Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
07-19-2019, 12:59 PM,
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
रूबी के पेट को सॉफ कर दिया गया था… पर सुबह तक ख़तरा था….. अगर सुबह रूबी होश में ना आई तो कुछ भी हो सकता था – यहाँ तक की उसकी मोत हो जाए – या फिर – वो कोमा में चली जाए….

सुनील बस इतना ही सोच रहा था… कुछ दिन के लिए बाहर गया और यहाँ ये सब कुछ हो गया….कहीं ऐसा ना हो कि वो डॅड की दी हुई ज़िम्मेदारी को निभा ना पाए…..सॉरी डॅड…अब उसे कभी अकेले नही छोड़ूँगा….बस इस बार उसे बचा लो डॅड.
सुनील की आँखों से आँसू बहने लगे.

सोनल उसके करीब ही थी … उसने सुनील के चेहरे को हाथों में थाम लिया…..’मर्द हो कर रोते हो….कुछ नही होगा तुम्हारी रूबी को….. जिसका सुनील जैसा भाई हो… उसे कभी कुछ नही हो सकता. देखना सुबह तुम से गिले शिकवे करेगी … क्यूँ उसे अकेला छोड़ दिया था.’

सोनल कभी सुनील को टूटता हुआ नही बर्दाश्त कर सकती थी…जो आज तक उसकी ताक़त बना रहा…वो चट्टान… एक छोटे तुफ्फान से कैसे बिखर सकती थी….उसके प्यार को कोई सज़ा नही मिल सकती थी क्यूंकी वो कोई गुनाह करता ही नही था…. उसे कोई दुख नही मिल सकता था क्यूंकी वो किसी को दुख नही देता था. ये परीक्षा की घड़ी थी और वो जानती थी… उसका विश्वास जानता था… उसका सुनील… हर परीक्षा में अव्वल दर्ज़े से उत्तीर्ण होगा.

सुमन हर थोड़ी देर बाद सोनल को फोन कर रूबी का हालचाल पूछती थी – इतना वो जानती थी कि सुबह ही कुछ पता चलेगा…. हर फोन का असली मक़सद था सुनील का हाल पता करने का…. वो जानती थी …..सुनील जहाँ एक चट्टान की तरहा मजबूत है … वहीं वो एक फूल की तरहा नाज़ुक भी है …. रूबी के लिए उसके दिल में बसा भाई का प्यार इस वक़्त उसे तोड़ रहा होगा ……और सवी की वजह से इस वक़्त वो उसके साथ नही थी … जब उसे उसकी सबसे ज़यादा ज़रूरत थी……सुमन की आँखों से आँसू बह रहे थे जिन्हें वो अपनी आवाज़ पे काबू रख सोनल को इसका अहसास नही होने दे रही थी…. लेकिन जब दिल और आत्माएँ एक हो चुकी होती हैं… तो दर्द छुपाए नही छुपाता.

‘दीदी अपने प्यार पे भरोसा रखो ….वो इतने कमजोर नही हैं….मैं जानती हूँ ….आप उन्हें मुझ से बेहतर जानती और समझती हैं…पर मुझे इतना विश्वास है ….वो दुखी तो हो सकते हैं पर वो टूटेंगे नही …. वो एक चट्टान से भी सख़्त एक पहाड़ हैं…मौसम का बदलाव कुछ देर बस उपरी सतह पे असर कर सकता है… उसकी मजबूती पे नही…….और जिस बहन को सुनील जैसा भाई मिला हो ….वो उसे छोड़ कैसे जा सकती है…. देखना सुबह लड़ेगी इनसे’ सोनल वो लेटर जो बिस्तर पे देखा था उसे छुपा गयी.

‘उन्हें कुछ खिला देना……मैं जानती हूँ बहुत भूख लगी होगी उनको… पर कुछ खाएँगे नही तो उनकी तबीयत खराब हो सकती है……’

‘आपने कुछ खाया…..’

सुमन के पास कोई जवाब नही था……..

‘वो एक ही शर्त पे कुछ अपने गले के नीचे उतरेंगे जब फोन पे उनको ये यकीन हो जाए कि एक लुकमा उनके मुँह में गया है तो एक आपके मुँह पे …हां नाटक वो अच्छी तरहा पकड़ लेते हैं……..दो उनको फोन’ सोनल कुछ अलग हो बात कर रही थी.

