RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
"सुलभ,सौरभ..अरुण-अरमान,क्या बात-चीत चल रही है तुम लोगो के बीच...."विभा ने चॉक का एक छोटा सा टुकड़ा हमारी तरफ फेक कर हमे खड़े होने के लिए कहा"अरमान क्या बाते चल रही है उधर..."
विभा के पुछने के साथ ही मैने अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया...मैं तो ये अपने प्लान के लिए कर रहा था,लेकिन मेरे तीनो खास दोस्त भी मेरी कॉपी करेंगे ,ये मुझे नही मालूम था...सौरभ और अरुण बीच मे बैठे थे और चेहरा घुमाते वक़्त(--> <--)दोनो का सर एक दूसरे से टकराया भी था....
"मैने तुम चारो से कुच्छ पुछा है,उसका जवाब दो..."कुच्छ देर तक विभा इस इंतज़ार मे रही कि हम मे से कोई कुच्छ बोलेगा ,लेकिन जब हम चारो चुप रहे तो उसने सामने वाले बेंच पर बैठे एक लड़के से एक पेज माँगा और उसपर हम चारो का नेम लिखकर बोली"जाओ इस पर प्रिन्सिपल से साइन करा कर लाओ..."
"मैने सुना नही ठीक से..आपने क्या बोला.."विभा को आँखो से ब्लॅकमेल करते हुए मैं मुस्कुराया जिसके बाद विभा हड़बड़ा गयी और पनिशमेंट के तौर पर एक-एक असाइनमेंट का हथौड़ा हमारे सर पर दे मारा.....
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"मॅम यहाँ पास ज़ीरो कैसे आया..."हमारे क्लास के टॉपर ने खड़े होकर विभा पर अपना सवाल दागा और सवाल सुनते ही विभा ढेर हो गयी..
वो 10 मिनिट्स तक पहले बुक पर झाँकती रही और फिर अपने नोट्स पर...लेकिन सिचुयेशन पहले के माफिक गुरु-घन्टाल ही रही....उस क्वेस्चन के आन्सर के लिए विभा ने अपनी चूत और गान्ड एक कर डाली ,लेकिन चूत और गान्ड को एक करने के बाद भी उसे जब आन्सर नही मालूम चला तो उसने क्लास के ब्रिलियेंट स्टूडेंट्स की तरफ ये सवाल फेक दिया...और क्लास के उन ब्रिलियेंट स्टूडेंट्स मे से सिर्फ़ एक का हाथ उपर उठा,जो सही मायने मे ब्रिलियेंट था.....
"यस सुलभ...यहाँ आकर समझाओ..."विभा ने रिक्वेस्ट की...
विभा की उस गान्ड-चूत को एक कर देने वाली रिक्वेस्ट पर हमारे सुलभ बाबू का बिहेवियर कुच्छ रूखा-रूखा सा था...वो बोले"मॅम ,मुझे इसका आन्सर तो पता है ,लेकिन मुझे इंटेरेस्ट नही है..."
"क्या मतलब इंटेरेस्ट नही है..."
"मतलब की इसका कोई मतलब नही है...बस मैं आन्सर देने मे इंट्रेस्टेड नही हूँ..."
"अरे मुझे भी इसका आन्सर मालूम करना है, इनको नही बताना चाहते तो मत बताओ...पर मुझे तो बताओ..."और उसके बाद विभा ने बड़ा सा प्लीज़ ! कहा....
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सुलभ भी क्या करता, आख़िरकार वो भी तो एक आम लड़का था,जिसका लंड खड़ा होता था, और विभा मॅम की इस सेक्सी रिक्वेस्ट को रिजेक्ट कैसे करता,इसलिए सुलभ अपनी बेंच से उठा और चॉक उठाकर उस क्वेस्चन से रिलेटेड एक लंबा-चौड़ा फ़ॉर्मूला लिखा ,उस फ़ॉर्मूले मे कॉस@ भी था, उसके बाद हमारे सुलभ महाशय सुलभ प्रदर्शन करते हुए @ के प्लेस पर 90 डिग्री रखा और बोले" सभी जानते है कि कॉस90 की वॅल्यू ज़ीरो होती है...प्राब्लम सॉल्व्ड "
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"वेरी गुड ,सुलभ...तुम्हारा असाइनमेंट कॅन्सल और तुम तीनो का भी"
"थॅंक यू मॅम "हम चारो एक साथ चीखे.....
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रिसेस मे क्लास के बाहर खड़े होकर हम सब बक्चोदि कर रहे थे कि हॉस्टिल मे रहने वाले फर्स्ट एअर के लौन्डे उधर से गुज़रे...
