े हो गए क्योंकि मैंने मामा जी को भी कई बार माँ के कमरे में छिप कर जाते देखा था। मैं समझ गया कि वो मामा से चुदवाती थीं।
अब राजीव अपनी कमर हल्के से हिलाकर अपना लौड़ा उसकी गाँड़ की दरार में रगड़ रहा था ।मालिनी की भी अब बुर पनिया रही थी और अब राजीव उसकी दोनों चूचियाँ हल्के से दबा रहा था।

मालिनी: आऽऽहहह पापा जी ये हाथ हटाइए ना प्लीज़। और बोली: ओह ये तो बड़ी अजीब बात है । भाई बहन के रिश्ते में भी ये सब सुनकर बड़ा अजीब लग रहा है पापा जी। आपने भी अपनी बहन को कभी बुरी नज़र से देखा है क्या?

राजीव अपना हाथ से उसकी चूचियों से हटाया और उसकी स्कर्ट जो अब घुटनो से ऊपर थी को दबाकर उसकी जाँघों को सहलाने लगा और बोला: बेटी अब जो बताने जा रहा हूँ वो किसी को नहीं मालूम है और आशा करता हूँ कि तुम भी किसी को नहीं बताओगी।

मालिनी अब बहुत उत्तेजित हो चुकी थी सो अपनी कमर को ऐडजस्ट करके लौड़े के ऊपर अपनी बुर रगड़ी और बोली: आऽऽह पापा जी मैं किसी को क्यों बताऊँगी।

राजीव भी उसके लाल चेहरे से उसकी उत्तेजना को भांपकर मन ही मन मुस्कुराया। फिर वह बोला: जब मैं कॉलेज में था तो हॉस्टल में रहता था, एक बार मैं छुट्टियों में अपने गाँव आया और सबको सरप्राइज़ करने के लिये मैं चुपचाप घर में आया। उस समय शाम के आठ बजे थे। मैं पीछे के दरवाज़े से आया और आँगन में आकर सोचा कि एकदम से घर में घुसकर बाबूजी और मॉ को हैरान कर दूँगा। मैंने खिड़की से अंदर झाँका और देखा कि माँ एक कुर्सी पर बैठी स्वेटर बुन रही है और बार बार सामने देख कर मुस्कुरा रही है। मैंने अब दूसरी तरफ़ जाकर देखा कि वो आख़िर क्या देख कर मुस्कुरा रही है। जैसे ही मैंने देखा तो मेरे पैरों के नीचे से मानो ज़मीन खिसक गयी।

मालिनी की छाती अब उत्तेजना से ऊपर नीचे होने लगी थी। उधर उसने महसूस किया कि पापा की उँगलियाँ अब उसकी जाँघों पर काफ़ी आगे पहुँच चुकी थीं और फिर उन्होंने उसके दोनों पैरों को अलग करने के लिए एक हल्का सा दबाव डाला और मालिनी उत्तेजनावश उनको अलग करके पापा की उँगलियों के लिए रास्ता बना दी। अब पापा की उँगलियाँ उसके बुर को पैंटी के ऊपर से सहलाने लगी।

मालिनी: हाऽऽऽऽय ऐसा क्या देखा आपने?

राजीव अपने लौड़े को उसकी गाँड़ में रगड़ते हुए और अब बुर को पैंटी के ऊपर से सहलाते हुए बोला: वहाँ एक दीवान पर बाबूजी लूँगी पहनकर बैठे थे और उनकी गोद में मेरी छोटी बहन डॉली बैठी थी। उसने टॉप और स्कर्ट पहनी थी और वो उस समय ११वीं में पढ़ती थी। बाबूजी के हाथ अपनी प्यारी बेटी की दोनों चूचियों को टॉप के ऊपर से दबा रहे थे। और वह उसकी गरदन को ऐसे ही चूम रहे थे जैसे मैं अभी तुम्हारी गरदन चूम रहा हूँ ।माँ ये देख कर मुस्कुरा रही थी। बाबूजी बोले: बेटी, तुम्हारी चूचियाँ अब काफ़ी बड़ी हो गयी हैं। ये कहते हुए बाबूजी ने उसकी स्कर्ट ऊपर कर दी और उसकी पैंटी उतार दिए। अब वो उसकी नंगी बुर सहलाने लगे।

तभी राजीव ने मालिनी की भी स्कर्ट उठाई और उसकी पैंटी नीचे करने लगा। मालिनी भी उत्तेजना से भरी हुई थी और अपने कमर को उठाकर वो पैंटी उतारने में मदद की। अब राजीव की उँगलियाँ पूरी बुर का नाप ले रही थीं।

मालिनी: आऽऽऽन्ह्ह्ह्ह्ह पापा जी फिर क्या हुआ?

