प्यारी भाभी
04-04-2017, 08:41 PM,
#2
RE: प्यारी भाभी
उनदेर से भभि के करहने कि अवज़ के सथ सथ फुच।।फुच।।फुच जैसि अवज़ भि आ रहि थि जो मैन समझ नहिन सका।बहर खरे हुए मैन अपने आप को सोनत्रोल नहिन कर सका और मेरा लुनद झर गया। मैन जलदि से वपस आ कर अपने बिसतर पर लैत गया। अब तो मैन रात दिन भभि को चोदने के सपने देखने लगा। मैने आज तक किसि लदकि को नहिन चोदा था लेकिन चुदै कि कला से भलि भनति परिचित था। मैने एनगलिश कि बहुत सि गनदि विदेओ फ़िलमस देख रखि थि और हिनदि तथा एनगलिश के कयि गनदे नोवेल भि परहे थे। मैन अकसर कलपना करने लगा कि भभि बिलकुल ननगि होकर कैसि लगति होगि। जितने लुमबे और घने बाल उनके सिर पर थे ज़रूर उतने हि घने बाल उनहि चूत पर भि होनगे। भैया भभि को कोन कोन सि मुदरावँ मेन चोदते होनगे। एकदुम ननगि भभि तनगेन फैलै हुए चुदवने कि मुदरा मेन बहुत हि सेक्सी लगति होगि। यह सुब सोच कर मेरि भभि के लिये कम वसना दिन परतिदिन बरहति जा रहि थि।

मैन भि लुमबा तगरा अदमि हुन। कद करिब 6 फ़ूत है। अपने सोल्लेगे का बोदी बुइलदिनग का चमपिओन हुन। रोज़ दो घनते कसरत और मालिश करता हुन। लेकिन सुबसे खस चीसे है मेरा लुनद। धीलि अवसथा मेन भि 8 इनच लुमबा और 3 इनच मोता किसि हथोरे के मफ़िक लतकता रेहता है। यदि मैन उनदेरवेअर ना पहनुन तो पनत के उपर से भि उसका अकर साफ़ दिखै देता है। खरा हो कर तो उसकि लुमबै करीब 10 इनच और मोतै 4इनच हो जति है। एक दोसतोर ने मुझे बतया था कि इतना लुमबा और मोता लुनद बहुत कम लोगोन का होता है। मैन अकसर वरनदह मेन अपनि लुनगि को घुतनोन तक उथा कर बैथ जता था और नेवसपपेर परहने का नतक करता था। जब भि कोइ लदकि घर के समने से निकलति, मैन अपनि तनगोन को थोरा सा इस परकर से चौरा करता कि उस लदकि को लुनगि के उनदेर से झनकता हुअ लुनद नज़र आ जये। मैने नेवसपपेर मेन छोता सा छेद कर रखा था। नेवसपपेर से अपना चेहरा छुपा कर उस छेद मेन से लदकि कि परतिकरिया देखने मेन बहुत मज़ा आता था। लदकिओन को लगता था कि मैन अपने लुनद कि नुमैश से बेखबर हुन। एक भि लदकि ऐसि ना थि जिसने मेरे लुनद को देख कर मुनह फेर लिया हो। धीरे धीरे मैन शदिशुदा औरतोन को भि लुनद दिखने लगा कयोनकि उनहेन हि लुमबे ,मोते लुनद का महतवा पता था।

एक दिन मैन अपने कमरे मेन परह रहा था कि भभि ने अवज़ लगै,

" रमु, ज़रा बहर जो कपरे सूख रहे हैन उनहेन उनदेर ले आओ। बरिश आने वलि है।"

