RE: vasna story मजबूर (एक औरत की दास्तान)
रवि ने कहा, “यार ये तो बहुत अच्छी बात है कि तुझे गवर्न्मम्ट जॉब मिल गयी है... और फिर पार्क में घूमने आये हो... अकेले हो या कोई और भी साथ मैं है?” सुनील मुस्कुराते हुए बोला, “हाँ यार मेरी फ्रेंड है साथ में..!” रवि बोला, “ओह हो... नौकरी और छोकरी... यार तुझे ये दोनों बड़ी जल्दी मिल गयी... भाई यहाँ पर घूमने तक तो ठीक है... पर ध्यान रखना यार... “पार्क में हर समय गार्ड गश्त करते रहते हैं.. यहाँ पर फैमिलीज़ आती हैं... इसलिये यहाँ पर वो बहुत सख्ती बरतते हैं!” ये सुनकर सुनील बोला, “ओह अच्छा... यार फिर तू किस दिन काम आयेगा!”
रवि हंसते हुए बोला, “हुम्म बेटा... मैं तेरा इरादा समझ गया... चल तू भी क्या याद करेगा... तू इस पार्किंग के पीछे वाले रास्ते से चले जाना... यहाँ से और कोई नहीं जाता... आगे जाकर काफ़ी घना जंगल है... वहाँ पर कोई नहीं होता...!” सुनील ने उसे धन्यवाद किया और उसके बाद बाइक पार्क की और सानिया को इशारे से आने के लिये कहा। फिर वो सानिया को लेकर रवि के बताये हुए रास्ते पर जाने लगा। उसके पीछे चलते हुए सानिया का दिल ज़ोर से धड़क रहा था वो इस तरह पहली बार किसी लड़के के साथ अकेली थी... वो भी कॉलेज बंक करके आयी थी। एक तरफ़ उसके दिल में सुनील के साथ वक़्त बिताने की लालसा भरी हुई थी और दूसरी तरफ़ उसे थोड़ा डर भी लग रहा था।
दोनों दस मिनट तक बिना कुछ बोले चलते रहे। अंदर की तरफ़ जंगल घना होता जा रहा था। थोड़ी दूर और चलने पर दोनों को एक बेंच दिखायी दी। दोनों उस पर जाकर बैठ गये। थोड़ी देर दोनों खमोश बैठे रहे... दोनों में से कोई बात नहीं कर रहा था। सानिया इधर-उधर देख रही थी जैसे अपना ज़हन किसी बात से हटाने की कोशिश कर रही हो पर एक जवान लड़की जब किसी जवान लड़के के साथ ऐसे सुनसान माहौल में हो तो उसके दिल में कुछ-कुछ होने लगता है! सानिया चुप्पी तोड़ते हुए बोली, “अब तो तुम बता ही सकते हो.!”
“क्या..?” सुनील ने पूछा तो बोली, “कि वो लड़के मेरे बारे में क्या कह रहे थे?” सुनील ने कहा, “छोड़ो तुम्हें बुरा लगेगा..!” सानिया बोली, “नहीं मैं बुरा नहीं मानती”! सुनील ने फिर एक बार उसे आगाह किया, “देख लो मुझसे बाद में नाराज़ मत होना...!” सानिया बोली, “नहीं होती नाराज़... अब बताओ भी!”
“वो कह रहे थे कि तुम्हारे वहाँ पर बहुत चर्बी चढ़ गयी है!” सुनील बताने लगा तो सानिया ने बीच में पूछा, “मेरे चर्बी... कहाँ?” सुनील ने कहा, “अब मैं तुम्हें कैसे कहूँ... तुम बुरा मान जाओगी..!” सानिया बोली, “मैं क्यों तुम्हारा बुरा मानुँगी... तुमने थोड़े ना कुछ कहा...!” सुनील की बात सुन कर सानिया को कुछ अंदाज़ा तो हो ही गया था और उसका दिल धधक -धधक करने लगा था। “वो तुम्हारी गाँड पर!” सुनील ने जानबूझ कर झेंपने का नाटक करते हुए कहा। “क्या..?” सानिया एक दम से चौंक उठी... उसे नहीं मलूम था कि सुनील ऐसे अल्फ़ाज़ का इस्तेमाल करेगा। “हाँ वो कह रहे थे कि तुम्हारी गाँड पर बहुत चर्बी चढ़ गयी है!” ये बात सुनते ही सानिया का चेहरा सुर्ख लाल हो गया। उसने अपनी नज़रें झुकाते हुए सुनील को कहा, “तुम्हें तो ऐसे बोलने में शरम आनी चाहिये... वो तो है ही कमीने!”