राजीव ने बुर में ३ ऊँगली डालकर उसे उँगलियों से चोदता हुआ बोला: तब डॉली बड़े गर्व से बोली कि बाबूजी पूरे स्कूल में सभी लड़कियाँ बोलती हैं कि मेरे दूध सबसे बड़े हैं। तब माँ बोली कि वो तो होंगे ही आख़िर रोज़ अपने बाबूजी से दबवाती जो है। अब बाबूजी ने उसको अपनी गोद से उतारा और उसके टॉप और ब्रा को उतार दिए और उसकी चूचि पीने लगे। उफ़्फ़ क्या नज़ारा था। मैं तो जैसे पागल ही हो गया था। फिर बाबूजी ने उसकी स्कर्ट ऊपर की और उसको दीवान में लिटा दिया और अपनी लूँगी खोल दी और अपना मोटा लम्बा लौड़ा उसकी बुर में उतार दिया और उसकी ज़बरदस्त चुदाई करने लगे।

मालिनी: आऽऽऽऽह्ह्ह्ह्ह माँ के सामने? और वो बच्ची उनका मोटा वाला ले ली?

राजीव ने अब अपने लौड़े को उसकी गाँड़ पर हिलाते हुए अपनी उँगलियाँ तेज़ी से चलानी शुरू कीं और मालिनी उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ करके ज़ोर ज़ोर से हिलने लगी।

राजीव: हाँ माँ के सामने बाबूजी उसकी बेटी को चोद रहे थे और तभी माँ उठी और आकर बाबूजी के बड़े बड़े बॉल्ज़ को सहलाने लगी। अब बाप बेटी दोनों ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ भरने लगे और झड़ने लगे।
और तभी मालिनी भी उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ पापाआऽऽऽऽऽऽ जीइइइइइइइइ कहकर झड़ने लगी ।राजीव भी उत्तेजित हो चुका था और वह भी उसकी गाँड़ में उसके स्कर्ट के ऊपर अपना रस गिराने लगा।

थोड़ी देर कमरे में दोनों की तेज़ साँसों की आवाज़ के अलावा सन्नाटा था। अब राजीव ने अपनी उँगलियाँ उसकी बुर से निकाली और उनको चूसने लगा। मालिनी थकी सी उसकी गोद में बैठी थी। राजीव: सॉरी बेटी, तुम्हारी स्कर्ट गंदी कर दी मैंने। मैं भी काफ़ी उत्तेजित हो गया था उन पलों को याद करके। इसलिए मैं भी झड़ गया।

मालिनी: आऽऽह पापा जी, मेरा इतना ज़बरदस्त ऑर्गैज़म इसके पहले कभी नहीं हुआ, पता नहीं मुझे क्या हो गया था। ये कहते हुए वह खड़ी हुई और ज़मीन पर पड़ी अपनी पैंटी उठाई। जब वो खड़ी हुई तो राजीव उसके सामने घुटने के बल बैठ गया और बोल: बेटी, आज एक इच्छा पूरी कर दो ना। प्लीज़ अपनी बुर के एक बार दर्शन करा दो।

मालिनी शर्मीली हँसी हंस कर बोली: पापा जी जेसी सबकी होती है वैसे ही मेरी भी है। उसमें ख़ास क्या है?

राजीव ने स्कर्ट उठाया और उसकी बुर उसके सामने थी । वह मस्त हो गया उस फूली हुई कचौरी को देखकर। वह अपना सिर वहाँ घुसाया और उसे चूम लिया।

मालिनी हँसकर: सिर्फ़ देखने की बात हुई थी चूमने की नहीं।

फिर वह उसका सिर हटाई और अपने कमरे में चली गयी। वह सीधे बाथरूम में जाकर अपनी स्कर्ट उतारी और वहाँ सफ़ेद वीर्य का दाग़ देखी तो उसको नाक के पास लाकर सूंघी और फिर जीभ से चाटी। अब वह अपने आप को शीशे में देखी और सोची कि उसे ये क्या हो रहा है। वह कैसे इतनी बदल रही है। उसने आज पापा जी से दो बार अपनी बुर में ऊँगली करवा ली और उनको अपनी बुर भी दिखा दी और उसे चूमने भी दी। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ये सब क्या हो रहा है। वो ऐसे कैसे शिवा को धोका दे सकती है। नहीं नहीं उसे संभलना होगा। ये सब बन्द होना चाहिए। फिर वह सोचने लगी कि शिवा के दादाजी अपनी ही बेटी और बहन को चोदते थे। और उसकी दादी भी अपने भाई से चुदवाती थी। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या ऐसे परिवार भी होते हैं। ये तो सरासर पागलपन है। फिर वह सोची कि अगर ये ग़लत है तो उसे ख़ुद को ये कहानी सुनने में इतना मज़ा क्यों आया? क्यों वह आख़री तक उसे सुनती रही और पापा जी से भी मज़ा लेती रही। उसका सिर घूमने लगा। वह अब कपड़े बदल कर लेट गई और शिवा का इंतज़ार करने लगी।

उधर राजीव अपने कमरे में अपनी आज की सफलता पर बहुत ख़ुश था। उसका कमीना दिमाग़ कह रहा था कि आज उसने बहु के बुर की चुम्मी ली है जल्द ही वह बुर भी लेगा। वह कमिनी मुस्कान के साथ लेटा और फिर सो गया।

मालिनी की आँख खुली तो शाम के ८ बज गए थे, उसने शिवा को फ़ोन किया तो वो बोला कि थोड़ी देर होगी। तभी उसे रीमा की याद आइ ,उसने रीमा को फ़ोन लगाया: हाय रीमा, मैं मिसेस शिवा बोल रही हूँ।

रीमा: ओह, हाँ जी बोलिए। नमस्ते।

मालिनी: नमस्ते। अभी फ़्री हो या बिज़ी हो?

