RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
नजीबा ये देख कर ठिनठिनाने लगी। वो औरंगजेब के प्रबल लंड की लिप्सा करने लगी जबकि टीपू उतने ही शक्तिमान लंड से उसकी चूत की लगातार धुनायी कर रहा था।
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नजीबा को चिंत होने लगी थी कि दूसर कुत्ता, बेचरा जो इतनी देर से उपेक्षित था, कहीं ऐसे ही झड़ ना जाये और उसका गर्म और गाढ़ा वीर्य व्यर्थ हो जाये। नजीबा हाथ बढ़ा। कर उसके लंड और टट्टों को सहलाना चाह रही थी लेकिन उसे डर था थी कि कहीं गल्ती से कुत्ता झड़ ना जाये।
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तभी टीपू ने पीछे से नजीबा की चूत में जोर के झटके से एक करारा धक्का लगाया जिससे वो आगे की तरफ, औरंगजेब के नज़दीक खिसक गयी। औरंगजेब ने सिर उठा कर देखा। उसकी जीभ बाहर लटकी हुई थी। वो कुत्ता शाजिया द्वारा भली भांति प्रशिक्षित था और औरतों के मीठे भेद समझता था। नजीबा का सुंदर चेहरा कर्पेट पर नीचे औरंगजेब के पेट के स्तर तक झुका हुआ था। औरंगजेब रिरियाता हुआ खड़ा हो गया और उसने अपनी अगली टाँगें। नजीबा की गर्दन में डाल दीं और नजीबा के सिर पर इस तरह सवार हो गया जैसे टीपू नजीबा के चूतड़ों पर सवार था। औरंगजेब ने अपना लंड नजीबा के चेहरे पर धकेल दिया।
नजीबा ने चौंक कर अपना सिर घुमाया और कुत्ते का पत्थर की तरह सख्त लंड उसके गाल पर छूने लग और कुत्ते के वीर्य की चिपचिपी धार उसके गाल पर बहने लगी।
मादरचोद - ये चोद कुत्ता तो लंड चुसवाना चाहता है', नजीबा को एहसास हुआ तो इस ख्याल से वो दहल गयी।
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कुत्ते के लंड को चूसने का ख्याल नजीबा को कुत्ते से चुदवाने से भी ज्यादा विकृत लगा - पर उतना ही अधिक रोमाँचक भी। अपने दोनों छोरों में कुत्तों के लंड लेने की कल्पना से उस अति-कमुक और अय्याश औरत की हवस और बढ़ गयी और वो उस कुत्ते का लंड अपने मुँह में लेने के लिये अधीर हो गयी। नजीबा का सिर अभी भी एक तरफ घूमा हुआ था और औरंगजेब उत्तेजना से आगे-पीछे धक्के मारता हुआ उसके मुँह में अपना लंड डालने को छटपटा रहा था। वो कुण्ठा से भौंकने और रिरियाने लगा। कुत्ते की व्यग्रता और जोश असरदार था। नजीबा की पलकें फड़फड़ायीं और उसके थरथरते होंठों में से उसकी जीभ बाहर फिसल आयी।
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औरंगजेब थोड़ा सा पीछे हटा और उसके लंड का अग्रीम-स्राव से चूता हुआ सुपाड़ा नजीबा के मुँह पर फिसलने लगा और वीर्य उसके होठों पर बुदबुदाते हुए झाग बनाने लगा। आनजीबा ने अपनी जीभ फिरा कर वो चिपचिपा द्रव्य चाटा तो आवेश में उसके मुंह से सिसकरी निकल गयी। कुत्ते ने फिर से आगे की ओर धक्का लगाया तो उसके मोटे और वीर्य से लबालब भरे आँड नजीबा की ठुड्डी से टकराये। नजीबा ने अभी तक अपना मुँह नहीं खोला था। वो पूरी तरह निश्चय नहीं कर पायी थी कि वो कुत्ते का लंड चूसे या नहीं। कुत्ते के लंड का सुपाड़ा नजीबा के बंद होठों पर टक्कर मर रहा था जिससे नजीबा का सिर पीछे झुका हुआ था।
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