RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
यदि कोई मुझसे पुछे कि दुनिया का सबसे बेकार, सबसे बड़ा बेवकूफ़, ईवन सबसे बड़ा चूतिया कौन है , तो मैं बिना एक पल गँवाए अपना हाथ उपर खड़ा कर दूँगा और बोलूँगा "मैं हूँ".यदि किसी को अपनी लाइफ की जड़े खोदकर बर्बाद करनी हो तो वो बेशक मेरे पास आ सकता था, और बेशक मैं उसकी मदद भी करता हूँ....
नागपुर आए हुए मुझे दो महीने से उपर हो गया था,जहाँ मैं रहता था , वहाँ से लगभग 20 कि.मी. की दूरी पर एक नयी नयी मेटलर्जिकल इंडस्ट्री शुरू हुई थी...काफ़ी धक्के मुक्के लगाकर कैसे भी करके मैने वहाँ अपनी नौकरी फिक्स की , बड़ी ही बड़जात किस्म की नौकरी थी, 12 घंटे तक अपने शरीर को आग मे तपाने के बाद बस गुज़ारा हो जाए इतना ही पैसा मिलता था....खैर मुझे कोई शिकायत भी नही थी....जैसे जैसे समय बीत रहा था, मैं उन फॅक्टरी की आग मे जल रहा था, जीने के सारे अरमान ख़तम हो रहे थे, और जब कभी आसमान को देखता तो सिर्फ़ दो लाइन्स मेरे मूह से निकल पड़ती...
आसमानो के फलक पर कुछ रंग आज भी बाकी है.........!!!
जाने ऐसा क्यूँ लगता है कि ज़िंदगी मे कुछ अरमान आज भी बाकी है.........!!!
और मेरी सबसे बड़ी बदक़िस्मती ये थी कि मेरा नाम भी अरमान था, जिसके अरमान पूरे नही हुए, या फिर यूँ कहे कि मेरे अरमान पूरे होने के लिए कभी बने ही नही थे.
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"अरमान...अरमान...उठ, वरना लेट हो जाएगा..."वरुण ना जाने कब से मुझे उठाने की कोशिश मे लगा हुआ था, और जब मैने बिस्तर नही छोड़ा तो हमेशा की तरह आज भी उसने पानी की एक बोतल उठाई और सीधे मेरे चेहरे पर उडेल दिया....
"टाइम कितना हुआ है..."आँखे मलते हुए मैं उठकर बैठ गया, और घड़ी पर नज़र दौड़ाई, सुबह के 8 बज रहे थे....भारी मन से मैने बिस्तर छोड़ा और बाथरूम मे घुस गया....
वरुण मेरा बचपन का दोस्त था और इसी की वजह से मैं नागपुर मे था, जहाँ हम रहते थे, वो एक कॉलोनी थी,जो कि शहर से दूर बना हुआ था,...इस कॉलोनी मे कयि बड़े बड़े रहीस लोग भी रहते थे, तो कुछ मेरी तरह घिस घिस कर ज़िंदगी गुजारने वालो मे से भी थे....मेरे साथ क्या हुआ, मैने ऐसा क्या किया ,जिससे सब मुझसे दूर हो गये, ये सब वरुण ने कयि बार जानने की कोशिश की...लेकिन मैने हर बार टाल दिया...वरुण प्रेस मे काम करता था, उसकी हालत और उसके शौक देखकर इसका अंदाज़ा लगाना मुश्किल नही था कि उसकी सॅलरी काफ़ी मोटी होगी और यदि मुझे कभी किसी चीज़ की ज़रूरत होती तो वो बिना कुछ कहे मुझ पर पैसे लूटा देता, ये जानते हुए भी कि मैं उसके पैसे कभी वापस नही करूँगा.....
"अब ब्रेकफास्ट क्या खाक करेगा , टाइम नही बचा है...."मैं बाथरूम से निकला ही था कि उसने मुझे टोका..."और पी रात भर दारू, साले खुद को देख ,क्या हालत बना रखी है..."
