RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
भू अभी तक घर से नही आया था और आज मैं और अरुण ही कॉलेज पहुँचे, क्लास वही थी और टीचर भी जानी पहचानी थी....
"ये दमयंती फिर,बाहर करेगी..."क्लास से जब हम दोनो थोड़ी दूर पर थे, तब मैने कहा...क्यूंकी इस वक़्त कॉरिडर पर सन्नाटा फैला हुआ था और क्लास भी बिल्कुल शांत थी,जिसका एक ही मतलब था कि दंमो रानी क्लास के अंदर मौज़ूद है....
वैसे तो मुझे 100 % श्योर था कि दंमो हम दोनो को क्लास मे घुसने नही देगी,लेकिन फिर भी ट्राइ करने मे क्या जाता है,ऐसा सोचकर मैं बोला"मे आइ कम इन...."
उसने हमे देखा और कुछ देर बाद बोली"कम इन, यदि थोड़ा लेट और हुए होते तो क्लास मे एंटर होने नही देती..."
"थॅंक यू मॅम..."बोलकर मैने और अरुण ने अपनी सीट पकड़ ली...
अब क्यूंकी मुझे पहले से ही मालूम था कि दीपिका मॅम से मिलना नही हो पाएगा तो मैं थोड़ा उदास सा था, क्यूंकी.....यदि सीधे लफ़ज़ो मे कहा जाए तो मैं उसे चोदना चाहता था...उसके मुँह मे, चूत मे अपना लवडा पेल देना चाहता था...और अब जबकि वो हमारे साथ नही है तो ये काम करना लगभग नामुमकिन था...क्यूंकी जो मैं सोच रहा हूँ,उसके हिसाब से उसने कोई दूसरा अरमान ढूँढ लिया होगा..जो रिसेस मे उसके साथ लॅब मे वक़्त बिताए, लेकिन मैं इतना तो पक्के तौर पर कह सकता हूँ कि उसे मेरी याद तो ज़रूर आएगी क्यूंकी हर लड़का....अरमान नही हो सकता और ना ही अरमान की तरह ब्रिलियेंट और हॅंडसम
खैर जो भी था पर सच यही था कि अब मुझे दीपिका को पूरी तरह से भूल कर आगे बढ़ना होगा, दूसरा ख़याल ये आया कि एश और गौतम की प्रेम कहानी को कैसे तोड़ा जाए, क्यूंकी छुट्टियो के दिनो मे तो उन दोनो ने बहुत समय साथ बिताया होगा.....
"हे...यू..."
"यस सर..."खड़े होते हुए मैने कहा और सामने देखा , हमारी दंमो रानी से कुर्रे सर ने पोज़िशन कब एक्सचेंज कर ली ,इसका मुझे पता तक नही चला और इस वक़्त मेरे सामने कुर्रे सर थे...
"कहाँ देख रहे हो..."
"कही नही...."
"मैं तुम लोगो को पढ़ने के लिए कल रात भर 3-3 बुक्स से पढ़कर आया हूँ और तुम सामने देखने की बजाय नीचे सर झुकाए बैठे हो...लकवा मार गया है क्या..."
"वो सर,मैं अपना पेन निकाल रहा था बॅग से..."
"पर बॅग तो तुम्हारा डेस्क के उपर है, नीचे कहाँ से पेन निकाल रहे थे..."
"बॅग से निकालते वक़्त नीचे गिर गया था, तो उठा रहा था...."
"बाहर जाओ, मैं नही चाहता कि किसी एक की वजह से पूरी क्लास डिस्टर्ब हो..."
"क्या सर..."
"गेट आउट...."कुर्रे ने अपनी लाल होती आँखो से मुझे घूरते हुए कहा...
"साले कल्लू, तेरी माँ की चूत...बोसेडीके,म्सी,बीसी"साइलेंट मोड मे अपने होंठ हिलाते हुए मैं क्लास से बाहर आया....
