RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
"माल है माल...पकड़ ले..."एक लड़की जब स्टेज की तरफ आ रही थी तो भीड़ मे से एक लड़के की आवाज़ आई और तब मुझे मालूम चला कि मैने जो बक्चोदि फर्स्ट एअर मे की थी वो सामने से देखने मे कैसी लगती है और मैं शॉक तब हुआ, जब किसी एक ने भी उसकी तरफ ध्यान नही दिया, इसलिए मैने सोचा कि जब सब झेल रहे है तो मुझे क्या...इसलिए मैं भी चुप रहा....लेकिन अब हर बार जब भी कोई लड़की स्टेज की तरफ बढ़ती तो मुझे उसका कॉमेंट सुनाई देता.....
"अपने आम थमा दे स्टेज वाले को..."एक बार वो लड़का फिर चिल्लाया और मेरा माथा अबकी बार घूम गया....
"ओये तू बाजू हट तो थोड़ा..."स्टेज पर अपना इंट्रो देनी आई लड़की को साइड करके मैं उस लड़के की तरफ इशारा किया"खड़े हो बे..."
"क्या हुआ....लड़की को देखते ही उड़ने लगे क्या...
"ये है कौन बे...."उस लौन्डे को मुझसे इस तरह बात करते देख मैं चकराया"फर्स्ट एअर का लगता नही और फाइनल एअर का ये है नही...पक्का बीच का होगा...."
"बेटा, सम्भल जाओ.. जितने तुझे नाम याद नही होंगे ना उससे ज़्यादा मुझे क़ुतोएस याद है...ऐसा लगा-लगा कर तुझ पर चिप्काउन्गा कि कल से आवाज़ नही निकलेगी...बाइ दा वे, तू है कौन..."
"मैं....मैं कलेक्टर का बेटा हूँ..."
"कलेक्टर....टिकेट कलेक्टर ? या फिर कबाड़ी कलेक्टर."
उस लौन्डे के कलेक्टर बोलते ही मैं समझ गया था कि वो किस कलेक्टर की बात कर रहा है, लेकिन उसको उसी की लॅंग्वेज मे जवाब देते हुए मैने कहा
"मैं तुझसे पुछा कि तू कौन है...ना कि तेरा बाप कौन है."
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मेरे ऐसा कहने के साथ ही कुच्छ देर पहले तक हँसी-खुशी वाला महॉल अब सन्नाटे मे समाने लगा....मेरा क्या था, मैं तो स्टेज मे खड़ा था लेकिन दिक्कत उस लड़के को हुई, जब सब उसकी तरफ देखने लगे.....एश ने मेरी उंगली मरोड़ कर मुझे इनडाइरेक्ट्ली समझाया कि मैं रुक जाउ...लेकिन पाला अब खिच चुका था, इसलिए वापस आने का तो सवाल ही पैदा नही होता और वैसे भी वो बीसी कुच्छ ज़्यादा ही हवा मे उड़ रहा था,जो कि मुझे बिल्कुल भी पसंद नही था और वैसे भी जब मैं सामने रहूं तो सामने वाली की पसंद - नापसंद कोई मायने नही रखती...उसे वही स्वीकारना पड़ता है, जो मुझे पसंद हो.....
"वॉल्टार का एक सिद्धांत है' ये हो सकता है कि मैं तुम्हारी बात से असहमत रहूं, लेकिन तुम्हे अपनी बात कहने का अवसर मिले...उस अवसर के लिए मैं अपनी गर्दन कटा सकता हूँ'....इसलिए तू अभी के लिए मुझे वॉल्टार मान ले और मैं तुझे स्टेज पर आकर सबके सामने अपनी बात रखने का तुझे सॉलिड अवसर देता हूँ....चल आजा..."
मेरे स्टेज पर आने के इन्विटेशन से वो लड़का सकपका गया और मुझे आँखे दिखाते हुए वापस अपनी जगह पर बैठ गया....
"क्यूँ ,फट गयी क्या....अबकी बार यही छोड़ दे रहा हूँ लेकिन अब तू शांत नही हुआ तो नेक्स्ट टाइम बाहर तक छोड़ कर आउन्गा..."
