Sex Hindi Kahani रेशमा - मेरी पड़ोसन
07-05-2019, 02:09 PM,
#5
RE: Sex Hindi Kahani रेशमा - मेरी पड़ोसन
कुछ देर मैं ने धीरे धीरे धक्के मारने लगा .जब माला ने पानी छोड़ दिया तो मैं ने अपनी गति
बढ़ा दी.माला भी मज़े मे मेरा साथ देने लगी.
माला ने फिर पानी छोड़ दिया.
फिर कुछ देर इसी तरह माला की चुदाई करने के बाद मैं ने माला को घोड़ी बना दिया.
माला घोड़ी बन गयी मैं माला के पीछे जाकर अपने लंड को माला की चूत मे घुसा दिया
और माला की चुदाई करने लगा .
माला भी मज़े लेने लगी उन्मह तुम कितनीईई अच्छे से.. हूऊऊओ अहह और ज़ोर
से करो .
मैं ने माला की बात सुनकर अपनी गति को बढ़ा दी.
माला क्या चूत है आपकी उन्मह ऊफफफफफफफफफ्फ़ और साथ ही अपनी अपनी गति और धक्के बढ़ाता गया.
माला भी हान्ंनणणन् और चोदो मुझे आहह मैं गैिईईईईईईईई
उन्मह और ज़ोर से चोदो अहह की लंबी आवाज़ के साथ ही माला ने फिर पानी
छोड़ दिया.
अब मेरा भी होने लगा था मैं ने अपनी गति को बढ़ा दिया और कुछ धक्को के साथ अपना वीर्य माला
की चूत मे डाल दिया.
मैं ने लंड बाहर निकाला .माला ज़मीन पर गिर गयी और मैं किचन मे चला गया..

जितने दिन मैं यहाँ रहा उतने दिन रोज अपनी गर्लफ्रेंड से मिलने जाता
जिस दिन मैं जाने वाला था उस दिन उसकी आँखो मे आसू थे
पर क्या करूँ , मैं हम दोनो के लिए ही मुंबई जा रहा था
मैं ने उसको वादा किया कि हम जल्दी एक हो जाएँगे
मेरी माँ भी रो रही थी , भाभी ने कहा की वादा मत भूलना उनको साड़ी देने का
मेरे दोस्त भी छोड़ने आए थे
बड़ा अजीब लग रहा था अपने शहर को छोड़ कर जाना
पर पंछी बड़ी के होने के बाद घोसला छोड़ कर जाना ही होता है
मेरे साथ भी यही हो रहा था
नयी जगह जाने से एग्ज़ाइट भी था
बड़े शहर जा रहा था , मायानगरी जा रहा था मुंबई जा रहा था
ट्रेन मे बैठते ही माँ का रोना बढ़ गया
मैं ने अपनी फॅमिली की तरफ देखा ही नही क्यूँ कि अगर उनको रोता हुआ देखता तो कमज़ोर पड़ जाता
पिताजी ने कहा कि अब मैं अपने फ़ैसले खुद लूँ
और मैं भी मुंबई जाना ही चाहता था
ट्रेन का हॉर्न बजते ही मैं निकल पड़ा मुंबई को
लंबा सफ़र था पर नयी जगह जाने का जोश भी था
सफ़र तो देखते ही देखते निकल गया
जैसे ही ट्रेन मंज़िल पर रुकी तो मेरी धड़कने तेज चलने लगी , ट्रेन से नीचे उतरते ही एक लंबी सास
छोड़ दी
और मैं कंपनी के भेजे हुए आदमी तो ढूँढने लगा
स्टेशन के बाहर कंपनी की भेजी हुई कार और आदमी मिल गया
मैं ने उसको अपना नाम बताया
आदमी- सर चलिए मैं आपको आपके अपार्टमेंट मे लेकर चलता हूँ
अवी- तुम्हें पता हैना
आदमी- यस सर,
अवी- तो चलो
और हम कंपनी के दिए हुए फ्लॅट की तरफ निकल पड़े
अवी- तुम भी उस कंपनी मे काम करते हो
आदमी- नही , मैं मेनेज़र का ड्राइवर हूँ , मेनेज़र ने आपकी देखभाल के लिए बोला है
अवी- और फ्लॅट पर कुछ समान है या बस खाली खाली होगा
