चुद गयी नौकरनी मुझसे
04-05-2017, 02:36 PM,
#1
चुद गयी नौकरनी मुझसे
दोसतोन, लदकि को सेदुसे करके चोदने मेन बदा मज़ा आता है। बस सेदुसे करने का तरीका थीक होना चहिये। मैने अपनि घर कि नौकरनि को ऐसे हि सेदुसे कर खूब चोदा। अब सुनो उसकि दसतान। मेरा नाम है वहि आपका अपना जना पेहचना "होमे अलोने" अमित। मेरे घर मेन उल ज़लूल नौकरनियोन के काफ़ि अरसे बाद एक बहुत हि सुनदर और सेक्सी नौकरनि काम पर लगी। 22-23 साल कि उमर होगि। सवलान सा रनग था। मेदिउम हेघत कि और सुदौल बदन, फ़िगुरे उसका रहा होगा 33-26-34। शादि शुदा थि। उसका पति कितना किसमत वला था, साला खुब चोदता होगा।

बूबस यानि चुचियन ऐसि कि बस दबा हि दलो। बलौसे मेन समता हि नहि था। कितनि भि सारि से वोह धकति, इधर उधर से बलौसे से उभरते हुए उसकि चुचियन दिख हि जाति थि। झरु लगते हुए, जब वह झुकति, तब बलौसे के उपर से चुचियोन के बीच कि दरर को चुपा ना सकति। एक दिन जब मैने उसकि इस दरर को तिरचि नज़र से देखा तो पता लगा कि उसने बरा तो पेहना हि नहि था। कहन से पहनति, बरा पर बेकर पैसे कयोन खरच किये जैये। जब वोह थुमकति हुइ चलति, तो उसके चुतर हिलते और जैसे केह रहे होन कि मुझे पकदो और दबओ। अपनि पतलि सि सोत्तोन कि सरी जब वोह समभलति हुइ सामने अपने बुर पर हाथ रखति तो मन करता कि काश उसकि चूत को मैन चू सकता। कररि, गरम, फुलि हुइ और गिलि गिलि चूत मेन कितना मज़ा भरा हुअ था। काश मैन इसे चुम सकता, इसके मम्मे दबा सकता, और चुचियोन को चूस सकता। और इसकि चूत को चुसते हुए जन्नत का मज़ा ले सकता।

और फिर मेरा तना हुए लौरा इसकि बुर मेन दाल कर चोद सकता। है मेरा लुनद ! मानता हि नहिन था। बुर मेन लुनद घुसने के लिये बेकरर था। लेकिन कैसे। येह तो मुझे देखति हि नहि थि। बस अपने काम से मतलब रखति और थुमकति हुइ चलि जाति। मैने भि उसे कभि एहसास नहि होने दिया कि मेरि नज़र उसे चोदने के लिये बेताब है। अब चोदना तो था हि। मैने अब सोच लिया कि इसे सेदुसे करना हि होगा। धिरे धिरे सेदुसे करना पदेगा वरना कहिन मचल जये या नरज़ हो जैये तो भनदा फूत जयेगा। मैने उस्से थोदि थोदि बातेन करना शुरु किया। उसका नाम था आरति। एक दिन सुबह उसे चै बनने को कह। चै उसके नरम नरम हथोन से जब लिया तो लुनद उछला। चै पीते हुए कहा, “आरति, चै तुम बहुत अस्सह्हा बना लेति हो”। उसने जवब दिया, “बहुत अस्सह्हा बबुजि।” अब करिब करिब रोज़ मैन चै बनवता और बधै करता। फिर मैने एक दिन सोल्लेगे जाने के पेहले अपनि शिरत परेस्स करवै। “आरति तुम परेस्स भि अस्सह्हा हि कर लेति हो।”

