RE: Chodan Kahani जवानी की तपिश
मेरी नजरें उसकी गाण्ड पर लगी हुई थीं, जिसको शायद उसने भी महसूस कर लिया, और सीधी खड़ी हो गई। मगर उसने अपने चेहरे से महसूस नहीं होने दिया कि उसने मुझे इस तरह अपनी गाण्ड पर नजरें लगाये देख लिया है।
सारा-“छोटे साईं। आ जाईए नाश्ता ठंडा हो रहा है…”
मैं टेबल की तरफ बढ़ गया। मैं अपने आपको थोड़ा-थोड़ा शर्मिंदा महसूस कर रहा था कि सारा मेरे बारे में क्या सोचेगी? मैं उससे नजरें चुराते हुए सोफे पर बैठ गया, और नाश्ते की ट्रे अपने सामने कर ली। नाश्ते में मक्खन और रोटी थी, साथ ही दूध का भरा ग्लास। मैं जल्दी-जल्दी नाश्ता करने लगा। सारा मेरे सामने ही टेबल के पास फर्श पर बैठ गई। मैंने चोरी-चोरी से उसे देखा तो उसके चेहरे पर हल्की सी मुश्कुराहट थी, और अब उसकी नजरों में शरारत नजर आ रही थी।
फ़िर एक खयाल अचानक से मेरे दिल में आया और मैंने सारा पर नजर डाले बिना ही पूछा-“सारा तुम कब से इस हवेली में काम कर रही हो?” मैंने उसके चेहरे के भाव नहीं देखे मगर उसके लहजे से महसूस हुआ कि उसके बोलने में हैरत थी।
सारा-“कब से क्या मतलब साईं। मैं तो पैदा ही इस हवेली में हुई थी?”
मैं-मेरा मतलब था कि तुम यहाँ यह सब जो काम कर रही हो, वो कब से कर रही हो?
सारा-साईं बचपन से ही। हम तो यहाँ के ही हैं। हमने यही सब कुछ करना है। यही हवेली में सामने की तरफ हमारे घर हैं। मेरी माँ, बाबा और उनके माँ बाप भी यही काम करते थे। हमारा तो मरना जीना यहाँ इसी हवेली में है।
मैं-अच्छा तो यह बताओ कि जनानखाने में कौन-कौन रहता है?” मैंने गर्दन हिलाते हुए पूछा।
मुझे जनानखाने के बारे में पूछते हुए पता नहीं सारा ने क्या समझा? उसके चेहरे पर खुशी के भाव थे। वो जल्दी से बोली-“जनानखाने में आपके खानदान की तमाम औरतें और हम जैसी कनीज रहती हैं…”
मैं-वो तो मुझे पता है। लेकिन मैं यह जानना चाहता हूँ कि मेरे खानदान में कौन-कौन ऐसी औरतें हैं जो मुस्तकिल वहीं जनानखाने में रहती हैं?” इस बार मैंने सारा को देखते हुए पूछा।
सारा जल्दी से बोली-“आपकी दादी, दूसरी माँ, दो बहनें, आपकी 3 बुआ यानी फूफो, और इन सबकी एक-एक ख़ास नौकरानी। और इनके इलावा 10 और काम करने वाली, जो हवेली का मुख्तलिफ काम करती हैं। यहाँ वही हवेली में रहती हैं हमेशा से…” उसने मुझे देखते हुए कहा।
सारा की बात सुनकर मैं कुछ देर तक तो खामोश रहकर नाश्ता करता रहा। लेकिन एक बार फ़िर मैंने उससे पूछा-“और आजकल तो हवेली में दूसरी औरतें भी तो आई हुई होंगी ना?”
सारा-औरतें तो सारा दिन आती रहती हैं। सारे गाँव की और जागीर के दूसरे गाँवो की भी। आजकल तो बहुत भीड़ लगी रहती है। इतना बड़ा हादसा जो हो गया है इस हवेली मैं…”
आख़िर में बात करते हुए उसकी आँखों में पानी भर आया, जिसे उसने जल्दी से अपने दुपट्टे के पल्लू से सॉफ कर लिया।
कुछ देर के लिए रूम में खामोशी सी फैल गई। फ़िर अचानक से सारा बोली-“छोटे साईं। आप यह सब क्यों पूछ रहे हो? कल तक तो आप कह रहे थे कि आपका इस हवेली से कोई ताल्लुक नहीं, और न ही कोई रिश्ता है तो आज फ़िर यह सब?”
मैंने खाने से हाथ रोक लिया और सारा की तरफ देखने लगा-“मेरा आज भी इस हवेली से कोई ताल्लुक नहीं है। लेकिन एक फ़ितरती जासूस, मुझे यह सब पूछने पर मजबूर कर रहा है कि इतनी बड़ी हवेली में एक दो आफराद तो नहीं रहते होंगे ना? इसीलिए पूछ लिया…” यह सब कहते हुए मेरे चेहरे पर कुछ सख्ती सी आ गई थी।
जिसे सारा ने भी महसूस कर लिया और वो जल्दी से बोली-“साईं आप नाराज ना हो। मैंने तो यह सब इस उम्मीद में कहा कि शायद आपने अपना खयाल बदल लिया हो, और आपके खून ने जोश मारा हो। आख़िर इस हवेली में रहने वालों और आपका खून एक ही तो है। वो सब आपके अपने सगे हैं। मुझे नहीं पता की आपके जेहन में क्या है। लेकिन वहाँ अंदर रहने वाले सब लोग आपसे बहुत मुहब्बत करते हैं। वो तड़प रहे हैं आपसे मिलने के लिए। उनका बस चले तो वो सब रिवाजों की जंजीरें तोड़कर आपके पास यहाँ मर्दानखाने में आ जाएँ और आपको अपने साथ ले जाएँ। लेकिन यह उनके बस में नहीं…” यह सब कहते हुए सारा की आँखों से अब आँसू बहने लगे थे, और उसकी आवाज भी रुंध गई थी। जिसको सारा बड़ी मुश्किल से कंट्रोल करने की कोशिस कर रही थी। वो बार-बार अपनी आँखों में आने वाले आँसू सॉफ कर रही थी।
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