RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
उस वक़्त भू के उपर मेरा पूरा दिमाग़ उखड़ा हुआ था...साला मुझे बोल कैसे सकता है कि दीपिका मॅम मुझसे नही पट सकती....अरुण जब बहुत देर तक पानी लेकर नही आया तो हम दोनो ही बाहर निकले, मैने ये अंदाज़ा लगाया था कि हॉस्टिल मे हमारे रूम के बाहर बाकी लड़के झुंड बनाकर खड़े होंगे और हमसे पुछेन्गे कि सीनियर्स ने हमारी रॅगिंग कैसे ली...लेकिन उस वक़्त वहाँ कोई नही था, और जब आस-पास के रूम से जानी पहचानी आवाज़ जैसे कि थप्पड़, गालियाँ...आई तो मैं समझ गया कि ये सब झेलने वाला मैं अकेला नही हूँ....और सबसे ज़्यादा सुकून मुझे इस बात से मिल रहा था कि अब कोई मुझे ये नही कहेगा कि मैं डरपोक हूँ, क्यूंकी उस वक़्त तो सभी डरपोक थे......
"कहाँ मर गया था बे..."वॉटर कूलर की तरफ जाते हुए हमे अरुण मिला लेकिन उसके हाथ मे पानी का बोतल नही था , और वो हाँफ भी रहा था....
"कुछ सीनियर ने पकड़ लिया था..."अपने घुटनो पर हाथ रखकर हान्फते हुए वो बोला"जा मेरे लिए पानी लेकर आ...."
"बोतल तो आप ले गये थे..."
"वॉटर कूलर के पास जो ग्लास रखा होगा, उसी मे ले आ...."और लड़खड़ाते हुए अरुण रूम की तरफ निकल गया.....
मेरी और भू की हालत तो फिर भी ठीक थी ,लेकिन अरुण बिस्तर पर लेटा उल्टी साँसे भर रहा था.....
"अबे गर्ल्स हॉस्टिल मे कैसी रॅगिंग होती होगी..."भू वैसे शकल से तो चोदु दिखता था, लेकिन ट्रिक बड़ी धाँसू लगता था,.....
"मेरे ख़याल से सीनियर गर्ल्स, जूनियर गर्ल्स को ब्लूफिल्म दिखाकर अपना चूत चटवाती हों..."भू के इन अनमोल शब्दो ने मेरा और अरुण का रोम-रोम खड़ा कर दिया.....
"पागल है क्या बे, ऐसा थोड़े होता है..."मैने ऐसा इसलिए कहा ताकि भू अपने शुद्ध दिमाग़ से और भी ऐसे ख़यालात बुने, जिससे की हमारा रोम-रोम खड़ा हो जाए.....
"अबे किसी प्राइवेट कॉलेज मे तो सीनियर लड़के, ब्लूफिल्म दिखा रहे थे....लेकिन फिर पोलीस केस बन गया.."
फर्स्ट एअर का स्टूडेंट होने के नाते मुझे वैसे अच्छी बाते करनी चाहिए थी, लेकिन मेरा तर्की दिमाग़ उस वक़्त पूरे ले मे था,...
"जिस कॉलेज मे ये हुआ, उस वक़्त वहाँ फर्स्ट एअर के लड़के भी मौजूद थे क्या..."मैने सवाल किया और बेसब्री से जवाब का इंतज़ार करने लगा....
"तेरा मतलब ,जब फर्स्ट एअर की लड़कियो को ब्लूफिल्म दिखाया जा रहा था तब..."
"हां...हां, उसी वक़्त..."
"मालूम नही "
"साले ने कलपद कर दिया "
"मैं तो गर्ल्स हॉस्टिल जाउन्गा..."अरुण की साँस सीधी चलने लगी तो वो भी हमारी ज्ञान देने वाली बातो मे शामिल होते हुए बोला....
"क्या करेगा वहाँ जाकर सीनियर्स की चूत चाटेगा...."
"नही बे, सुनने मे आया है कि कुछ लड़के हमेशा गर्ल'स हॉस्टिल मे अपनी सेट्टिंग से मिलने - जुलने जाते रहते है....तो क्यूँ ना अपुन लोग भी चले..अरमान तू क्या बोलता है..."
""कॉलेज मे जाकर पढ़ाई करना बे, लौंडिया बाज़ी मे बिज़ी मत रहना और ना ही इस चक्कर मे पड़ना..."
"जी भाई..."
"अबे किधर मर गया..."मेरे कंधो को ज़ोर से हिलाते हुए अरुण ने मुझसे दोबारा पुछा...जिसके लिए मैने तुरंत ना कर दी और प्लान ये बना कि मौका देखते ही अरुण और भू गर्ल'स हॉस्टिल मे जाएँगे और मैं यहीं रूम मे पड़ा-पड़ा मक्खिया मारूँगा.....
