RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
अकेला वरुण ही था और वो भी इस वक़्त अपना लॅप टॉप पकड़े मरवा रहा था इसलिए वरुण को डिस्टर्ब किए हुए बिना मैं सीधे बाल्कनी पर जा पहुचा.सिगरेट की पॅकेट उलट-पुलट की लेकिन पॅकेट खाली निकली...इसलिए अब चुप-चाप होकर बाल्कनी मे खड़े रहने के सिवा मेरे पास कोई दूसरा रास्ता नही था....
जब कुच्छ ठंडा हुआ तो सोचा कि कही मैं निशा को परखने मे जल्दबाज़ी तो नही कर रहा हूँ....हो सकता है वो किसी और बात से उस वक़्त खुश रही होगी....
"लेकिन उसे कम से कम एक रिटर्न कॉल तो करना ही चाहिए....मैं होता तो एक नही डूस रिटर्न कॉल करता...."मोबाइल पर निशा का नंबर देखते हुए मैं झल्लाया....
"ये लौन्डियो वाली हरकत मत कर, बी आ मर्द...."मैने तुरंत अपना ही विरोध किया.....
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जब कुच्छ और समय गुज़रा तो मुझे खुद की ग़लती दिखने लगी और मुझे मेरे अंदर की वो बुराई नज़र आई ,जो मुझमे नही होनी चाहिए थी.....मैं हमेशा से कबीर दास का फॅन था और उनके एक ऑल टाइम फेवोवरिट डाइलॉग"काल करे सो आज कर, आज करे सो अब" पर चलता था...और इसी कारण मेरे अंदर सब्र नाम की चीज़ नही थी...अपनी आदत के विपरीत मैने एक बार सब्र किया...वो भी एक दिन, दो दिन नही...एक हफ्ते, दो हफ्ते नही...एक महीने ,दो महीने नही...यहाँ तक कि एक साल ,दो साल भी मेरे उस सब्र के समय सीमा के आगे कम पड़ गये....मैने पूरे चार साल तक सब्र किया लेकिन उस सब्र ने ही मेरी अच्छी तरह से मार ली....तब से शब्र नाम की चिड़िया मेरे आस-पास भी नही उड़ती.....
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अपने हाथ मे मोबाइल पकड़े हुए मैं निशा के मोबाइल नंबर को देख रहा था और उस बात को आधा घंटा बीत जाने के बावजूद अभी तक इंतज़ार ही कर रहा था कि वो मुझे अब कॉल करेगी...अब कॉल करेगी...
दिल ने कहा कि वो नही करती तो तू खुद कर ले और मेरी बेचैनी को ख़तम कर्दे,लेकिन दिमाग़ ने कहा कि 'बेटा एक बार लौंडिया के चक्कर मे चुद चुके हो और अबकी बार वाला सीन भी कुच्छ वैसा ही बन रहा है...इसलिए ज़रा संभाल कर और उसे ही कॉल करने दो...."
ईच्छा तो बहुत हो रही थी कि अभिच मोबाइल की हरी बत्ती दो बार दबा दूं ,लेकिन फिर सोचा"जाने दो,साला अपनी भी कोई औकात है...खुद कॉल करेगी तो करे...मैं तो अब कॉल ही नही करूँगा...."
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जैसे जैसे वक़्त बीत रहा था वैसे-वैसे मेरा दिमाग़ भी सटक रहा था और जब पूरे दो घंटे तक बाल्कनी मे खड़े रहकर निशा की कॉल का इंतज़ार करते रहने के बाद भी जब उधर से कोई कॉल नही आया तो मैने गुस्से मे वरुण के मोबाइल को ही स्विच ऑफ कर दिया.....
"अरमान सर, ज़रा मेरा मोबाइल देने की कृपा करेंगे क्या...."
"ओह तेरी...गुस्से मे तो मैं ये भी भूल गया कि ये मोबाइल मेरा नही बल्कि वरुण का मोबाइल है..."फटाफट मोबाइल ऑन करते हुए मैने वरुण से दो मिनिट रुकने के लिए कहा और फिर जाकर बिस्तर पर उसका मोबाइल पटक दिया.....
