Desi Sex Kahani चुदाई घर बार की
05-26-2019, 01:57 PM,
#33
RE: Desi Sex Kahani चुदाई घर बार की
लेकिन सच पूछ तो सच ये है की मैं उसी दिन से फरजाना को इस बात के लिए आहिस्ता आहिस्ता तैयार कर रही थी और मैने उसे तुम्हारे फरी और अपने और तुम्हारे अबू के बारे मैं भी आहिस्ता आहिस्ता सब बता दिया था 

लेकिन जुब रात तुम ने फरजाना के साथ मस्ती की तो उस वक़्त वो जाग रही थी और तुम्हारे साथ मस्ती को पूरी तरहा एंजाय करती रही है

मैं बिल्लो की बात सुन के हका बका रह गया क्यों की मुझे ज़रा भी एहसास नहीं हुआ था की फरजाना उस वक़्त जाग रही थी और पूरा मज़ा ले रही थी मेरी शकल पे शैयद कुछ ऐसे तसूरत थे की जिन को बिल्लो ने भी महसोस कर लिया और बोली अब कोई गड़बाद नहीं करना 

1 2 दिन मैं मैं खुद तुम्हें ब्ताओंगी की कब तुम्हारा काम हो सकता है उस के बाद एंजाय करना लेकिन फिर मेरे साथ किया हुआ वादा भी पूरा करना पड़े गा तुम्हें जो मेरे साथ किया था

मैने खुशी के मारे बिल्लो को सीने से लगा लिया और एक किस भी कर डाली और बोला यार तुम जो बोलो गी करूगा बस एक बार मेरा ये काम कर दो जो तुम बोलोगी माँग लेना जो माँगना हो

बिल्लो मेरी बात सुन के बोली चलो ठीक है मैं अभी चलती हूँ घर मैं भी थोडा काम है और निकल गई तो मैं फरजाना की चुत का सोच के ही लूँद खड़ा होने लगा 

जिसे मैं हाथ मैं ले के मसालने लगा

बाकी का दिन मैने घर पे ही नॉवेल पढ़ते और लूँद मसालते गुज़ारा और रात भी ऐसे ही गुज़र गई क्यों के अभी तक कुछ समझ नहीं आ रही थी की क्या कराईं क्यों की फरीदा की तरफ से अभी तक किसी किस्म का खुला इशारा भी नहीं मिल पा रहा था की वो क्या चाहती है 

और ये हमनें तब तक पता नहीं चल सकता था क वो जुब तक खुद बाजी या अम्मी से बात ना कर ले क्यों क मेरे साथ या अबू के साथ तो वो इतनी बड़ी बात कर नहीं सकती थी 

तो हम लोग अब इंतज़ार मैं थे

अगली सुबह मैं उठा और नहा के नाश्ते के लिए बेता इंतज़ार कर रहा था की फरीदा मेरे लिए नाश्ता ले के आ गई और मेरे सामने झुक के नाश्ता रख के और पानी रखते हो मेरी तरफ देखे बिना बोली भाई क्या आज भी दूध नहीं पियोगे आप

मैने अब फरीदा की क़मीज़ मैं से निकालने की कोशिश करते बूबस को देख रहा था 

जिसे फरीदा भी नोट कर चुकी थी लेकिन ना तो वो कुछ बोली और ना ही सीधी होई उस वक़्त फरीदा एक वाइट सलवार क़मीज़ मैं थी जो की उसे काफ़ी टाइट भी था और झुकने से उस के काफ़ी बूबस भी बाहर को निकालने की कोसिस मैं थे

अब मैने भी फरीदा बाजी के बूबस से नज़र हताए बिना ही कहा नहीं बाजी अभी नहीं लेकिन पियोंगा ज़रूर लेकिन बाद मैं क्यों की मैं चाहता हूँ की आप मुझे बाद मैं पिलाओ 

अब की बार बाजी ने मेरी तरफ सर घुमा के देखा और सीधी खड़ी हो गई और बोली क्या मतलब भाई मैं कुछ समझी नहीं आप की बात को ज़रा ठीक से समझा दो तो ठीक रहे गा

अब मैने सर झतका और बाजी की तरफ देखे बिना नाश्ता अपनी तरफ खींचा और बोला 

बाजी मेरा मतलब है की आज कल मेरा दूध पीने का मान नहीं हो रहा तो बाद मैं जुब मान हो गा तो आप को बता दूंगा

बाजी अजीब सी नज़रों से मेरी तरफ देखती और अपने होन्ट कटी रूम से निकल गई तो 

मैं नाश्ते मैं लग गया और नाश्ता ख़तम कर के बाजी फरीदा के बारे मैं सोचने लगा की 
आख़िर फरीदा एक लड़की हो के इतना एक्सपोज़ कर रही है मेरे सामने चाहे मेरी बड़ी बेहन ही सही लेकिन मैं समझ सकता था क ये फरीदा के लिए कितना मुश्किल था और ऊपर से मेरी तरफ से बार बार नज़र अंदाज़ किया जाना भी उसे यक़ीनन हार्ट करता हो गा 

लेकिन मैं भी क्या करता मेरा दिल ही नहीं मान रहा था फरीदा को छोड़ने के लिए क्यों की मैं इरादा कर चुका था की बाजी फरीदा की चुत का रास्ता अबू के लंड से ही खुलेगा

उस के बाद चाहे बाजी फरीदा सारी ज़िंदगी मेरे इलावा किसी और से ना चुडवाए मुझे परवा नहीं थी

