RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
"अरमान तू हमेशा बोलता रहता है कि 'आइ लव दारू मोर दॅन' "
"गर्ल्स..."अरुण के पहले ही मैने अपना डाइलॉग कंप्लीट किया...
"एक बार ये बोल कि तू, दारू को मुझसे ज़्यादा प्यार करता है..."
"इसमे कौन सी बड़ी प्राब्लम है...आइ लव दारू मोर दॅन गे-अरुण..."और इसी के साथ हम सभी हंस पड़े,सिवाय अरुण को छोड़ कर....
"अब यही लाइन एश के लिए बोल तो..."उसने आगे कहा...
"अब क्या मैं दिन भर सबके नाम जपता रहूं क्या..."
"इसकी कोई ज़रूरत नही बस तू एक बार ये बोल दे कि 'आइ लव दारू मोर दॅन एश'...बस बात ख़त्म..."
"इसमे कौन सी बड़ी बात है,ले अभी बोल देता हूँ..."अरुण पर हँसते हुए मैने बोलना शुरू किया"आइ लव दारू मोर दॅन......"
"मोर दॅन..."जब मैं बोलते-बोलते चुप हो गया तो अरुण ने एक बार फिर से अपनी टाँग अड़ाई...
"मोर दॅन...मोर दॅन..."
"रहने दे बेटा, बोल चुका तू..."एक ज़ोर का घुसा मेरे पीठ मे मारकर अरुण ने कहा"तूने दिल तोड़ दिया मेरा आज.साले मेरा नाम ले सकता है लेकिन उसका नाम नही ले सकता...बस बेटा ,देख ली तेरी ये दोस्ती...तुझे पता नही कि तूने मुझे आज कितना दुखी किया है....दिल कर रहा है कि यहाँ से नीच कूदकर अपनी जान दे दूं,लेकिन फिर जो दारू का एक बमफर तेरे बॅग मे रखा है,उसे कौन पिएगा...ये सोचकर नही कूद रहा...बाकी दिल तो एक दम छलनी-छलनि हो गया आज..."
"ओये नौटंकी, चुप हो जा... और तू क्या सोचता है कि मैं एश को दारू से ज़्यादा प्यार करता हूँ...बिल्कुल नही, ले अभी बोले देता हूँ,वो लाइन जो तू सुनना चाहता है..."कहते हुए मैने एक बार फिर से ट्राइ किया...लेकिन ज़ुबान एश का नाम लेती ,उससे पहले ही अटक गयी....मेरी फेवोवरिट लाइन को एश का नाम लेकर पूरा करने के लिए मेरा मुँह ज़रूर खुलता लेकिन शब्द नही निकल रहे थे......
"आइ लव दारू मोर था ए...मोर दॅन ईईईई......"बारहवी बार कोशिश करते हुए मैं बोला लेकिन पिछली ग्यारह बार की तरह इस बार भी ज़ुबान धोखा दे गयी....
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"गान्ड मरा तू अरुण..."फ्रस्टेशन मे मैं चीखा और तेज कदमो के साथ थोड़ा आगे बढ़ गया....
पता नही मेरी ज़ुबान क्यूँ लड़खड़ा रही थी...जबकि मैं ऐसा काबिल लौंडा था ,जिसे गले तक दारू पिलाकर यदि हज़ार लोगो के सामने भाषण देने के लिए स्टेज पर खड़ा कर दिया जाए तब भी एक शब्द इधर से उधर ना हो....
"ओ तेरी, उस बिल्ली से तो मैं 100 % प्यार करता हूँ...."
कॉलेज के चार सालो मे तीसरे साल मुझे ये मालूम चला कि एश से मैं सच मे प्यार करता हूँ .
"पता नही साला दोस्ती कब होगी, मैं उसे प्रपोज़ कब करूँगा और कब वो मेरी गर्ल फ्रेंड बनेगी....जिस स्पीड के साथ मैं हूँ ,उसके हिसाब से तो साला ये जनम और इसके आगे वाला जनम भी कम पड़ जाएगा..."
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कॅंप मे आने के बाद ये डिसाइड हुआ कि मैं और सुलभ उन तीनो के कॅंप मे जाएँगे और डिन्नर छोड़ कर आएँगे....
