RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
अगली सुबह रानी आइ तो तीनों नंगे ही सो रहे थे। महक ने गाउन पहना और दरवाज़ा खोला। उसके निपल्ज़ गाउन में से झाँक रहे थे क्योंकि उसने ब्रा नहीं पहनी थी। रानी मुस्कुरा कर बोली: रात में हंगामा हुआ क्या?
महक: हाँ बहुत हुआ और अभी भी दोनों मर्द नंगे सोए पड़े हैं।
रानी हँसकर किचन में चली गयी और चाय बनाने लगी। महक कमरे में आकर बोली: आप लोग उठो, रानी चाय लाएगी। कुछ पहन लो।
राजीव: अरे उससे क्या पर्दा? वो सब जानती है। फिर वह उठकर बाथरूम में घुसा। तभी कर्नल भी उठ गया। फ़्रेश होकर सब सोफ़े में बैठे चाय पी रहे थे तभी अमिता भी उठ कर आइ और बोली: मुझे क्या हो गया था? मुझे कुछ याद नहीं है।
सब हँसने लगे। राजीव: तुम तो बेहोश हो गयी इसलिए बिचारि महक हम दोनों को रात भर झेलती रही।
अमिता: वाह, तब तो महक को मज़ा ही आ गया होगा।
महक: मेरी गाँड़ बहुत दुःख रही है। मैंने इतने मोटे कभी नहीं लिए।और इन दोनों के तो साँड़ के जैसे मोटे है!
राजीव महक को गोद में खींच कर उसकी गाँड़ को सहला कर बोला: बेटी, दवाई लगा दूँ क्या?
महक: रहने दीजिए, पहले फाड़ दी और अब दवाई लगाएँगे ?
कर्नल: अरे बेटी बहुत टाइट गाँड़ थी, लगता था कि उद्घाटन ही कर रहे हैं। लगता है दामाद बाबू का पतला सा हथियार है।
महक: अंकल आपके सामने तो उनका बहुत पतला है। और सच में मेरी ऐसी ठुकाई कभी नहीं हुई।
राजीव: मतलब मज़ा आया ना हमारी बेटी को? यह कहते हुए उसने उसकी चूचि दबा दी।
महक: जी पापा, मज़ा तो बहुत आया।
कर्नल: यार, तूने अमिता को तो ठोका ही नहीं। दोपहर तक जो करना है कर ले, हम लोग आज वापस जाएँगे।
राजीव: अरे ऐसी भी क्या जल्दी है। कुछ दिन रुको ना।
कर्नल: नहीं यार जाना ही होगा। कुछ ज़रूरी काम है।
फिर रानी ने सबको नाश्ता कराया और कर्नल ने रानी की गाँड़ पर हाथ फेरा और बोला: यार मस्त माल है, पर इसका पेट देखकर लगता है की गर्भ से है।
महक: पापा ने ही इसको गर्भ दिया है, इसका पति तो किसी काम का है ही नहीं।
कर्नल: वह भाई ये तो बढ़िया है। महक, तुम भी रात को ही प्रेगनेंट हो ही गयी होगी। अगर नहीं भी हुई होगी तो अगले ४/५ दिन में तुम्हारे पापा कर ही देंगे।
महक: भगवान करे ऐसा ही हो।
नाश्ता करने के बाद चारों कमरे में घुस गए और इस बार अमिता को राजीव ने और महक को कर्नल ने चोदा। महक के कहने पर राजीव ने भी अपना रस महक की ही बुर में छोड़ा।
दोपहर का खाना खा कर कर्नल और अमिता चले गए। अब राजीव और महक ही थे घर पर। रानी भी चली गयी थी।
अकेले में महक ने अपने कपड़े उतारे और नंगी होकर बिस्तर पर लेट गयी। राजीव हैरान हुआ, पर वह भी नंगा होकर उसके बग़ल में लेट गया। अब महक राजीव से लिपट गयी और बोली: पापा, मैं माँ बन जाऊँगी ना?
