RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
नौशाद को मारने के बाद मैं सीधे हॉस्पिटल पहुचा,जहाँ अरुण मामला संभाले हुए था....
"आ गया लवडे,कहाँ मार रहा था..."मुझे देखते ही अरुण ने पुछा...
"मरने नही मार कर आ रहा हूँ,नौशाद को और साइड चल...आराम करने दे..."हॉस्पिटल की ड्रेस पहनकर मैने तीन-चार ग्लास पानी पिया और बिस्तर पर गिर पड़ा.....
बिस्तर पर लेटे-लेटे मैं सोच रहा था कि उस रंडी का क्या हाल होगा जब उसके कान मे नौशाद की ठुकाई की खबर पड़ेगी....साली जहाँ होगी वही मेरा नाम सुनकर मूत देगी, बीसी कुतिया,...छिनार.
मैं बिस्तर पर लेटा हुआ था और मैं ,नौशाद को ठोक कर आ रहा हूँ,ये सुनकर अरुण का दिमाग़ भी बस लेटने वाला था...वो इस समय हद से ज़्यादा शॉक्ड था...
"मैने सोचा था कि,तेरा सिगरेट,दारू पीने का मन हो रहा होगा और तू ये सब हॉस्पिटल के अंदर पी नही सकता इसलिए मुझे यहाँ की रखवाली सौंप कर बाहर चला गया है...लेकिन मुझे ये नही मालूम था कि तू मुझे चोदु बनाकर लड़ने गया था...."गुस्सा होते हुए अरुण बोला
" मैने यदि तुझे बताया होता कि मैं कहाँ जा रहा हूँ तो तू यक़ीनन मुझे नही जाने देता...इसलिए तुझे चोदु बनाना पड़ा..."वापस बिस्तर पर बैठते हुए मैने कहा"साले तू खुश नही है क्या..."
"खुशी....माइ लंड..."
उसके बाद अरुण वहाँ एक पल भी नही रुका और मुझे बुरा-भला बोलकर वहाँ से चला गया....
मेरा वो काम हो चुका था,जो मैं हॉस्पिटल मे रहकर करना चाहता था और मैं अब जल्द से जल्द यहाँ से निकलने के फिराक़ मे था, इसलिए जब शाम को सोते वक़्त एक नर्स राउंड पर आई तो मैने तुरंत लाइट जला दी....
"तुम सोए नही अभी तक..."
"तू भी तो नही सोई है अभी तक जानेमन...आजा प्यार करते है..."ऐसा मैं बोलना चाहता था...लेकिन बोल नही पाया
"लाइट बंद करो और सो जाओ..."अंदर आते हुए नर्स ने कहा और मेरे बिस्तर के सिरहाने के पास जो डेस्क रखी हुई थी,उसके उपर ये देखने लगी कि मैने दवाई ले ली है या नही....
"मैं यहाँ से हॉस्टिल कब जाउन्गा..."
"जब ढंग से चलने लगोगे तब..."
"चल तो मैं कब से रहा हूँ, अब बोलो तो दौड़ कर दिखाऊ..."नर्स को बैठने का इशारा करते हुए मैं बोला...
"अभी कुच्छ करने की ज़रूरत नही है, अभी फिलहाल सो जाओ...कल सुबह डॉक्टर को दिखाना...."खड़े-खड़े ही उस नर्स ने मुझसे कहा...
वो शायद समझ गयी थी कि मुझे नींद नही आ रही है और मैं उससे टाइम पास करने के मूड मे हूँ...
"ओके आंटी "
ये सुनकर रूम से बाहर जाते उसके कदम जहाँ थे वही रुक गये और मुझे घूरते हुए उसने कहा"क्या बोला... "
"कुच्छ नही..."मैने फटाक से बल्ब का स्विच ऑफ किया और चादर तानकर लेट गया....
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यदि मेरी याददाश्त सही है ,जो कि हमेशा ही सही रहती है,तो जिस दिन मैने नौशाद को मारा था उसके चार दिन बाद हॉस्पिटल से मुझे डिसचार्ज कर दिया गया और मैं खुशी-खुशी हॉस्टिल पहुचा...हॉस्टिल मे मेरा स्वागत बड़े जोरो-शॉरो से हुआ . जिस दिन मैं हॉस्पिटल से डिसचार्ज होकर हॉस्टिल पहुचा था...उस दिन ,रात को हॉस्टिल मे बहुत बड़ा केक काटा गया था...हॉस्टिल के लौन्डे मुझे देखकर ऐसे खुश हो रहे थे ,जैसे कि कोई योद्धा ,जंग जीत कर आया हो और जब पार्टी ख़तम हुई तो मेरे करीबी मुझे एक-एक करके ये बताने लगे कि पिछले 3 महीनो मे हॉस्टिल मे क्या-क्या हुआ है...कुच्छ मुझे ये बता रहे थे कि हॉस्टिल के हर कमरे मे नये पंखे लगे है और खिड़किया सुधारवा दी गयी है तो कुच्छ मुझे ये बता रहे थे कि कैसे फलाना लौन्डे ने अपने बर्तडे के दिन उन्हे भरपेट दारू पिलाई थी...
