RE: Chodan Kahani जवानी की तपिश
ना जाने कब टीचर ने अपना सिर घुमाया और मुझे इस तरह बाथरूम के बाहर खड़ा देखकर चौंकी, या चिल्लाई मुझे कुछ पता नहीं था। मैं तो तब होश में आया जब टीचर बालों को तौलिए में लपेटे एक बड़े से गाउन में खुद को छुपाए मेरे सामने खड़ी मुझे जोर-जोर से हिला रही थी।
मैंने चौंक कर टीचर को देखा तो वो मेरे सामने खड़ी परेशान नजरों से मुझे देख रही थी, और कह रही थी-“क्या हुआ तुम्हें? तुम्हें कुछ सुनाई नहीं देता की मैं क्या कह रही हूँ? इधर मुझे देखो और थोड़ा होश में आओ…”
पशीना मेरे सिर से लेकर पाँव तक ऐसे बह रहा था जैसे उनके बजाए मैं अभी-अभी शावर से नहा के निकला हूँ। मैं अब भी आँखें फाड़े उनके चेहरे को देखता रहा। मेरी आँखें लाल हो रही थीं और उनसे जैसे आग सी बरस थी। मैं धीरे-धीरे काँप रहा था।
टीचर मेरी हालत देखकर बजाए मुझे किसी बात पर डाँटने के खुद परेशान हो गई थी।
मुझे उनकी आवाज सिर्फ़ अपने कानों से टकराती हुई सुनाई दे रही थी। वो क्या कर रही हैं मैं बस यह देख पा रहा था। लेकिन कुछ सोचने और समझने की हदों से निकल चुका था। मेरी हालत सिर्फ़ शौरी तौर पर हवस में थी, बाकी मेरा दिमाग़ काम नहीं कर रहा था। मेरी यह हालत देखकर मैंने देखा की टीचर बहुत परेशान लग रही है। वो मुझे बाजू से पकड़कर बेड की तरफ ले गई, और मुझे लिटा दिया फ़िर जल्दी से एक बोतल में से पानी का ग्लास भरकर आई और उसे मेरे होंठों से लगा दिया।
मगर मेरे दाँत एक दूसरे के साथ मुकम्मल तौर पर जम गये थे। पानी मेरे दाँतों से टकरा कर वापिस मेरे होंठों से होता हुआ मेरे गले से बह रहा था। टीचर ने ग्लास मेरे होंठों से दूर किया।
फ़िर उसने धीरे से मुझे बेड पर लिटा दिया। मेरी दोनों टांगे नीचे लटकी हुई थी। मैं आधा बेड पर और आधा नीचे था। मेरी आँखें सिर्फ़ टीचर का पीछा कर रही थीं। जहाँ वो जाती मैं सिर्फ़ उनको ही देख रहा था।
ग्लास साइड टेबल पर रखने के बाद टीचर बेड के पास नीचे बैठ गई, और मेरी नजरों से गुम हो गई। कुछ ही देर बाद मुझे अपने जूते और जुराबें उतरती महसूस हुई। फ़िर टीचर बेड पर आ गई, और मेरी एक हथेली को अपने हाथों में लेकर रगड़ने लगी। उनके चेहरे पर अभी तक परेशानी के आसार थे। कुछ देर तक वो बारी-बारी मेरे दोनों हाथों को रगड़ने लगी। लेकिन उनके नर्म-ओ-गुदाज हाथों की रगड़ से मेरे जिश्म की कपकपाहट में मजीद इजाफा हो गया। टीचर ने मेरी आँखों में देखा, और मेरे हाथों को मजीद रगड़ना रोक दिया।
उन्होंने मेरी आँखों में देखते हुए कहा-“लगता है कि गर्मी तुम्हारे दिमाग़ पर चढ़ गई है, और अब जब तक यह गर्मी नहीं उतरेगी तुम ठीक नहीं होगे…” फ़िर हल्के गुस्से से कहा-“क्या पहले कभी कोई नंगी औरत नहीं देखी घोंचू? कि मुझे नहाते देखकर तुम्हारी यह हालत हो गई है?”