प्रोग्राम फिर से शुरू हुआ और वो लड़का कुच्छ देर तक शांत रहा...लेकिन फिर पता नही उसकी ,उसके आस-पास बैठे लड़को से क्या बात हुई...जो वो फिर से भौकने लगा....एश ने मुझे इशारो से कहा कि मैं उसे इग्नोर करू....लेकिन मुझसे ये ज़्यादा देर तक नही हुआ और मैने फिर से उसे खड़ा किया...लेकिन अबकी बार नज़ारा पहली बार से कुच्छ अलग था, क्यूंकी इस बार उस लड़के के साथ उसके 4-5 दोस्त भी खड़े हो गये थे....
"देखो...मैने तुम्हारा नाम बहुत सुना है, लेकिन मैं ना तो तुम्हारी इज़्ज़त करता हूँ और ना ही तुमसे डरता हूँ...वैसे भी डरना किस बात का...जो कभी खुद अकेले ना आकर अपनी पूरी पल्टन को लेकर आता है....अब कुच्छ बोल, यदि दम है तो...."
पहले तो मेरा दिल की किया कि लवडे के मुँह मे लवडा दे दूं...लेकिन फिर ख़याल आया कि मैं अभी स्टेज पर आंकरिंग कर रहा हूँ और पब्लिक भी मेरी साइड है...इसलिए गंदे शब्दो का इस्तेमाल तो बिल्कुल भी नही......
"तुझे मैने पहले भी कहा था कि मुझसे तू नही जीत सकता...क्यूंकी जितने तुझे नाम याद नही होंगे उससे ज़्यादा मुझे कोट्स याद है और तूने अभी क्या कहा कि तू ना तो मेरी इज़्ज़त नही करता है और ना ही मुझसे डरता है...तो सुन बे चुन्निलाल, मेरी पॉप्युलॅरिटी ,तेरी इज़्ज़त की मोहताज़ नही है और अब जो मैं तेरे साथ करने वाला हूँ, उससे मेरा डर अपने आप तेरे अंदर पैदा हो जाएगा....खड़े हो जाओ बे..."
आँखो से इशारा करते हुए मैने अरुण को कुच्छ कहा, जिसके बाद भक-भका के लगभग वहाँ मौज़ूद लड़को मे से एक तिहाई लड़के खड़े हो गये.....
"इतने लड़को के साथ तो कोई भी वहाँ दूर स्टेज मे रहकर ऐसे डींगे मार सकता है....इससे मेरे अंदर डर कैसे पैदा होगा..."
"वॉल्टार का मैने तुझे एक सिद्धांत तो सुना दिया लेकिन मार खाने से पहले वॉल्टार का दूसरा सिद्धांत भी सुनता जा और वो ये है कि' हम सभी ने अपनी कामयाबी की कीमत चुकाई है'....मायने ये नही रखता कि तुम कैसे करते हो, मायने ये रखता है कि तुम क्या करते हो...निकालो सालो को यहाँ से और दो-दो झापड़ मारकर घर वापस भेज दो और इनके चेहरे पर एक निशान ज़रूर देना, कॉम्प्लेमेंट्री के तौर पर....."
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कंट्री क्लब मे इतना बड़ा हंगामा खड़ा होगा, ये किसी ने नही सोचा था और ना ही मैने....क्यूंकी जितने हंगामा खड़ा करने वाले लड़के थे, उन्होने तो इस फंक्षन का बहिस्कार कर दिया था....ये कलेक्टर का लौंडा इस कहानी मे नया ट्विस्ट था...फिलहाल तो मैने उस ट्विस्ट का ट्विस्टी बनाया और खा गया, लेकिन इसकी डकार मुझपर बहुत भारी पड़ने वाली थी और पड़ी भी.....
उन चारो-पाँचो को बाहर खदेड़ कर मेरे लौन्डे वापस अपनी जगह पर बैठ गये, तब मैं आगे बोला....
"मैं कुच्छ बोलता नही ,इसका मतलब ये नही कि मैं कुच्छ जानता नही.मैं इसलिए कुच्छ नही बोलता क्यूंकी मैं कुच्छ बोलने की अपेक्षा कुच्छ करने मे यकीन रखता हूँ...इसलिए यदि उस जैसा कोई और है तो सविनय नम्र निवेदन है कि यहाँ से जाने की महान कृपा करे !
आपका आग्यकारी सहपाठी
-अरमान "
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फ्रेशर्ज़ के इंट्रोडक्षन चॅप्टर के क्लोज़ होने के बाद मुझे और एश को कुच्छ समय के लिए आराम मिला और स्टेज दूसरो से संभाला...
