Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
07-20-2019, 09:28 PM,
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सूमी के होंठों की मदिरा को अच्छी तरहा पीने के बाद सुनील ........उसके निपल को चूसने लगा.....होंठों के आज़ाद होते ही .....सूमी की सिसकियाँ फूटने लगी ....

अहह उफफफफफफ्फ़ उम्म्म्मम हाइईईईईईईई ऊऊहह म्म्म्मा आअ

'आज निकाल दो दूध मेरे मम्मो से ....निकाल दो...पी लो ....उफफफ्फ़ '



दोनो को एक दूसरे में डूबे हुए देख सोनल का दिल मचलने लगा ...पर उसने खुद पे काबू रखा ...उसकी नज़रों में पल पल प्यास बढ़ती जा रही थी....लेकिन आज वो दिल से चाहती थी ...कि दोनो के बीच ना आए..उन्हें खुल के एक दूसरे से प्यार करने दे और आज ही वो खुश नसीब दिन हो ..जब सूमी के उदर में आनेवाले बच्चे की नीव रखी जाए ....मन ही मन वो दुआएँ माँगने लगी..

सुनील ...सूमी के दोनो उरोजो की निचोड़ रहा था मसल रहा था चूस रहा था और कभी कभी दाँत भी गढ़ा देता था.....लगातार सूमी के मुँह से सिसकियाँ निकल रही थी....उसकी चूत भी बहुत गीली हो चुकी थी...उसकी चूत में हज़ारों चिंतियाँ एक साथ रेंगने लगी थी ...तड़प्ते हुए वो अपनी एडियाँ रगड़ रही थी ......नही रहा गया उस से और बोल पड़ी....

'सुनील...बस अब समा जाओ मुझ में...अब नही रहा जाता....मेरी कोख इंतेज़ार कर रही है तुम्हारे बीज की ...मेरी चूत तड़प रही है तुम्हारे लंड के लिए....अब छोड़ डालो मुझे...बना दो अपने बच्चे की माँ .......आओ ना ...प्लीज़......'

सुनील ने उसके मम्मे छोड़े और उसकी नज़रों में देखने लगा .....उन आँखों में बस प्यार ही प्यार था...पर उस प्यार का रूप बदल चुका था ...पहले उन आँखों में एक बेटे के लिए प्यार होता था ...जिसकी चमक अलग थी...आज उन आँखों में एक पति के लिए प्यार था ...जो बहुत ही आलोकिक था ....आज वो प्यार अपनी गुहार लगा रहा था ...वो प्यार आज एक बार फिर मातृत्व को महसूस करना चाहता था...वो प्यार आज अपने पति को अपने अंदर समेटना चाहता था...वो प्यार आज दो रूहों को उनके असली मिलन की तरफ ले जाना चाहता था.....जब दो रूहें मिल के...दो बदन के ज़रिए ...एक तीसरी रूह को दुनिया का रास्ता दिखती हैं......वो होती है असल प्रेम...असल मिलन की पहचान..जिसके बाद ...वक़्त की कोई भी मार दोनो को जुदा नही कर सकती...उनका प्रेम ता जीवन साँसे लेता है..हंसता है..पनपता है .......ये बदन रहे ना रहे वो प्यार हमेशा रहता है.......और आगे आने वाली नस्लों में उस प्यार की लो हमेशा जगमगाता रहता है.......

सुनील....सुमन की टाँगों के बीच आ गया .....सुमन ने उसके स्वागत के लिए अपनी टाँगें फैला दी.......और अपने बाँहें फैला उसे अपने अंदर सामने की इल्तीज़ा करने लगी......

सुनील ने अपने लंड को उसकी चूत के लबों पे घिसना शुरू कर दिया .....अहह सिसक पड़ी सूमी

तभी सोनल को याद आया कि जो हरकत उसने आज करी है...इस तरहा तो सूमी को बहुत दर्द होगा .....उसने फट से ड्रेसिंग टेबल से क्रीम उठाई और सुनील के पास जा उसके लंड पे लगने लगी ........और साथ ही कुछ क्रीम उसने सूमी की चूत में घुसा दी........सुनील हैरानी से उसकी इस हरकत के बारे में सोच रहा था कि आज इस सब की क्या ज़रूरत पड़ गयी ....और जैसे ही उसने सूमी की चूत में लंड घुसाने की कोशिश करी उसे सारा माजरा समझ में आ गया.....सूमी की चूत में आज तयार होते हुए ....सोनल ने अस्ट्रिंजेंट लगा दिया था जिसकी वजह से उसकी चूत बिल्कुल एक कुँवारी की तरहा टाइट हो चुकी थी....सुनील का लंड अंदर नही घुस पाया और फिसल के रह गया........

अब सुनील को ज़ोर लगाना ही था....और सूमी की हालत आज बिगड़नी ही थी.......

सुनील ने सूमी की कमर को पकड़ ज़ोर का धक्का लगाया और उसका लंड सूमी की चूत की दीवारों को फैलता हुआ थोड़ा अंदर घुस गया.....

'अहह' सुनील खुद सिसक पड़ा जब सूमी की चूत ने कस के उसके लंड को जाकड़ लिया और सूमी की तो चीख निकल गयी

आाआईयईईईईईईईईईईईईईईईईईईईइइम्म्म्ममममममममाआआआआआआआआआआ

सुनील सूमी पे झुक गया और उसके होंठों चूसने लग गया.......सूमी तड़प रही थी दर्द से और उसकी आँखों से आँसू बह निकले थे .......