" अछा भभि!" मैन कपरे लेने बहर चला गया। घने बदल छये हुए थे, भभि भि जलदि से मेरि हेलप करने आ गयि। दोरि पर से कपरे उतरते समय मैने देखा कि भभि कि बरा और कछि भि तनगि हुइ थि। मैने भभि कि बरा को उतर कर सिज़े परह लिया; सिज़े था 38स। उसके बाद मैने भभि कि कछि को हाथ मेन लिया। गुलबि रनग कि वो कछि करीब करीब परदरशि थि और इतनि छोति सि थि जैसे किसि दस साल कि बछि कि हो। भभि कि कछि का सपरश मुझे बहुत अननद दे रहा था और मैन मन हि मन सोचने लगा कि इतनि छोति सि कछि भभि के विशल नितमबोन और चूत को कैसे धकति होगि। शयद येह कछि भभि भैया को रिझने के लिये पहनति होगि। मैने उस छोति सि कछि को सूनघना शुरु कर दिया तकि भभि कि चूत कि कुछ खुशबू पा सकुन। भभि ने मुझे करते हुए देख लिया और बोलि

" कया सूनघ रहे हो रमु ? तुमहरे हाथ मेन कया है?"

मेरि चोरि पकरि गयि थि। बहना बनते हुए बोला

" देखो ना भभि ये छोति सि कछि पता नहिन किसकि है? येहन कैसे आ गयि।"

भभि मेरे हाथ मेन अपनि कछि देख कर झेनप गयि और छीनति हुइ बोलि

" लाओ इधेर दो।"

"किसकि है भभि ?" मैने अनजान बनते हुए पूचा।

" तुमसे कया मतलब, तुम अपना काम करो" भभि बनवति गुस्सा दिखते हुए बोलि।

"बता दो ना । अगर पदोस वलि बछि कि है तो लोता दुन।

" जी नहिन, लेकिन तुम सूनघ कया रहे थे?"

"अरे भभि मैन तो इसको पहनने वलि कि खुशबू सूनघ रहा था। बरि मदक खुशबू थि। बता दो ना किसकि है?’

भभि का चेहरा ये सुन कर शरम से लाल हो गया और वोह जलदि से उनदेर भाग गयि।

उस रात जब वोह मुझे परहने आई तो मैने देखा कि उनहोनेन एक सेक्सी सि निघतिए पहन रखि थि। निघतिए थोदि सि परदरशि थि। भभि जब कुछ उथने के लिये नीचे झुकि तो मुझे साफ़ नज़र आ रहा था कि भभि ने निघतिए के नीचे वोहि गुलबि रनग कि कछि पहन रखि थि। झुकने कि वजह से कछि कि रूप रेखा साफ़ नज़र आ रहि थि।मेरा अनदज़ा सहि था। कछि इतनि छोति थि कि भभि के भरि नितमबोन के बीच कि दरर मेन घुसि जा रहि थि। मेरे लुनद ने हरकत करनि शुरु कर दि। मुझसे ना रहा गया और मैन बोल हि परा,

"भभि अपने तो बतया नहिन लेकिन मुझे पता चल गया कि वो छोति सि कछि किसकि थि।"

" तुझे कैसे पता चल गया?" भभि ने शरमते हुए पूचा।

" कयोनकि वोह कछि आपने इस वकत निघतिए के नीचे पहन रखि है।"

" हुत बदमश! तु ये सुब देखता रहता है?"

" भभि एक बात पूछुन? इतनि छोति सि कछि मेन आप फ़ित कैसे होति हैन?" मैने हिम्मत जुता कर पूछ हि लिया।

" कयोन मैन कया तुझे मोति लगति हुन?"

" नहिन भभि, आप तो बहुत हि सुनदेर हैन। लेकिन आपका बदन इतना सुदोल और गथा हुअ है, आपके नितमब इतने भरि और फैले हुए हैन कि इस छोति सि कछि मेन समा हि नहिन सकते। आप इसे कयोन पहनति हैन? यह तो आपकि जयदाद को छुपा हि नहिन सकति और फिर यह तो परदरशि है , इसमे से तो आपका सुब कुछ दिखता होगा।"

" चुप नलयक, तु कुछ ज़यदा हि समझदर हो गया है। जब तेरि शादि होगि ना तो सुब अपने आप पता लग जयेगा। लगता है तेरि शादि जलदि हि करनि होगि, शैतन होता जा रहा है।"

" जिसकि इतनि सुनदेर भभि हो वोह किसि दूसरि लदकि के बारे मेन कयोन सोचने लगा?"