राजीव उसे चूमते हुए बोला: हाँ बेटी, ज़रूर बनोगी। पर तुमको जल्दी से जल्दी दामाद बाबू से चुदवाना होगा वरना वह शक करेगा और बच्चे को नहीं अपनाएगा।
महक: पापा, शिवा और मालिनी ४/५ दिन में आ जाएँगे। तब मैं चली जाऊँगी अमेरिका और उससे चुदवा लूँगी । बस आप मुझे रोज़ २/३ बार चोद दीजिए ताकि मेरे गर्भ ठहरने में कोई शक ना रहे। मुझे बच्चा चाहिए हर हाल में।
राजीव उसके कमर को सहला कर बोला: बेटी, तुम्हारी इच्छा भगवान और मैं मिलकर ज़रूर पूरी करेंगे। फिर वह उसकी बुर सहलाने लगा। जल्दी ही वो उसकी चूची चूसने लगा और फिर उसके ऊपर चढ़ कर मज़े से उसे चोदने लगा। वह भी अपनी टाँगें उठाकर उसका लौड़ा अंदर तक महसूस करने लगी। लम्बी चुदाई के बाद वह उसकी बुर में गहराई तक झड़ने लगा। महक भी अपनी बुर और बच्चेदानी में उसके वीर्य के अहसास से जैसे भर गयी थी।
अब यह रोज़ का काम था । रानी के सामने भी चुदाई होती और वह भी मज़े से उनकी चुदाई देखती। रानी लौड़ा चूसकर ही ख़ुश रहती थी। इसी तरह दिन बीते और शिवा और मालिनी भी आ गए। महक सबसे मिलकर अमेरिका के लिए चली गयी।
आज घर में सिर्फ़ राजीव, शिवा और मालिनी ही रह गए। रानी का पेट काफ़ी फूल गया था। वह अपने समय से काम पर आती थी।
अगले दिन सुबह राजीव उठकर सैर पर गया और जब वापस आया तो रानी आ चुकी थी। वह चाय माँगा और तभी वह चौंक गया। मालिनी ने आकर उसके पैर छुए और गुड मॉर्निंग बोली और चाय की प्याली राजीव को दी। राजीव ने देखा कि वह नहा चुकी थी और साड़ी में पूरी तरह से ढकी हुई थी। उसने उसे आशीर्वाद दिया। चाय पीते हुए वो सोचने लगा कि मालिनी के रहते उसे रानी के साथ मज़ा करने में थोड़ी दिक़्क़त तो होगी। वैसे भी वह आजकल सिर्फ़ लौड़ा चूसती थी, चुदाई बंद की हुई थी, डॉक्टर के कहे अनुसार। पता नहीं उसका क्या होने वाला है।
वह जब नहा कर आया तो शिवा भी उठकर तय्यार हो चुका था। मालिनी ने नाश्ता लगाया और सबने नाश्ता किया। रानी ने मालिनी की मदद की। थोड़ी देर में शिवा अपने कमरे में गया और मालिनी भी उसके पीछे पीछे गयी। फिर वह मालिनी को अपनी बाहों में लेकर चूमने लगा और वह भी उससे लिपट गयी।
मालिनी: खाना खाने आओगे ना?
शिवा: अभी तक तो कभी नहीं आया। पापा से पूछ लूँ?
मालिनी: नहीं नहीं, रहने दो। मैं खाना भिजवा दूँगी, आप नौकर भेज दीजिएगा।
शिवा उसको बहुत प्यार किया और फिर बाई कहकर चला गया।
मालिनी ने घर की सफ़ाई शुरू की और रानी से सब समझने लगी। इस चक्कर में रानी भी राजीव से मिल नहीं पा रही थी ।
तभी राजीव ने आवाज़ लगायी अपने कमरे से : रानी आओ और यहाँ को सफ़ाई कर दो।
रानी : जी आती हूँ। ये कहकर वह झाड़ू ले जाकर उसके कमरे ने चली गयी।
राजीव ने उसको पकड़ लिया और उसको चूमते हुए बोला: बहुत तरसा रही हो। फिर उसकी चूचि दबाते हुए बोला : अब तो तेरी चूचियाँ बड़ी हो रही हैं। अब इनमे दूध आएगा ना बच्चा होने के बाद। मुझे भी पिलाओगी ना दूध?
रानी हँसकर बोली: अरे आपको तो पिलाऊँगी ही। आपका ही तो बेटा होगा ना।
अब राजीव बिस्तर पर लेटा और बोला: चलो अब चूसो मेरा लौड़ा।
रानी ने उसकी लूँगी खोली और चड्डी नीचे करके लौड़ा चूसना शुरू किया। क़रीब २० मिनट चूसने के बाद वह उसके मुँह में ही झड़ गया।
मालिनी रानी का इंतज़ार करते हुए टी वी देखने लगी। रानी जब राजीव के कमरे से बाहर आयी तो उसका चेहरा लाल हो रहा था। मालिनी को थोड़ी हैरानी हुई कि ऐसा क्या हुआ कि उसका चेहरा थोड़ा उत्तेजित सा दिख रहा था। फिर वह रानी के साथ खाना बनाने लगी।
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