"आज कॉलेज के सारे स्टूडेंट्स छत्रपाल सर को बुरा-भला कह रहे होंगे कि उन्होने तुम्हे आंकरिंग क्यूँ करने के लिए कहा..."स्टेज से बाहर आकर जब मैं पानी पी रहा था तो एश ने कहा...
"बुरा-भला.... बल्कि सब तो छत्रपाल को सौ साल जीने की दुआ दे रहे होंगे कि उसने ज़िंदगी मे पहली बार कोई फाडू काम किया....अभी तो ये शुरुआत है, आगे देखना रात को मेरी पर्फॉर्मेन्स के बाद ये सब मेरे फॅन ना हो जाए तो कहना और फंक्षन ख़तम होते तक ये सारे मेरे एक ऑटोग्राफ के लिए आपस मे मारा-मारी करेंगे"बोलकर मैं पानी वाले बॉटल का मुँह रोटेट करते हुए अपने मुँह के सामने लाया और पूरी बॉटल गटक गया......
"जानेमन, चेक करके बता तो...मेरे मुँह से दारू की बू आ रही है क्या...."अपना मुँह फाड़ते हुए मैने पुछा....
"कुच्छ तो शरम करो...तुम मुझसे ऐसी बात कैसे कर सकते हो..."
"क्यूंकी मैं ऐसी ही बात करता हूँ..."
"मुझे आज नही आना चाहिए था, पूरा मन उतार गया यहाँ आकर..."एश मायूस होते हुए बोली और अपना सर पकड़कर एक चेयर पर बैठ गयी....
"चल फिर तुझे घर छोड़ कर आता हूँ..."मैने एश का हाथ पकड़ा और उसे खड़ा करते हुए बोला...
"हाथ छोड़ो मेरा....ज़रा सी भी अकल नही है क्या, मैं तो ऐसे ही मज़ाक मे कह रही थी..."
"तो मैं कौन सा सीरीयस था "
"फाइन....अब ना तो तुम मुझसे बात करना और ना ही मैं तुमसे बात करूँगी....ओके..."मुझे आँखे दिखाते हुए एश खड़ी हुई और वहाँ से जाने लगी...
"ओके....काहे का ओके, अरे रुक...हुआ क्या, ये तो बता जा...."लेकिन एश नही रुकी और स्टेज के पिछवाड़े से स्टेज के अग्वाडे मे बैठे अपने फ्रेंड्स के साथ खो गयी और मैं स्टेज के पिछवाड़े मे खड़ा होकर यही सोचता रहा कि 'अब,मैने क्या किया '
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"हट बीसी, पूरा मूड खराब हो गया...अब जाकर अरुण के साथ दारू पीता हूँ. लेकिन लवडा वो दिख नही रहा कही....ज़रूर किसी लड़की को सोचकर किसी कोने मे मूठ मार रहा होगा... "
ये सोचकर एश की तरह मैं भी स्टेज के पिछवाड़े से अग्वाडे मे आया और लड़को के बीच नज़र मारने लगा कि अरुण-सौरभ कहाँ बैठे है....लेकिन वो दोनो कही नही दिखे. मैने एक बार फिर सारे लौन्डो को स्कॅन किया तब मुझे, सुलभ जूनियर्स के बीच ज्ञान बताता हुआ मिल गया.....
"होशियारी बाद मे छोड़ना पहले ये बता की आलन्ड कहाँ है..."
"आलन्ड...कौन आलन्ड बे..."
"तेरा गे पार्ट्नर...अरुण."
"अरुण...वो तो सौरभ के साथ कही गया है..."
"बोसे ड्के ,वो तो मुझे भी मालूम है कि अरुण, सौरभ के साथ कहीं गया है....लेकिन कहाँ गया है, ये बता..."
"मुझे क्या मालूम लवडा...कॉल करके देख..."
"तू बेटा किसी काम का नही है...ज़िंदा क्यूँ है बे तू, कही जाकर खुद्खुशि क्यूँ नही कर लेता..."
सुलभ पर चौके-छक्के जमाकर मैं कंट्री क्लब मे जहाँ प्रोग्राम हो रहा था, वहाँ से बाहर निकला और अरुण को कॉल किया....लेकिन उसने कॉल रिसीव नही किया ,मैने फिर सौरभ को कॉल किया और अरुण की तरह सौरभ ने भी कॉल रिसीव नही किया....
"ये लवडे...कही भगवान को तो प्यारे नही हो गये...दोनो कॉल नही उठा रहे मतलब लवडे साथ मे ही है...लेकिन है कहाँ...कंट्री क्लब मे होते तो यही होते...ज़रूर कहीं दारू पी रहे होंगे..."सोचते हुए मैं सीसी के बाहर आया और दोनो को देखने लगा.....