अगले दिन हम फिर कॉलेज के पीछे वाले गेट से अंदर जा रहे थे, लेकिन आज भू भी हमारे साथ था, वो 5 चुड़ैल आज भी गेट के बाहर खड़ी थी.....
"मर गये..."
"मर्द बन बे, इन लौंदियो से क्या डरता है..."भू सीना तान के आगे चलता हुआ बोला...
"ओये चूतिए..."उन 5 चुडेलो मे से एक ने भू को आवाज़ दी "इधर आ बे चपरगंजू..."
पहले पहल तो भूपेश को यकीन नही हुआ और वो वही खड़ा होकर पीछे की तरफ देखकर कन्फर्म करने लगा कि उन्होने उसे ही चूतिया और चपरगंजू कहा...लेकिन जब उनमे से एक ने मादरचोद कहा तो भू को यकीन हो गया कि वो लड़किया उसे ही बुला रही है.....
"क्यूँ बे तुझे सुनाई नही देता..."भू की आँख मे लगे चश्मे को निकालकर उनमे से एक बोली, आज वहाँ उन पाँच चुडेलो मे सात साल से इंजिनियरिंग करने वाले वरुण की माल भी थी....
"एक भारतीय नारी को इस तरह से बात करना शोभा नही देता...."भू ने बुरी शकल बनाकर कहा और ये सुनते ही वो पाँचो चुड़ैल हंस पड़ी, हँसी तो मुझे और अरुण को भी आई लेकिन हम दोनो ने जैसे-तैसे अपनी हँसी को कंट्रोल किया.....
"मेरा नाम विभा है..."वरुण की आइटम ने अपना हाथ भू की तरफ करते हुए मुस्कुरा कर बोली,...
"माइसेल्फ भू..."विभा का हाथ अपने हाथो मे थामकर भू ने जवाब दिया"विभा, वो दोनो मेरे दोस्त है...अरुण आंड अरमान..."
विभा ने पहले अरुण को देखा और फिर उसकी नज़र मुझसे मिली और वो खिलखिला कर हंस पड़ी "ये तो वही चूतिया है, जिसके मुँह पर मैने समोसा पोता था...."
"तेरी माँ की "मेरा दिल एक बार फिर खुद पर चिल्लाया....
भू ने उन लड़कियो से कुछ देर और बात की और जिस शालीनता से वो पाँचो आइटम भू से बात कर रही थी उससे मेरे दिल मे एक डर पैदा हो गया कि कहीं ये एश को ना पटा ले.....
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"वो आई है क्या..."अपने क्लास मे घुसने से पहले मैं एश की क्लास मे घुसा, और पिछले कुछ दिनो की तरह आज भी अरुण के दोस्त ने ना मे सर हिला दिया और उदास मन से मैं वहाँ से अपने क्लास मे आया, वैसे आज का फर्स्ट पीरियड तो दम्मो रानी का था, लेकिन उसकी जगह दीपिका मॅम आई थी और मैं समझ गया कि इस पूरे पीरियड को अपना सर झुका कर गुज़ारना है....
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"अरमान, स्टॅंड अप...."दीपिका मॅम ने मुझे आवाज़ दी, लेकिन क्यूँ...ना तो मैने पूरी क्लास मे कुछ बोला और ना ही किसी से बात की,...उस क्लास मे उस वक़्त सबसे शांत बच्चा मैं ही था, फिर मुझे क्यूँ खड़ा किया
"व्हाट ईज़ जेवीएम ? " अपनी जगह पर मैं ठीक से खड़ा भी नही हो पाया था कि उसने मिज़ाइल दाग दी....दीपिका मॅम के इस क्वेस्चन का आन्सर देना तो दूर की बात थी मैने तो ये वर्ड जेवीएम ही पहली बार सुना था.....
"चुप क्यूँ हो आन्सर बताओ, अभी कुछ देर पहले ही तो बताया था...."
"मॅम, वो मैं भूल गया....एक बार फिर से बता दो..."कुछ देर तक दीपिका मॅम को देखा, फिर सामने की दीवार को देखा, और जब कुछ नही सूझा तो कुछ देर इस इंतज़ार मे चुप-चाप खड़ा रहा कि शायद मेरे अगल-बगल बैठे नवीन और अरुण मे से कोई धीरे से बोल दे,...लेकिन जब चारो खाने मैं चित हो गया तो दीपिका मॅम के आगे मैने सरेंडर कर दिया.....