आदमी- पिछले साब जो थे उनका समान है , वो तो विदेश चले गये तो उनका समान वही पर है
अवी- क्या क्या है
आदमी- टीवी फ़्रीज़ और ज़रूरत का समान बाकी तो आपको ही देखना होगा
अवी- चलो जल्दी
और मैं अपनी बिल्डिंग मे आ गया
इस से पहले कभी इस तरह की बिल्डिंग मे नही रहा था
मेरा फ्लॅट 7थ फ्लोर पर था
समान ले जाने मे उस आदमी ने ही मदद की
अपार्टमेंट मे मेरी ज़रूरत की बहुत चीज़े थी
उस आदमी ने अपार्टमेंट क्लीन करके रखा था
मैं ने उसको कुछ पैसे दे कर वापस भेज दिया
और अपार्टमेंट को अपनी तरह से हॅंडल करने लगा
मुझे ज़्यादा चीज़े ख़रीदनी नही पड़ी
अपार्टमेंट को सेट करने मे बहुत टाइम निकल गया
जब लगा कि सब सेट हो गया है तो मैं ने चैन की सास ली और घर पर फोन किया
मेरा फ़ोन आते ही माँ की चिंता ख़तम हुई तो मेरी गर्लफ्रेंड भी मुझसे वीडियो कॉल करके खुश थी
अब तो मोबाइल पर कॉल करके वो मुझे देख भी सकती थी
इसी लिए तो उसको मोबाइल फोन गिफ्ट किया है
सब को कॉल करने के बाद तो शाम हो गयी
शाम होते ही मैं अपनी बिल्डिंग और नयी जगह को ध्यान से देखने लगा
देखने लगा कि मुंबई कैसी है
बिल्डिंग मे सब कुछ तो नॉर्मल ही लग रहा था
सब अपने काम से काम रख रहे थे
उनकी बिल्डिंग मे कोई नया आदमी आया है रहने उस से किसी को ज़्यादा फरक नही पड़ रहा था
बस सोसायटी के सेक्रेटरी ने मुझसे मुलाकात की
मेरे अपार्टमेंट के साथ उस फ्लोर पे 3 और अपर्तेमेंट थे पर उनको तो कुछ लेना देना ही नही था
मैं ने भी उनसे जान पहचान करने का नही सोचा
वैसे मेरा फ्लोर तो सबसे उपर था , उसके बाद डाइरेक्ट छत ही थी
शाम मे सोसायटी के गार्डन मे लोग बैठ कर बातें कर रहे थे मैं भी वहाँ घूमने लगा
लेकिन किसी ने भी ज़्यादा ध्यान नही दिया मुझ पर
शाम होने से और गार्डन सोसायटी के अंदर होने से लॅडीस घर मे पहनने वाले नॉर्मल ड्रेस मे थी
औरते नाइटी मे थी तो लड़किया शॉर्ट मे थी
मैं तो गार्डन मे जाते ही अपनी आँख सेकने लगा
लड़कियो की फिगर देखते ही मुँह मे पानी आ रहा था
मैं भी ठीक ठाक ही था फिर भी कुछ लड़किया मेरी तरफ देख रही थी
मेरी तो हिम्मत ही नही हुई किसी लड़की से बात करने की
सबकी बाते इतनी हाइ फाइ थी कि क्या बताऊ
मेरे तो पसीने निकल रहे थे
एक लड़की तो अपने बाय्फ्रेंड को किस कर रही थी
ऐसे खुले मे किस करना थोडा अजीब लगा
बड़े शहरो मे तो ऐसा होता ही है
और मुझे कंपनी ने अच्छी सोसायटी मे अपार्टमेंट दिया था जिस से मेरे मज़े ही थे
लेकिन मैं अभी तो आया हूँ
पहले कुछ दिन यहाँ अड्जस्ट तो हो जाउ
गार्डन मे घूमने के बाद मैं ने खाने का समान और कुछ ज़रूरत का समान भी खरीद लिया
और अपार्टमेंट मे आकर आराम से खाना खा कर टीवी देखने लगा
बाल्कनी मे बैठ कर बीयर भी पी
मुंबई की हवाओं के साथ दोस्ती भी कर लूँ
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