कुछ देर बाद जब सूमी संभली ......तो सुनील पूछ ही बैठा...'अब क्या ज़रूरत थी ...ये सब करने की'

'तुम नही समझोगे...इस दर्द में औरत को बहुत मज़ा मिलता है......और एक बात का हमेशा अफ़सोस रहता है...मेरी सील तुम नही तोड़ पाए ...तुम्हें तो मैं अच्छी तरहा चुदि हुई मिली ....एक नही दो लोगो से ....इसलिए अपनी चूत टाइट करती रहती हूँ...ताकि कम से कम तुम्हें एक टाइट चूत को चोदने का मज़ा दे सकूँ...'

'बेवकूफ़ हो तुम...प्यार में ये सब नही देखा जाता ...'

'प्यार में ही तो देखा जाता है...अब बातें नही ....डालो मेरे अंदर अपना लंड......चोदो मुझे आज खूब अच्छी तरहा...'

सुनील ने बार बार दर्द देने की जगह ......एक ही जोरदार झटका मारा और अपना पूरा लंड अंदर घुस्सा डाला......

'उूुुुुउउइईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई'

सूमी ज़ोर से चिल्लाई ...पर दर्द के साथ उसके चेहरे पे खुशी का अभी अहसास था.....

सुनील....उसके आँसू चाटने लगा .....'क्यूँ मुझे दोषी बनाती हो.....क्यूँ मेरे लिए इतना दर्द सहती हो'

सूमी.....तुम से बहुत प्यार करती हूँ...अपनी जान से भी ज़्यादा ....मुझे एक सकून मिलता है..जब तुम मुझे ये दर्द देते हो.....मेरी रूह आनंदित हो जाती है......मेरा प्यार और भी मजबूत हो जाता है.......तुम्हारा लंड जब दर्द देता हुआ मेरी चूत में घुसता है ....तो मुझे मेरी जवानी दुबारा से जागती हुई महसूस होती है.......लव मे डार्लिंग...जस्ट लव मी.....भर दो आज मुझे अपने प्यार के रस से ...मसल डालो आज मुझे....चटका दो आज मेरी हर एक नस......भोगो मुझे...प्यार करो मुझे

सूमी के होंठों को चूमते हुए सुनील ने धीरे धीरे अपना लंड उसकी चूत के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया.....

'अहह' मेरी जान....चोदो मुझे ....इसी तरहा ...मेरी चूत को महसूस करने दो ....तुम्हारे लंड की ताक़त को...रगड़ दो मेरी चूत की दीवारें.....उफफफफफ्फ़ ...उम्म्म्मम



सुनील धीरे धीरे सूमी को चोद रहा था.....पास लेटी सोनल दोनो का ये प्यार देख रही थी...उसके चेहरे पे बहुत खुशी थी ....

यस यस यस ....उफफफफ्फ़ उम्म्म्म फक मी....फक मी डियर....टेक मी.......उम्म्म तुम्हारा लंड है कितना मोटा लंबा है....मेरी चूत में कहाँ तक घुस्स रहा है....चोदो मुझे जान चोदो मुझे......लो मज़ा अपनी बीवी को चोदने का.....'

सूमी सिसकती हुई बड़बड़ा रही थी...और धीरे धीरे सुनील की स्पीड भी बढ़ती जा रही थी.......सूमी ने अपनी टाँगें उठा ली...ताकि उसकी गान्ड थोड़ी उपर हो जाए और और सुनील का लंड और भी अंदर तक घुस्से



सुनील जब लंड बाहर निकालता तो सूमी अपनी एडियों से ज़ोर डाल उसे फिर अपनी चूत में धकेल्ति........सुनील के धक्के अब तेज होने लग गये और सूमी उसका पूरा साथ दे रही थी......जितनी तेज़ी से सुनील अपना लंड अंदर बाहर करता उतनी ही तेज़ी से सूमी अपनी गान्ड उछालती....

'और तेज...और तेज मेरा होनेवाला है ....अहह मेरे साथ ही झड़ना....भर देना मुझे अपने रस से...फास्टर ...फास्टर ...यस'

सूमी ज़ोर ज़ोर से सिकियाँ लेती हुई सुनील का जोश बढ़ाती जा रही थी.....

फॅक फॅक फॅक ...ठप ठप ठप...पूरे कमरे में इनके मिलन का संगीत गूँज रहा था ...जो सोनल को भी गरम करता जा रहा था.

अहह आहह गगगगगगगगाआआयययययययययययीीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई

चर्म का ये अहसास इतना भयंकर था कि सूमी के नाख़ून सुनील की पीठ पे धंसते चले गये और उसे अच्छी तरहा खरॉच डाला....इतना कि उसकी पीठ से खून तक निकलने लगा .....पर इस दर्द का मज़ा कुछ और था....



आआआहह सुनील चीखा और तेज़ी से अपने लंड को सूमी की चूत में घुसा अपनी पिचकारियाँ उसकी चूत में छोड़ने लगा.....

हन्फ्ते हुए दोनो पसीने से लथपथ एक दूसरे से चिपक गये .....
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