वो दोनो मुझे सीसी के बाहर एक लड़के को मारते हुए दिखे...शुरू मे देखने से लगा कि वो उनका प्यार है लेकिन जब उन दोनो ने उसे ज़मीन पर धकेल कर पेलना शुरू किया तब मुझे पहली बार अहसास हुआ कि ये उनका प्यार नही बल्कि प्यार से कुच्छ ज़्यादा है....इसलिए मैं दौड़ते-भागते हुए उनके पास पहुचा...
"छोड़ो बे इसको, क्यूँ पेल रहे हो इसे और ये है कौन.... "
अरुण को पीछे से पकड़ कर खींचते हुए मैने पुछा...
"ये ,लवडा...रोड के राइट साइड मे चल रहा था और जब मैने इससे जुर्माना माँगा तो इसने मुझे आँख दिखाई....छोड़ लवडा, मारने दे इसे..."
"मतलब तूने इसे इसलिए मार दिया ,क्यूंकी ये राइट साइड मे चल रहा था... "
"ह्म..."
"तुम लोगो को मेरा बिना दारू हजम नही होती...अच्छा हुआ, ज़्यादा हल्ला नही हुआ, वरना पास मे पोलीस स्टेशन है...भूल गये क्या,जैल मे बिताई वो रात...जब गान्ड जैसी शकल हो गयी थी और बेटा एस.पी. हर बार बचाने नही आने वाला...."सौरभ को भी उस लड़के से दूर करके ,जिसको वो दोनो मार रहे थे...मैने उसे वहाँ से विदा किया और लगा अरुण-सौरभ को बत्ती देने......
"ये कौन है बे,सौरभ...एक काम कर, पैर पकड़ इसका,ठोकते है इसको....इसने भी तो ट्रॅफिक रूल को तोड़ा है....उठा लवडे को..."
"अबे ओये, पागला गये हो क्या बे..."दूर भागते हुए मैने कहा
"सौरभ ये मुझे आँख दिखा रहा है...अटॅक..."
"गान्ड तोड़ दूँगा,तुम दोनो की....यदि मुझे छुआ भी तो...."
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वैसे दारू पीने के बाद मेरी हालत भी कुच्छ ऐसी ही रहती थी, जैसी कि उन दोनो की उस वक़्त थी और तब मुझे रियलाइज़ हुआ कि दारू पीने के बाद आदमी शेर नही बल्कि कुत्ता हो जाता है, जो हर किसी पर भौंकता है और हर किसी को काट-ता है....वैसे तो मेरे पास उन दोनो को सुनने के लिए रेडीमेड स्पीच तैयार थी, लेकिन ना तो वो वक़्त सही था और ना ही वो दोनो....
सालो का क्या भरोसा....मुझे ही पेल देते.इसलिए मैने फिलहाल वहाँ से खिसकने मे ही अपनी भलाई समझी और वापस स्टेज के पिछवाड़े मे आकर चुप-चाप बैठ गया.....
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"साला ,दारू पीकर मैं भी ऐसी हरकत करता होऊँगा...कितना चूतिया लगता है ये सब.अब समझा कि कॉलेज की लड़किया क्यूँ मुझसे दूर भागती है....वरना मुझ जैसा हॅंडसम लौंडा एक सौ एक लड़किया पटा चुका होता...लेकिन बेटा नही ,मुझे तो लड़कियो से ज़्यादा दारू से प्यार है और बोलो 'आइ लव दारू मोर दॅन गर्ल्स'...."अकेले मे खुद पर चिल्लाते हुए मैं बोला"बोला तो बोला, लेकिन आज मुझे आत्म-ज्ञान की प्राप्ति हुई है...अमिताभ भाऊ सही कहते है कि दारू पीने से लिवर खराब होता है, दारू नही पीना चाहिए...लेकिन बेटा ऐसा है तो फिर उसका क्या जो तू बकता रहता है कि ' आइ लव दारू मोर दॅन एनितिंग'....अब यदि अपनी बात से पलटा तो बेटा घोर बेज़्ज़ती....."
"ये तो बड़ी क्रिटिकल सिचुयेशन हो गयी यार....अब या तो अपनी बात से पलटो या फिर पहले की तरह दारू पियो..."