मैं सपाट नजरों से सिर्फ़ टीचर को देख रहा था। मगर कुछ कह नहीं पाया। अब टीचर बगैर कुछ कहे उठ गई थी। फ़िर कुछ देर तक टीचर मेरी नजरों से गुम रही। फ़िर अचानक से वो मेरे दायां साइड की तरफ प्रकट हुई। वो अभी तक उसी गाउन में थी। उन्होंने अब अपने सिर से तौलिया हटा लिया था। उनके गीले बाल शनो पर बिखरे हुए थे, वो धूली-धूली सी पिंक रंग के गाउन में और भी ज़्यादा खूबसूरत लग रही थी।
फ़िर उन्होंने मुझे देखते हुए कहा-“जो हरकत तुमने की थी, उसपर तो तुम्हें सजा मिलनी चाहिए थी। अब उल्टा तुम्हें सजा देने के बजाए मजा देना पड़ेगा। वरना यह गर्मी तुम्हारी जान भी ले सकती है। खैर, मैं जो भी कर रही हूँ तुम्हारे लिए कर रही हूँ, ताकी तुम इस हालत से बाहर आ सको। बुलाने को तो डाक्टर भी बुला सकती थी। मगर उसे बुलाकर क्या कहूँगी कि तुम्हें क्या हुआ है। उल्टी मेरी बदनामी होगी। अब जो कर रही हूँ उसको सीरियस नहीं लेना है तुमने। ओके…”
फ़िर उन्होंने हाथ बढ़ाकर मेरी पैंट की जिप खोली जहाँ से अभी तक मेरे लण्ड का उभार वाजिए तौर पर नजर आ रहा था। इस लम्हे मुझे मिस सबा की खुदकलमी सी सुनाई दी-“मेरे अंदर जो गर्मी लगी है। अगर वो इस घोंचू को लग जाए तो शायद यह मर ही जाए। इसको तो ठंडा कर दूँगी मगर मेरा क्या होगा?”
फ़िर एक नजर मेरी तरफ देखकर हल्के से कहा-“नोट बैड। अगर यह थोड़ा और बड़ा होता तो इसकी गर्मी मिटाते-मिटाते मैं भी खुद को ठंडा कर लेती। लेकिन इस बच्चे से खुद को क्या ठंडा करूँ?” इस दौरान टीचर ने पैंट के अंदर हाथ डालकर अंडरवेर के नीचे से मेरे लण्ड को पकड़ लिया था। मेरे लण्ड पर हाथ लगाते ही टीचर के होंठ सीटी के अंदाज में सिकुड़ गये और एक हल्की सी सीटी की आवाज सुनाई दी। जबकी टीचर का हाथ मेरे लण्ड पर लगाते ही मेरे जिश्म को एक जोरदार सा झटका लगा, और मेरे जिश्म की कपकपी मजीद बढ़ गई थी।
टीचर ने झट से मेरा लण्ड अंडरवेर के अंदर से खींचकर जिप वाले हिस्से से बाहर निकाला तो उनकी आँखों के साइज़ में कुछ मजीद इजाफा हो चुका था। शायद उनको मेरा लण्ड पसंद आया था। उन्होंने एक चकित अंदाज में मेरी तरफ देखा और मुश्कुराते हुये बोली-“घोंचू तुम तो छुपे रुस्तम निकले। नोट बैड…”
फ़िर उन्होंने बड़े प्यार से मेरे लण्ड पर धीरे-धीरे हाथ फेरना शुरू कर दिया। वो अपने हाथ को बड़े प्यार से नीचे से लेकर ऊपर ले जाती और फ़िर उसी प्यार से ऊपर से नीचे ले आती। जिप वाले हिस्से से मेरे बोल्स बाहर नहीं आ पाए थे, शायद इसीलिए टीचर ने मेरी बेल्ट खोलकर पैंट का बटन भी खोला। उसके बाद उन्होंने मेरी शर्ट को मेरे पेट तक ऊपर कर दिया। पैंट मेरी कमर के नीचे फँसी हुई थी, जिसके कारण अभी भी मेरे लण्ड का पूरा हिस्सा वजीह नहीं हो रहा था।
तो टीचर ने अपने दोनों हाथ मेरी कमर के नीचे देकर मुझे एक झटके से ऊपर किया। फ़िर एक हाथ और उसकी कोहनी के बल पर मेरी कमर को ऊपर रोकते हुए दूसरे हाथ से उन्होंने मेरी पैंट को जल्दी से मेरे घुटनों तक नीचे सरका दिया। अब मेरे पेट से लेकर घुटनों तक का पूरा हिस्सा टीचर के सामने बिल्कुल नंगा हो चुका था। इस वक्त मुझे किसी बात का अहसास नहीं हो रहा था कि यह सब क्या हो रहा है। क्या मुझे टीचर के सामने इस तरह नंगा होना चाहिए या नहीं? बस मैं एक नजर टीचर को देखे जा रहा था।
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