सुनील बोला, “देखा मैंने कहा था ना कि तुम बुरा मान जाओगी... मैं इसी लिये तुम्हें नहीं बता रहा था... ठीक है अब मैं ऐसी बात नहीं करता!” सानिया थोड़ी देर चुप रहने के बाद बोली, “मैंने ये नहीं कहा कि तुम गलत बोल रहे हो... पर तुम ऐसे अल्फ़ाज़ तो इस्तेमाल ना करो..!” सुनील बोला, “अब मुझे जैसी वर्डिंग आती है वैसे ही बोलुँगा ना... अगर तुम नहीं सुनना चाहती तो मैं नहीं बोलता..!” सानिया सुनील की बात सुन कर चुप हो गयी। अपनी गाँड पर चर्बी चढ़ने की बात सुनकर उसका दिल गुदगुदा उठा था... दिल बार-बार सुनील के मुँह से अपने बारे में सुनने के लिये मचल रहा था। “अच्छा सॉरी.. मैं ही गलत हूँ..!” सानिया ने सुनील के गुस्से से भरे चेहरे को देखते हुए कहा। “अच्छा क्या तुम्हारी कोई गर्ल-फ्रेंड है...?” सानिया ने सुनीळ की ओर देखते हुए बड़ी बेकरारी से पूछा और धड़कते हुए दिल के साथ उसके जवाब का इंतज़ार करने लगी। सुनील भी अपने दिमाग के घोड़ों को तेजी से दौड़ा रहा था कि वो सानिया को क्या जवाब दे... ऐसा जवाब जिससे वो मुर्गी खुद ही कटने को तैयार हो जाये।
“क्या हुआ मैंने कुछ गलत पूछ लिया क्या?” सानिया बोली तो सुनील ने कहा, “नहीं ऐसी बात नहीं है... अब तुम्हें क्या बताऊँ... अगर मानो तो है भी और ना मानो तो नहीं है..!” सानिया बोली, “मतलब... मैं कुछ समझी नहीं...!” सुनील ने कहा, “हाँ मेरी गर्ल-फ्रेंड है पर वो सिर्फ़ मेरी नहीं है..!” सानिया हैरान होते हुए बोली, “तो क्या तुम्हारी गर्ल-फ्रेंड किसी और की भी गर्ल-फ्रेंड है?” सुनील बोला, “गर्ल-फ्रेंड नहीं... वो किसी की बीवी है..!”
सानिया ने पूछा, “क्या तुम्हारा चक्कर एक शादी शुदा औरत के साथ है..?” सुनील ने जवाब दिया, “हम दोनों के बीच में कोई कमिट्मेंट नहीं थी... और वैसे भी मैं अब उसे नहीं मिलता... अपने-अपने जिस्म की जरूरत पूरा करने का हम एक दूसरे के लिये ज़रिया भर थे... इससे से ज्यादा कुछ नहीं... तब मैं नादान था... इसलिये मैं बिना कुछ सोचे समझे इतना आगे बढ़ गया!” सानिया को तो जैसे अपनी ख्वाबों की दुनिया आग में जल कर खाक़ होती हुई नज़र आने लगी पर सुनील का जादू सानिया के सिर पर इस क़दर चढ़ा हुआ था कि वो सुनील को खोना नहीं चाहती थी। इसलिये उसने आखिर कोशिश करते हुए पूछा, “और अब उसे नहीं मिलते..?” “नहीं!” सुनील ने कहा तो सानिया ने पूछा, “और कोई गर्ल-फ्रेंड नहीं बनायी?” सुनील ने फिर कहा, “नहीं..!”
सानिया के दिल को सुनील की ये बात सुन कर थोड़ी तसल्ली हुई। इसका मतलब सुनील ने नादानी में सैक्स किया था... उसे उस औरत के साथ इश्क़-विश्क़ नहीं था। सानिया बोली, “अच्छा छोड़ो ये सब बातें... आब तुम ये बताओ कि वो कमीने मेरे बारे में और क्या कह रहे थे..!” सुनील ने सानिया की तरफ़ देखा और बोला, “अरे नहीं बाबा... अब नहीं बोलता मैं कुछ... तुम फिर भड़क जाओगी!” सानिया अब सुनील की चटपटी बातों का मज़ा लेना चाहती थी। “अरे नहीं तुम बोलो... मैं बिल्कुल नहीं भड़कुँगी!”
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