RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
शादी में अब ३ दिन बचे थे। रिश्तेदार भी आने शुरू हो गए थे। दूर और पास के भाई चचेरा, ममेरा और मौसी और ना जाने कौन कौन आए थे। अब तो किसी को भी फ़ुर्सत नहीं थी। शिवा, महक, रानी और राजीव सभी बहुत व्यस्त हो गए थे ।किसी को चुदाई की याद भी नहीं आ रही थी। शाम तक सभी बहुत थक जाते थे और सो जाते थे। यही हाल सरला , श्याम और मालिनी का भी था। घर मेहमानो से पट गया था।
ख़ैर शादी का दिन भी आ ही गया। सरला अपने परिवार के साथ होटेल में शिफ़्ट हो चुकी थी। वह सब तय्यार होकर दूल्हे और बारात के आने का इंतज़ार करने लगे। मालिनी भी आज बहुत सुंदर लग रही थी,शादी के लाल जोड़े में।
उधर बारात नाचते हुए होटेल के पास आइ और शिवा के दोस्त और रिश्तेदार भी बहुत ज़ोर से नाचने लगे। शिवा फूलों से लदी कार में बैठा था । उसके सामने सभी नाच रहे थे। राजीव सिक्के बरसा रहा था। महक भी भारी साड़ी में मस्ती से नाच रही थी। उसकी चिकनी बग़लें मर्दों को बहुत आकर्षित कर रही थीं। बार बार उसका पल्लू खिसक जाती थी और उसकी भारी छातियाँ देखकर मर्द लौड़े मसल रहे थे। कई लोग नाचने के बहाने उसकी गाँड़ पर हाथ भी फेर चुके थे।
जब बारात बिलकुल होटेल के सामने पहुँची तो सब ज़ोर से नाचने लगे। अब राजीव भी नाचने लगा क्योंकि महक उसको खींच लायी थी । महक पसीने से भीगी हुई थी। उसकी बग़ल की ख़ुशबू राजीव के नथुनों में घुसी और साथ ही उसके बड़े दूध जो नाचने से हिल रहे थे , उसे मस्त कर गए थे। फिर उसे याद आया कि उसे और भी काम हैं, तो वह आगे बढ़कर दुल्हन के परिवार से मिला। उसने सरला को देखा तो देखता ही रह गया। क्या जँच रही थी वह आज। फिर शादी हो गयी और रात भर चली । सुबह के ५ बजे फेरे ख़त्म हुए। और शिवा रोती हुई दुल्हन लेकर अपने घर आ गया।
कई मेहमान तो उसी दिन चले गए। दिन भर महक ने मालिनी का बहुत ख़याल रखा और मालिनी ने दिन में महक के कमरे में ही आराम किया। शाम तक सभी मेहमान चले गए थे। राजीव और महक ने चैन की साँस ली। शिवा और मालिनी दोपहर में आराम किए थे सो फ़्रेश थे।
महक ने एक फ़ोन लगाया और होटेल से एक आदमी आया और शिवा के कमरे को फूलों और मोमबतीयों से सजाया । सुहाग की सेज तय्यार थी और महक ने ख़ुद उसे सजवाया था अपने भाई और भाभी के लिए। रात को खाना खाकर राजीव ने शिवा को एक हीरे की अँगूठी दी और बोला: बेटा , ये अँगूठी बहू को मुँह दिखाई में दे देना। फिर वह अपने कमरे में चले गया। महक मालिनी को लेकर शिवा के कमरे में ले गयी और मालिनी ये सजावट देखकर बहुत शर्मा गयी । महक: चलो भाभी अब मेरे भाई के साथ सुहाग रात मनाओ। ख़ूब मज़े करो। मैं चलती हूँ, ये दूध रखा है पी लेना दोनों। ठीक है ना?
मालिनी ने उसका हाथ पकड़ लिया और बोली: दीदी रुकिए ना, मुझे डर लग रहा है।
महक: अरे पगली , इसमें काहे का डरना। आज की रात तो मज़े की रात है। आज तुम दोनों एक हो जाओगे। ख़ूब प्यार करो एक दूसरे को। अब जाऊँ?
मालिनी शर्माकर हाँ में सिर हिला दी। अब महक बाहर आइ और शिवा को बोली: जाओ अपनी दुल्हन से मिलो और दोनों एक दूसरे के हो जाओ। बेस्ट ओफ़ लक। मेरी बात याद है कि नहीं?
शिवा: जी दीदी याद है। कोशिश करूँगा कि नर्वस ना होऊँ। थोड़ा अजीब तो लग रहा है।
महक ने उसकी पीठ पर एक धौल मारी और बोली: अरे सब बढ़िया होगा, भाई मेरे,अब जाओ। और हँसती हुई अपने कमरे में चली गयी।
शिवा अब अपने कमरे में गया और वहाँ की सजावट देखकर वह भी दंग रह गया। बहुत ही रोमांटिक माहोल बना रखा था दीदी ने । उसने देखा कि मालिनी बिस्तर पर बैठी उसका इंतज़ार कर रही थी। उसने साड़ी के पल्लू से घूँघट सा भी बना रखा था। बिलकुल फ़िल्मी अन्दाज़ में ।
वह बिस्तर पर बैठा और जेब से वो हीरे की अँगूठी निकाली और फिर प्यार से बोला: मालिनी, मेरी जान मुखड़ा तो दिखाओ। ये कहते हुए उसने घूँघट उठा दिया और उसके सामने मालिनी का गोरा चाँद सा मुखड़ा था। वो उसे मंत्रमुग्ध सा देखता रह गया और फिर उसने उसे अँगूठी पहनाई। वह बहुत ख़ुश हुई और थैंक्स बोली।
शिवा: अब तुम बताओ तुम मुझे क्या गिफ़्ट दोगी ?
मालिनी: मैंने आपका घूँघट थोड़े उठाया है जो मैं आपको गिफ़्ट दूँ। यह कहकर वह मुस्कुराई । शिवा भी हँसने लगा।
अब शिवा उसे देखते हुए बोला: मालिनी, वैसे एक गिफ़्ट तो दे ही सकती हो?
मालिनी: वो क्या?
शिवा ने अपने होंठों पर ऊँगली रखी और बोला: एक पप्पी अपने कोमल होठों की।
मालिनी शरारत से मुस्कुराकर बोली: पहली बात कि आपको कैसे पता कि मेरे होंठ कोमल हैं? और फिर क्या सिर्फ़ एक पप्पी लेंगे? वो भी सुहाग रात में?
दोनों ज़ोर से हँसने लगे। अब शिवा ने मालिनी को पकड़ा और ख़ुद बिस्तर पर लुढ़क गया और साथ में उसे भी अपने ऊपर लिटा लिया। अब दोनों के होंठ आमने सामने थे।
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