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"यदि मेरा अनुमान सही है तो ये रूम नौशाद का ही है ना..."अपने रूम की तरफ जाते हुए जब मैं नौशाद के रूम के पास पहुँचा तो वहाँ रुक कर हॉस्टिल के लड़को से पुछा"इसके रूम मे ताला क्यूँ लगा है..."
"अरे अरमान भैया....बीसी को पता नही किसने मारकर हॉस्टिल के पीछे जंगल मे फेक दिया था...किस्मत थी साले की जो बच गया "राजश्री पांडे जो मेरे पीछे खड़ा था वो आगे आते हुए बोला"उसके बाद से नौशाद के रूम पार्ट्नर्स की फॅट गयी और उन्होने हॉस्टिल छोड़ दिया...उन सबका कहना है कि हॉस्टिल के लड़को ने मिलकर नौशाद को मारा था...."
"सब साले गे है,"बोलते हुए मैं अपने रूम की तरफ बढ़ गया,जहाँ अमर सर,पहले से मौज़ूद थे....मुझे इतने सारे लौन्डो के साथ देखकर उन्होने मुझे इशारा किया कि वो मुझसे अकेले मे बात करना चाहते है...
"ठीक है भाई लोग...अब आप सभी यहाँ से खिसकिये और जिस लड़की को भी चोदने का दिल करता है, उसे अपने ख्वाबो मे चोदो और मूठ मारो....गुड नाइट,स्वीट ड्रीम...लव यू ऑल..."उनके जाने के बाद मैं अमर भाई की तरफ घूमा"हां बोलो..."
"एक बुरी खबर है...या फिर कहे तो दो बुरी खबर है..."
"अब क्या हुआ..."
"पहली बुरी खबर ये कि नौशाद को होश आ चुका है और दूसरी बुरी खबर ये कि उसने पोलीस को तेरे खिलाफ बयान दिया है...."
"आप टेन्षन मत लो, मैं संभाल लूँगा...."
"यह !मैं जानता हूँ कि तू सब संभाल लेगा...चल बाइ, गुड नाइट..."
"गुड नाइट..."
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अमर के जाने के बाद मैने रूम अंदर से बंद कर लिया,क्यूंकी मैं नही चाहता था कि अब ,जब मैं खुद को पोलीस से बचाने के बारे मे सोच रहा हूँ तो कोई नमूना आकर मुझे डिस्टरब कर दे....
अमर के जाने के बाद मैने बहुत सोचा...आधे घंटे तक लगभग मैं यही सोचता रहा कि अब आगे क्या करना है और आधे घंटे बाद मुझे मालूम चला कि इस केस मे कुच्छ सोचने की ज़रूरत ही नही है...जो हुआ सारी दुनिया के सामने हुआ...मतलब की सबको पता है कि जब नौशाद की हॉस्टिल मे ठुकाई हुई तो मैं हॉस्पिटल मे अड्मिट था...
जब मैं नौशाद वाली झंझट से अलग हुआ तो मेरा ध्यान मेरे रूम मे रहने वाले मेरे दोनो खास दोस्तो पर गया,जो आज यहाँ नही थे....सौरभ और अरुण ,भू से मिलने उसके कॉलेज गये थे और उन दोनो का प्लान कुच्छ दिनो तक वही रुकने का था यानी कि अब मैं दो-तीन दिन अकेले इस रूम मे रहने वाला था....अचानक मुझे याद आया कि कल मुझे कॉलेज भी जाना है और कॉलेज के मेरे सारे अस्त्र-शस्त्र का कोई आता-पता नही था....
"मेरा बॅग....आल्मिराह मे होगा..."सोचते हुए मैने आल्मिराह खोली तो मुझे मेरा बॅग मिला...