"अब तू सुबह सुबह भासन मत दे..."मैने झुझलाते हुए कहा....
"अकड़ देखो इस लौन्डे की,..."वरुण बोलते बोलते रुक गया, जैसे उसे कुछ याद आ गया हो....वो थोड़ी देर रुक कर बोला...
"वो तेरी आइटम आई थी, सुबह-सुबह...."
"कौन..."मैं जानता था कि वो किसकी बात कर रहा है, लेकिन फिर भी मैने अंजान बनने की कोशिश की...
"निशा..."
"निशा...."मैने अपना सेल फोन उठाया, तो देखा कि निशा की बहुत सारी मिस कॉल पड़ी हुई थी....
"क्या बोली वो..."
"मुझसे तो बस इतना बोल के गयी कि, अरमान जब उठ जाए तो मुझे कॉल कर ले..."
"ओके...."
निशा हमारी ही कॉलोनी मे रहती थी, वो उन अय्याश लड़कियो मे से थी, जिनके माँ-बाप के पास बेशुमार धन-दौलत होती है, जिसे वो अपने दोनो हाथो से भी लुटाए तो भी उनके बॅंक बॅलेन्स पर कोई फरक ना पड़े.....निशा से मेरी पहले मुलाक़ात कॉलोनी के गार्डेन मे ही हुई थी, और जल्द ही हमारी ये पहली मुलाक़ात बिस्तर पर जाकर ख़तम हुई,...निशा उन लड़कियो मे से थी, जिनके हर गली , हर मोहल्ले मे मुझ जैसा एक बाय्फ्रेंड होता है, जिसे वो अपनी हवस मिटाने के लिए इस्तेमाल करती है...इस कॉलोनी मे मैं निशा का बाय्फ्रेंड था, या फिर यूँ कहे कि मैं उसका एक तरह से गुलाम था.....वो जब भी ,जैसे भी चाहे मेरा इस्तेमाल करके अपने शरीर के हवस को पूरा करती थी...दिल मे कयि बार आया कि उसे छोड़ दूं, उससे बात करना बंद कर दूं, लेकिन मैने कभी ऐसा कुछ भी नही किया....क्यूंकी निशा के साथ बिस्तर पर बीता हुआ हर एक पल मुझे अपनी धिक्कार ज़िंदगी से बहुत दूर ले जाता था, जहाँ मैं कुछ पल के लिए सब कुछ भूल सा जाता था....
"चल ठीक है, मिलते है 12 घंटे के बाद..."वरुण ने मजाकिया अंदाज़ मे कहा....
हर रोज की तरह मैं आज भी उस स्टील प्लांट मे अपना खून जलाने के लिए निकल पड़ा,...मैं अभी रूम से निकला ही था कि निशा का कॉल फिर आने लगा...
"हेलो..."मैने कॉल रिसीव की...
"गुड मॉर्निंग शहाबजादे...उठ गये आप..."
"इतनी इज़्ज़त से कोई मुझसे बात करे, इसकी आदत नही मुझे...कॉल क्यूँ किया..."
"ओह हो...तेवेर तो ऐसे जैसे सच मे शहाबजादे हो...आज मोम-डॅड रात मे किसी पार्टी के लिए जा रहे है...घर बिल्कुल खाली है...."
"ठीक है, रात को खाना खाने के बाद मैं आ जाउन्गा..."
कुछ देर तक निशा की तरफ से कोई आवाज़ नही आई और जब मैं कॉल डिसकनेक्ट करने वाला था तभी वो बोली...
"खाना ,मेरे साथ ही खा लेना..."
"ठीक है, मैं आ जाउन्गा..."
निशा ने मुझे आज रात अपने घर पर बुलाया था, जिसका सॉफ मतलब था कि आज मुझे उसके साथ उसी के बिस्तर पर सोना है
निशा से बात करने के बाद मैं स्टील प्लांट की तरफ चल पड़ा, जहाँ मुझे 12 घंटे तक अपना खून जलाना था,...
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