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मैं वाकई मे सुधरना चाहता था, घर मे बिताए हुए 15 दिनो ने मेरे अंदर एक गहरी छाप छोड़ी थी....लेकिन इस वक़्त मैं क्लास के बाहर खड़ा होकर होड़ को गाली दे रहा था,क्यूंकी होड़ सर आज ,उस कल्लू कुर्रे की क्लास ख़त्म होने से पहले ही आ पहुँचे थे और मुझे क्लास के बाहर देखकर उन्होने रीज़न पुछा...तो मैने सच बता दिया कि मैं क्लास मे ध्यान नही दे रहा था ,इसीलिए कुर्रे सर ने मुझे बाहर भगा दिया....
"मेरी क्लास मे भी मत आना अब, समझे..."
"तेरी माँ की...."सर झुकाकर मैं बोला"ओके सर..."
और अब मैं लगातार दो पीरियड भर क्लास के बाहर था...उपर से होड़ सर ने ये भी कहा था कि मैं क्लास के गेट के सामने ही खड़ा रहूं, ताकि वो और पूरी क्लास जब बोर हो जाए तो मुझे देखकर अपना टाइम पास कर सके...मैं क्या करता,होड़ सर की बात टाल कैसे सकता था आख़िर मेरा सारा लेखा जोखा तो उन्ही के हाथ मे था...मैं पूरी पीरियड भर गेट के सामने खड़ा रहा और रिसेस होने का इंतज़ार करता रहा...हमारी हर एक क्लास 50 मिनिट्स की होती थी ,तो उसके हिसाब से मैं पूरे एक घंटे 40 मिनिट्स तक बाहर खड़ा रहा, और इस बीच पैर इतना दर्द देने लगा कि ,रिसेस होने के बाद मैं तुरंत अपने बेंच पर जाकर लेट गया, अपने बेंच पर पैर फैलाए तो वो बगल वाली बेंच से जा टकराए ,और मैने बिना किसी की परवाह किए हुए दो-दो बेंच पर पैर पसारे और तब तक लेटा रहा, जब तक अरुण बाहर से घूम फिरकर मेरे पास नही आ गया....
"ओये, उठ...बाहर तेरी माल है..."
"कौन..एश..."मैं तुरंत उठकर बैठ गया...
"नही,शेरीन है...."
"सच बता..."
"एश है, लेकिन उसके साथ मे गौतम भी है...."
"तो क्या मैं डरता हूँ उससे ,जो मुझे बता रहा है..."मैं एक दम जोश मे खड़ा हुआ फिर बोला"चल आ बाहर चलते है..."
हम दोनो बाहर आए, बाहर कॉरिडर मे हमारे क्लास के कुछ और लड़के थे,जो अनाप-सनाप बाते करके अपना टाइम पास कर रहे थे...मैं और अरुण भी उनके उस अनाप-सनाप गॉसिप मे शामिल हो गये....
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अपने दोस्तो से बाते करते हुए मैं बीच-बीच मे एश की तरफ देखता, वो गौतम के साथ दीवार की टेक लिए हुए बाते कर रही थी...मैं ,जो कि अब सारीफ़ नही रहा , एश को देखते ही इतना एमोशनल कैसे हो जाता हूँ ,ये मेरी समझ के उस वक़्त भी बाहर था और अब भी बाहर है....उस वक़्त मैं एश को देखकर यही सोच रहा था कि "क्या उसे कोई फरक नही पड़ता मेरे होने या ना होने से.. या फिर वो मुझे ये शो नही करती...इतनी दिन की लड़ाई को वो इतनी जल्दी तो नही भूल सकती...."
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मैं आगे भी बहुत कुछ सोचता यदि गौतम के मोबाइल की रिंग ना बजी होती, जनरली कॉलेज मे सभी अपना मोबाइल साइलेंट ही रखते थे,लेकिन उस उल्लू ने ऐसा नही किया हुआ था...उसने कॉल रिसीव की और फिर एश की तरफ इशारा करते हुए बोला कि उसे जाना पड़ेगा.......
