Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
07-03-2019, 04:09 PM,
#93
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"भाई साब, इसने भी पहली चीज़ वोही सीखी जो विकी ने सीखी थी.. नेटवर्क, और आप तो जानते हैं, एक बार आपने नेटवर्क समझ लिया तो फिर कोई बड़ी बात नहीं है पैसा निकालना.. हैरानी की बात यह है, कि जिस बेट को हम कभी नहीं लेते थे यह सोच के कि उसमे कुछ पैसा नहीं है, रिकी ने एका एक उसकी कीमत बढ़ा दी.. एक रन पे एक लाख, आज कल हर मॅच में 300+ तो स्कोर होता ही है, उसमे भी आपके टॉप के 5 बल्लेबाज़ कम से कम 150 का स्कोर तो करते हैं, काफ़ी कम मॅचस में पुछल्ले बल्लेबाज़ खेलते हैं.. तो 2 इन्निंग्स के हिसाब से 300 रन जिसकी कीमत 3 करोड़... रिकी ने आते ही एक पुराना दरवाज़ा खोल दिया है, लेकिन एक अलग ही अंदाज़ से... दाद देनी पड़ेगी उसके दिमाग़ की.." राजवीर ने रिकी की तारीफ़ करते हुए अमर से कहा, उसकी बात सुन अमर खुश था कि रिकी जल्दी चीज़ें सीख रहा है, लेकिन फिर काम के बारे में सोच के उसे दुख था के उसका दूसरा बेटा भी इसी काम में आया



"क्या हुआ भाई साब, क्या सोच रहे हैं.." राजवीर ने अमर को यूँ खामोश देख कहा



"कुछ नहीं राजवीर, जो हो रहा है उसे वैसे ही चलने देना चाहिए, रिकी को उसकी पहली कमाई का कुछ हिस्सा तो मिलना चाहिए.." अमर ने अपनी जेब से फोन निकाला और किसी से बात करने लगा.. कुछ देर तक दोनो कुछ काम की बातें करने लगे और अमर वहाँ से बाहर की तरफ चल पड़ा.. अमर के जाते ही राजवीर फिर स्नेहा की तरफ चल पड़ा, जब नीचे नहीं दिखी तो वो उसके कमरे की तरफ बढ़ गया



"क्या मैं अंदर आ सकता हूँ स्नेहा.." राजवीर ने बाहर से नॉक करते हुए कहा जिसका जवाब स्नेहा ने हां में दिया



"देखा स्नेहा, मैं ना कहता था कि......." दरवाज़ा खोलते ही राजवीर ने जितने उत्साह में यह कहा, सामने का नज़ारा देख के उसका मूह खुला और ज़बान बाहर ही लटकी रह गयी.. जैसे कुत्ता बोटी को देख के अपनी ज़बान बाहर निकाल लेता है, वैसे स्नेहा के शरीर को बोटी के रूप में देख के राजवीर कुत्ते की तरह खड़ा उसे ही देख रहा था..



अंदर स्नेहा साड़ी ही बदल रही थी कि राजवीर ने दरवाज़ा नॉक किया था, राजवीर की आवाज़ सुन के, कुछ सेकेंड्स पहले बँधी हुई साड़ी को स्नेहा ने अपने शरीर से अलग कर दिया और उसे ऐसी अदा में पकड़ा जैसे वो साड़ी बाँध ही रही हो... स्नेहा के चुचों को उसके ब्लाउस से देख राजवीर की सिट्टी पिटी गुल हो चुकी थी










स्नेहा के आधे नंगे चुचे , उसका सपाट पेट , गहरी नाभि .... राजवीर एक एक चीज़ को घूर्ने लगा, ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो अभी का अभी किसी शिकारी कुत्ते की तरह उसपे टूट पड़ेगा और उसे नोच खाएगा..



"ओह, आइएम सॉरी अंकल, लेकिन साड़ी बाँध रही थी तो आपको बाहर खड़े रखना मुनसिफ़ नहीं लगा..., प्लीज़ एक मिनिट दें.." कहके स्नेहा ने फिर अपने बदन को साड़ी से ढका और सारी ठीक करने की आक्टिंग करने लगी...



"हां जी, बताइए, आप कुछ कह रहे थे.." स्नेहा ने राजवीर से कहा जो अब तक उसके शरीर के करेंट से सकपकाया हुआ खड़ा था..



"अंकल, आप ठीक हैं.." स्नेहा ने आगे बढ़ के उसके कंधे पे हाथ रख के कहा



"जी जीई आआहहा हजी ... उहह हान्ं.. मैं तो बस यीः यीहह यहह.. कककक कह रहा था कि....." राजवीर को कुछ होश नहीं था कि वो यहाँ क्यूँ आया था



"अंकल, एक सेकेंड, आप पानी पी लीजिए, आप ऐसे हकला क्यूँ रहे हैं.." स्नेहा ने राजवीर से कहा और उसे पानी दे दिया... पानी की कुछ बूँदें अंदर उतार के राजवीर को थोड़ा ठीक महसूस हुआ और स्नेहा के शरीर के जादू से बाहर आया



"फीलिंग बेटर... वैसे बहू में यहाँ ऐसे ही आया था, सोचा इतने दिन से बहू के साथ बैठ के बातें नहीं की, आज आराम से बैठ के बातें करते हैं... अगर तुम फ्री हो तो..." राजवीर ने उसके नंगे कंधे पे हाथ रख के कहा, उसके शरीर को महसूस करके, उसकी इतनी नरम और गरम चमड़ी पे हाथ रख के मानो राजवीर सब कुछ भूल गया, इतनी सुंदर और नरम त्वचा, इतनी बढ़िया खुश्बू, बालों से लेके पेर तक स्नेहा महक रही थी... राजवीर का ऐसे खोना लाज़मी था



"सही कह रहे हैं अंकल, आज आपको वक़्त मिल ही गया मेरे लिए" स्नेहा ने उसके हाथ को हटाने की कोशिश भी नहीं की, बल्कि और उससे सटके खड़ी हो गयी



"यही तो मैं सोच रहा हूँ, इतना वक़्त तुम्हे कैसे नहीं देखा मैने.... उम्म्म , मेरा मतलब है, मैने सोचा तुम्हे कुछ टाइम अकेला दूं ताकि तुम सँभाल सको खुद को.. खैर, अब तो वक़्त तुम्हारी ही है.. बताओ कहाँ चलें इतमीनान से बातें करने..." राजवीर ने अपने हाथ पीछे खींच के कहा



"जहाँ चलिए, मैं तो आपके साथ कहीं भी जाने को रेडी हूँ राजवीर..." स्नेहा ने इस बार आगे आकर राजवीर की आँखों में देख के कहा और ठीक उसके होंठों के पास अपने होंठ लाके उनपे बहुत ही कातिल अदा से अपनी जीभ फेर दी



"आइ होप यू डॉन'ट माइंड मी कॉलिंग यू... राजवीर..." स्नेहा के चेहरे पे फिर वोही जान लेवा मुस्कान आ गयी
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RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा - by sexstories - 07-03-2019, 04:09 PM

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