Indian Porn Kahani वक्त ने बदले रिश्ते
08-12-2019, 12:43 PM,
#8
RE: Indian Porn Kahani वक्त ने बदले रिश्ते
हफ्ते बाद मेरे सास और सुसर को अपने बड़े बेटे के घर सियालकोट जाना था. उन का प्रोग्राम था कि वो दो दिन उधर सायालकोट में ठहरेंगे.

उन की गैर मजूदगी में में घर पर अकेली रह गई.

में ने अपने अब्बू से कहा कि आप मेरे पास रहने के लिए आ जाए. मगर अब्बू ने खुद आने की बाजिय मेरे भाई को मेरे पास रहने के लिए भेज दिया.

फिर इस बात के बावजूद के अपनी अपनी जगा हम दोनो अपनी चाँद रात वाली “ख़ाता” पर शरम सार और रंजीदा थे.

मगर जब एक हफ्ते बाद हम दोनो का फिर आमना सामना हुआ. तो हम दोनो ही एक दूसरे को रोक ना पाए और जज़्बात की रूह में बहक कर फिर दुबारा पहले वाली ग़लती दुहरा बैठे.

चाँद रात के एक वाकीया ने हम दोनो बेहन भाई की जिंदगी बदल कर रख दी है.

अब वो दिन और आज का दिन में ने इतना टाइम अपने शोहर के साथ नही गुज़ारा जितना अपने ही भाई के साथ गुज़ार चुकी हूँ.

इस से पहले हम लोग ज़्यादा तर अपनी मुलाकात अम्मी के घर या फिर मोका मिलने पर मेरे घर ही करते हैं.

अब पिछली चन्द दिनो से मेरी नंद और उस के बच्चे हमारे घर आए हुए हैं. जब कि मेरे अम्मी अब्बू भी ज़्यादा तर घर ही रहते हैं. जिस वजह से हमे आपस में कुछ करने का चान्स नही मिल रहा था.

आज मुझे ना चाहते हुए भी अपने भाई के बहुत इसरार पर इस मनहूस होटेल में पहली बार आना पड़ा और यूँ हम लोग आप के हत्थे चढ़ गये.

अपनी सारी कहानी पूरी तफ़सील से बयान करने के बाद नीलोफर खामोश हो गई.

ज़ाहिद अपने सामने बैठे बेहन भाई के चेहरों का बगौर जायज़ा ले रहा था. और उस के दिमाग़ में नेलोफर की कही हुई आखरी बात बार बार घूम रही थी.

कि उस ने इतना टाइम अपने शोहर के साथ नही गुज़ारा जितना उस ने अपने भाई के साथ गुज़ारा है.

नेलोफर की यह बात याद कर के ज़ाहिद को बहादुर शाह ज़फ़र का लिखा हुआ एक शेर याद आ गया कि,

“में ख्याल हूँ किसी और का
मुझे सोचता कोई और है”

मगर अब नेलोफर की सारी कहनी सुन कर ज़ाहिद को यूँ लगा. कि अगर नेलोफर इसी किस्म का कोई शेर अपने मुतलक कहे गी तो वो शायद कुछ यूँ हो गा कि,

“में चूत हूँ किसी और की
मुझे चोदता कोई और है”

“ अच्छा अगर में तुम को बगैर कोई रिश्वत लिए जाने दूं तो तुम लोग खुश हो गे ना?.” ज़ाहिद ने उन दोनो की तरफ़ देख कर उन से सवाल पूछा.

“क्यों नही सर,हम तो आप के बहुत शूकर गुज़ार हूँ जी” जमशेद फॉरन बोला.

नीलोफर और जमशेद दोनो को ज़ाहिद से इस बात की तवक्को नही थी. इस लिए वो उस की बात सुन कर बहुत खुश हुए.

“तो ठीक है मुझे तुम से रिश्वत नही चाहिए,मगर जाने से पहले तुम को मेरी एक फरमाइश पूरी करनी हो गी” ज़ाहिद दोनो बेहन भाई की तरफ देखते हुए बोला.