"बड़े क्रोधित लग रहे हो महाशय...निशा से कुच्छ बात हुई क्या..."मेरे इस रवैये पर वरुण ने चुटकी ली....
"बात ही तो नही हुई...."इतना बोलकर मैं चुप हो गया...
वरुण ने बिस्तर से अपना मोबाइल उठाया और किसी को कॉल करके कहा कि उसने फलाना आर्टिकल भेज दिया है...वो जाकर चेक कर ले.....उसके बाद वरुण कुच्छ देर तक अपनी आँख मलता रहा और फिर आँख खोलकर बोला"चल बता दीपिका के बारे मे..."
"मूड नही है उस आर.दीपिका के बारे मे बात करने का..."
"तो मूड बनाओ श्रीमान...वरना हम तुम्हारी खटिया खड़ी कर देंगे..."
"अबे...पहले तो तू ये बक्चोद लॅंग्वेज मे बोलना छोड़..."
"चल अब नही बोलता....लेकिन एक बात बता, तुझे कभी अंदर से फीलिंग नही आई कि तूने अपने बदले की खातिर दीपिका का करियर बर्बाद कर दिया...मतलब कि उसने जो किया वो ग़लत था,मैं मानता हूँ...लेकिन दीपिका को कॉलेज से निकालने के आलवा भी तो कोई दूसरा रास्ता निकाल सकता था...इस तरह उसे बदनाम करना और फिर उसकी रोज़ी-रोटी पर लात मारना ,ये तो एक तरह से ग़लत हुआ ना...."
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वरुण का सवाल जायज़ था लेकिन मेरे अंदर से कभी ये ख़याल ही नही आया कि मैने दीपिका मॅम के साथ जो किया ,वो ग़लत था....मैं बोला...
"तुझे पता है, फीमेल ब्लॅक स्पाइडर की एक ख़ासियत होती है कि वो संभोग के बाद मेल स्पाइडर को खा जाती है और दीपिका मॅम भी उसी ब्लॅक स्पाइडर की तरह थी ,जो किसी भी लड़के से चुदने के बाद उसे निगल जाती थी....यानी कि उस लड़के का करियर बर्बाद कर देती थी, इसलिए मुझे कभी इस बात पर पछ्तावा नही हुआ कि मैने उसे बुरी तरह बदनाम करके कॉलेज से निकाला....मेरे बर्बाद होने की बेशक ही कयि वजह रही हो, लेकिन सबसे पहली वजह दीपिका मॅम खुद थी..."थोड़ी देर रुक कर मैं आगे बोला"और वैसे भी दीपिका मॅम को मेरी इस हरकत से फ़ायदा ही हुआ,क्यूंकी आज कल वो एक मॉडेल है...."
"मॉडेल कहाँ....."
मैने पास मे रखी हुई एक मेग्ज़ीन को उठाया और कयि पन्ने पलटने के बाद एक लड़की का फोटो वरुण को दिखाया ,जो किसी बिकनी ब्रांड का अड्वरटाइज़ करने के लिए पोज़ दिए हुए थी.....
"यही है आर.दीपिका..."
"क्या..."मेरे हाथ से वो मेग्ज़ीन तुरंत छीन्कर वरुण ने अपने हाथ मे लिया और दीपिका मॅम की फोटो को उपर से लेकर नीचे तक अपनी आँखो से स्कॅन मारने के बाद बोला"बड़ी धाँसू आइटम है बे ये तो..."
"कॉलेज की नंबर. 1 माल ये पहले भी थी और अब भी है..."
"तब तो तू इसकी फ़ेसबुक आइडी भी जानता होगा..."
"जिस दिन इसने कॉलेज छोड़ा ,उसी दिन इसने अपनी फ़ेसबुक आइडी डीक्टिवेट कर दी...."
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वरुण बहुत देर तक दीपिका मॅम की फोटो को ताकता रहा...और फिर लंबी साँस लेकर बोला"चल आगे बता..."