" ओह हो! अब तुझे कैसे समझावँ? देख रमु, जिन बातोन के बारे मेन तुझे अपनि बिवि से पता लग सकता है और जो चीसे तेरि बिवि तुझे दे सकति है वोह भभि तो नहिन दे सकति ना? इसि लिये कह रहि हुन शादि कर ले।"

" भभि ऐसि कया चीसे है जो सिरफ़ बिवि दे सकति है और आप नहिन दे सकति" मैने बहुत अनजान बनते हुए पूचा। अब तो मेरा लुनद फनफनने लगा था।

" मैन सुब समझति हुन चलाक कहिन का! तुझे सुब मलूम है फिर भि अनजान बनता है" भभि लजते हुए बोलि। " लगता है तुझे परहना लिखना नहिन है, मैन सोने जा रहि हुन।"

" लेकिन भैया ने तो आपको नहिन बुलया" मैने शररत भरे सवर मेन पूचा। भभि जबब मेन सिरफ़ मुसकुरते हुए अपने कमरे कि ओर चल दि। उनकि मसतनि चाल, मतकते हुए भरि नितमब और दोनो चुत्रोन के बीच मेन पिस रहि बेचरि कछि को देख कर मेरे लुनद का बुरा हाल था।

अगले दिन भिया के ओफ़्फ़िसे जने के बाद भभि और मैन वरनदह मेन बैथे चाय पी रहे थे। इतने मेन समने सरक पर एक गुय गुज़रि। उसके पीचे पीचे एक भरि भरकुम सानद हुनहर भरता हुअ आ रहा था। सानद का लुमबा मोता लुनद नीचे झूल रहा था। सानद के लुनद को देख कर भभि के माथे पर पसीना छलक अया। वोह उसके लुमबे तगरे लुनद से नज़रेन ना हता सकि। इतने मेन सानद ने जोर से हुनकर भरि और गुय पर चरह कर उसकि योनि मेन पूरा का पूरा लुनद उतर दिया। यह देख कर भभि के मुनह से सिसकरि निकले गयि। वोह सानद कि रास लीला और ना देख सकि और शरम के मारे उनदेर भाग गयि। मैन भि पीचे पीचे उनदेर गया। भभि कितचेन मेन थि। मैने बहुत हि भोले सवर मेन पूचा

" भभि वोह सानद कया कर रहा था?"

" तुझे नहिन मलूम?" भभि ने झूता गुस्सा दिखते हुए कहा।

" तुमहरि कसम भभि मुझे कैसे मलूम होगा ? बतैये ना।" हलनकि कि भभि को अछि तरह पता था कि मैन जान कर अनजान बुन रहा हुन लेकिन अब उसे भि मेरे साथ ऐसि बातेन करने मेन मज़ा आने लगा था। वोह मुझे समझते हुए बोलि

" देख रमु, सानद वोहि काम कर रहा था जो एक मरद अपनि बिवि के साथ शादि के बाद करता है।"

" आपका मतलब है कि मरद भि अपनि बिवि पर ऐसे हि चरहता है?"

" है रम! कैसे कैसे सवल पूचता है। हान और कया ऐसे हि चरहता है।"

" ओह! अब समझा, भैया आपको रात मेन कयोन बुलते हैन।"

" चुप नलयक, ऐसा तो सभि शादिशुदा लोग करते हैन।"

" जिनकि शादि नहिन हुइ वोह नहिन कर सकते?"

" कयोन नहिन कर सकते? वोह भि कर सकते हैन, लेकिन…।।" मैन तपक से बीच मेन हि बोल परा

" वाह भभि तुब तो मैन भि आप पर छरह……।।" भभि एकदुम मेरे मुनह पर हाथ रख कर बोलि " चुप, जा येहन से और मुझे काम करने दे।" और यह कह कर उनहोनेन मुझे कितचेन से बहर धकेल दिया।

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