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"साले की क्या किस्मत है...वो उसे छोड़ के जा रहा है, तब भी वो उसी के साथ चिपकी रहेगी और इधर मैं उसके लिए इंजिनियरिंग तक छोड़ने को तैयार हूँ,लेकिन वो एक नज़र उठा कर देखती भी नही..."
"कुछ ज़्यादा नही हो गया..."
"सच...ले फिर मैं ऐसे बोल देता हूँ कि मैं उसके लिए सिगरेट छोड़ने को तैयार हूँ...."
"बेटा,मैने तो पहले ही कहा था कि ,इस लौंडिया के चक्कर मे मत पड़...यदि इसकी जगह तूने दीपिका मॅम को तीन-तीन लॅंग्वेज मे आइ लव यू बोला होता तो...अब तक तू उसे तीन बार ठोक चुका होता...वो तेरा इतना ख़याल रखती जैसे कि वो तेरी बीवी हो...मस्त चुदवाती और अपनी सॅलरी का कुछ हिस्सा तुझे ऐश करने के लिए भी देती...इससे हमारा भी कुछ भला हो जाता..."
एक पल के लिए मुझे भी यही लगा कि मुझे एश को छोड़ कर दीपिका मॅम पर ध्यान देना चाहिए था लेकिन उसके अगले पल ही मैने एश को ,जो की अब अकेली खड़ी थी,उसे देखते हुए अरुण से बोला...
"नही यार..."
"क्या नही..."
"दीपिका मॅम, मालदार भी है और शानदार भी...लेकिन उनमे वो बात नही है...."
"एश से तो हर क्वालिटी और क्वांटिटी मे दीपिका मॅम बेटर है..."
"दीपिका मॅम को देखकर लंड खड़ा होता है, दीपिका मॅम को जब भी देखता हूँ तो नज़र सीधे उनके सीने,चूत,गान्ड पर ही जा के रुकती है....लेकिन एश को देखकर लेफ्ट साइड धड़कता है...आइ लव हर यार,तू मान या ना मान..."
"चल प्रूव कर..."
"कैसे..."
"मैं एक काम बोलूँगा और तुझे वो करना पड़ेगा...."
"कैसा काम"मैने आर्मी स्टाइल मे तन्कर खड़ा होते हुए अरुण से पुछा..
"ऐसी शकल क्यूँ बना रहा है,मैं तुझे यहाँ से नीचे कूदने के लिए नही बोलूँगा ,बेफिकर रह..."फिर अपने होंठो पर मुस्कान लाते हुए अरुण बोला"कभी एश को टच किया है..."
"ह्म्म्म...ना,कभी नही,बिल्कुल भी नही,ज़रा सा भी नही...एश को तो बस देखा है..."
"आज एश को जाकर छु के दिखा..."
"पागल है क्या बे, सबके सामने इज़्ज़त की वॉट क्यूँ लगवा रहा है..."
"हज़ार की शर्त है..."
"घंटा मुझे हज़ार रुपये से ज़्यादा अपनी जान प्यारी है...वो मेरा खून कर देगी..."
"फिर तो मैं यही समझूंगा कि ,तेरी मे वो दम नही है...जो रोमिओ मे उसकी जूलिएट के लिए था, मजनू मे उसकी लैला के लिए था, रांझा मे उसकी हीर के लिए था..."
"देख ,तू मुझे जानता नही...यदि मैं चाहू तो अभी इसी वक़्त उसे किस कर लूँ और वो मुझे कुछ बोलेगी भी नही..."
"पहले तो उसे उसकी मर्ज़ी से टच करके दिखा..."
"मैं उसे नही,वो मुझे टच करेगी...लेकिन एक शर्त पर, शर्त हज़ार की नही दो हज़ार की होगी..."
"डन..."अरुण खुश होते हुए बोला...
