Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
07-03-2019, 03:45 PM,
#6
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
ठीक है रिकी... तुम्हारा यह बिज़्नेस आइडिया है तो बड़ा यूनीक, आइ मीन वॉटर रिज़ॉर्ट महाबालेश्वर में किसी ने सोचा नहीं होगा.. पर उसके लिए पहले एक पूरा कॉन्सेप्ट बनाना पड़ेगा , फिर उसका अच्छे से प्रेज़ेंटेशन बनाना पड़ेगा, रिसोर्सस की अवेलबिलिटी.. इन सब में काफ़ी वक़्त लगेगा.. तुम एक काम करो, यह तुम्हारा ही आइडिया है, तुम लंडन से पढ़ाई पूरी करके आके इस काम में लग जाओ... " अमर ने रिकी की पीठ थपथपा के कहा... रिकी ने सोचा भी नहीं था, कि अमर इतनी जल्दी मान जाएगा, और उसे खुद इतनी फ्रीडम देगा कि अपने प्रॉजेक्ट पे वो काम खुद कर सके... रिकी को काफ़ी अच्छा लगा सुनके...



"ओके डॅड.. फिलहाल अभी तो महाबालेश्वर के लिए निकलते हैं, नहीं तो शीना नाराज़ हो जाएगी... और हां डॅड, मैं आपकी लॅंड क्रूज़र ले जाउ प्लीज़.." रिकी ने हँस के कहा



"रिकी... इस घर की हर चीज़ तुम्हारी है, बेटे हो तुम हमारे... इतनी फ़ॉर्मलटी से मुझसे बात करोगे तो फिर मुझे अच्छा नहीं लगेगा..."



"सॉरी डॅड... चलिए, बाइ भैया, बाइ पापा.." रिकी वहाँ से निकल गया



"पापा, रिज़ॉर्ट के लिए कम से कम इनवेस्टमेंट तो 50 करोड़ चाहिए... इतना बड़ा रिस्क लेना सही रहेगा.." विक्रम ने धीरे से अमर से पूछा



"सोच तो मैं भी वही रहा हूँ बेटे, लेकिन रिकी की आँखों में आज जो चीज़ दिखी मुझे, वो कभी पहले नहीं दिखी... मैं यह रिस्क उठाने के लिए तैयार हूँ.." अमर ने अपना फ़ैसला सुनाया और वो भी वहाँ से निकल गया.. पीछे अकेला खड़ा विक्रम, अपने दाँत पीसते रह गया..



उधर रिकी के साथ सुहासनी देवी और स्नेहा घर के कॉंपाउंड में खड़े शीना का वेट कर रहे थे.. शीना को सामने आते देख वहाँ खड़े तीनो के तीनो हक्के बक्के रह गये.. शीना ने बाल खुले रखे थे, एक मिड साइज़ टॉप पहना था जो उसके चुचों से काफ़ी टाइट था, लेकिन कमर से उतना ही लूस., और उसमे से उसकी पतली कमर पे बँधी चैन भी सॉफ दिख रही थी... जितना सेक्सी ब्लॅक और रेड कलर का टॉप था, उसके नीचे उतना ही सेक्सी उसका लेदर का फिश कट स्कर्ट था, जो उसकी लेफ्ट जांघों को एक दम सही कोणों से दिखा रहा था, लाल लिपस्टिक वाले होंठ देख किसी के मूह में भी पानी आ जाए.. रिकी उसे देख हक्का बक्का रह गया, और स्नेहा के तो मानो जैसे खुशी के पर निकल आए हो...



"यह क्या पहना है... फॅमिली के साथ घर के नौकर भी हैं, यह ख़याल तो रखो कम से कम.." सुहासनी देवी ने दबे स्वर में शीना से कहा



"चिल मोम... चलिए, आप आगे बैठिए, मैं और भाभी पीछे बैठते हैं... और नौकर तो दूसरी गाड़ी में हैं ना, फिर कैसी चिंता... चलिए अब देर नही करें.." शीना ने पीछे बैठते कहा, और चारो वहाँ से महाबालेश्वर चल दिए... रास्ते में सुहासनी और रिकी की काफ़ी बातें हुई और स्नेहा ने भी शीना की काफ़ी तारीफ़ की..



"कातिल लग रही हो आज तो, महाबालेश्वर के टूरिस्ट्स कहीं जान ही ना दे दे तुम्हारे लिए" स्नेहा ने चुप के से शीना को मसेज किया, क्यूँ कि यह बात वो सुहासनी देवी के आगे नहीं बोल सकती थी..



"हहहहहा.. क्या भाभी, यह 1 महीना पहले का स्कर्ट है.. नॉर्मल ही है अब..." शीना ने जवाब दिया



"हाए मेरी ननद, भोली मत बनो, मैं तो तुम्हारे कबूतरों की बात कर रही हूँ.." स्नेहा ने फिर मसेज किया... स्नेहा अक्सर ऐसी बातें करती शीना के साथ, लेकिन शीना अपने मूड के हिसाब से उसे जवाब देती... आज शीना भी फुल मूड में थी , उसने फिर जवाब दिया



"अरे नहीं भाभी, मेरे पंछी तो बस हमेशा की तरह ही हैं... आम तो आपके रसीले हो रहे हैं, भैया ठीक से निचोड़ नहीं रहे लगता है..."



"अरे नहीं मेरी ननद, तुम्हारे भैया तो आम को अच्छी तरह चूस ही लेते हैं... लेकिन अब यह आम भी गदराए पपाया होने लगे हैं.. लगता है अब इनका ख़याल ज़्यादा ही रखवाना पड़ेगा.." स्नेहा ने भी आज बेशर्मी की हद पार करने की ठान ली थी..



"ओह हो... कितने लोगों ने मेहनत की है भाभी इस आम को पपाइया बनाने में... आप की गुफा का दरवाज़ा भी काफ़ी खुल चुका होगा अब तो शायद..." शीना आज फुल मूड में थी..



"असली मर्द बहुत कम रह गये हैं इस दुनिया में अब मेरी ननद.... किसी में मेरी प्यास भुजाने की हिम्मत ही नहीं रही... लगता है अब तो बस कोई और ही देखनी पड़ेगी.." स्नेहा ने जान बुझ के देखनी पड़ेगी लिखा.. यह देख शीना भी चौंक गयी, कुछ देर तक उसने भी जवाब नहीं दिया...



"लगता है आज महाबालेश्वर में आप ही आग लगाओगी... इतना जल जो रही हो नीचे से..." शीना ने हिम्मत करके जवाब दिया



"इतनी चिंता है महाबालेश्वर की, तो मेरी ननद होने के नाते भुजा दो मेरी यह आग.. कुछ प्रबंध कर लो अब तुम ही.. हमे तो कोई मिलने से रहा...." स्नेहा खुल के आज अपनी बेशर्मी का प्रदर्शन कर रही थी...



"कम ऑन भाभी.. इट्स एनुफ्फ ओके..." कहके शीना ने फाइनली कॉन्वर्सेशन को बंद किया और अपना फोन क्लच में रख दिया...
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RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा - by sexstories - 07-03-2019, 03:45 PM

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