रीमा: नहीं बिज़ी नहीं हूँ, कहिए।

मालिनी: देखो रीमा, आज मुझे शिवा ने सब कुछ बताया जो मुझे काफ़ी परेशान कर गया। क्या सच में तुम्हारे ससुर ने तुमसे ज़बरदस्ती की है?

रीमा: हाँ जी रात भर मेरे साथ बुरा काम किया।

मालिनी: तो तुम पुलिस में इस लिए नहीं जा रही हो कि वो तुमको घर से निकाल देगा और उसकी पेन्शन की रक़म भी नहीं मिलेगी। पर तुम आगे क्या करोगी?

रीमा: मैं क्या कर सकती हूँ। उनको भी नहीं बता सकती हूँ। अब तो ससुर जी अपनी मर्ज़ी करेंगे। और मुझे सहना पड़ेगा।

मालिनी: पर कोई तो रास्ता होगा।

रीमा: मैंने बहुत सोचा पर मुझे कोई रास्ता नहीं दिखा ।

मालिनी: ओह चलो मैं सोचती हूँ फिर बताऊँगी।
फिर मालिनी ने फ़ोन काट दिया। अचानक वो अपनी स्तिथि से उसकी तुलना की और सोची कि उसके ससुर भी तो यही कर रहे हैं। उसकी मजबूरी का फ़ायदा ही तो उठा रहे हैं। पर एक बात है कि वो ज़बरदस्ती बिलकुल नहीं करते। बल्कि उसका ख़याल भी रखते हैं। वो फिर से भ्रम की स्तिथि में आ गयी ।

तभी शिवा आया और वो दोनों बातें करने लगे।
शिवा: जानती हो आज रीमा के बारे में एक नई बात पता चली।

मालिनी: वो क्या? मैं तो अभी उससे बात की है। वो अपने ससुर की शिकायत के लिए तय्यार नहीं हो रही है।

शिवा: अब सुनो एक अजीब बात। थोड़ी देर पहने शीला जो कि रीमा की पक्की सहेली है मेरे पास आइ और बोली: सर आपसे एक प्रार्थना है कि रीमा की बात को यहीं ख़त्म कर दीजिए। मैंने पूछा वो क्यों। वो बोली कि असल में आज वो आवेश में आकर आपको सब बता दी। सच ये है कि उसका ससुर उसे कई दिनों से सिडयूस कर रहा था और वह ख़ुद ही मन ही मन उसे प्यार करने लगी । फिर रात को जब उसने उसे चोद लिया तो वह ग़िल्ट में आकर आपको बोल बैठी कि उसके साथ ज़बरदस्ती हुई है। सच तो ये है कि उसने समर्पण किया है। वो अपने ससुर से भी प्यार करने लगी है और अब वह उसके बिना भी नहीं रह सकती। सिर्फ़ अपराध भावना के वश में उसने आपसे ससुर की शिकायत कर दी थी। तब मैंने भी कह दिया कि वो एक वयस्क महिला है मुझे क्या करना है इन सबसे। चलो अब इस चैप्टर को बंद कर दिया जाए।

शिवा की बात सुनकर मालिनी को लगा कि जैसे ये तो क़रीब उसकी ख़ुद की कहानी हो।उसका सिर चकराने लगा। तो क्या ये सब भी घर घर की दास्ताँ है। क्या जहाँ मौक़ा मिले ससुर बहु के साथ ये सब करता है। और वो पापा जो आज बताए कि बाप बेटी और भाई बहन का रिश्ता भी अब पवित्र नहीं रहा। और आख़िर में रीमा की यह कहानी कि उसे अब ससुर से भी लगाव हो गया है। वो अब दो नावों में सवार है। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या सही है और क्या ग़लत, कोई कैसे फ़ैसला करे।

शिवा: अरे मेरी जान, किस ख़याल में डूब गयी। क्या आज शाम की खुराक नहीं मिलेगी?

मालिनी: आज रात में ही कर लेना। अभी मूड नहीं है। प्लीज़। बुरा तो नहीं मानोगे?

मालिनी आज दो बार पापा की उँगलियों से झड़ चुकी थी।

शिवा उसको प्यार करते हुए: अरे कोई नहीं रात को सही ऐसा भी क्या है। रात में दो राउंड चुदवा लेना , ठीक है ना?

मालिनी हँसती हुई: चाहो तो तीन राउंड कर लीजिएगा।

दोनों हँसने लगे।

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RE: ससुर कमीना और बहू नगीना - by desiaks - 04-09-2017, 04:26 PM

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