“थीक है बबुजि,” उसने पयरि सि अवज़ मेन कहा। जब कोइ नहि होता, तब मैन उस्से इधर उधर कि बातेन करता। जैसे, “आरति, तुमहरा आदमि कया करता है ?” “सहब, वोह एक मिल्ल मैन नौकरि करता है।”“कितने घनते कि दुती होति है ?” मैने पुचा। “सहब, 10-12 घनते तो लग हि जाते हैन। कभि कभि रात को भि दुती लग जाति है।” “तुमहरे बछे कितने हैन ?” मैने फिर पुचा। शरमाते हुए उसने जवब दिया, “अभि तो एक लदकि है, 2 साल कि।” “उसे कया घर मेन अकेला चोर कर आति हो ?” मैन पुचता रहा। “नहि, मेरि बूधि सास है ना। वोह समभाल लेति है।” “तुम कितने घरोन मेन काम करति हो ?” मैने पूचा। “सहब, बस आपके और एक निचे घर मेन।” मैने फिर पूचा, “तो कया तुम दोनो का कम तो चल हि जता होगा।” “सहब, चलता तो है, लेकिन बदि मुशकिल से। मेरा आदमि शराब मेन बहुत पैसे बरबद कर देता है।” अब मैने एक हिनत देना उचित समझा। मैने समभलते हुए कहा, “थीक है, कोइ बात नहि। मैन तुमहरि मदद करूनगा।” उसने मुझे अजिब सि नज़र से देखा, जैसे पूच रहि हो – कया मतलब है अपका। मैने तुरनत कहा, “मेरा मतलब है, तुम अपने आदमि को मेरे पास लयो, मैं उसे समझऊनगा।” “थीक है सहब,” केहते हुए उसने थनदि सनस भरि।

इस तरह, दोसतोन मैने बतोन का सिलसिला काफ़ि दिनो तक जारि रखा और अपने दोनो के बीच कि झिझक को मितया। एक दिन मैने शररत से कहा, “तुमहरा आदमि पगल हि होगा। अर्रे उसे समझना चहिये। इतनि सुनदर पतनि के होते हुए, शर्रब कि कया ज़रूरत है।” औरत बहुत तेज़ होति है दोसतोन। उसने कुच कुच समझ तो लिया था लेकिन अभि अहसास नहि होने दिया अपनि ज़रा सि भि नरज़गि का। मुझे भि ज़रा सा हिनत मिला कि ये तसविर पर उतर जयेगि। मौका मिले और मैन इसे दबोचुन। चुदवा लेगि। और अखिर एक दिन ऐसा एक मौका लगा। केहते हैन उपर वले के यहन देर है लेकिन अनधेर नहिन। रविवर का दिन था। पूरि फ़मिली एक शादि मैन गये थि।मैने पदै के लोस्स के वजह बतकर नहि गया।केह कर गयी थि “आरति आयेगि, घर का काम थिक से करवा लेना।”

मैने कहा, “थीक है,” और मेरे दिल मेन लद्दो फुतने लगे और लौरा खरा होने लगा। वोह आयी, दरवज़ा बनद किया और काम पर लग गयी। इतने दिन कि बतचीत से हुम खुल गये थे और उसे मेरे उपर विशवस सा हो गया था इसि लिये उसने दरवज़ा बनद कर दिया था। मैने हमेशा कि तरह चै बनवै और पिते हुए चै कि बधै कि। मन हि मन मैने निसचय किया कि आज तो पहल करनि हि पदेगि वरना गादि चुत जयेगि। कैसे पहल करे ? आखिर मेन खयल आया कि भै सबसे बदा रुपैया। मैने उसे बुलया और कहा, “आरति, तुमहे पैसे कि ज़रूरत हो तो मुझे ज़रूर बतना। झिझकना मत।” “सहब, आप मेरि तनखा कात लोगे और मेरा आदमि मुझे दनतेगा।” “अर्रे पगलि, मैन तनखा कि बात नहि कर रहा। बस कुच और पैसे अलग से चहिये तो मैन दूनगा मदद के लिये। और किसि को नहि बतऊनगा। बशरते तुम भि ना बतओ तो।” और मैन उसके जवब का इनतेज़र करने लगा। “मैन कयोन बतने चलि। आप सच मुझे कुच पैसे देनगे ?” उसने पूचा।

