Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
07-03-2019, 04:38 PM,
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"अहाहहाः चाचा अहाहमम्म्मम और ज़ोर से करो अहाहाआ... यीयेस्स्स उफफफ्फ़..... पैरो से ही झडा दोगे अहहाहा उफफफ्फ़..... हां और ज़ोर से रंडी की औलाद अहहहहा और ज़ोर से अहहाहा उफ़फ्फ़.फ.. हाआन्ं हाआंन्न रुकना नही आहाहा ईआहह..." स्नेहा ज़ोरों से चीखने लगी और अपने बदन को पीछे ले जाके आने वाले पल का मज़ा लेने लगी.. राजवीर ने जब यह देखा तो जल्दी से पैर वहाँ से हटा लिया.. राजवीर की इस हरकत से स्नेहा जो मज़े की उम्मीद में थी उसने उपर की तरफ देखा तो राजवीर ने इशारा करके उसे बिस्तर पे बुलाया और खुद उठके वहाँ जाके लेट गया




"अहहाहा मेरी रंडी बहू, आज ज़रा लंड की सवारी कर ले... ससुर से मेहनत नहीं करवा आज..." राजवीर ने अपने लंड को पकड़ा और उसे धीरे धीरे हिलाने लगा..




"अरे मेरे भडवे ससुर... उफ़फ्फ़ अहहाहा क्या लंड है, इसके लिए तो कुछ भी करूँ ...." स्नेहा ने आगे बढ़ते हुए कहा और अपनी चूत रगड़ती हुई बिस्तर पे कूद के पहले राजवीर के टट्टों को मूह में लिया और उन्हे चूसने लगी और फिर नाख़ून से उन्हे दबाने लगी...




"अब जल्दी भी कर मेरी रंडी उफफफ्फ़ अहहहा....." राजवीर ने मज़े में आके कहा.. राजवीर की उतावला देख स्नेहा से भी नहीं रहा गया और अपनी चूत के छेद को राजवीर के लंड पे सेट करके हल्के से उसपे बैठने लगी..




"आआहाहः उफ़फ्फ़......." स्नेहा दर्द में थोड़ी कराही





"आहहाहा आपका तो दिन ब दिन आहह बड़ा होता जा रहा है....य्आहह" स्नेहा ने राजवीर के लंड पे सेट होके कहा और धीरे धीरे उपर नीचे होने लगी....




"तू तो खुली हुई है ना मेरी रंडी बहू फिर कैसा दर्द..." राजवीर बस लेटे लेटे मज़ा लेने के मूड में था आज...




"आहाहहाहा हाआन्न खुली तो हुई हूँ अहहहााअ लेकिन फिर भी अहहहाआ... तेरा लंड अहहाहा उफफफ्फ़.... मेरी चूत की दीवारों पे लगने लगा है अभी तो अहहहहहाआह" स्नेहा उछलते उछलते बोलने लगी.... उछलते उछलते स्नेहा के चुचों को देख कर राजवीर से रहा नहीं गया और स्नेहा को कमर से पकड़कर अपने पास खींचा और उसके चुचों को मूह में लेके भरने लगा




"अहहहा हां ऐसे ही चूस ना भडवे ससुर मेरे आहाहहा.." स्नेहा भी अपने चुचों की चूसा से जोश में आ गयी और लंड पे तेज़ी से उछल उछल के चुदवाने लगी




"अहहहः हां ऐसे ही चोदो ना अपनी रखैल को आहा अहहहहाअ,, और ज़ोर से चूसो मेरे अहहहहा हाआँ और ज़ोर से कर बेन्चोद ससुर स्साले अहहहा...एआहह फक मी हार्डर अहहाहा ओह्ह्ह नूओ अहाहाआ....." स्नेहा अब एक नंबर की रंडीपने पे उतर आई थी और अनाप शनाप बोलने लगी... राजवीर बस उसके चुचों को चूसने में लगा हुआ था और एक हाथ पीछे ले जाके उसके चुतड़ों पे थप्पड़ मार देता




"अहाहहा और ज़ोर से मार ओउुउउफफफ्फ़... मैं हूँ ही रंडी अहहहाआ..... ऑश येस्स्स्साहह्हा..." स्नेहा भी अपने चुचे को राजवीर के मूह में धकेलने लगी और ज़ोर ज़ोर से कूदने लगी... पूरे रूम में उनकी चुदाई की आवाज़ें ही थी...