"तू जा रहा है तो जा,लेकिन मेरी एक बात अपने गान्ड मे गाँठ बाँध के रख लियो कि भूले से भी उन लौन्डियो को सॉरी बोला तो अल्टा-पलटा के चोदुन्गा...."धमकी के रूप मे सौरभ ने अपनी शर्त रखी...
"अबे, मेरी शकल देखकर तुझे क्या लगता है कि मैं उसे सॉरी बोलूँगा...उस दिव्या की तो शकल तक नही देखूँगा..."
"यही जज़्बा बनाए रखियो बेटा ,बहुत दूर तक जाएगा...इतना दूर की टेलिस्कोप से भी तू नही दिखेगा...अब मेरे पैर छुकर आशीर्वाद ले और चलता बन उस 'आर. दिव्या'के कॅंप की तरफ..."
"ये 'आर. दिव्या' का क्या मतलब"खाने के पॅकेट अपने हाथ मे पकड़ते हुए सुलभ ने पुछा...
"वो मैं तुझे रास्ते मे समझा दूँगा,अब चल इधर से..."
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अपने कॅंप से निकल कर मैं और सुलभ , 'आर.दिव्या ' के कॅंप की तरफ बढ़े और इस समय मेरे दिमाग़ मे जो चल रहा था ,वो ये कि...उन तीनो का मुँह कितना इंच फटेगा ,जब वो लोग मुझे और सुलभ को अपने कॅंप के अंदर देखेगी....
"कहीं कोई हार्ट अटॅक से ना मर जाए...."चलते वक़्त मैं बड़बड़ाया...
"कौन मर रहा है अरमान..."
"तू चुप-चाप चल ना आगे...ये बार-बार उंगली करना ज़रूरी है क्या...."
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हमारे कॉलेज के लगभग आधे स्टूडेंट आ चुके थे जिसका पता मैने आधे से अधिक कॅंप मे से आती हुई रोशनी से लगाया....'आर.दिव्या' के कॅंप से भी रोशनी आ रही थी...उनके कॅंप से कुच्छ दूरी पर जब मैं और सुलभ पहुँचे तो मैं रुक गया...
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"क्या हुआ अरमान..."
"कुच्छ नही..बस सोच रहा हूँ कि वापस चलते है..."
"क्यूँ..."
"अबे पहली बात तो ये कि हमे ऐसा करते देख जो कि हम दोनो अभी करने जा रहे है...उन तीनो को दिल का दौरा पड़ेगा और मुझे डर है की कही कोई लुढ़क ना जाए...."
"और दूसरी बात क्या है..."
"दूसरी बात ये कि हम दोनो की...सॉरी हम दोनो की नही, सिर्फ़ मेरी...मेरी बेज़्जती भी होगी...."
"और तीसरी बात..."हाथो मे खाने का पॅकेट लिए सुलभ मुझे इतने ध्यान से सुन रहा था की उसकी पकड़ खाने के पॅकेट्स पर कमजोर हो गयी और एक के बाद एक दो-तीन पॅकेट ,ज़मीन पर धमाके के साथ गिरे.....
"तीसरी बात ये कि, तू महा-बक्चोद है और मेघा के सपने देखना छोड़ दे...चूतिया साला,पांडे जी कि मेहनत को बेकार कर दिया..."सुलभ को खरी-खोटी सुनाते हुए मैं बोला"अब मेरा मुँह क्या देख रहा है,उठा के देख कि कुच्छ सलामत भी है या सब ख़त्म हो गया..."
"बोसे ड्के चिल्ला मत,वरना यही मारूँगा...कसम गंगा मैया की "
"मज़ाक कर रहा था पगले,तू तो हर बात दिल पे ले लेता है... "
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हँसते-खेलते,लड़ते-झगड़ते...मैं और सुलभ आख़िर 'आर.दिव्या' के कॅंप के सामने पहुच ही गये ,लेकिन अब सवाल ये था कि हम दोनो मे से अंदर कौन जाए....क्यूंकी सुलभ की फट रही थी और मैं पहले अंदर नही जाना चाहता था और दूसरे शब्दो मे कहे तो मेरी भी फट रही थी...क्यूंकी इन लड़कियो का क्या भरोशा,साली 'हेल्प-हेल्प' चिल्लाकर हमे कही फँसा ना दे...
