Chodan Kahani जवानी की तपिश
06-04-2019, 01:49 PM,
#43
RE: Chodan Kahani जवानी की तपिश
मेरे जवाबी हमले से सारा ने खुद को संभालते हुए जल्दी से कहा-“इसमें कोई शक नहीं कि आप बहुत खूबसूरत लग रहे हो, और आज तो वाकई मुझे आप झटके पे झटके दे रहे हो। मैं किसी भी वक्त अपने होश गवाँ सकती हूँ…”

उसकी बात सुनकर मैं दिल ही दिल में थोड़ा सा खुश हुआ कि चलो हवेली में आज नहीं तो कल एक इबतदा तो हो ही जाएगी। क्योंकी अब मुझे नहीं लगता था कि सारा के लिए मुझे कोई ख़ास मेहनत करनी पड़ेगी। फ़िर उसकी बात के जवाब देते हुए मैंने कहा-“तो फ़िर जल्दी चलो। अगर तुमने यहाँ अपने होश खो दिए तो फ़िर शायद मैं भी अब खुद पर काबू ना रख सकूँ…”

मेरी बात समझकर सारा के गाल लाल हो गये थे और उसने अपनी नजरें झुका ली थी। फ़िर जल्दी से उसने बाहर की तरफ अपने कदम बढ़ा दिए, और मैं भी उसके पीछे-पीछे रूम से बाहर निकल आया। सारा मुझसे कुछ ही कदम आगे चल रही थी। आज उसकी चाल में अजीब लहक थी। वो इस तरह इठला-इठला के चल रही थी, जैसे वो हवाओं में उड़ रही हो। और उसके इस तरह चलते हुए जब उसकी गाण्ड के दो हिस्से बारी-बारी हिलते तो मेरे दिल की बेचैनी बढ़ जाती थी।

एक लम्हे के लिए तो मुझे खयाल आया कि मैं सारा को यहाँ से पकड़कर वापिस अपने कमरे में ले जाऊँ और उसकी खूबसूरती का ऐसा खिराज अदा करूँ कि उसको भी पता चले कि जब खूबसूरती का खिराज अदा किया जाता है तो… तो जो फटीज होता है वो अपने ही मफ्तूह को किराज अदा करता है। वो जीत कर भी उसके जिश्म की सल्तनत पर अपना सब कुछ हार चुका होता है।

लेकिन मैंने बड़ी मुश्किल से दिल और लण्ड को समझाया कि थोड़ा सबर। पहले इस हवेली से पूरी तरह वाकिफ तो हो जाओ, फ़िर यह भी तुमसे दूर नहीं। बकौल सब लोगों के अब इस हवेली और यहाँ की हर चीज का मैं ही तो मालिक हूँ, तो फ़िर यहाँ की कोई चीज मुझसे कैसे दूर रह सकती थी? हम लोग सीढ़ियाँ उतरकर जनानखाने के दरवाजे पर पहुँच चुके थे।

अब मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा था। यह वो दरवाजा था जिसके पीछे मेरे वो तमाम रिश्ते कैद थे, जिनसे मैं आज तक वाकिफ नहीं था। मेरे खून के रिश्ते, मेरी दादी, मेरी फूफो, और मेरी वो बहनें, जो थी तो सौतेली लेकिन मेरे ही बाप का खून थी, मेरा अपना खून थी। मेरे बाप का खून। हमारी रगों में एक ही बाप का खून था, और बहनों का वो रिश्ता था, जिसके लिए मैं बचपन से ही तड़पा था। उनका खत पढ़कर ही मैं यहाँ रुकने पर मजबूर हुआ था, और अब मैने अपनी उन छोटी बहनों से दूर नहीं रह सकता।

सारा ने जनानखाने का मुख्य दरवाजा खोला और अंदर दाखिल होकर मुझे आगे बढ़ने का इशारा किया तो मैं भी उसके पीछे-पीछे जनानखाने के दरवाजे में दाखिल हो गया। यह एक लंबी राहदरी थी जो बहुत आगे तक चली गई थी। राहदरी के दोनों तरफ दीवार में बड़े-बड़े शीशे लगे हुए थे, जिससे बाहर का मंज़र नजर आता था। इन शीशों के दूसरी तरफ दोनों साइड पर खूबसूरत लान बना हुआ था जिसमें मुख्तलिफ इक्साम के फूल और और दरख़्त लगे हुए थे। यह पूरा लान जादील और सुंदर सुंदर फूलों से भरा हुआ था।
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RE: Chodan Kahani जवानी की तपिश - by sexstories - 06-04-2019, 01:49 PM

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