"तपप्प्प ठप्प्प्प्प.... अहाहहाहहाहा नूऊ ईससस्स..... हार्डर अहाहाहाहा... ठप्प्प्प ठप्प्प्प्प..." लंड पे चूत पड़ने की आवाज़ और उससे निकलते हुए मज़े में स्नेहा की यह आवाज़ें, माहॉल को बहुत गरम कर रही थी....





"अहहहाहा रुकना नहीं.. मैं आ रही हूँ अभी ससुर जीए अहहहहा ईीस्स......." स्नेहा ने एलान किया और इसकी वजह से उसने बेड पे हाथ रखे और तेज़ी से उछलने लगी ताकि इस बार राजवीर ना रुक जाए और उसे अधूरा छोड़ दे...



"हाए मैं गाइिईई ससूर्र्र्ररर जीए.ए. अहहहाा ईसस्स......" स्नेहा झड गयी और अपना सारा पानी राजवीर के लंड पे छोड़ दिया और झड़ते ही बेड पे निढाल होके गिर गयी...





"तेरे बाप को कौन झड़ाएगा भाडवी बहू अहाहाा..." राजवीर स्नेहा के उपर आ गया और अपने हाथों से उसके चुचों को मसला और लंड उसकी चूत में घुस्सा के फिर धक्के लगाने लगा...





"अहहाहा हां ससुर जी अहहहः चाचा चोदिये ना अहहहा नूऊऊओ.... आज तो अहाओफफफ्फ़... हार मान गयी मैं आपके ओह्ह्ह नूऊओ...." स्नेहा ने यह कहा ही कि राजवीर को अपने लंड में उबाल महसूस हुआ




"ओह्ह्ह्ह नूओ... मैं भी आ रहा हूँ मेरी रंडी बहू उफ़फ्फ़..." राजवीर ने जैसे ही यह चिल्लाया, स्नेहा ने अपनी चूत को उसके लंड की गिरफ़्त से छुड़ाया और लंड को मूह में लेके पूरा का पूरा रस अपने अंदर गटक लिया

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"नाआहिंन्नननननननणणन्........" ज्योति चिल्लाके अपने कमरे में जागी और अपने इस ख़याल से बाहर आई... वक़्त देखा तो रात के 2 बजे थे... आस पास देखा तो कोई नहीं था, वो अपने कमरे में अकेली थी, उसकी साँसें तेज़ चल रही थी और चेहरे से बहता हुआ पसीना उसकी हालत बयान कर रहा था..



"यह कैसा सपना देख रही थी मैं..." ज्योति ने उखड़ती हुई साँसों से खुद को कहा और पानी पीने लगी...


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"ह्म्‍म्म... अगर शीना को मारता हूँ तो रिकी बच जाएगा... पर मैं शीना को ज़िंदा भी नहीं रखना चाहता.. अब अगर रिकी को मारु तो शीना को ज़िंदा रखना पड़ेगा, ज़बान जो दे दी है... ठीक है, यही करता हूँ, रिकी को मार देता हूँ.. उसके दुख में शीना खुद ब खुद मर जाएगी.. हाहहाा... यह प्यार भी क्या क्या करवाता है लोगों से" सिगरेट के धुएँ के बीच से फिर एक डरावनी आवाज़ आई
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RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा - by sexstories - 07-03-2019, 04:38 PM

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