"अबे सुन..."एक को पकड़कर अरुण बोला"जा कॅंटीन मे देख कर आ कि दिव्या है या नही..."
"लेकिन मैं तो हॉस्टिल जा रहा हूँ और कॅंटीन उसके रॉंग डाइरेक्षन मे है..."
"जाके कॅंटीन मे देखकर आ, वरना छोड़ूँगा...समझा,अब जा..."
उस लड़के को कॅंटीन की तरफ भेजकर अरुण फिर से हमारे साथ बक्चोदि करने लगा...
"दिव्या कॅंटीन मे है..."हान्फते हुए फर्स्ट एअर के लड़के ने कहा...
"धन्यवाद ,चल अरमान..."
"घंटा जाएगा मेरा...."
"अबे चल ना,तेरी भाभी बैठी है कॅंटीन मे..."
"बोला ना एक बार ना..."
"वैसे दिव्या के साथ एश भी है अरमान भैया...."मुस्कुराते हुए फर्स्ट एअर के उस लड़के ने कहा....
"सच और कौन-कौन है वहाँ..."
"दोनो अकेली बैठी है...जब मैं वहाँ गया तो दिव्या किसी लड़के से बहस कर रही थी...पता नही क्या लफडा है..."
"ऐसा क्या, अच्छा ये बता गौतम भी है क्या उधर..."
"नोई..."
"अरुण चल,आज तेरी माल पर हाथ सॉफ करके आते है..."
"क्या बोला बे "
"बोले तो उसपर हाथ सॉफ करके आते है,जो तेरी माल से उलझ रहा है..."
हम दोनो कॅंटीन की तरफ बढ़े ही थे कि सौरभ और सुलभ ने हमे पकड़ कर पीछे खीचा और बोला"दो से भले चार..."
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"चार से भले दो..."उन दोनो को रोक कर अरुण बोला"वहाँ माल हम दोनो की फसि है और बचाने तुम दोनो जाओगे और वैसे भी झुंड मे कुत्ते आते है और हम शेर है ,चलो अभिच फुट लो इधर से ,दिखना मत इधर अब..."
सौरभ और सुलभ को वापस भेजने के बाद हम दोनो कॅंटीन की तरफ तेज़ी से भागे,
ना जाने मैं क्या-क्या सोच कर आया था...मैने सोचा था कि मेरे उल्लू दोस्त अरुण की तरह किसी दूसरे उल्लू का दिल दिव्या पर आ गया होगा और वही लफडा चल रहा होगा या फिर किसी ने गान्ड कॉमेंट उन दोनो को देखकर मार दिया होगा,या फिर किसी ने उनका सबके सामने मज़ाक उड़ाया होगा...या फिर ऐसा ही कुच्छ दूसरा कांड हुआ होगा,लेकिन जब हम वहाँ पहुँचे तो दूसरा ही नज़ारा देखने को मिला....एश आराम से अपनी जगह पर बैठकर कोल्ड ड्रिंक की चुस्किया ले रही थी और दिव्या उससे दूर काउंटर पर खड़ी होकर कॅंटीन मे काम करने वाले लड़के से लड़ाई कर रही थी....
"ये चिप्स बाहर 15 मे मिलता है तो फिर यहाँ 20 मे क्यूँ..."दिव्या जोरदार आवाज़ मे बोली..
"वो सब मेरे को नही मालूम,अपने को तो 20 मे देने को कहा गया है,इसलिए अपुन तो 20 ही लेगा..."
"ऐसे कैसे 20 लेगा..."उस लड़के को घूरते हुए दिव्या चीखी...
"वो तो अपुन लेकर ही रहेगा..."वो लड़का भी दिव्या को घूरते हुए चीखा...
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"अरुण,जा 5 तू अपनी तरफ से दे दे और मामला ख़त्म कर "
"लेकिन मेरे पास खुल्ले नही है यार..."
"अबे तो 10 का नोट दे देना बक्चोद..."
"ठीक है..."बोलकर अरुण दिव्या की तरफ बढ़ा और मैं अपनी गोरी बिल्ली की तरफ जा पहुचा....
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"हाई..."जहाँ एश बैठी थी ,वही उसके पास बैठकर मैने कहा..
"हाई.."कुच्छ देर के लिए उसने अपने मुँह से स्ट्रॉ निकाला और मुझे ही बोलकर वापस कोल्ड ड्रिंक पीने लगी...
"सुन तो.."उसकी तरफ थोड़ा झुक कर मैं बोला...
"क्या है..."वो भी मेरी तरफ झुकी...
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