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अब जब अरुण के सामने अपनी शेखी झाड़ ही आया था तो उसे अब सही भी साबित करना था...वरना अच्छी ख़ासी रेप्युटेशन की धज्जिया उड़ जाती...मैं अपने दिमाग़ मे एक प्लान बनाते हुए धीरे-धीरे एश की तरफ बढ़ा...वो अब भी वहाँ अकेली खड़ी थी और किसी से फोन मे बात कर रही थी, मैं उससे लगभग एक मीटर की दूरी पर खड़ा हुआ और इंतज़ार करने लगा उस वक़्त का,जब वो कॉल कट कर दे....जैसे ही उसने ऐसा किया,मैं धीमी आवाज़ मे गुनगुनाया...
"तुम्हारी नज़रों मे हमने देखा...अजब सी चाहत झलक रही है..."
वो एक बार मेरी तरफ पलटी और मुझे देखते ही गुस्से से भर गयी, मैं उसके करीब गया और एक बार फिर से वही गाना गुनगुनाया....
"क्या है..."
"तुझे कही देखा है, कल हॉस्टिल मे तू ही झाड़ू लगा रही थी ना..मेरा रूम सॉफ करना भूल गयी,"
"दिमाग़ तो सही है..."दाँत चबाते वो बोली...
"मज़ाक था..."
"मज़ाक उनसे किया करो,जो तुम्हारे दोस्त हो..."
"तू सच मे चुड़ैल है,..डायन कही की..."
"शट अप...."
"अपना तो सुबह से शट डाउन है..."मैं उसके और करीब जाते हुए बोला"ये तेरा बाय्फ्रेंड,मुझसे डरता बहुत है...मैं जैसे ही क्लास से बाहर आया तो वो खिसक लिया..."
"वो किसी से नही डरता.."
"और ये तुम्हे कैसे मालूम ?"
"क्यूंकी मुझे मालूम है कि वो यहाँ से क्यूँ गया..."
"क्यूँ...?"
"क्यूंकी उसे फेरवेल पार्टी अरेंज..."बोलते हुए वो रुक गयी "एक्सक्यूस मी, मैं तुम्हे क्यूँ बताऊ कि वो यहाँ से क्यूँ गया..."
"चल गुस्सा छोड़..और बता कैसी बीते हॉलिडे..."
"दट डज़न्ट युवर बिज़्नेस..."
"कुछ नया ,कुछ पुराना कुछ तो बता..."
"दट डज़न्ट युवर बिज़्नेस..."
इसी बीच मैने एक नज़र दूर खड़े अरुण पर डाली,जो अपनी घड़ी मे इशारा करके मुझे बता रहा था कि रिसेस का टाइम जल्द ही ख़त्म होने वाला है...मैं एश से और भी बाते करता, उसका सर खा जाता...लेकिन टाइम की कमी की वजह से मैं सीधे पॉइंट पर आया,...
कुछ दिन पहले जब मैं घर मे था तो सर से स्ट्रेस दूर करने के तरीके इंटरनेट पर तलाश रहा था,तभी मुझे कुछ ऐसा मिला जिसके द्वारा हम किसी भी शक्स को कुछ पल के लिए हिप्नोटाइज़ड कर सकते है, इसका असर सामने वाले शॅक्स पर 5 से 10 सेकेंड्स तक रहता है और इस हाइप्नॉटाइज़ को अप्लाइ करने के लिए बस कुछ ऐसा कहना पड़ता है,जिसे सुनकर सामने वाला कुछ देर के लिए होश खो बैठे....इस तरह से हाइप्नॉटाइज़ करने के लिए अलग ही टोन मे बोलना पड़ता था, जो की डिपेंड करता था कि आप किसी मेल को हाइप्नॉटाइज़ कर रहे है या किसी फीमेल को....इधर एश को भी टाइम का अंदाज़ा हुआ तो वो क्लास के अंदर जाने के लिए हुई,लेकिन मैने उसे आवाज़ दी...