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"तू साले बहुत शेर-दिल बनता है...तू ही जा पहले..."
"मुझे देखकर वो माँ दी लड़ली दिव्या सनक जाएगी...और लंबा चौड़ा बखेड़ा कर देगी..."
"एक काम करते है ,दोनो साथ चलते है अंदर..."
"ये सही रहेगा..."
मैने , सुलभ का हाथ ऐसे पकड़ा जैसे सात फेरे लेने जा रहा हूँ और कॅंप की तरफ बढ़ते हुए पुछा...
"गेस कर सकता है क्या कि वो तीनो क्या कर रही होगी ,इस वक़्त..."
"पक्का मूठ मार रही होगी..."
"क्या आदमी है बे, इतना खराब तो मैं भी नही बोलता....एक से बढ़कर एक है यहाँ...एक बात बता,तू सच मे मेघा को प्यार करता है या ऐसे ही अरुण की तरह दूध-गान्ड दबाने के लिए मेघा का चक्कर काट रहा है..."
"लेफ्ट साइड वाला प्यार है बे और मुझपर उंगली उठाने से पहले खुद को देख, तीसरा साल चल रहा है लेकिन इतना दम नही कि इन तीन साल मे उसे जाकर तीन शब्द बोल सके...और मुझपर उंगली उठाने से पहले खुद से पुच्छ कि क्या तू एश से लेफ्ट साइड वाला प्यार करता है या नही..."
"अपना तो 100 % पूरे है,आज कन्फर्म भी हो गया और अब चल..."
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मैने सर नीचे करके कॅंप के अंदर पहले अपना सर घुसाया और अगल बगल देखा....वहाँ सिवाय एश के और कोई नही था और एश भी दूसरी तरफ अपना फेस किए हुए बैठी थी....
"अबे ,अरमान...तेरी बिल्ली कही कोई जादू-टोना तो नही करती ,क्यूंकी जिस पोज़िशन मे वो अपने बाल खुले करके बैठी है ,उससे अपुन को चुडैलो की याद आ रही है..."
"बक्चोद ,वो वीडियो गेम खेल रही होगी... ,तू साले लड़कियो की इज़्ज़त करना कब सीखेगा "खुस्फुसाते हुए मैने सुलभ से कहा और एश को आवाज़ दी लेकिन एश पहले के तरह ही इसबार भी बैठी रही....
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"अरमान,मैं क्या बोलता हूँ कि अब हमे चलना चाहिए...मेरी फट रही है...कही किसी ने ऐसे करते हुए देख लिया तो...भारी लफडा हो जाएगा...."
"डर मत...इस समय एश का बाप भी आ जाए तो मुझे कुच्छ नही बोलेगा...मेरे पास बॅक अप प्लान है..."
"ठीक है तो तू यही रुक मैं चला...वैसे भी मेघा यहाँ नही है..."
"रुक बे, वरना तेरे बाप को कॉल करके बता दूँगा कि तू उनके मना करने के बावजूद इधर कॅमपिंग मे आया है..."
सुलभ को रोक कर मैने एक और बार एश को धीरे से आवाज़ दिया लेकिन वहाँ बज रहे संगीत की ध्वनि मे मेरे मुँह से निकली ध्वनि घुल-मिल गयी और एश पर कोई प्रभाव नही पड़ा....
"एश....बिल्ली..पलट"थोड़ा तेज आवाज़ मे मैने कहा और जैसे ही एश पीछे पलटी,सुलभ अपना हाथ मेरे हाथ से छुड़ाकर वहाँ से उल्टे पैर भाग गया....साला डरपोक .
"अरमान......."मुझे देखते ही एसा चौकी और तुरंत ही उठकर मेरे पास आई..."क्या चाहिए तुम्हे..."
"एक चुम्मी..."मैने सोचा कि ऐसा बोल दूं,लेकिन फिर नही बोला और अपना सर ना मे हिला दिया.....
"कुच्छ कहना है.... "एश ने दोबारा सवाल किया.
मैने हां मे अपना सर हिलाया और सोचा कि ये बोल डू'आइ लव यू मोर दॅन दारू...' लेकिन फिर हिम्मत नही हुई....
"सॉरी बोलने आए होगे, आइ नो..."
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