Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
07-18-2019, 12:54 PM,
#87
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
यहाँ सुनील अपनी बीवी और नयी साली के साथ बिज़ी था - अपनी साली की शादी के बारे में सोच रहा था - वहाँ सोनल हर शाम थक हार कर - अपने सभी दोस्तों को मना कर - अपने कमरे में आती और सुनील की फोटो अपने बॅग से निकाल कर उस से बात करने लगती.

आज भी कुछ ऐसे ही हुआ.

सुनील की फोटो अपने पर्स से निकाली ---और बात करने लग गयी जैसे वाक़ई में सुनील सुन रहा हो .

जान जानता है मेरी सब सहेलियाँ अपने बॉय फ्रेंड्स के बारे में बोलती हैं -- उनके साथ बिताए लम्हे बताती हैं........मैं क्या.... और रोने लग गयी ... जब से सुनील ने उसे मर्यादा का पाठ सुनाना शुरू किया था ----तब से वो एक प्रतिमा बन के रह गयी थी.

अपने दिल की बातें - अपने दिल में ही रखती थी.

'जानू आज सुवीता बता रही थी के वो अपने बॉय/फ्रेंड के साथ फिल्म देखने गयी थी ....मुझ से पूछ रही थी .. कि मैं अपने बाय्फ्रेंड के साथ नही जाती क्या .... मैं क्या ...मैं क्या बोलती जानू ...मेरा बाय्फ्रेंड तो मेरी परवाह ही नही करता .......बस खुद से बोलती और रोती रहती - इस बात की जानकारी ना सुमन को कभी हुई ना ही सुनील को.

इसी तरहा रोज सोनल अपने दिन बसर कर रही थी - किसी से कुछ लेना देना नही - कान्फरेन्स के बाद होटेल का रूम उसकी तन्हाई - जिसे सिर्फ़ सुनील की फोटो ही बाँटति थी.

और उस तन्हाई को तोड़ते सिर्फ़ उसके आँसू .

यहाँ सुनील सवी की शादी का बॉम्ब फोड़ के अपने कमरे में आ गया और गाटा गट वाइन बॉटल से ही पीने लगा.

अपनी तरफ से जो बॉम्ब उसने फोड़ा था सही फोड़ा था .... आख़िर कब तक सवी तन्हाई बर्दाश्त कर पाएगी और अब तो और भी मुश्किल हो जाएगा उसके लिए जब वो सुमन को देखेगी सुनील की बाँहों में .... बाहर खड़ी उसकी सिसकियाँ सुनेगी तो उसके तन बदन में आग लग जाएगी.

इस आग को ही तो भुजाना चाहता था सुनील --- जिसका इलाज़ सिर्फ़ उसकी शादी था. रही बात समर से उसके डाइवोर्स की - जिसका अभी कुछ नही हुआ था - उसे वो देख लेता बस एक बार उसे मुंबई ही तो जाना था.

सुनील के कमरे से निकलने के बाद दोनो बहने एक दूसरे को मूर्ति बनी देखती रही कुछ देर - समझ ही नही आया ये क्या हो गया ---- मस्ती करने की जगह ब्लास्ट कर के चला गया.

'दी क्या हो गया है इसे .... इतना बदल गया है ..... मेरी शादी......'

'हां .... तेरी शादी.... मैने कभी नही सोचा .... उसने सोच लिया..... अब पता चला वो क्या है.... वो छोटा है उम्र में .... पर हम से बहुत आगे निकल गया है.....वो जो देख रहा है .... वो हम दोनो देख नही पाए.... वोई आनेवाला कल देख रहा है.... उसे तेरी चिंता है ... ये होता है फरक परवरिश का..... अब पता चला सागर ने उसे क्यूँ चुना मेरे लिए..... शायद अब समझ गयी होगी ... क्या क्या नही झेला होगा उसने सागर की जगह लेने से पहले....मैं चलती हूँ.... कहीं वो फिर से गम की वादियों में ना चला जाए.'

सवी को समझ नही आ रहा था कि क्या बोले ... सूमी भी सुनील की भाषा बोल रही थी.

'ऐसे मुझे मत देख.... आराम से सोच.... इतनी बड़ी जिंदगी आगे पड़ी है ... अकेले कैसे कटेगी'

सवी को भावनाओं के बवंडर में छोड़ सूमी अपने सुनील के पास चली गयी.

सवी को सोचने के लिए अकेला छोड़ सूमी अपने कमरे में गयी तो देखा सुनील वहाँ नही था.

उसे बहुत हैरानी हुई --- कुछ डर सा लगने लगा --- कहाँ गया वो --- अपने कमरे में --- पर क्यूँ ?

वो सुनील के कमरे की तरफ बढ़ गयी - दरवाजा खुला था - कुर्सी पे बैठा कुछ सोच रहा था - टेबल पे वाइन की खाली बॉटल पड़ी थी.

सूमी का दिमाग़ फटने लगा ..... बॉटल डकार ली .

सूमी वहीं उसके पास जा के बैठ गयी .

'यहाँ क्यूँ चले आए?'

'हां' सुनील अपने ख़यालों से वापस आया और सूमी को अपने पास बैठे हुए देखा.