“ठीक है सर हम आप की हर फरमाइश पूरी करने के लिए तैयार हैं” जमशेद ने बिना सोचे समझे जल्दी से जवाब दिया.

जमशेद की कॉसिश थी कि जितनी जल्दी हो वो अपनी और अपनी बेहन की जान इस खबीस पोलीस वाले से छुड़वा ले.

“ वैसे तो में ने तुम दोनो को चुदाई करते हुए रंगे हाथों पकड़ा है.मगर मुझे उस वक्त यह पता नही था कि तुम दोनो का आपस में क्या रिश्ता है. अब जब कि में सारी बात जान चुका हूँ.

तो मेरी ख्वाइश है कि में अपनी आँखों के सामने एक सगे भाई को अपनी बेहन चोदते देखूं”. ज़ाहिद ने उन के सामने अपनी गंदी ख्वाइश का इज़हार करते हुए कहा.

नीलोफर और जमशेद उस की फरमाइश सुन कर हैरत से दंग रह गये.




सब से छुप कर अपने घर या होटल के कमरे में दोनो बेहन भाई की आपस में चुदाई करना एक बात थी. मगर किसी गैर मर्द के सामने अपनी ही बेहन को नंगा कर के चोदना बिल्कुल अलग मामला था. और इस बात का जमशेद में होसला नही था.

“यह किस किस्म की फरमाइश है आप की, आप को हमारी जान छोड़ने के जितने पैसे चाहिए वो में देने को तैयार हूँ मगर यह काम हम से नही हो गा”. जमशेद ने सख़्त लहजे में जवाब दिया.

“बहन चोद वैसे तो तू हर रोज अपनी ही बेहन को चोदता है और अब मेरे सामने ऐसा करने में तुझे शरम आती है.मेरे बाथरूम से वापिस आने तक तुम दोनो को एक्शन में होना चाहिए. वरना वापिस आते ही में तुम दोनो को गोली मार कर जहली पोलीस इनकाउंटर शो कर दूं गा”. ज़ाहिद को जब अपनी ख्वाहिश पूरी होती नज़र ना आई.तो उस ने अपनी पिस्टल को निकाल कर गुसे में कहा और उठ कर कमरे के साथ बने बाथरूम में चला गया.

ज़ाहिद के बाथरूम जाते ही जमशेद तेज़ी से उठा और बिस्तर पर बैठी अपनी बेहन के पास आन बैठा.

दोनो बेहन भाई सख़्त घबराए हुए थे.उन की समझ में नही आ रहा था कि इस मुसीबत से कैसे निजात हासिल करें.

नीलोफर: भाई अब क्या हो गा.

जमशेद: बाजी में ने तो पूरी कॉसिश कर ली कि इस हराम के पिल्ले को पैसे दे कर जान छुड़ा लें मगर यह कमीना मान ही नही रहा.

नीलोफर: तो फिर इस मसले का हल किया है.

जमशेद: बाजी अब लगता है कि ना चाहते हुए भी इस खबीस की बात मानना ही पड़े गी.यह कहते हुए जमशेद ने बिस्तर पर बैठी हुई अपनी बेहन को अपने बाज़ुओं में लिया और उस के होंटो पर अपने होंठ रख कर उन्हे चूसने लगा.


“रूको भाई मुझे शरम आ रही है, मुझ से यह सब इधर नही हो गा ” नीलोफर ने अपने होंटो को अपने भाई के होंटो से अलग करते हुए कहा.

“बाजी अब अगर हम ने अपनी इज़्ज़त और जान बचानी है तो फिर हमें उस पुलिस वाले की ख्वाहिश को पूरा करना ही पड़े गा”. यह कहते हुए जमशेद ने दुबारा अपने होंठ अपनी बेहन के नरम और लज़्ज़ीज़ होंठो पर रखे और उन का रस पीने लगा.
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