"किससे बात कर रहे हो..."मेरे और मेरी अंतर-आत्मा के बीच मे दखलंदाज़ी करते हुए एश ना जाने कहा से टपक पड़ी और सिर्फ़ वो टपकी नही बल्कि मेरे सामने भी बैठ गयी....जिसके कारण कुच्छ देर पहले अपनी अंतर-आत्मा से जो वार्तालाप मैं चिल्ला-चिल्लाकर...कर रहा था ,अब बिना कुच्छ बोले,अपने अंदर कर रहा था....
उस वक़्त मैं जंग अपने आप से कर रहा था,लेकिन मुझसे ज़्यादा असर एश पर हो रहा था....
"तुम मुझे इग्नोर कर रहे हो ,ना..."
"ह्म..."
"ये सही नही है..."
"रुक जा दो मिनिट....मैं अपने ज़मीर से बात कर रहा हूँ, दरअसल मैं अपने सोए हुए ज़मीर को जगा रहा था....इसलिए कुच्छ देर के लिए मुझे अकेला छोड़ दो..."
"ग्रेट , नाउ यू फाउंड आ वे तो......."
"स्टॉप...."एश का मुँह बंद करते हुए मैने एक उंगली उसकी तरफ की और कुच्छ बोलना चाहा...लेकिन वो शब्द मेरे मुँह से निकल ही नही रहे थे....कुच्छ देर तक ऐसा ही चला ,यानी कि मेरा मुँह खुलता और बंद हो जाता और फिर आख़िरकार मैने वो बोल ही दिया ,जो मैं बोलना चाहता था.....
"डॉन'ट लव दारू मोर दॅन एनितिंग....लीव दारू, लिव लाइफ.....यॅ...लीव दारू, लिव लाइफ..आइ गॉट इट...आइ गॉट इट....लीव दारू, लिव लाइफ....लीव दारू...लिव लाइफ...."यही मैं बहुत देर तक बोलता रहा और तब तक बोलता रहा, जब तक कि एश ने मेरा मुँह बंद नही किया....
"दिमाग़ तो सही जगह पर है...."
"लीव दारू...लिव लाइफ, इट विल बी माइ न्यू सिग्नेचर...लीव दारू...लिव लाइफ. और तू भी बहुत दारू पीती है, मत पिया कर इतना...."
"हे भगवान...."फाइनली अपना माथा पकड़ कर एश चुप-चाप बैठ गयी.
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"ओये..सुन...सुन ना, सुनती क्यूँ नही...सो गयी क्या..."एश को पकड़ कर हिलाते हुए मैने कहा....
"अरमान, यू आर इरिटेटिंग मी..."
"यही तो प्यार है पगली..."
"प्यार...हुहम, क्या तुम्हे प्यार की डेफिनेशन भी मालूम है..."
"मालूम है ना...एक नही चार-चार डेफिनेशन मालूम है....लव ईज़ आ स्ट्रॉंग फीलिंग ऑफ अफेक्षन ऑर ए ग्रेट इंटेरेस्ट आंड प्लेषर इन सम्तिंग ऑर आ पर्सन ऑर थिंग दट वन लव्स.
ऑर लोवे ईज़ आ फील डीप अफेक्षन आंड...आंड सेक्षुयल लव फॉर सम्वन.... "
"सेक्षुयल...."
"उम्म..हां..."
"ओके..लेट'स हॅव सेक्स..."
"पागल है क्या...मैं बहुत शरीफ हूँ "
"लेट'स हॅव सेक्स ऑर शट युवर माउत..."तेज़ आवाज़ मे एश बोली...
"देख एश ,तू मुझसे ऐसे बात मत कर नही तो...."
"नही तो....नही तो क्या...."
"नही तो....देख मैं कह रहा हूँ..."
"नही तो क्या...."
"नही तो....देख मैं फिर से कह रहा हूँ कि मुझसे ऐसे बात मत कर...."
"लेट'स हॅव सेक्स ऑर शट युवर माउत..."
"तेरी तो..."काँपते हुए हाथ से मैने एश को पकड़ा और बिना एक पल गँवाए उसके होंठो को अपने होंठो मे जकड लिया....
हमारी वो किस ज़्यादा देर तक तो नही चली और जब हम दोनो अलग हुए तो मैं तुरंत खड़ा हुआ और वहाँ से भाग गया....क्यूंकी मुझे अंदाज़ा हो गया था कि यदि मैं वहाँ कुच्छ देर और रुकता तो मेरा सर किसी ना किसी चीज़ से ज़रूर फुट जाता....
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