‘तुम उनके लिए और अपने लिए कॅंटीन से कुछ ले आओ..तब तक मैं अपने लिए कुछ बनाती हूँ’

ये कह सुमन ने फोन रख दिया… खाने का कुछ दिल नही था…तो बस थोड़ा दलिया हिबाना लिया अपने लिए और फट से सोनल को फोन किया….

‘कुछ खाया इन्होने’

‘आपको पता तो है….’

‘फोन दो इनको’

‘जी आप कुछ खा लीजिए …. आप नही खाएँगे तो गुड़िया भी भूखी रहेगी’

‘तुमने कुछ खाया ….’

‘आपके बिना खा सकती हूँ क्या….’

‘तो अभी खाना शुरू करो …मैं भी कुछ खा लेता हूँ सोनल कॅंटीन से ले आई है’

‘पहले आप शुरू कीजिए ‘

‘और तुम भूखी रहो’

‘मानिए ना मेरी बात …..जैसी ही आप कुछ खा लेंगे मैं भी शुरू कर दूँगी…मेरी कसम’

सुमन की कसम की आगे सुनील की बोलती हमेशा बंद हो जाया करती थी …..उसने सॅंडविच का एक टुकड़ा काट चबाना शुरू कर दिया…….

फोन पे दाँतों के चलने की हल्की हल्की आवाज़ शुरू हुई तो सुमन ने भी दलिये का चम्मच मुँह में डाल लिया.

कुछ देर बाद …सुनील सॅंडविच खा चुका था और सुमन दलिया.

सोनल : आप बहुत अच्छी हो …बहुत ही अच्छी हो

सुमन : पगली

सोनल : सच कह रही हूँ…बस आप ही इनको कुछ खिला सकती थी और ये आपको …मेरी तो कोई सुनता ही नही.

सुमन : गुड़िया मारूँगी गर उटपटांग कुछ सोचा तो. क्या खबर रूबी की अब तो दिन भी होनेवाला है

सोनल : अभी थोड़ी देर में कॉल करती हूँ . (फोन कट हो जाता है)

तभी सोनल की नज़र सामने पड़ती है …..कमल और जयंत दोनो आ रहे थे.
सोनल की कभी उनसे बात नही हुई थी बस कुछ बार उनकी शकलें देखी थी … दोनो ही जूनियर थे उसके .

कमल …….और जयंत दोनो ही सुनील के पास पहुँचे…….
मेडिकल कॉलेजस में एक प्रथा है ….जब तक कोई खास क्लोज़ ना हो ….सीनियर्स को सर ही बोला जाता है.
और वैसे भी सुनील सब को चाहे ना जानता हो…उसे तो सब ही जानते थे,
कमल ने सुनील के कंधे पे हाथ रखा.

सुनील ने उस वक़्त खाना ख़तम ही किया था. और सर झुकाए बैठा था. उनको आता देख सोनल ने कुछ हल्की सी दूरी बना ली थी.

सुनील ने सर उपर उठाया तो कमल और ज्यांत को देख हैरान हुआ ….सर आप यहाँ इस वक़्त ….

कमल : क्या मैं यहाँ थोड़ी देर बैठ सकता हूँ ….

जयंत खड़ा रहा ….उसके चेहरे के भाव ऐसे थे जैसे कुछ कहने से खुद को बड़ी मुश्किल से रोक रहा हो.
पर सोनल और सुनील का ध्यान कमल पे था जिसने बात शुरू की थी.

सुनील थोड़ा सोनल की तरफ सरक गया और कमल को बैठने की जगह दी. कमल सुनील के साथ बैठ गया …..और उसका चेहरा बता रहा था कि वो बड़ी गहरी सोच में था.

सुनील : कहिए क्या काम था मुझ से

कमाल : वही सोच रहा हूँ कैसे बोलूं.

सुनील : ऐसी क्या बात है जो सोचना पड़ रहा है.

कमाल : मैं रूबी से शादी करना चाहता हूँ

सुनील/सोनल : कयययययययाआआआअ
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