"जावा वर्चुयल मशीन....अब याद रखना..."स्माइल मारते हुए वो बोली, मुझे आन्सर उसने इस अंदाज़ मे बताया जैसे कि थे मेट्रिक्स मूवी उसी ने बनाई हो....
"नाउ सिट डाउन..."घमंड भरी आवाज़ मे वो बोली...
उसके बाद उसने अपना प्रवचन फिर चालू कर दिया, आधे लुढ़क गये और आधे सामने की तरफ देखकर अपने ख़यालो मे खोए हुए थे....
"नाउ आइ'म गोयिंग टू अस्क सम बेसिक क्वेस्चन्स...."
"अरमान...."
"यस मॅम..."एक बार फिर बलि बकरा मैं ही बना(आ चूस ले अरमान का, साली जब देखो गान्ड हिलाती रहती है...)
"कुछ नॉर्मल क्वेस्चन पुच्छ रही हूँ तुमसे, आइ होप कि मुझे जवाब मिलेंगे..."
"आइ विल ट्राइ..."....(लंड फैंक के मारूँगा नही तो बैठा दे)
"विंडोस एक्सपी क्या है..."
"मतलब..."
"मतलब कि व्हाट डू यू मीन बाइ विंडोस एक्सपी ? "
"वो तो ऑपरेटिंग सिस्टम है, बस इतना ही मालूम है..."
"नोट बॅड, अच्छा ये बताओ, कंप्यूटर यूज़ करते हो..."सामने की चेयर पर अपनी गान्ड सटा कर उसने अगला सवाल किया...
"बिल्कुल करता हूँ..." (ब्लूफिल्म देखने का मज़ा तो बड़े स्क्रीन मे ही आता है...)
"तो बताओ कि किसी भी डॉक्युमेंट को प्रिंट करने के लिए शॉर्टकट तरीका क्या है...."
"कटरल + प...."इधर एक तरफ मैने जवाब दिया और वही दूसरी तरफ अपने बड़े भाई का मन ही मन शुक्रिया अदा किया , क्यूंकी उन्ही के बदौलत ही मैने इस सवाल का जवाब दिया था.....
दीपिका मॅम के दो क्वेस्चन्स का आन्सर क्या दिया, उसने मुझे कंप्यूटर की दुनिया का गॉडफादर समझ लिया और फिर एक के बाद एक सवाल पूछती गयी, और मैं हर बार यही बोलता"सॉरी मॅम...."
सीएस सब्जेक्ट का कोई थियरी एग्ज़ॅम नही था, ये सब्जेक्ट फुल्ली प्रॅक्टिकल बेस्ड था और जिस सब्जेक्ट का केवल प्रॅक्टिकल हो तो उसे प्रॅक्टिकल एग्ज़ॅम वाले दिन के आलवा किसी और दिन पढ़ना पाप था, और ये पाप मैं कैसे करता, इसीलिए दीपिका मॅम के बाकी के क्वेस्चन्स पर सिर्फ़ दो शब्द मुँह से निकले "सॉरी मॅम..."
"पढ़ना चालू कर दो ,वरना फैल कर दूँगी...सिट डाउन..."
उसने फैल करने की धमकी देकर सिट डाउन क्या बोला , मेरा शट डाउन ही हो गया, और मैं चुप चाप किसी लूटे पीटे की तरह बैठ गया.....
"अरमान, इस पर ट्राइ कर ,ये पट जाएगी..."दीपिका मॅम के क्लास से जाने के बाद अरुण बोला
"इसे पटा कर क्या करूँगा, साली चुदते वक़्त एचटीटीपी का फुल फॉर्म पुछेगि"
"अबे इससे अच्छी माल नही मिलेगी, "
"एश डार्लिंग है ना...."
" अपने अरमानो पर काबू रक्खो बेटा अरमान ,वरना....."
"वरना...."
"ये बीसी फिर आ गयी..."अरुण के इस तरह से तुरंत टॉपिक चेंज करने से मैं चौका
"क्या हुआ बे..."
"ये शेरीन लोडी ,फिर आ गयी सामने..."
मैने सामने की तरफ नज़र डाली तो देखा कि सामने वही लड़की खड़ी थी, जो कॉलेज के पहले दिन ही नेतागिरी झाड़ते हुए इंट्रोडक्षन क्लास चला रही थी, अरुण वैसे तो क्लास की दूसरी लड़कियो को गाली नही देता था,लेकिन शेरीन को देखते ही उसका पारा गरम हो जाता और उसके मुँह से शेरीन के लिए प्यार भरे शब्द निकल जाते......
"इतने दिन हो गये है और हम सब एक-दूसरे का नाम भी नही जानते...."मुँह बनाते हुए वो बोली....
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