मैं अब वरुण को अपने कॉलेज की स्टोरी सुना-सुना कर बोर हुआ जा रहा था, इसलिए मैने डिसाइड किया कि...आज चाहे जो हो जाए.8थ सेमेस्टर की पूरी कहानी सुनाकर ही दम लूँगा...भले ही रात भर जागना क्यूँ ना पड़े और कल सुबह से अपने काम पर जाना शुरू कर दूँगा...क्यूंकी मुझे डर था कि कही इंडस्ट्री वाले मुझे निकाल ना दे...इसलिए मैने पहले ही वरुण से शर्त रखी कि जब तक 8थ सेमेस्टर ख़तम नही हो जाएगा ,वो सोएगा नही और मेरी इस शर्त पर उसने हामी भरी .....
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"8थ सेमेस्टर की शुरुआत जैसे हुई ,उसके दो-तीन दिन बाद ही हमे पता चला कि विभा जानेमन...कॉलेज छोड़ रही है...और ये मेरे विभा को चोदने के अरमानो पर जबर्जस्त प्रहार था....जिसे मैं बर्दाश्त नही कर सकता था...."
जब ये खबर मुझे मिली तब मैं अपने दोस्तो के साथ हॉस्टिल मे था और जैसे ही ये खबर सुनी तो दिल किया कि खबर सुनाने वाले को अपने हॉस्टिल की छत से उल्टा लटका दूं या फिर डाइरेक्ट नीचे फेक दूं....
कयि साल पहले मैने ये पढ़ा था कि किसी चीज़ को 11.2 किलोमेटेर पर सेकेंड की वेलोसिटी से उपर फेकने पर वो चीज़ अर्त से पलायन कर जाती है और फिर कभी अर्त पर लौट कर नही आती...इसलिए इस वक़्त दिल तो ये भी किया कि खबर सुनाने वाले उस लौन्डे को 11.2किमी पर सेकेंड की रफ़्तार से आसमान मे फेक दूं ,जिससे वो अर्त से सीधे पलायन कर जाए और कभी लौटकर ना आ पाए....लेकिन मैं ऐसा नही कर पाया क्यूंकी ये खबर किसी और ने नही बल्कि हमारे पांडे जी ने सुनाई थी....
"खुद तो है ही मनहूस और खबर भी वैसी मनहूसो वाली लाता है...साले तू मर क्यूँ नही जाता और कितना जिएगा...."विभा से जुदाई के गम मे मैने कहा..
"क्या अरमान भाई...मैं तो सोचा था कि विभा के जाने से आप बहुत खुश होगे...लेकिन ये खबर सुनकर तो आप उल्टा मुझपर ही बरस पड़े..."
"इसे तू खुशख़बरी कहता है...साले पूरे कॉलेज मे ये एकलौती लड़की थी ,जो मुझसे बात करती थी...वैसे तू खुश क्यूँ है विभा के जाने से, उसने तेरी गान्ड मारी थी क्या..."
"गान्ड ही तो मार रही है...साली सेक्षनल मे चोद देती है मेरे को..."
"अब उसके क्लास मे राजश्री खाकर बैठेगा तो यही होगा...और बता भी रहा है तो अब, पहले बताया होता तो कुच्छ जुगाड़ भी जमाता, अब तो वो जा रही है..."
"अरे हटाओ विभा को और आज रात के दारू प्रोग्राम के बारे मे बात करते है...."
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विभा इस पूरे कॉलेज की एकलौती ऐसी लड़की थी ,जो मुझसे ढंग से मुस्कुरा कर बात करती थी...मैं कितना बिगड़ा हुआ हूँ, कितना बदमाश हूँ...इससे उसे कभी कोई फ़र्क नही पड़ा...क्लास टेस्ट, मिडट्म मे मेरे कितने भी नंबर हो...उसके सब्जेक्ट मे सेक्षनल हमेशा मुझे बढ़िया ही मिला,इसलिए विभा से मेरी कभी कोई बहस नही हुई...बाकी लड़के जहाँ असाइनमेंट लिख-लिख कर अपने हाथ पकड़ लेते थे ,वही मैं हर बार सिर्फ़ अपना नाम लिखकर कॉपी जमा करता ,लेकिन एक बार भी वो कुच्छ नही बोली....और तो और फ़ेसबुक मे मैं उससे डबल मीनिंग वाली हज़ारो बाते करता था,क्यूंकी मेरा दिली इच्छा थी कि एक दिन वो बिस्तर पर मेरे नीचे हो....लेकिन मेरे ये इंटेन्षन इनकंप्लीट ही रह गये....
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