आज कॉलेज मे आए हुए मुझे लगभग 2 साल होने वाले थे और आज ये पहला मौका था जब मैं कॉलेज जाने के एक दिन पहले अपना बॅग भर रहा था...लेकिन बॅग भरते वक़्त मुझे ध्यान आया कि मेरे पास तो 4थ सेमिस्टर. का कोई मेटीरियल ही नही है ,अब कल कॉलेज मे जाकर लवडा हिलाउन्गा क्या बाथरूम जाकर मैने टवल पानी से भीगोया और वापस आकर पानी मे भीगे टवल से अपने कॉलेज को मस्त चमका कर,एक पेन और एक कॉपी डाल दी.....
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"बीसी, इस सेमिस्टर. मे 12 पेपर देने है...मतलब की पढ़ना पड़ेगा..."मैने खुद से कहा और खिड़की खोलकर एक सिगरेट जलाई....
चाहे हालत कितने भी बुरे रहे हो, भले ही उसके दिल मे मेरे लिए कितना भी कड़वापन क्यूँ ना भरा हो...लेकिन उसके लिए दिल कल भी धड़कता था और आज भी धड़क रहा है....मुझे अब भी याद है कि जब मैं कोमा से वापस होश मे आया था तो एश के बारे मे सोचने लगा था....
मैं उस समय ये सोच रहा था कि शायद मेरी ये हालत देखकर एश मुझसे मिलने आएगी, जब मुझे होश आया तो मुझसे मिलने के लिए,मेरा हाल चाल जानने के लिए तक़रीबन मेरे सभी जान-पहचान वाले आए...सिवाय दो को छोड़ कर. एक सीडार था तो दूसरी एश...सीडार तो बहुत दूर जा चुका था ,इसलिए उससे मिलने की मुझे कोई उम्मीद नही थी..लेकिन एश का इंतज़ार मैं हर दिन करता था इस उम्मीद के साथ की शायद आज वो दिन है,जब वो भूरी आँखो वालो लड़की ,अपना गाल फुलाए मुझसे मिलने आएगी,दो चार बाते करेगी...लेकिन वो दिन कभी नही आया. एश मुझसे मिलने हॉस्पिटल मे नही आई. दिल थोड़ा उदास तो हुआ लेकिन फिर मैने खुद को ये कहकर राज़ी कर लिया कि,शायद उसे खबर ही नही होगी कि मुझे होश आ गया है....लेकिन मैं ये जानता था कि सच ये नही है क्यूंकी जहाँ मेरे होश मे आने की खबर पूरे कॉलेज को थी,वहाँ ये खबर एश के कानो तक ना पहुँचे ये हो ही नही सकता था....
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"अरमान भैया...दरवाजा खोलो.."
इस आवाज़ ने मेरा ध्यान तोड़ा .कोई मेरे रूम के दरवाजे को ज़ोर से पीट रहा था....
"तेरी माँ का आल्फा,बीटा ,गम्मा...कौन है बे..."
"अरमान भैया मैं हूँ , राजश्री पांडे..."
"राजश्री पांडे..."मैने टाइम देखा,रात के 2 बज रहे थे"इसे तो हॉस्टिल मे होना चाहिए था,ये यहाँ क्या कर रहा है...."
"वॉर्डन से लड़ाई हो गयी अरमान भैया..."लड़खड़ाते हुए राजश्री पांडे अंदर आया और पीछे मुड़कर किसी और को भी अंदर आने के लिए कहा.,जिसके बाद 5-6 लड़के एक साथ मेरे रूम के अंदर आ गये....
"निकलो सब,ये अपुन के सोने का टाइम है..."जबर्जस्ति गुस्सा होते हुए मैने कहा...
"क्या भैया, इतनी जल्दी सोकर क्या करोगे,अभी तो रात के 2 ही बजे है..."बोलते हुए वो मेरे बिस्तर पर पहले बैठा और फिर लेट गया...
"पहली बात तो ये कि..."उसे पकड़ कर ज़मीन मे फेंकते हुए मैं बोला"पहले पूरा लफडा बताओ और दूसरी बात ये कि मेरे बिस्तर को किसी ने टच भी किया तो चोद दूँगा...साला आज ही नयी चादर डाली है..."
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"बीसी, पॉवर दिखा रहा था वो वॉर्डन.."राजश्री पांडे बोला"साला होशियारी चोद रहा था अपुन के सामने, बोल रहा था कि यदि हॉस्टिल मे रहना है तो रात को सही टाइम पे आओ ,वरना मत आओ.."
"फिर...? "
"फिर क्या, मेरा मुंडा सटक गया और साले को बहुत मारा और भाग कर सीधे इधर आएला हूँ ,आपके पास..."
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