RE: Kamvasna मजा पहली होली का, ससुराल में
मैं मुंह भले बना रही थी..लेकिन अब थोडा बहोत मुझे भी...और मैं ये समझ भी गयी थी की बिना चाटे चूटे छुटकारा भी नहीं मिलने वाला. ओं में मैं करती रही लेकिन उन्होने पूरी जड तक लंड पेल दिया.
* अरे भाभी अपनी गांड के मसाले का तो बहोत मजा ले लिया अब जरा मेरी गांड के... का भी तो मजा चखो, बोलो कौन ज्यादा मसालेदार है. जरा प्यार से चख के बताना.” ननद ने छेडा.
तब तक ननदोई ने बोला, “ अरे ज्यादा मत बोल अभी तेरी गांड को मैं मजा चखाता हूं. सलहज जी जरा फैलाना तो कस के अपनी ननद की गांड.”
मैं ये मौका क्यों चूकती. वैसे मेरी ननद के चूतड थे भी बड़े मस्त, गोल गोल गुदाज और बडे बडे. मैने दोनों हाथों से पूरे ताकत से उसे फैलाया. पूरा छेद और उसके अंदर का माल ...सब दिख रहा था. नन्दोई ने दो उंगली एक साथ घुसेडी की ननद की चीख निकल गयी. लेकिन वो इतने आसानी से। थोडी : ही रुकने वाले थे. उसके बाद तीम उंगली, सिर्फ अंगूठा और छोटी उंगली बहर थी और तीनों उंगली सटासट सटासट...अंदर बाहर, मैने चूत की फिस्टिंग कि बात सुनी थी लेकिन इस तरह गांड में तीन उंगली एक साथ...मैं सोच भी नहीं सकती थी. एक पल के लिये तो गांड से निकले मेरे मुंह में जड तक घुसे लंड को भी भूल कर मैं देखती रही. वो कराह रही थी, उनके आंखों से दर्द साफ साफ झलक रहा था. पल भर के लिये जब मेरे । मुंह से लंड बाहर निकला तो मुझसे रहा नहीं गया,
* अरे चूत मरानो, मेरे बहन चोद सैयां की रखैल, पंच भतारी, बहोत बोल रही थी ना मेरी गांड के बारे में...क्या हाल है तेरी गांड का. अगर अभी मजा ना आ रहा है तो तेरे भैया को बुला लें. जरा कुहनी तक हाथ डाल के इस की गांड का मजा दो इसे. इस कुत्ता चोद को इससे कम में मजा ही नहीं आता.” मैं बोले जा रही थी और उंगलियां क्या लगभग पूरा । हाथ उनकी गांड में...
तबतक वो लस लसा हाथ गांड से निकाल के ...उन्होने एक झटके में पूरा मेरे मुंह में डाल दिया और बोले,
अरी बहोत बोलती है, ले चूस गांड का रस...अरे कुहनी तक तो तुम दोनों की गांड और भोसंडे में डालूंगा तब आयेगा ना होली का मजा . लेकिन इस के पहले मजा दूं जरा चूस चाट के मेरा हाथ साफ तो कर सटा सट.” मैं गोंगों करती रही लेकिन पूरा हाथ अंदर डाल के उनहोने चटवा के ही दम लिया.
* अरे चटनी चटाने से मेरी प्यारी भाभी की भूख थोड़े ही मिटेगी. ले भाभी सीधे गांड से ही..” वो मेरे उपर आ गयी और बड़ी अदा से मुझे अपनी गांड का छेद फैल के दिखाते बोली.”
* अरे तू क्या चटायेगी.... सुबह तेरी छोटी बहन को मैं सीधे अपनी बुर से होली का ...गरमा गरम खारा सरबत पिला चुखी हूं. सारी की सारी सुनहली धार एक एक बूंद घोंट गयी तेरी बहना” खीझ के मैने भी सुना दिया.
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