बस फिर कया था। कुदि पत गयी। बस अब आगे बधना था और मलै खानि थि। “ज़रूर दूनगा आरति। इस्से तुमहे खुशि मिलेगि ना,” मैने कहा। “हान सहब, बहुत अराम हो जयेगा।” उसने इथलाते हुए कहा। अब मैने हलके से कहा, “और मुझे भि खुशि मिलेगि। अगर तुम भि कुच ना कहो तो। और जैसा मैन कहून वैसा करो तो ? बोलो मनज़ूर है ?” येह केहते हुए मैने उसे 500 रुपै थमा दिये। उसने रुपै तबले पर रखा और मुसकुरते हुए पूचा, “कया करना होगा सहब ?” “अपनि आनखेन बनद करो पेहले।” मैन केहते हुए उसकि तरफ़ थोदा सा बधा, “बस थोदि देर के लिये आनखेन बनद करो और खरि रहो।”
उसने अपनि आनखेन बनद कर लि। मैने फिर कहा, “जब तक मैन ना कहून, तुम आनखेन बनद हि रखना, आरति। वरना तुम शरत हार जयोगि।” “थिक है, सहब,” शरमते हुए आनखेन बनद कर वोह खरि थि। मैने देखा कि उसके गाल लाल हो रहे थे और होथ कानप रहे थे। दोनो हथोन को उसने सामने अपनि जवन चूत के पास समेत रखा था।

मैने हलके से पेहले उसके माथे पर एक चोता सा चुमबन किया। अभि मैने उसे चुअ नहिन था। उसकि आनखेन बनद थि। फिर मैने उसकि दोनो पलकोन पर बारि बारि से चुमबन रखा। उसकि आनखेन अभि भि बनद थि। फिर मैने उसके गालोन पर आहिसता से बारि बारि से चूमा। उसकि आनखेन बनद थि। इधर मेरा लुनद तन कर लोहे कि तरह खरा और सखत हो गया था। फिर मैने उसकि थोदि (चिन) पर चुमबन लिया। अब उसने आनखेन खोलि और सिरफ़ पुचते हुए कहा, “सहब ?” मैने कहा, “आरति, शरत हार जयोगि। आनखेन बनद।” उसने झत से आनखेन बनद कर लि। मैन समझ गया, लदकि तैयर है, बस अब मज़ा लेना है और चुदै करनि है।

मैने अब कि बार उसके थिरेकते हुए होथोन पर हलका सा चुमबन किया। अभि तक मैने चुअ नहि था उसे। उसने फिर आनखेन खोलि और मैने हाथ के इशहरे से उसकि पलकोन को फिर धक दिया। अब मैन आगे बधा, उसके दोनो हथोन को सामने से हता कर अपनि कमर के चरोन तरफ़ घुमया और उसे अपनि बहोन मेन समेता और उसके कानपते होथोन पर अपने होथ रख दिये और चूमता रहा। कस कर चूमा अबकि बार। कया नरम होथ थे मनो शराब के पयले। होथोन को चूसना शुरु किया और उसने भि जवब देना शुरु किया। उसके दोनो हाथ मेरि पीथ पर घुम रहे थे और मैन उसके गुलबि होथोन को खुब चूस चूस कर मज़ा ले रहा था। तभि मुझे महसूस हुअ कि उसकि चुचियन जो कि तन गयी थि, मेरे सिने पर दब रहि हैन। बयेन हाथ से मैन उसकि पीथ को अपनि तरफ़ दबा रहा था, जीभ से उसकि जीभ और होथोन को चूस रहा था, और दयेन हाथ से मैने उसकि सरी के पल्लू को निचे गिरा दिया।

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