'क्या सोच रहे हो - यहाँ क्यूँ आए ... चलो अब तुम्हारा बेडरूम ये नही है'

'मेरे ख़याल से तुम्हें इस वक़्त सवी के पास होना चाहिए - शी नीड्स यू'

'आंड आइ नीड यू ऑल दा मोर --- चलो ना'

'पता नही मैने जो किया वो ठीक था या नही --- बात समझा करो --- बहन है तुम्हारी --- परेशान हो गयी होगी --- मेरी बातों से --- तुम्हें उसके साथ होना चाहिए --- आज उसे अकेला मत छोड़ो'

'बच्ची नही है वो .... तुम चल रहे हो ... या मैं यहाँ रुकु .... अब ये बेड चेंज करना पड़ेगा'

'क्यूँ बेड को क्या हो गया.... अच्छा भला है'

सूमी उठ के खड़ी हो गयी - कमर पे हाथ रख गुस्से से घूर्ने लगी.

'सुबह से तंग कर रहे हो ..... ठीक है करो अपनी मर्ज़ी ' उसकी आँखों में आँसू आ गये और वो पलट के जाने लगी.

'यार तुम औरतें ये बात बात पे रोना क्यूँ शुरू कर देती हो' सुनील ने उसका हाथ पकड़ लिया.

'छोड़ो मुझे ... देख लिया तुम्हारा प्यार .... कल चले जाओगे ... फिर एक हफ्ते बाद शकल दिखाई देगी .... तब भी ना आना हो तो मत आना'

'जान मेरी रूठ गयी जाने क्यूँ हमसे आफ़त में पड़ गयी जान' सुनील ने सूमी को खींच अपनी गोद में ले लिया .... वो खिंची चली आई जैसे इंतेज़ार कर रही हो... कब वो उसे खींचेगा.

दोनो एक दूसरे को देखने लगे .... सुमन की आँखों से आँसू बह रहे थे. सुनील उन्हें चाटने लग गया.

'छोड़ो मुझे - ये दिखावे का प्यार रहने दो'

सुनील उसके गले को चूमते हुए बोला ' छोड़ने के लिए थोड़े ही पकड़ा था तुम्हारा हाथ'

'ऐसे नाराज़ रहा करोगी तो मेरी जान निकल जाएगी'

सूमी ने फट उसके मुँह पे हाथ रख दिया ' जान निकले तुम्हारे दुश्मनो की'

'अच्छा चलो देखते हैं सवी क्या कर रही है - सोने चली गयी या अभी तक वहीं बैठी है'

सुनील - सुमन को अपनी गोद में ही उठा चल दिया.

'अरे छोड़ो नीचे उतारो - क्या बोलेगी वो'

सुनील यूँ ही गोद में उठाए सीडीयाँ उतरने लगा.

'प्लीज़ उतारो ना गिर जाउन्गि'

'इतना भी यकीन नही - मैं तुम्हें कभी गिरने दूँगा'

सुमन का दिल किया उसके गाल पे काट ले.

सुनील ने हॉल के बाहर ही उतारा - दोनो अंदर घुसे और देखा कि सवी वहाँ नही थी. वो अपने कमरे में जा चुकी थी --- सुनील ने फिर उसे गोद में उठा लिया और सुमन के कमरे की तरफ बढ़ गया - दरवाजा खुला था इसलिए कोई दिक्कत ना हुई और आराम से उसे बिस्तर पे लिटा दिया.

सुनील दरवाजा बंद करने जा रहा था कि सुमन को लगा वो अपने कमरे में वापस जा रहा है - हाथ पकड़ उसे खींच अपने उपर गिरा लिया ' रात को बीवी को अकेला नही छोड़ते.'

'मैं तो दरवाजा बंद कर रहा था - लगता है तुम्हें अब लाइव शो दिखाने का चस्का लगने लगा है'

'धत्त' मैं करती हूँ - कपड़े भी बदलने हैं'

' सुनील एक ठंडी साँस भर लेट गया और सूमी ने दरवाजा बंद किया और सुनील जो उसके लिए नयी लिंगेरिएस लाया था उनमे से एक चुन बाथरूम में घुस गयी.



सूमी - सुनील के पास आ कर लेट गयी और सुनील को उसके बदन की भीनी भीनी खुसबु आने लगी. अब उसे अपने आप पे गुस्सा आने लगा - क्यूँ दीवार पे मुक्के मारे - दोनो हाथों पे पट्टियाँ बँधी थी - बेबस हो गया सूमी के बदन का अहसास पाने को .

सूमी उसके गालों से अपने गाल रगड़ने लगी और धीरे धीरे अपने होंठ उसके होंठों की तरफ ले जाने लगी.

कुछ ही पलों में सूमी - सुनील के उपर थी और दोनो के होंठ जुड़ चुके थे. अपनी ज़ुबान से सुनील के होंठ खोलने की कोशिश करी तो फट से खुल गये और सूमी की ज़ुबान सुनील के मुँह के अंदर घूमने लगी जैसे कुछ ढूंड रही हो.

सूमी की इस हरकत से सुनील सिसक उठा और उसे अपनी बाँहों में इतनी ज़ोर से कसा कि सूमी को लगा उसकी हड्डियाँ चटक जाएँगी.

आआआआऐययईईईईईईईईईईई इतनी ज़ोर से नही दर्द होता है
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