"आइ'म नोट इंट्रेस्टेड टू टॉक वित यू..."
"तेरे इश्क़ की वजह से यदि कोई मेरे सीने मे खंज़र खोंप दे या फिर दिल निकाल कर अंगारो के बीच रख दे..."उसके बाद मैने आवाज़ तेज़ और भारी करते हुए कहा" तेरे इश्क़ की वजह से यदि कोई मेरे सीने मे खंज़र खोंप दे या फिर दिल निकाल कर अंगारो के बीच रख दे..तो मुझे इसकी ज़रा सी भी परवाह नही...,लेकिन तेरी आँखो से आँसू का एक बूँद भी निकला तो वो मेरे लिए कयामत है..."
मेरा फ़ॉर्मूला एक दम फिट बैठा था, मेरे बोलने के अंदाज़ से एश एक दम शांत होकर मेरी आँखो मे देखती रही और तभी मैने अपना एक हाथ उसकी तरफ बढ़ाते हुए कहा"दे ताली...इसी बात पर..."
उसने वैसा ही किया और अपना हाथ मेरे हाथ पर रख दिया..और जब उसका हाथ मेरे हाथ से छु गया तो मैं तुरंत वहाँ से अरुण की तरफ बढ़ चला....
"क्यूँ बे,हार्ट अटॅक आ गया ना, दो हज़ार गँवाने के बाद..."
"तू तो भाई है अपना...तू अब मेरे से पैसे लेगा क्या..."
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मैं आगे की कहानी भी नोन-स्टॉप सुनाए जाता यदि उसी वक़्त निशा का कॉल ना आया होता तो, इस वक़्त शाम के 5 बजे थे और बाहर का मौसम बादल के घिरे होने से एक दम बढ़िया था और मन को सुकून देने वाला था
"हां,निशा..."मैने कॉल रिसीव की..
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"कहाँ हो अरमान...फॅक्टरी से निकल गये..."
"नही तो...तुम्हे ऐसा क्यूँ लगा कि मैं फॅक्टरी से निकल चुका हूँ.."
"आज वो कान को फाड़ कर रख देने वाली आवाज़े नही आ रही ,इसलिए....वैसे जानेमन हो कहाँ..."
"जानेमन....कल रात के बाद आवाज़ काफ़ी बदली-बदली सी लग रही है..."उसे छेड़ते हुए मैने कहा"भूलो मत कि दो हफ्ते बाद तुम्हे देखने के लिए तुम्हारे पातिदेव आ रहे है,कुछ तो उनके लिए बचा कर रक्खो..."बोलते हुए मैं हंस पड़ा...
"तुम्हारे रहते हुए,उस चपडू की ज़रूरत...कहो तो मामला फिट करूँ..."
"कैसा मामला..."मैं बोला...
इस वक़्त मेरे मोबाइल का लाउडस्पिकर ऑन था और अरुण ,निशा की बाते सुनकर बड़ा खुश हो रहा था...उसने दबी हुई आवाज़ मे कहा कि मैं उसे हां बोल दूँ...लेकिन मैने ऐसा नही किया...
"कैसा मामला..."मैं बोला...
"हम दोनो का मामला "
"क्या....मतलब कि..."
"मतलब कि, तुम चाहो तो हम दोनो ज़िंदगी भर....."फिर वो चुप हो गयी, और इधर मैं भी चुप चाप मोबाइल को कान से लगाए हुआ था...मुझे कल ही ये अंदाज़ा हो चला था कि निशा ऐसा ही कुछ बोलेगी...लेकिन इतनी जल्दी.....ये मैने नही सोचा था....
"तुमने जवाब नही दिया..."हम दोनो के बीच की चुप्पी को तोड़ते हुए वो बोली...
"निशा, आक्च्युयली अभी कुछ काम आ गया है, शाम को बात करता हूँ..."बोलते हुए मैने तुरंत मोबाइल की रेड बटन दबा दी.....
