RE: Bahu ki Chudai बहुरानी की प्रेम कहानी
मेरी हिन्दी सेक्स स्टोरी के पहले भाग में आपने पढ़ा कि बेटी की शादी के बाद मेहमानों से भरे घर में सोने की जगह की दिक्कत के कारण मैं छत पर बनी कोठरी में सो गया. और कुछ देर बाद मेरी पुत्रवधू वहाँ आई. असल में मेरे पुत्र और पुत्रवधू ने इस कोठरी में अपने समागम का कार्यक्रम तय किया होगा. मेरी पुत्रवधू अंधेरे में मुझे मेरा बेटा समझ कर चिपक गई.
अब आगे:
अदिति अपनी चूत मेरे लंड पर इस तरह से रगड़ने लगी कि लंड उसकी चूत में चला जाए. लेकिन मैंने ऐसा नहीं होने दिया.
इस पर अदिति खिसिया कर पागलों की तरह चूत को मेरे लंड पर पटकते, रगड़ते हुए मजा लेने लगी.
इधर मेरा हाल भी बुरा था और मैं जैसे किसी अग्नि परीक्षा से गुजर रहा था, मैं मन को बार बार आ रहे मज़े से भटकाने की कोशिश कर रहा था पर लंड पर मेरा कोई वश नहीं था, वो तो जवान कसी हुई नर्म गर्म चूत के लगातार हो रहे वार से आनन्दित होता हुआ मस्त था.
मैंने इस बार अपना ध्यान पूरी ताकत से हटाया और इधर उधर की बातें सोचने लगा.
उधर अदिति की चूत मेरे लंड पे रगड़ती हुई संघर्षरत थी और झड़ जाने की भरपूर कोशिश कर रही थी.
यहाँ वहाँ की बातें सोचते सोचते मुझे याद आने लगा जब मैं अपने बेटे की शादी से पहले अदिति को देखने गया था… उसका वो भोला सा मासूम चेहरा मेरी आँखों के सामने घूम गया. मैंने तो पहली नज़र में ही अदिति को पसंद कर लिया था, अच्छे घर की पढ़ी लिखी कुलीन कन्या थी, उसे भला कौन नापसन्द कर सकता था.
जब वो पहली बार मेरे सामने आई तो डरी हुई सी, घबराई हुई सी मेरे सामने सोफे पर बैठ गई थी, रानी मेरे साथ थी, उसने भी मुझे आँख के इशारे से कह दिया था कि उसे लड़की पसन्द है.
फिर बेटे की शादी भी हो गई और अदिति मेरी बहू बन कर घर आ गई.
कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि जिस बहू को मैंने हमेशा अपनी सगी बेटी की तरह ही प्यार दिया उसकी चूत में कभी मेरा लंड जाएगा.
वो सब सोचते सोचते मेरा ध्यान भंग हुआ क्योंकि अदिति के नाखून मेरे कन्धों में गड़ रहे थे और वो लगातार अपनी चूत मेरे बिछे हुए लंड पर रगड़ती हुई अपनी मंजिल की तरफ पहुँच रही थी.
मेरा बदन भी किसी रिफ्लेक्स एक्शन की तरह अनचाहे ही अदिति का साथ देने लगा था और मैं अपनी कमर उठा उठा कर बहू रानी को सहयोग दे रहा था.
मेरा दिमाग जैसे कुंद हो गया था, कुछ भी सोचने समझने की हालत में नहीं था और शरीर तो जैसे विद्रोह पर उतारू हो गया था.
अचानक अनचाहे ही मैंने अदिति को अपनी बाहों में जोर से भींच लिया, उसके सुकोमल स्तन मेरे कठोर सीने से पिस गये. फिर मैंने पलटी मारी, अगले ही क्षण अदिति मेरे नीचे थी, मैंने झुक कर उसके फूल से गालों को चूमा और उसका निचला होंठ अपने होंठों में कैद करके चूसने लगा.
अदिति ने भी अपनी बाहें मेरे गले में लपेट दीं और मुझे चुम्बन देने लगी.
सब कुछ जैसे अनायास ही हो रहा था, पता नहीं कब मेरी जीभ बहू के मुंह में चली गई और वो उसे चूसने लगी. फिर अपनी जीभ निकाल के मेरे मुख में धकेल दी.
नवयौवना के चुम्बन का आनन्द ही अलग होता है, मुझे अपनी शादी की शुरुआत के दिन याद हो आये.
अब मैं अदिति की गर्दन चूम रहा था, कभी कान की लौ यूं ही चुभला देता और वो मेरे नीचे मचल रही थी चुदने के लिये… बार बार अपनी कमर उठा उठा कर मुझे जैसे उलाहना दे रही थी कि अब जल्दी से पेल दो लंड को!
लेकिन मैं अपने अनुभव से जानता था कि खुद पर काबू कैसे रखना है और अपनी संगिनी को कैसे चुदाई का स्वर्गिक आनन्द देना है.
मैं बहूरानी को चूमता हुआ नीचे की तरफ उतर चला और उसका दायां मम्मा अपने मुंह में भर के पीने लगा, साथ ही बाएं मम्मे को मुट्ठी में ले के धीरे धीरे खेलने लगा उससे!
मेरी हरकतें बहूरानी को कामोन्माद से भर रहीं थीं और अब वो मुझे अपने से लिपटाने लगी थी.
मैं भी अत्यंत उत्तेजित हो चुका था, बढ़ती उत्तेजना में मैंने बहूरानी के दोनों स्तन मुट्ठियों में जकड़ कर उसके गाल काटना शुरू कर दिया.
‘राजा जानू, गाल मत काटो ना जोर से! निशान पड़ जायेंगे तो सवेरे मैं पापा मम्मी को कैसे मुंह दिखा पाऊँगी?’ बहूरानी बहुत भोलेपन से बोली.
मुझे उसकी बात सुन मन ही मन हंसी आई कि तेरे पापा ही तो तेरे गाल काट रहे हैं और अब तेरी चूत भी मारेंगे!
फिर मैंने बहूरानी के गाल काटना छोड़ के उसके स्तनों को ताकत से गूंथते हुए पीना शुरू कर दिया.
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