खैर मैं उठा और खेतों पे जाने लगा तो देखा के बाजी घर पे ही थी तो मैने बाजी से पूछा के बाजी आप आज खेतों पे नहीं गई अबू के साथ तो इस से पहले की बाजी फरी कोई जवाब देती 

उस के पास ही बैठी फरीदा झट से बोल पड़ी की भाई आज से अम्मी जाया कराईं गी खेतों पे और बाजी अब घर पे ही रहा कराईं गी तो मैने हूउऊन्न्ं की आवाज़ निकली और घर से निकल के खेतों की तरफ चल दिया 

अभी मैं कुछ दौर ही गया था क मुझे सामने से अपना यार सलीम आता हुआ 

नज़र आया जो क मुझे देख के खड़ा हो गया था और जुब मैं उस के पास पंहुचा तो वो बड़े घौर से मुझे देखते हो बोला यारा रुक जा ज़रा मुझे अच्छी तरह देख तो लेने दे क एईद का चाँद होता कैसा है

मैं सलीम की बात सुन के हंस दिया और बोला आबे छोड यार क्यों ड्रामा करता है मेरे साथ तो सलीम भी हंस दिया और बोला यार मैं ड्रामा नहीं कर रहा अब तो खुद ही देख और सोच ले क कितने दिन हो गये हैं हमनें गांव आए हो और हम बस एक बार ही मिले हैं और अब तो कोल्ग भी खुलने वेल हैं

मैं सलीम की बात सुन के चौंक गया और बोला हन यार मुझे तो याद ही नहीं रहा क हुमारी छूतियाँ ख़तम होने वाली हैं और अब जल्द ही हमनें कोल्ग भी जाना है नहीं गये तो बस पकई छूटी ही मिले गी

सलीम मेरी बात सुन के बोला कहाँ रहते हो भाई जहाँ तुम्हें अपनी और कोल्ग और अपने दोस्तों मैं से किसी की भी खैर खबर नहीं है सब ठीक तो है ना क यहाँ कोई पारी मिल गई है

आबे नहीं यार अपनी ऐसी क़िस्मत कहाँ क कोई पारी हमनें भी घस्स डाले हम तो बस देख के अहीन ही भर सकते हैं बाकी सारा दिन अबू के पास खेतों मैं ही बेता रहता हूँ 

कुछ हाथ बता देता हूँ उन का ( अब असल बात तो मैं उसे नहीं बता सकता था क आज कल किन माज़ों मैं था मैं जिस की वजा से मुझे किसी चीज़ का या कोल्ग का ना तो होश था ना ही फिकेर)

ऐसे ही हम दोनो दोस्त साइड मैं बैठ गये और गुपैयन मरते रहे फिर कोई 10 बजे के करीब सलीम ये बोलता हुआ चला गया क अच्छा यार शाम को मिलना तुझे आज फिर से थोडा मज़ा करवाता हूँ और निकल गया तो मैं भी अपने खेतों की तरफ चल दिया 

जहाँ अम्मी और अबू चारा काट रहे थे

मैने वहाँ इधर उधर देखा तो मुझे कहीं चारपाई नज़र नहीं तो मुझे याद आया की कल सारा दिन बारिश होती रही है तो चारपाई रूम मैं रख दी हो गी अबू ने के खराब ही ना हो जाए

ये सोच आते ही मैं रूम मैं जा घुसा लेकिन वहाँ जाते ही मेरी पहली नज़र जिस मंज़र पे पड़ी मैं वहीं का वहीं जैसे थम से गया क्यों क वहाँ कोई लड़की खड़ी होई थी और कुछ ऐसी हालत मैं थी

मैं अब ऐसी ही खड़ा देखता रहा और सोच मैं पड़ गया की ये कौन हो सकती है जो यहाँ अपने कपड़े पहन रही है क्यों क वो जो कोई भी थी ट्यूबवेल पे नहाने के बाद अब गीले कपड़े जो क यहाँ से ही पहने थे उतार के अपने पहन रही थी क अचानक 

शैयद उस लड़की को भी एहसास हो गया क रूम मैं कोई और भी घुस आया है तो उस ने पीछे मूड के देखा तो मैने जाना क वो बिल्लो थी

बिल्लो की आँखों मैं मुझे देखते ही चमक से उभर ऐइ और वो मेरी तरफ पूरी तरफ घों गई और बोली अरे विक्की तुम कब आए तो मैने कहा अभी अभी आया हूँ और ये जान लेवा मंज़र देख के खोया ही था के तुम ने देख लिया

बिल्लो मेरी बात सुन के मुस्कुराती आँखों से मेरी तरफ देखते हो बोली विक्की अब तो मैं भी तुम्हारी हूँ और ये जान भी जुब दिल चाहे खुद मुझ मैं खो जाओ या मुझे अपने आप मैं सामो लो मैं तुम्हें मना थोडा ही करूगी

अब मैं आगे बढ़ा और बिल्लो के सामने जा खड़ा हुआ और बिल्लो का फेस बलों से पकड़ के थोडा ऊपर किया और उस के लीप,स के साथ अपने लीप,स को मिला के किस करने लगा जिस मैं बिल्लो भी पूरी तरह मेरा साथ देने लगी

थोड़ी देर तक हम ऐसे ही किस करते रहे और फिर बिल्लो ने ही मुझे खुद से अलग किया और बोली चलो अब निकलो यहाँ से इस से पहले की तुम्हारी अम्मी यहाँ आ जाय तुम निकलो
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RE: Desi Sex Kahani चुदाई घर बार की - by sexstories - 05-26-2019, 01:57 PM

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