मैं अब ये सोच रहा था कि मेरे दोनो दोस्त जो कुछ देर पहले तक निशा से मेरी बात-चीत को बड़े गौर से सुन रहे थे...वो अब मुझे अपनी सलाह देंगे...लेकिन साले बड़े कमीने निकले...मैने मोबाइल अपनी जेब मे घुसाया और इंतज़ार करने लगा उनकी सलाह का....
"अबे बकलुंडो, कुछ तो बको..."जब कुछ देर तक दोनो मे से कोई नही बोला तो मैं झल्लाया...
"अरमान,...मुझे नही लगता कि तू सच बोल रहा है..."
"कैसा सच "
"यही की उस दिन तूने एश को हिप्नोटाइज़ड किया था..."वरुण अपनी जगह से उठकर मेरे पास आया "तू साले हमे चोदु बना रहा है...तूने ज़रूर एश से कहा होगा कि वो अपना हाथ तेरे हाथ मे दे दे, बदले मे तू उसे शर्त के आधे पैसे दे देगा....आम आइ राइट अरुण अंकल..."
अरुण तो था ही इसी मौके की तालश मे ,वो उछाल कर वरुण का साथ देने आया"मुझे तो उसी दिन इसपर शक़ हो गया था..."
"अबे गधो...वो खन्ना की एकलौती बेटी थी, वो हज़ार रुपये के शर्त के लिए मेरा साथ क्यूँ देगी..."
"लेकिन फिर भी मैं नही मानता कि तूने उसे हिप्नोटाइज़ड किया था...यदि किया था तो ले मुझे भी हिप्नोटाज़ड़ कर..."
"उसे हिप्नोटाइज़ड नही कहते...."
"अब आया ना बेटा लाइन पर...."
"उसे कुछ और ही कहते है,क्या कहते है...मालूम नही,लेकिन उसके ज़रिए कुछ देर तक सामने वाला शक्स शॉक्ड हो जाता है...मुझे उस वक़्त मालूम था कि एश मेरे द्वारा कहे गये प्यार के उन दो मीठे बोल से शॉक्ड हो जाएगी..."
"तो बात तो घूम फिर कर वही आ गयी ना ,हिप्नोटाइज़ड पर...या जो भी कहते हो उसे...तू सच-सच बता कि तूने एश से क्या कहा था उस दिन.."
"बता तो दिया कि क्या कहा था..."
"मैं नही मानता..."
"तो मत मान ,मुझे क्या..."बोलकर मैं वहाँ से उठा...तभी वरुण शेर की तरह दहाड़ मारकर बोला...
"यदि सच नही बताया तो ,अभिच निशा को कॉल करके बोल दूँगा कि तू सुबह से यही पड़ा है...."
"अबे पागल है क्या...रुक अभी तेरा डाउट क्लियर करता हूँ..."
मैने अरुण और वरुण दोनो को बाल्कनी की तरफ बुलाया और हमारे फ्लॅट के सामने से जो छोटी सी गली निकली हुई थी उसपर अपना शिकार ढूँढने लगा और तभी मुझे मेरे फ्लॅट की तरफ आ रहा एक लड़का दिखा.....
"अपना सर बचा कर...."बोलकर मैं अंदर गया और एकलौता हेल्मेट जो दीवार पर टंगा हुआ था ,उसे लेकर वापस बाल्कनी की तरफ आया....
"तू करने क्या वाला है..."
"वो तो आगे ही पता चलेगा..."
इसके बाद जो लड़का हमारे फ्लॅट की तरफ आ रहा था ,वो जब थोड़ी दूर पर था तो मैने उसे आवाज़ दी और ठीक नीचे आने के लिए कहा....
"क्या है..."वो लड़का बोला...
"तेरा बाप मर गया है, वापस जा..."मैने ज़ोर से बोला और अपना चेहरा रोने जैसे बना लिया....जबकि ना तो मैं उसे जानता था और ना ही उसके बाप को....
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